सोमवार, 30 मई 2022

संपत्ति विरूपण पर होगा दंड; जाने

 क्या बला है संपत्ति विरूपण 


कलेक्टर ने
संपत्ति विरूपण

के तहत

जारी  प्रतिबंधात्मक आदेश

शहडोल 30 मई 2022-  कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती वंदना वैद्य ने त्रि-स्तरीय पंचायत आम निर्वाचन 2022 के मददेनजर  मध्यप्रदेश सम्पत्ति विरूपण अधिनियम 1994 की धारा 3 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। जारी आदेश में कहा गया है कि शहडोल जिले के जनपद पंचायत क्षेत्र (ब्यौहारी, जयसिंहनगर, गोहपारू, सोहागपुर एवं बुढार) में राजनैतिक पार्टियों तथा व्यक्तियों द्वारा जुलूस, जनसंपर्क, आमसभाएं इत्यादि राजनैतिक गतिविधिया तेजी से प्रारंभ कर दी गई है, जिसमें शासकीय परिसम्पत्तियों को नारे, पम्पलेट्स, फ्लैक्स, झण्डे लगाकार विरूपित करने का प्रयास किया जा सकता है। विभिन्न व्यक्तियों, राजनैतिक दलों द्वारा चुनाव प्रसार करने के लिए शासकीय  एवं अशासकीय भवनों पर नारे लिखे जाने की संभावना है, जिससे शासकीय सम्पत्ति का स्वरूप विकृत हो जाता है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाये जाने की आवश्यकता है, कोई भी जो सम्पत्ति के स्वामी की लिखित अनुज्ञा के बिना, सार्वजनिक दृष्टि में आने वाली किसी सम्पत्ति को स्याही, खडिया, रंग या किसी अन्य पदार्थ से लिखकर या चिन्हित करके उसे विरूपित करेगा वह जुर्माने से जो एक हजार रूपये तक का हो सकेगा दण्डनीय होगा, इस अधिनियम के अधीन दण्डनीय कोई भी अपराध संज्ञेय होगा। कलेक्टर ने म०प्र० सम्पत्ति विरूपण निवारण अधिनियम 1994 की धारा 5 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान यदि विभिन्न राजनैतिक दलों अथवा चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों द्वारा किसी शासकीय एवं अशासकीय भवन की दीवालों पर किसी भी प्रकार के नारे लिखकर विकृत किया जाता है, विद्युत एवं टेलीफोन के खम्भों पर झंडियों लगाई जाती है अथवा ऐसे पोस्टर एवं बैनर लगाकर सम्पत्ति को विकृत किया जाता है तो उस स्थिति में ऐसे पोस्टर एवं चैनर हटाने के लिए तथा चुनावी नारे मिटाने के लिये जिले के पंचायत निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक थाने में सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता तत्काल प्रभाव से पदस्थ किया जाता है, इस दस्ते में संबंधित स्थानीय निकाय एवं लोक निर्माण विभाग के स्थायी गैंग के पर्याप्त संख्या में कर्मचारी पदस्थ रहेंगे। यह लोक सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता टी०आई०, थाना प्रभारी के सीधे देखरेख में कार्य करेगा। इस दस्ते को सहयोग देने के लिये और स्थल पर जाकर कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिये सम्बन्धित थाने का एक सहायक उप निरीक्षक पुलिस मुख्यालय पटवारी एवं स्थानीय निकाय का एक कर्मचारी की ड्यूटी लगायी जाती है। इस दस्ते को एक वाहन भी उपलब्ध कराया जाये, जिस पर लोक सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता का बैनर लगा होना चाहिये। लोक निर्माण विभाग द्वारा इस दस्ते को लोक सम्पत्ति को विरूपण से बचाने के लिये सभी आवश्यक सामग्री जैसे गेरू, चूना, कूची, बास एवं सौदी आदि उपलब्ध कराई जाये। जारी आदेष जारी में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति अभ्यर्थी द्वारा किसी निजी सम्पत्ति को बिना उसके स्वामी की लिखित सहमति के विरूपित किया जाता है तो निजी सम्पत्ति के स्वामी द्वारा सम्बन्धित थाने में सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद लोक सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता निजी सम्पत्ति को विपत होने से बचाने की कार्यवाही करेगा एवं थाना प्रभारी संबंधित प्रथम सूचना रिपोर्ट के आधार पर विधिवत जांच कर सक्षम न्यायालय में चालान प्रस्तुत करेंगे, थाना प्रभारी लोक सम्पत्ति विरूपण से संबंधित प्राप्त शिकायतों को एक पेजी में पंजीबद्ध करेंगे तथा शिकायत की जांच कर तथ्य सही पाये जाने पर लोक सम्पत्ति सुरक्षा दस्ता को आवश्यक कार्यवाही करने हेतु निर्देशित करेंगे


शनिवार, 28 मई 2022

प्रत्यक्षण किम् प्रमाणम (त्रिलोकीनाथ)

रेत समाधि को मिला बुकर अवॉर्ड

हाथी की खुजली 

और चूहा का राष्ट्रवाद


                                  ( त्रिलोकीनाथ )

पशुओं की कथाओं से भरा ज्ञान का सागर पंचतंत्र मेें एक कहानी आती है की किस प्रकार कुछ साधुओं के ऊपर रखे अनाज को चूहा खा जाते थे और फिर साधु चूहे का पीछा करते-करते उसके बिल तक जाते हैं और वहां खुदाई करते हैं तो जो  सामग्री मिलती है उसे निकाल देते हैं। फिर चूहा ऊंचाई में रखे हुए अनाज तक कूद नहीं पाता और अनाज बच जाता। इसी प्रकार की अन्य ढेर सारी बाल कहानियां से बालमन ज्ञान लेकर पंचतंत्र का ज्ञानी बन जाता और यह ऐतिहासिक कृति हो जाती है। जिसे आज भी नहीं भुला पाते।


 किंतु  जब एक मुख्यमंत्री का बयान देखा तो पंचतंत्र में मैंने राष्ट्रवाद को खोजना चाहा  कि क्या कोई चूहा राष्ट्रवादी हो सकता है..? और अगर नहीं हो सकता है तो चूहा बनने की वजाय राष्ट्रवादी बनने का मिथक समझ में नहीं आया। आज ही दैनिक जनसत्ता में हमारे मध्य प्रदेश के दार्शनिक रजनीश याने ओशो के विचार कल्पमेधा में प्रकाशित हुए

उनकी विचार से हम अपने आसपास ऐसे तरंगे पैदा कर लेते हैं की दरिद्रता अपने आप आ जाती है। याने दरिद्रता का अर्थ से धन से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है वैचारिक दरिद्रता ही बड़ी दरिद्रता है। और उसका परिणाम यह होता है कि कोई पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन सिंह को उनकी मिथक में स्थापित सम्मान जगह दिल्ली के

उपराज्यपाल के शपथ समारोह में नहीं मिलने से वह अपमानित होते हुए उस स्थान को छोड़ देते हैं जहां उपराज्यपाल का शपथ होना है, कहते हैं शिकायत भी किया है ।इसका कोई महत्व नहीं होता है क्योंकि वह भूल जाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी देश की नई आजादी याने 2014 के शुरुआत में ही पार्टी संगठन के अंदर मार्गदर्शक मंच बना दिया है। जिसमे कभी लौह पुरुष रहे  देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी अघोषित तौर पर बना बना दिए गए।

 तो ऐसे में चूहा को राष्ट्रवादी नहीं बताए जाने के विचार योगी आदित्यनाथ की अपनी उपज हो सकती है ।हमारी नजर में चूहा उल्लू का का प्रिय शिकार है ।उल्लू संपन्नता की देवी लक्ष्मी का वाहन है अगर चूहा नहीं होगा तो उल्लू नहीं आएगा और शायद इसीलिए हिंदू सनातन धर्म के प्रथम देव घोषित  भगवान सिद्ध गणेश जी महाराज का प्रिय वाहन है। जो पूर्व में उनकी नजर में गुलामी नुमा आजादी आई थी उसके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य तिलक की गणेश चतुर्थी के उत्सव मे भी सज कर आई थी और गणेश जी चूहा में सवार होकर ही भारत आए थे। याने यह कहना गलत है कि चूहा राष्ट्रवादी नहीं हो सकता बल्कि चूहा पहला ऐसा भाग्यशाली प्राणी है जो  कुशल राष्ट्रवाद से ओतप्रोत है क्योंकि उसी ने अपने पीठ में सवार करके गणेश जी को भारत लाए थे इसीलिए आज भी हम गणेश जी के सामने जो लड्डू रखते हैं उसे पहले चूहा खाता दिखाई देता है जो उसका हक है।

 ऐसे में योगी आदित्यनाथ का बयान सिर्फ एक आक्रामक बयान कहा जाना चाहिए जैसे पृथक खालिस्तान के प्रवर्तकों में से एक संत भिंडरावाले की बातें आती थी कि "जो उनके समर्थन में हो वह हाथ उठाएं अन्यथा गीदड़ की तरह सिर नीचा करले..।हो सकता है यह भी एक मिथक हो किंतु श्रुतियां इसी प्रकार की भाषा का जन्म देती है जिस से बचना चाहिए।

 


अन्यथा  जब कोई मूल हाथी खुजली करना होता है तो वह पेड़ को गिराता ही रहता है तो बचना चाहिए हाथी से भी और उसकी खुजली से भी।  तो बहुत शुभकामनाएं आनंद में रहे बिना कोई चिंता किए।

                                                                वैसे गुड न्यूज़ यह है की आजादी के अमृत महोत्सव काल के इस महा दौर में भारत की किसी महिला लेखिका को







अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बुकर अवॉर्ड उनकी कृति रेत समाधि पर मिला है बहुत बधाई




शुक्रवार, 27 मई 2022

पंचायती मतपत्र होंगे रंग-बिरंगे

पंचायत निर्वाचन के लिए


मतपत्रों के रंग निर्धारित

शहडोल 27 मई 2022- आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग श्री बसंत प्रताप सिंह ने जानकारी दी है कि त्रि-स्तरीय पंचायत निर्वाचन के लिए मतपत्रों के रंग निर्धारित हैं। 

पंच पद के लिए सफेद

सरपंच के लिए नीला, 

जनपद पंचायत सदस्य के लिए पीला 

और जिला पंचायत सदस्य

 के लिए गुलाबी रंग का मतपत्र होगा।

        गौरतलब है कि पंचायत निर्वाचन-2022 मतपत्र और मतपेटी के द्वारा करवाया जाएगा। पंचायत निर्वाचन 3 चरणों में संपन्न होगा। जिसका रूपरेखा इस प्रकार से होगा











गुरुवार, 26 मई 2022

DOG साहब के कारण पति पत्नी हुए अलग..

 नशा शराब में होता, तो नाचती बोतल...


DOG
साहब के कारण

IAS पति-पत्नी हुए अलग विलग

                                             ( त्रिलोकीनाथ )

कुत्ता  मानव सभ्यता के साथ-साथ विकसित होता चला आ रहा है। हमारे यहां कुत्तों के प्रति इतनी निष्ठा है की कहीं कहीं उन्हें उच्च आध्यात्मिक समाधि के रूप में मान्यता भी दी गई है। कुकुर समाधि उसकी एक  पहचान भी है।जो यह कुत्ते के प्रति प्रेम का मनुष्य का एक बड़ा प्रतीक है।

 किंतु यही काम जब भारत में पढ़ा लिखा समाज जब सामंतवादी नजरिए से अपने को स्थापित करता है तब वह अपनी स्थिति बद से बदतर बना देता है। दैनिक जनसत्ता में आज छपी एक खबर में  ऐसी ही कुछ वाकया दिल्ली में घटा। जिससे कारण सर्वोच्च शिक्षित समाज आईएएस वर्ग के पति और पत्नी अधिकारियों को हमारे लोकतंत्र ने अलग-अलग जगह नौकरी करने के लिए बाध्य कर दिया है ताकि वह सीख सकें कि अपनी स्थिति DOG साहब के कारण नहीं गिरानी चाहिए।

 तो जान लीजिए डी ओ जी साहब और कोई नहीं है उनके अपने कुत्ते ही हैं जिनके साथ तफरी करने के उद्देश्य से उन्होंने खिलाड़ियों और उनके लिए निर्मित स्टेडियम के मौलिक अधिकार की हत्या करने का फरमान जारी कर दिया।


मामला लोकतंत्र के रहनुमाओं को धीरे से लगा जोरदार झटका साबित हुआ। और उन्होंने इन आईएएस पति पत्नी अधिकारियों को अपनी लोकतंत्र की अधिकारों का उपयोग करके अलग-अलग राज्यों याने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में ड्यूटी करने का निर्देश दिया। अब तो आईएएस दंपत्ति को समझ आ ही गया होगा कि अगर अपने कुत्ते के साथ तफरी करना है तो उन्हें अपनी आमदनी से अपना स्टेडियम बनाना चाहिए और लगे हाथ लोकतंत्र की नौकरी को भी अलविदा कह देना चाहिए। किंतु हर आईएएस हाल में करोड़ों रुपए पकड़े के साथ पकड़ी गई पूजा सिंघल की तरह अमीर नहीं होता... अगर होता भी तो यह  पढ़ा-लिखा शिक्षित  आईएएस डिग्री धारक इतना बड़ा जोखिम शायद ही उठाएं ...? 
अब यह बात अलग है कि इस घटना के पीछे का रहस्य कुछ और हो लोकतंत्र है, सब कुछ संभव है...।



फिर सज-समर रहा है अमरकंटक..

अमरकंटक  में हटाया गया अतिक्रमण

2.5 एकड़ भूमि मुक्त, 


6 पक्के निर्माण भी हटाए गए




भगवाधारी भू माफिया से मुक्त होगा क्या अमरकंटक ..?

बड़ा सवाल...


अनूपपुर 26 मई 2022- पवित्र नगरी अमरकंटक से उद्गमित नर्मदा नदी के संरक्षण, संवर्धन की दिशा में मध्य


प्रदेश शासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों के तहत मुख्यमंत्री शिवराज  की घोषणा अनुसार शासकीय भूमि से अवैध अतिक्रमण को मुक्त करने के अभियान के तहत शहडोल संभाग के

कमिश्नर राजीव शर्मा एवं कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना के मार्गदर्शन में अनुविभागीय दंडाधिकारी पुष्पराजगढ़  के नेतृत्व में राजस्व, पुलिस एवं नगर परिषद के अमले के साथ संयुक्त रुप से  अतिक्रमण कार्यवाही की गई।

   अमरकंटक के नर्मदा नदी के संरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत अतिक्रमण कार्यवाही के तहत कपिला संगम में श्रीमौली सरकार के आश्रम क्षेत्र 2 एकड़ के भूमि पर अवैध अतिक्रमण की कार्यवाही के तहत 4 पक्के निर्माण व तार फिसिंग हटाई गई है। इसी तरह अमरकंटक क्षेत्र के सुप्रसिद्ध माई की बगिया के पास  सोमेश्वर गिरी द्वारा अतिक्रमित 0.5 एकड़ शासकीय भूमि को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है  दो पक्के 2 पक्के निर्माण भी हटाए गए हैं।


बुधवार, 25 मई 2022

लो बिछ गई शहडोल जिले में पंचायत की आरक्षण की विशात

 शहडोल जिले में पंचायती चुनाव को लेकर आज आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हुई जो सामान्य डाटा में इस प्रकार है

 
















मंगलवार, 24 मई 2022

पुलिस ने सूदखोर को बताया उधार लेने वाला


आजादी के अमृत महोत्सव काल तक
 

सामंती व्यवस्था में पीस रहा है


 केवल आदिवासी 

मामला 17 लाख की सूदखोरी का

शहडोल। नौरोजाबाद विधानसभा क्षेत्र में ऐसा नहीं है कि हमारी पुलिस व्यवस्था काम नहीं करती, यह एक अलग बात है कि उसका पूरा समय नेताओं की जी हुजूरी और सत्ता की सलामी ठोकने में ज्यादा वक्त जाता है। और जो वक्त होता है वह व्यक्तिगत रूप से पुलिस समाज को मजबूत करने में तमाम प्रकार के आर्थिक गतिविधियों में लगा रहता है जो थोड़ा बहुत वक्त वह निकाल पाती है अपनी देशभक्ति और जन सेवा के लिए उसमें शासकीय औपचारिकताओं को पूरा करने में अपना समय नष्ट करती है। शायद यही कारण है कि वह एक  शुतुर्गमुर्ग की तरह जब कभी वास्तविक सामाजिक व शोषण के मुद्दे उनके सामने रेगिस्तान में आंधी तूफान की तरह आते हैं दुर्घटना बस,  तब वह रेगिस्तान की बालू में अपना सर छुपा कर समझने का प्रयास करती है कि तूफान नहीं चल रहा है। और ऐसे प्रकरणों में  उसमें लीपापोती करने में पूरा थाना का अमला थाना परिवर्तन होने के बाद बाद भी अपनी पूर्व की पीढ़ी को ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ बना देने के लिए झूठ के पहाड़ खड़ा कर देती है। ऐसे पहाड़ को पार करने में केवल आदिवासी अपने समाज के साथ इन पहाड़ों से सिर्फ सर टकराता रहता है और अंततः कीड़े मकोड़े की जिंदगी मर जाता है। यही प्रदेश के अनुसूचित जनजाति मंत्री मीना सिंह के विधानसभा क्षेत्र नौरोजाबाद थाने का सच बनकर रह गया है । कम से कम केवल आदिवासी का मामला यही कड़वा सच बन कर मध्य प्रदेश अनुसूचित जनजाति आयोग में पिछले 3 वर्ष से अपना दम तोड़ रहा है।

क्योंकि करोड़ों रुपए जनता जनार्दन के बजट से वेतन उठाने वाली उमरिया पुलिस अब देशभक्ति-जनसेवा के बजाय सामंतवादी नजरिए पर अपना विश्वास प्रकट करते दिख रहे हैं। उसे लगता है उसने जो कह दिया वही सत्य है ।

बार-बार झूठ को कई बार बोला जाए तो वह सच हो जाता है... इस अंदाज में उमरिया पुलिस यह सिद्ध करने में लगी हुई है की नौरोजाबाद थाना थाना अंतर्गत केवल आदिवासी परिवार के बारे में जो उसने लिख दिया वही आदिवासी परिवार का भाग्य माना जाएगा।




इस तरह पुलिस ने नौरोजाबाद के सूदखोर उमेश सिंह को उधार लेने वाला हितग्राही बता दिया और सूदखोरी से दो दशक से प्रताड़ित केवल सिंह को सूदखोर बताने का प्रयास किया।

क्योंकि उमरिया पुलिस को मालूम है की केवल आदिवासी की हैसियत नहीं है कि वह न्यायालय में जाकर न्याय की गुहार लगा सके। उसे यह भी मालूम है कि रोज की रोजी-रोटी की चकल्लस में ऐसे ही आदिवासी समाज के लोग चक्रव्यू में पढ़े ही रहते हैं इसके लिए ना तो उसके पास संसाधन है और ना ही लोकतंत्र की इस न्याय प्रणाली के जंगल में न्याय का रास्ता उसे मिल सकता है।शायद पुलिस का यही अंधविश्वास केवल आदिवासी के मानसिक प्रताड़ना का कारण बन रहा है।

 बावजूद इसके कि केवल आदिवासी; आदिवासी समाज की आदिवासी मंत्री क्षेत्रीय विधायक मीना सिंह को अपना रिश्तेदार बताने में जरा भी झिझक नहीं करता। तो क्या मंत्री जी मीना सिंह इस शोषणकारी व्यवस्था में पुलिस के साथ हैं...? अथवा पुलिस समझती है कि मंत्री मीना सिंह और केवल आदिवासी परिवार में कोई अंतर नहीं है...? इसलिए वह निडर होकर झूठी कहानी आयोग के सामने भेजने में जरा भी झिझक नहीं करती ....? अन्यथा इस प्रकार की झूठी निष्कर्ष निकालने पर दोषी पुलिस कर्मचारी और अधिकारी अब तक सस्पेंड हो कर मामले को दबाने के लिए दंडित किए जाने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा...?

बताते चलें अंततः नौरोजाबाद क्षेत्र के आदिवासी परिवार के मुखिया केवल सिंह  इस बात की गुहार मध्य प्रदेश जनजाति आयोग के पास 2019 में लगाई थी ।

तो पहले समझने की आदिवासी के साथ हुआ क्या था दरअसल नौरोजाबाद क्षेत्र का बहुचर्चित सूदखोर उमेश सिंह केवल से एटीएम ले लिया और फिर मांगने पर आनाकानी करता रहा । बनाये गए हिसाब पत्रक में 1 जनवरी 2011 से 3 फरवरी 2012 तक का है जिसमें लिखा गया है की बैंक से 16 लाख 73 हजार 704 रुपया निकाला गया जबकि केवल सिंह ने उमेश सिंह से करीब15-17 साल पूर्व करीब ₹30हजार मात्र उधार में लिया था पुलिस यह भी जानती है उमेश सिंह क्षेत्र में सभी लोगों को उधार का पैसा बड़े ब्याज में बांटता रहता है। और इस बाबत कुछ प्रकरण भी उमेश सिंह पर चलाए गए हैं। बताया जाता है उमेश सिंह  बिहार से आकर आदिवासी क्षेत्र में बसा है।

तो देखना होगा कि विशेष आदिवासी क्षेत्र में आरक्षण के जरिए अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के केवल आदिवासी परिवार को और उसके समाज का देश की आजादी में अमृत काल महोत्सव होने तक क्या न्याय की राहत मिल सकती है...? तब जबकि प्रदेश के आदिवासी विभाग का मंत्री सुश्री मीना सिंह आदिवासी समाज परिवार की रिश्तेदार हो और यदि ऐसा नहीं होता, अगर हालात यही हैं तो बाकी आदिवासी समाज से निकलने वाले नेता अथवा अधिकारी वर्ग क्या खुद के समाज के हितग्राही पक्षों का उद्धार कर पाने में सक्षम है...? अथवा आजादी के अमृत महोत्सव में केवल आदिवासी इस बात का प्रमाण है कि गुलाम भारत से ज्यादा देश की आजादी के बाद अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति आज भी शोषण और पतन की नई व्यवस्था में प्रताड़ित होने को मजबूर है।



रविवार, 22 मई 2022

फील गुड. अच्छे दिन आ ही गए (त्रिलोकीनाथ)

 अंततः .......

अच्छे दिन 

  आ ही गए...

                                      ( त्रिलोकीनाथ )

 पल दो पल के लिए

 कोई हमें प्यार कर ले ..

 झूठा ही सही........

   इस गाने के बोल मोदी सरकार की 7 साल की कार्यप्रणाली में जनता नुमा महबूबा की बड़ी चाहत है , क्योंकि कल ₹50 तक पेट्रोल की कीमत आगे बढ़ा देने के बाद 8-9 रुपए की जो घर वापसी की है उससे यह तो लगता है कि 2014 के बाद जो इस देश को आजादी मिली थी तो देशवासियों को उसमें अच्छे दिन कल पहली बार ही आए  थे ।

अब कितने अच्छे दिन रहेंगे... यह कहना थोड़ा सा दिल को झूठी तसल्ली देने के बराबर होगा। क्योंकि सरकार तभी कोई ऐसे अच्छे काम करती है जब उसे दो कदम पीछे चल कर लंबी छलांग लगानी होती है। अब तक के अनुभव से तो यही जनता जनार्दन के हिस्से में आया।

 तो कल अच्छे दिन की पहली फील-गुड हुई फील-गुड के जनक लालकृष्ण आडवाणी भी इस अच्छे दिन के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जितने भी उनके आर एस एस के अवतारी पुरुष हैं उनका आभार प्रकट करना चाहिए चाहे फिर वो दो पल का ही क्यों ना हो।

तो जान ले कि कल क्या हुआ कल गैस सिलेंडर पर 200 रुपये, डीजल 6 रुपये और पेट्रोल 8 रुपये की कटौती की गई है. पटनाः महंगाई की मार झेल रहे देश के लोगों को लिए सरकार की तरफ से खुशखबरी आई है. पेट्रोलडीजल और रसोई गैस के दामों में कमी करने के लिए सरकार की तरफ से एक्साइज ड्यूटी को घटाने का फैसला लिया गया है.। अब यह अलग बात है गैस सिलेंडर उज्जवला वालों के लिए ₹200 घटाएं गए हैं आम सब्सिडी वालों के लिए शायद अभी गुंजाइश नहीं है।


रविवार, 15 मई 2022

हिंदू-मुस्लिम-सिंधी भाई तालाब की लूट मचाई। (त्रिलोकीनाथ)

 

हिंदू-मुस्लिम-सिंधी भाई 

 मिलकर तालाब की

 लूट मचाई।

                    ( त्रिलोकीनाथ )

हिंदू-मुस्लिम,सिख-ईसाई

 हम सब हैं भाई-भाई ।

यह नारा 20 वीं सदी का गया गुजरा पिछड़ा हुआ नारा हो गया है इस नारे की धमक भी धड़-धड़ाकर आज के मीडिया गिरी में गिर गई है ।जैसे डॉलर के सामने रुपया गिरता जा रहा है जैसे कभी रुपए की औकात देश की आजादी के समय डॉलर के बराबर थी वैसे ही यह नारा अपनी मूल्य के बराबर में कारगर रहा और देश को संभालने में काम आया ।अब यह नारा बेमानी हो चला ,नेताओं का जुमला हो गया है ।

किंतु इस नारे का आधुनिकीकरण 21वीं सदी में हम शहडोल नगर में देखना चाहते हैं क्योंकि बिना हिंदू-मुस्लिम के ध्रुवीकरण किए कोई मुद्दा जिंदा ही नहीं होता....

लंबे समय से हम तालाब के लिए चेतना पैदा करने का काम करते रहे


विशेषकर मोहन राम तालाब के लिए क्योंकि वह शहडोल के तमाम तालाबों की उच्च तकनीकी वाला सवा सौ साल पुराना कुशल तालाब था जो अब अराजकता और धार्मिक आतंक का शिकार हो गया है।
 21वीं सदी के पहले दशक में इन दोनों तालाबों का जीर्णोद्धार भी हुआ था।  दोनों तालाब अब इस नये तुकबन्दी के साथ शोषणकारी व्यवस्था के आइकॉन बनते जा रहे हैं। तो नारा है.. 

 हिंदू-मुस्लिम-सिंधी भाई 

सब मिलकर तालाब की लूट मचाई।

यह नारा यूं ही याद नहीं आता है। जब भी कभी पानी के संकट से हम शहडोल के संस्थापक काल के रहवासी प्रभावित होते हैं तो समस्या के मूल कारण की ओर जाते हैं।

 हमारे घर में भी एक कुआं था अच्छा  मीठा पानी था। हमें पानी की तकलीफ नहीं थी। बड़ा परिवार होने के बावजूद भी पानी के लिए कहीं भटकना नहीं पड़ता था। बड़ा परिवार इसलिए क्योंकि समाज का एक बड़ा हिस्सा हमसे जुड़ा भी रहता था। अब कुआं नहीं रहा; इसलिए क्योंकि डेढ़ दशक पूर्व कुएं का पानी हमसे अलविदा कह दिया और लगभग सूख गया था। काफी गहरा कुआं था फिर भी पीने को पानी मिल जाता था।

 कुआं जब सूख गया तो हमें भी अलविदा कहना पड़ा अन्य अन्य कारणों से भी यह कुआं इसलिए सूखा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की शहडोल में नगर पालिका परिषद काम कर रही थी जिसकी जिम्मेदारी थी कि वह तालाबों का संरक्षण करें। हमारे कुएं में 4 तालाबों  का जल स्रोत हमें पानी सप्लाई करता था हनुमान मंदिर के बगल में

विशाल घरौला तालाब ,अब जहां एकता बिल्डिंग वालों का मकान बन गया है शंभूनाथ शुक्ला  के पीछे बड़ा तालाब और मोहनराम तालाब के 2 तालाब। इन तालाबों के भरे होने का मतलब हमें हमारे कुएं में भरपूर पेयजल की गारंटी थी।
 एकता भवन के सिंधी भाइयों ने इस तालाब को खरीद कर अपना मकान बनवा लिया

घरौला तालाब हमारे स्वर्गीय मित्र पार्षद रहे रवि वर्मा के वोट बैंक का भेंट चढ़ गया। याने तमाम अतिक्रमण कारी तालाब में इतना अतिक्रमण किए कि अंततः जब इसकी जीर्णोद्धार का कथा लिखी गई तो इस तालाब का कुल क्षेत्रफल को आधा से भी कम कर दिया गया। नगर पालिका परिषद की दूर दृष्टि से यह तालाब भी लगभग मृतप्राय तालाबों की श्रेणी में आ सकता है फिलहाल यह मृत होने की अवस्था में जिंदा है ।
रहा मोहनराम तालाब के दो तालाब तो इसमें इस नारे को की "हिंदू मुस्लिम सिंधी भाई मिलकर सबने तालाब लूट मचाई" सार्थक करते हुए स्रोत तालाब का रकबा छोटा और नष्ट करने में सिंधियों से पहले आए हमारे हमारे मुस्लिम भाइयों ने जब-जब ईदगाह के लिए कबरें खोदी तब तब मिट्टियां तालाब की रखवा को छोटा और ईदगाह के रखवा को बड़ा करने के काम आया ऐसा हमारा आरोप है। फिर देश की आजादी बाद आए इस तालाब के लिए कयामत बनकर आई पाकिस्तान से आए सिंधियों ने सिंधी पाठशाला के लिए थोड़ा सा तालाब की मेड में जगह लिए। अब पाठशाला तो है नहीं, धर्मशाला जरूर जिंदा हो गई है और एक नहीं दो धर्मशाला का विस्तार तालाब के रकबे को छोटा करने के काम में आया।
 याने मुस्लिम और सिंधी भाइयों ने तालाब के रखबे को नष्ट करने में पीढ़ी लगा दी। तो स्त्रोत तालाब अपनी औकात मे नहीं पूरे विस्तार क्षेत्र से आधा हो गया । यह तो सेटेलाइट का नक्शा ही चिल्ला चिल्ला कर बोलता है लेकिन सुनता कौन है . ..?
क्योंकि आधे तालाब पर स्वर्गीय मोहनराम पांडे की निजी पट्टे की दर्ज है आधा स्रोत तालाब नजूल भूमि का हिस्सा है। यही वह बड़ा तालाब था जिससे मोहनराम तालाब का मूल तालाब अपना भरपेट पानी रखता था । जिससे धर्म की ध्वजा यानी मोहन राम मंदिर लोकहित में समर्पित रहती थी। अब ना तालाब में पानी है ना मंदिर में रहने वालों में...  लूट सके तो लूट के तर्ज में इन दोनों तालाबों की भी हत्या करने का काम किया गया ।

तो जिम्मेदार लोगों का कहना है तालाब मर रहे हैं तो मरने दीजिए ....क्यों चिंता करते हैं। बोरिंग यानी ट्यूबवेल से काम चलाइए।

  हम अपना दुख कैसे शेयर करें। हमारे घर में चार बोरिंग अलग-अलग एंगल पर ड्रिल की गई कुछ दिन चलने के बाद यह बोरिंग भी हमसे अलविदा हो ली है याने बोरिंग में पानी देना बंद कर दिया।

 जब तालाब ही नहीं है जल स्रोत ही नहीं है तो विशेष क्षेत्र में बसा हमारा मकान पानी कैसे देता। इस तरह हम नगरपालिका के उधार के पानी पर अपने जीवन का आसरा ढूंढने लगे।

 उधार का पानी इसलिए लिखना पड़ रहा है क्योंकि नगर पालिका परिषद जो पानी सरफा नदी को जिंदा मानकर उससे लेने के लिए सराफा नाला पर डैम बनाया था ।वह सरफा नदी ही नेताओं की बेशर्मी से लगभग मृत हो गई। कहते हैं अगर कोयला खदानों का पानी सरफा नाला से ना भरा जाए  तो शहडोल के नगर के लोग बूंद-बूंद पानी पानी के लिए तरस जाएंगे।

 यह लोकतंत्र का बड़ा पाप है शहडोल नगर के लिए। विकास नाम का यह राक्षस शहडोल की पूरी पानी को पी गया है। अब जिंदगी पीना रह गया है जिसका परिणाम नगर पालिका परिषद ने ₹10 हर माह मिलने वाले पानी की कीमत से बढ़ाकर झटके पर झटके में डेड सो रुपए माह कर दिया लगता है।

दिल्ली केजरीवाल सरकार पढ़े-लिखे मूर्खों की मंडली ...?

शहडोल के हालात देखकर ऐसा लगता है दिल्ली वाले केजरीवाल सरकार पढ़े-लिखे मूर्खों की मंडली है जो रामलीला करके दिल्ली के लोगों को मुफ्त पानी पिलाने का काम कर रही है। क्योंकि वहां भी यमुना सूख गई है फिर भी पानी का मौलिक अधिकार भारत की आजाद संविधान की मौखिक गारंटी के रूप में दिल्ली के पढ़े-लिख नेताओं ने स्वीकार कर लिया है। हमारे यहां के पढ़े-लिखे नगर पालिका परिषद और प्रदेश सरकार अभी इसे मानवीय अधिकार के रूप में नहीं देखती है। इसीलिए पानी की कीमतें आसमान पर कर दी गई है। सब तालाबों और उसकी जल स्रोतों की हत्या करके यह सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया माफिया नुमा नेताओं का आम जनता पर खुली लूट की घोषणा भी मानी जानी चाहिए अन्यथा 1 सेकंड भी पानी के अधिकार से वंचित करने का अपराध संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्यों नहीं दर्ज होना चाहिए...?

 चाहे कारण जो भी हो क्योंकि प्राकृति दत्त जल स्रोतों को नष्ट करने का षड्यंत्र पूर्ण कार्य चाहे नेता हो या अधिकारी दोनों ही मिलकर शहडोल में क्रियान्वित किए हैं औरअभी भी सुधरने को तैयार नहीं है।

 ऐसी खबरें अखबारों में आती रहती है तो देखना होगा शहडोल पालिका परिषद की विकास की में व्यवस्था पानी को बोतल में बंद करके कब राशन की तरह घर घर पहुंचाने का धंधा प्रारंभ करती है। अथवा गुलाम भारत की तरह ही पानी पर नैतिक अधिकार की स्वतंत्रता देती है।



माफिया गिरी में आदिवासियों की जमीन की हो रही लूट

प्रतिबंध क्या हटा,

आदिवासी जमीनों

 की हो रही लूट


                                          (त्रिलोकीनाथ)

जमीनों की लूट में चिकित्सक ,वकील, नेता, अधिकारी सब शामिल....

 पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहडोल आए। वकीलों का एक जत्था शहडोल जिले में भूमि के क्रय-विक्रय पर कलेक्टर की अनुमति संबंधी प्रतिबंध को लेकर अनावश्यक हो रही परेशानियों का ध्यानाकर्षण किया। मुख्यमंत्री जी को लगा जायज है ;विचार हो। और परिणाम यह रहा कि अब कुछ ऐसा हो गया है कि जो प्रतिबंध आदिवासी भूमि के सुरक्षा के संबंध में लगाए गए थे उन पर पूरी छूट हो गई है। इस परिस्थितियों में धड़ाधड़ रजिस्ट्रीयां हो रही हैं।

 खास तौर से शहडोल और आसपास के सीमावर्ती ग्रामों में भू अभिलेख के ग्राम सौखी, गोरतरा, पिपरिया, छतवई ,चांपा, नवलपुर मे आदिवासियों की भूमि अब सुरक्षित नहीं रह गई है। सौखी और गोरतरा मे एक ही कॉलोनाइजर्स अलग अलग नाम से कालोनियों का निर्माण करके आदिवासियों की भूमि का विक्रय गैर आदिवासी वर्ग को  भ्रामक परिस्थितियों में बेच रहे हैं। तो नामधारी माफिया परिवार नगर पालिका परिषद से एक ही कॉलोनी के लाइसेंस पर दो कॉलोनी का निर्माण करने की चर्चा भी जोरों पर है ।

जबकि पहले भू राजस्व संहिता की धारा 165 के तहत कलेक्टर शहडोल से अनुमति लेने की परिस्थिति में बहुत सारी भूमि की परिस्थितियां स्पष्ट हो जाती थी। अब प्रतिबंध हट जाने से कॉलोनाइजर्स आदिवासियों की भूमि सामान्य बताकर विक्रय कर रहे हैं । तो कुछ लोग बिना कॉलोनाइजर लाइसेंस के आदिवासियों की भूमि को अवैध रूप से हस्तांतरण करा कर सामान्य वर्ग के लोगों को कीमती दामों में बेच रहे हैं। जिसकी जानकारी राजस्व अधिकारी इन भूमाफिया से मिलकर ऐसे मिलीभगत कर ऐसे भू माफिया को संरक्षण देते नजर आ रहे हैं। क्योंकि कुछ लोग चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हैं तो कुछ लोग वकालत के क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए हैं और नेता तो आते ही नेतागिरी में इसीलिए हैं ताकि उनकी माफिया गिरी को संरक्षण मिले। पोंडा नाला के पास बनी कॉलोनी की चर्चा तो आम हो चुकी है। कि किस प्रकार नाला की पूरी जमीन को हड़प कर भू-माफिया वकालत का नकाब पहनकर लोगों को भ्रामक तरीके से भूमि और भवन बेच रहा है। आने वाले बरसात में इस नाले की जो बदतर हालात देखने को मिलेगी वह जनता ही भोगेगी। रही भवन के स्वामित्व की चुनौती तो खरीददार के लिए आने वाले समय में न्यायालय में न्याय के लिए चक्कर पर चक्कर काटता हुआ चुनौती का कारण बनेगा।


 इसमे लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर अपनी भू-माफिया गिरी चमका रहे हैं क्योंकि कलेक्टर के भूमि संबंधी प्रतिबंध में छूट होने से आदिवासियों की जमीन की खुलेआम लूट हो रही है। बेहतर होता सभी कॉलोनाइजर्स को पारदर्शी तरीके से अपनी अपनी जमीनों का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए ।ताकि वैध तरीके से काम करने वाले कॉलोनाइजर को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े। व विशेष करके उन खरीददारों को जो भू-माफिया बनाम बिल्डर्स का नकाब पहनकर आम जनता के साथ ठगी कर रहे हैं ।उन पर नियंत्रण रख सके तो देखना होगा कि क्या प्रशासन छूट के नाम पर आदिवासियों की जमीन की लूट का षडयंत्र का पर्दाफाश कर पाता है अथवा नहीं ...?

शनिवार, 14 मई 2022

अलग होंगे वाहन के इलेक्ट्रिक मीटर

तो लो आ गई

इलेक्ट्रिक वाहन 

की नई गाइडलाइन 

कोई बड़ी बात नहीं पेट्रोल और डीजल से होगा इसका कंपटीशन।

 आज कथित तौर पर सोशल मीडिया में जनसंपर्क द्वारा सूचना जारी की गई है जिसके तहत केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी तथाकथित सस्ते वाहन इलेक्ट्रिक वाहन वैकल्पिक ऊर्जा के नाम पर जो वातावरण का निर्माण किया गया उसकी पोल अब खुल रही है।

 तब दावा किया गया था

केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक वेबिनार में कहा कि आने वाले दो वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहनों के बराबर हो जायेगी।जिससे इन वाहनों की कीमत में कमी आयेगी।

नितिन गडकरी ने बताया कि चूँकि इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग पर डीजल और पेट्रोल की अपेक्षा कम खर्च आता है अतः सरकार का प्रयास है कि इसे और भी बड़े स्तर पर किया जाये और सरकार इसके लिये प्रयत्नशील है और उसी का परिणाम है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की क़ीमत कम करने के लिये हर सम्भव उपाय कर रही है

बैटरी की वजह से ज्यादा है क़ीमत…

आपको पता होगा कि जहाँ पेटोल और डीजल पर 48% GST लगती है तो वहीं इलेक्ट्रिक वाहनों पर यह दर सिर्फ 5% है, फिर भी इसकी अपेक्षाकृत अधिक क़ीमत चिंता का विषय थी परंतु यह जानना भी बेहद आवश्यक है कि आखिर इलेक्टिक वाहनों की कीमत इतना बढ़ी क्यों, तो इसका सीधा सा कारण है इलेक्ट्रिक वाहनों की बैट्री।

आपको बता दें कि बैट्री में पड़ने वाला लिथियम काफी महंगा होने के कारण इसकी कीमत को बढ़ा देता है।बहरहाल सरकार का प्रयास इस दिशा में जारी है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत कम की जाये और उम्मीद है कि आने वाले 2 वर्षों में यह प्रभाव देखने को भी मिलेगा।

 और कोई शक नहीं कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन के लिए उपयोग की गई बिजली के लिए अलग से मीटर लगाया जाएगा और इस मीटर के जरिए ही इलेक्ट्रिक वाहन का आप सुख भोग सकेंगे। शुरू में हो सकता है ऐसे विद्युत मीटर पेट्रोल और डीजल की तुलना में कुछ कम हो किंतु जल्द ही इसकी रफ्तार पेट्रोल और डीजल के प्रतियोगिता की दौड़ में शामिल हो जाएगी । 

यह बात प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सामने आई है तो शासन की अधोलिखित प्रेस विज्ञप्ति को जरा समझिए और समझते रहिए

 क्या आपको पता है???

इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं को इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करने के लिए अब अलग से बिजली कनेक्शन लेना अनिवार्य होगा। इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं द्वारा घरेलू, कृषि अथवा अन्य प्रयोजन से लिये गये बिजली कनेक्शन का उपयोग वाहन चार्ज करने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 की उपधारा 2 के तहत ई-रिक्शा/वाहन एवं संबंधित उपकरणों को जब्त कर सख्त कार्यवाही की जाएगी।प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री संजय दुबे ने कहा है कि इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वालों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित दरों पर पृथक मीटर के माध्यम से ही विद्युत का उपयोग करना होगा। वाहनों के चार्जिंग के लिए उपयुक्त श्रेणी में त्वरित कनेक्शन दिये जाएंगे।ऐसे व्यक्ति जो मीटर को बायपास कर या विद्युत चोरी कर अपना इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज करते पाए जाते हैं तो ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी।गौरतलब है कि मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत वाहनों के चार्जिंग के लिए बिजली की पृथक से दरें निर्धारित की गई हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने वाले उपयोगकर्ताओं एवं राज्य शासन की समस्त औपचारिकताएँ पूर्ण करने के बाद स्थापित किए जाने वाले विद्युत वाहन चार्जिंग स्टेशनों को पृथक से विद्युत कनेक्शन लेना अब अनिवार्य कर दिया गया है।


शुक्रवार, 13 मई 2022

"स्काईलेब" के लूट का सवाल लिए दर-दर भटक रहे हैं नेता..

"अलादीन का चिराग "गुम होते ही

 परेशान है विधायिका 

"स्काईलेब" के लूट 

का सवाल लिए 

दर-दर भटक रहे हैं नेता..

       (त्रिलोकीनाथ)

माननीय उच्चतम न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण पर फैसला क्या दिया मानो अंतरिक्ष से स्काईलेब कहां गिरेगा... इस पर जो रोमांच वर्षों पहले बना था वही रोमांच पुनर्जीवित हो गया। स्काईलेब गिरने में तब रोमांच और भय व खतरे का था, अब लूट का है.... कि आरक्षण के फैसले से ओबीसी वोट बैंक कहां-कहां गिर सकता है। ऐसा लगता है मानो सरकार और नेताओं दोनों का खजाना आम जनता के हवाले कर दिया गया है इसलिए मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अपना विदेश दौरा कैंसिल कर दिए कह रहे हैं यह सब उनके प्यार के लिए किया तथा 13 तारीख को हर जिले में सभी नेता भेजे गए कि जाकर लोकतंत्र में मूर्छित पड़े पत्रकारिता से कहिए और ढूंढिए इसका इलाज कहां कैसे कर रहा है और उसे कैसे लूटा जा सकता है।

 कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी मानो ओबीसी आरक्षण के फैसले वाले इस टूटे हुए स्काई लैब की लूट के लिए खो खो की शुद्ध भाषा में कहें शुद्ध भाषा में कहा जाए तो कुर्सी दौड़ की प्रतियोगिता पैदा कर दिए हैं। ऐसे नहीं  हम हैं तेरे प्यार में पागल ओबीसी वालों आरक्षण के चलते।


 संविधान निर्माताओं ने दलित उत्थान के लिए आरक्षण की जो जो कल्पना की थी वह तो पूरी हुई नहीं, हां उससे जो लोकतंत्र का दुर्भाग्यजनक वोट बैंक का लूट का धंधा डिवेलप हुआ उसे पॉलीटिकल कॉर्पोरेट इंडस्ट्रीज की तरह राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हितों को पूरा करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। यह कहना गलत होगा की ओबीसी आरक्षण से निकलने वाले वोट बैंक की लूट में भाजपा सबसे आगे दौड़ रही है इस ओबीसी आरक्षण वोट बैंक का धंधा तब के संत स्वरूप दिखने वाले राजा नहीं फकीर है किस शब्दों से नवाजे गए प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने स्टार्टअप को पैदा किया था जो 21वीं सदी में कुर्सी दौड़ की तरह खुली लूट की प्रतियोगिता का कारण बन गया है।

  अगर एक इमानदारी से चाहते तो संविधान में आरक्षण की व्यवस्था से निहित उद्देश्य पूर्ति की समीक्षा कर सकते थे.. क्या वास्तव में आरक्षण ने अपने उद्देश्य पूर्ति में दलित उत्थान के लक्ष्य को पाया था अथवा नया उद्देश्य पैदा कर रहा था...? कड़वा सच है कि आरक्षित वर्ग में  सिवाय नए सामंतवादी निर्माण के अलावा आरक्षण संविधान के उद्देश्य के हिसाब से फेल हो गया है। जिस वर्ग में आरक्षण दिया गया था उसमें अनुसूचित सभी जातियों का समतामूलक विकास नहीं हुआ। क्योंकि समूचे आरक्षण का लाभ कुछ  जातियों ने उठा लिया बाकी जातियां आजादी के अमृत महोत्सव काल में जहां की तहां पड़ी है।

 और अगर यही आरक्षण उद्देश्य की पूर्ति है तो कम से कम 10000 साल अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति को लाभ मिलने में आरक्षण का सिद्धांत शायद काम करें।

 आज भी बैगा जनजाति का सांसद आरक्षित क्षेत्र में निकल कर नहीं आया है यही हाल अन्य आरक्षित जातियों का है तो फिर ओबीसी आरक्षण सिवाये प्रोपेगेंडा के कुछ भी नहीं। ओबीसी में  सामंतवादीयो  के निर्माण के अलावा कुछ भी नहीं ।

क्योंकि निचले तबके की समाज में भरोसा का सिद्धांत लाने की जो कयामत रही उसकी तो नेताओं ने मिलकर हत्या कर दी। यही कारण था उत्तर प्रदेश में आरक्षित क्षेत्र में कई जातियों ने अपने अपने नेता पैदा कर लिए और यह है एक राजनीतिक दल के सूक्ष्म जातिवाद किस सिद्धांत के अनुरूप है।

नतीजा का सवाल यह है की लाश जलाने के लि प्रशासन बलात्कार पीड़िता की लाश को रात के अंधेरे में कीमती मिट्टी तेल पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। वैचारिक पतन की इन परिस्थितियों में आरक्षण के मंथन से जो जातिवाद का अलादीन का चिराग वाला जिन्न निकला, हर नेता उस जिन्न को चुनाव के धंधे में उसे खींचकर अपनी इच्छा पूर्ति करता रहा है। किंतु इस बार अलादीन का चिराग  ही सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दी।

 तब कुत्ताघसीटा में राजनीतिक पार्टियां अपने नए नए इवेंट क्रिएट करने में लग गई है। बजाय इसके कि इस फैसले से कम से कम यह सबक लेते ही क्या जो एससी एसटी को आरक्षण लागू हुआ था उससे सामाजिक बराबरी आजादी के अमृत महोत्सव काल में जिंदा रख पाए...?

 इसकी समीक्षा करने और जरूरी सुधार करने की वजाये अलादीन के चिराग को घिसने का असर खत्म होने से जो हड़बड़ाहट कॉर्पोरेट राजनीतिक पार्टियों मैं हो रही है  वह अब देखते ही बनती है अब वही पत्रकारिता के सहारे ओबीसी वोट बैंक को लूटने के लिए हर जगह इस अंदाज में पत्रकार वार्ताएं आयोजित की जा रही हैं और भी कार्य किए जा रहे हैं जैसे ओबीसी वोट बैंक का स्काई लैब उसी स्थान पर गिरने वाला है जिस स्थान पर वे ओबीसी वोट बैंक को ज्यादा मूर्ख बना सकते हैं यह आश्वासन दे सकते हैं यानी कुर्सी दौड़ की प्रतियोगिता में राजनीतिक पार्टियां से ही से लग गई है बेहतर होता कि ऐसे गंदे खेल आरक्षण के नाम पर खत्म करने चाहिए और देखना चाहिए कि वास्तव में क्या संविधान की मंशा के अनुरूप जहां कहीं भी आरक्षण लगा है उस समूचे वर्ग का उत्थान हुआ है या नहीं हुआ है और अगर नहीं हुआ है तो वहां उस क्षेत्र के पुलिस और प्रशासन के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है अगर संविधान की मंशा की पूर्ति नहीं हो रही है तो अब यह अलग बात है कि जिसे यह चौकीदारी करनी है वह खुद इसे लूटने में लगा है तो अब तो जनता जनार्दन ही तय करेगी कि कितना फूट डालकर कितना लूट कर सत्ता में कौन बैठता है और यही लोकतंत्र की खूबसूरती है। सुप्रीम कोर्ट को जय हिंद।


बुधवार, 11 मई 2022

दर-दर भटकता न्याय की दरकार में पीड़ित परिवार

मामला मसीरा नाबालिग बलात्कार का....

दर-दर भटकता

न्याय की दरकार में 

पीड़ित परिवार

 परिवार का आरोप:

राजनीतिक दखलअंदाजी से प्रभावित हो रहा है प्रकरण

शहडोल जिले के जैसिहनगर थाना अंतर्गत ग्राम मसीरा में राजनीतिक दखलंदाजी के चलते बलात्कार के मामले में परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ना का शिकार हो रहा है। उन्हें लगता है कि बलात्कार के आरोपी पक्ष राजनीतिक हैसियत के चलते उनके साथ अन्याय हो रहा है।

 10 मई को जनसुनवाई में कलेक्टर के समक्ष दिए अपने एक आवेदन पर पीड़िता की मां व पिता आरोपी सुजीत चतुर्वेदी पर आरोप लगाया है कि वह बलपूर्वक 17 दिन तक लगातार बलात्कार करके डराने धमकाने का काम करते रहे। जिसकी उसने रिपोर्ट की थी। उक्त आरोपी के रिश्तेदार अपनी राजनीतिक पकड़ रखते हैं। व राजनीतिक दबदबे के चलते वह मामले की जांच को प्रभावित कर रहे हैं। बलात्कार पीड़िता की मां के द्वारा यह भी बताया गया की उन्हें झूठे मामले में फंसा देने की धमकी भी दी जा रही है। जिस कारण परिवार को लग रहा है कि मामले में पक्षपात हो रहा है। परिवार ने यह भी कहा एक तरफ शासन की कार्रवाईयों से आरोपी का मकान तोड़ने के लिए कार्यवाही की जा रही थी किंतु राजनीतिक पकड़ के चलते रोक दिया गया है।


बाल न्यायालय अभिरक्षा में रह रही कटनी में मिलने नहीं दिया

 वे इस बात से भी दुखी हैं कि उन्हें अपनी लड़की से मिलने के लिए बाल न्यायालय की अभिरक्षा में रह रही कटनी में मिलने नहीं दिया जाता बल्कि वहां पर जो व्यक्ति कार्यरत है वह आरोपी के संपर्क में रहता है।

 अब तक पूरा घटनाक्रम

ज्ञातव्य है कि 10 फरवरी 2022 को जैसीहनगर थाना अंतर्गत मसीरा में एक नाबालिक लड़की को धोखे से अपहरण करके आरोपी करीब 45 वर्षीय सुजीत चतुर्वेदी द्वारा ले जाया गया और बाद में उसे बदतर हालत में वापस छोड़ दिया गया। इसकी गुमशुदा की रिपोर्ट 11 फरवरी को थाने में की गई थी। 28 फरवरी को पुनः रिपोर्ट करके बलात्कार पीड़िता व मां ने आकर  थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई तथा विनीत सिंह और प्रवीण मिश्रा के ऊपर गाली गलौज व पति के साथ मारपीट की भी सूचना पुलिस को दी थी। 10 मार्च 2022 को पीड़िता के माता पिता आरोपी सुजीत व सतीश के विरुद्ध भी डराने धमकाने की व मारपीट की शिकायत दर्ज कराई थी। 23 मार्च को पीड़िता की मां थाना जैसीनगर में आकर एफ आई आर दर्ज कराया तथा आरोप लगाया कि विनीत सिंह  प्रवीण चतुर्वेदी और सतीश चतुर्वेदी उस पर मोटरसाइकिल चढ़ाकर धक्का देकर हमला किया वह गाली गलौज किया था। जिससे उसे जान का खतरा  बना हुआ है। अंततः जनसुनवाई में कलेक्टर के यहां अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए उसके साथ हो रहे अन्याय की जानकारी देकर न्याय की गुहार लगाई है। बताया जाता है कि आरोपी दबंग और अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति है तथा अपने साथियों के साथ गांव में इसी प्रकार की हरकत करता रहता है। जिससे सब लोग उससे घबराते हैं और वह इस तरह जघन्य अपराध कर नाबालिक लड़की के साथ उसका जीवन बर्बाद करने पर उतर आया है। क्योंकि प्रताड़ित वा पीड़ित  परिवार पुलिस व प्रशासन में इस बात की शिकायत कर दिया । जिससे उसे लगातार परेशानी हो रही है और पीड़ित परिवार को राजनीतिक दखलंदाजी के कारण न्याय नहीं मिल रहा है।

 जबकि देखा गया है पास्को व बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में शासन व प्रशासन जगह-जगह आरोपियों का घर बुलडोजर चलाकर अपराधियों का मनोबल तोड़ता है ताकि वह सबब बने कि कोई अपराधी कितना भी मजबूत होगा वह अपराध करने के बारे में सौ बार सोचेगा। किंतु मसीरा में ऐसा होता दिखाई नहीं देता।

 थाना क्षेत्र के प्रभारी विनय सिंह इसे पुरानी घटना बताकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिए जाने पर प्रकरण को पूरा मानते हैं। जबकि अन्याय के लिए पीड़ित परिवार दर-दर भटकता हुआ दबंग अपराधी आरोपी चतुर्वेदी परिवार से जानमाल की सुरक्षा मांगता हुआ भटक रहा है। क्योंकि अपने बाहुबली और दबंग होने के अंदाज में गांव में आरोपी का आतंक बरकरार है। इस घटना से ग्राम समाज में महिलाओं की सुरक्षा प्रश्न के घेरे में है ।देखना होगा कि किस स्तर पर गांव समाज में यह संदेश जाता है कि आरोपी कितना भी दबंग हो उसे मान सम्मान और स्वाभिमान के खिलाफ अपराध करने की छूट नहीं दी जा सकती।


तो महकेगा... मां नर्मदा का आंगन

 कमिश्नर ने बनाई अमरकंटक की योजना

तो महकेगा... 


मां    नर्मदा     का   आंगन

अमरकंटक में करीब 8 एकड़ में होगी गुलबकावली

 पौधरोपण पर विशेष रहेगा फोकस

शहडोल 11मई2022- शहडोल संभागआयुक्त ने सभी जिलों में आगामी वर्षाऋतु में वृहद स्तर पर  पौधरोपण के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश वन एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को दिए है। कमिश्नर ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि अमरकंटक के पर्यावास को सुरक्षित  और संरक्षित करने के लिए स्थानीय लोंगो को  जागरूक करने की आवश्यकता है। इस दिशा में वन विभाग  वन समितियों के सदस्यों से संपर्क स्थापित करें और उनके माध्यम से स्थानीय लोंगो को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करें।   अधिकारियों को  कहा कि शहडोल संभाग में  वनीकरण के साथ-साथ  जल सरंक्षण एवं संवर्धन भी आवश्यक है।  किसी भी प्रकार की डुप्लीकेशी नही होनी चाहिएं, तालाबों में वर्षा का जल रूकना चाहिए।  बैठक  में बताया गया कि


  अमरकंटक क्षेत्र में वृहत स्तर पर पौधरोपण के साथ-साथ लगभग 3 हेक्टेयर क्षेत्र में गुलबकावली के पौधों का रोपण किया जाएगा। बैठक में वन मंडलाधिकारी अनूपपुर ने अनुभूति कार्यक्रम के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि शहडोल संभाग में हाथियों  के उत्पात से मृतक व्यक्तियों के परिजनों को मुआवजा उपलब्ध करा दिया गया है। बैठक में कमिश्नर ने निर्देश दिए कि वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहकों के  बच्चो की शिक्षा के लिए संचालित एकलव्य शिक्षा छात्रवृत्ति योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार कराएं।


"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...