बुधवार, 26 नवंबर 2025

शहडोल : पारदर्शी भ्रष्टाचार का नया मॉडल

 शहडोल : पारदर्शी भ्रष्टाचार का नया मॉडल

     


 शहडोल शहर की सड़कें आजकल पानी के जहाज़ जैसा अहसास कराती हैं। गड्ढों की लहरें इतनी गहरी हैं कि लगता है जैसे कोई नाव सागर में डगमगा रही हो। करोड़ों रुपए खर्च करके जो सड़कें बनाई गईं, वे मात्र कुछ महीनों में ही टूट-फूट गईं। लेकिन नगर पालिका को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अब तो मानो यह उनका “नया मॉडल” बन गया है – पहले सड़क बनाओ, फिर उसे तोड़ो, फिर नया काम दिखाकर फिर से टेंडर निकालो।

शहडोलनगर पालिका में 20 और 21 के बीच में सड़क बन बनी सड़क में चलने में लगता है जैसे पानी की जहाज मे चलते हैं हो सकता है यह उनका नया मॉडल हो करोड़ों रुपए खर्च करने वाला। 

लेकिन अब यहीं पर गुरु नानक चौक में रास्ता काट कर नया नाला का निर्माण किया जा रहा है। अपना मानना है कि भ्रष्टाचार यदि पारदर्शी हो जाए तो वह अघोषित कानून हो जाता है क्योंकि इसे शहडोल नगर पालिका परिषद के कांग्रेस के अध्यक्ष और भाजपा के उपाध्यक्ष सहित करीब 40सभी पार्षद मान्यता देने लगते हैं इसे पारदर्शी भ्रष्टाचार भी कहा जाता है। कुछ इसी प्रकार का इस नाला निर्माण का भ्रष्टाचार पारदर्शी तरीके से किया जा रहा है।

 


 इसे इस प्रकार से समझ सकते हैं कलेक्टर मुकेश शुक्ला के कार्यकाल में नगर विकास की आंधी चल रही थी इसमें इंदिरा चौक  से गांधी चौक तकके शहडोल के भी पूरे पेड़ काट डाले गए यह कहा गया की सड़क निर्माण होगा इसलिए आसपास की नालियों का निर्माण शुरुआत में किया जा रहा था किंतु गुरुनानक चौक के यह निर्माण ब्रेक हो गया तब से यह बंद बस्ते की कहानी हो गई नाली और पानी की समस्या जस की तरस रही बरस 10 बरस बीत गए नया नाल भी लाखों रुपए का बन गया और पुराने नाले से पानी निकलता रहा अब अचानक होश आया है की सड़क को ठीक करने के लिए कनेक्ट कनेक्टिंग नाली का निर्माण किया जाए इसलिए गुरु नानक चौक से कमिश्नर बंगले की तरफ जाने वाला सड़क मार्ग बंद कर दिया गया है और नाली निर्माण हो रही है किंतु वह पुरानी नाली में ही नाले कानिर्माण किया जा रहा है नया नाली को पिछलेएक दशक से छोड़ दिया गया है इसलिए यह पारदर्शी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है इसे ठीक करने में किसी की रुचि दिखाई नहीं दे रही है विकास की धुंध में भ्रष्टाचार की लूट प्राथमिकता है इसलिए पुरानी नाली को ही ठीक किया जा रहा है नए नाले का कनेक्शन शायद दो-तीन दशक बाद जब कभी शहडोल में सड़क बनेगी तब तक यह यूं ही पड़ी रहेगी। यह शहर की इकलौती पारदर्शी भ्रष्टाचार की समस्या नहीं है इसलिए इस पर फोकस किया जा रहा है कि जब पैसा ही बर्बाद हो रहा है तो नए नाले से कनेक्ट करके उसे अच्छा रूप दिया जा सकता है देखना होगा शहडोल की भ्रष्टाचार पालिका परिषद कुछ बेहतर कर पाती है या फिर अपने प्राथमिक लक्ष्य पर ही अधिक रहेगी 

ताज़ा उदाहरण है गुरु नानक चौक का।   “कनेक्टिंग नाला बनाना है”। लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस नाले को जोड़ने की बात हो रही है, वह नाला तो दस-बारह साल पहले ही बन चुका है और बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया था। इंदिरा चौक से गांधी चौक तक का जो भव्य नाला बनाने का सपना कलेक्टर मुकेश शुक्ला के समय दिखाया गया था, उसमें शहर के सैकड़ों पेड़ काट दिए गए थे, लाखों- रुपए खर्च हुए, पर नाला पूरा नहीं हुआ। अब अचानक होश आया है कि पुरानी नाली में ही  नाला जोड़ दो, नई वाली को फिर छोड़ दो।यह कोई छिपा हुआ भ्रष्टाचार नहीं है। यह बिल्कुल खुला, पारदर्शी भ्रष्टाचार है।जिसे शहडोल नगर पालिका के कांग्रेस अध्यक्ष, भाजपा उपाध्यक्ष और लगभग सभी 40 पार्षद मौन सहमति दे रहे हैं। कोई सवाल नहीं उठाता, कोई जवाब नहीं माँगता। टेंडर पास, कमीशन तय, काम शुरू – और फिर काम अधूरा छोड़ दो। दस साल बाद फिर वही जगह खोदो, फिर कमीशन लो। यह चक्र चलता रहता है।

जवाब किसी के पास नहीं है। क्योंकि जवाब माँगने की हिम्मत किसी पार्षद में नहीं है। न अध्यक्ष बोलते हैं, न उपाध्यक्ष। सबकी जेब गर्म है, सबका मुँह बंद है।शहडोल में विकास की जो आंधी चलाई जा रही है, उसमें सिर्फ़ धूल उड़ रही है – विकास की नहीं, भ्रष्टाचार की। पेड़ कट गए, सड़कें टूट गईं, नाले अधूरे पड़े हैं, और पैसा? पैसा तो हर बार नया-नया आता रहता है। केंद्र से, राज्य से, सांसद-विधायक फंड से – नाम कुछ भी हो, अंत में जाता एक ही जगह है।यह शहर की इकलौती समस्या नहीं है। हर गली, हर मोहल्ले में ऐसी ही कहानियाँ हैं। लेकिन गुरु नानक चौक का यह ताज़ा किस्सा इसलिए ज़्यादा शर्मनाक है क्योंकि यह बिल्कुल सबके सामने हो रहा है। 


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