आदिवासी जमीनों
की हो रही लूट
(त्रिलोकीनाथ)
जमीनों की लूट में चिकित्सक ,वकील, नेता, अधिकारी सब शामिल....
पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहडोल आए। वकीलों का एक जत्था शहडोल जिले में भूमि के क्रय-विक्रय पर कलेक्टर की अनुमति संबंधी प्रतिबंध को लेकर अनावश्यक हो रही परेशानियों का ध्यानाकर्षण किया। मुख्यमंत्री जी को लगा जायज है ;विचार हो। और परिणाम यह रहा कि अब कुछ ऐसा हो गया है कि जो प्रतिबंध आदिवासी भूमि के सुरक्षा के संबंध में लगाए गए थे उन पर पूरी छूट हो गई है। इस परिस्थितियों में धड़ाधड़ रजिस्ट्रीयां हो रही हैं।
खास तौर से शहडोल और आसपास के सीमावर्ती ग्रामों में भू अभिलेख के ग्राम सौखी, गोरतरा, पिपरिया, छतवई ,चांपा, नवलपुर मे आदिवासियों की भूमि अब सुरक्षित नहीं रह गई है। सौखी और गोरतरा मे एक ही कॉलोनाइजर्स अलग अलग नाम से कालोनियों का निर्माण करके आदिवासियों की भूमि का विक्रय गैर आदिवासी वर्ग को भ्रामक परिस्थितियों में बेच रहे हैं। तो नामधारी माफिया परिवार नगर पालिका परिषद से एक ही कॉलोनी के लाइसेंस पर दो कॉलोनी का निर्माण करने की चर्चा भी जोरों पर है ।
जबकि पहले भू राजस्व संहिता की धारा 165 के तहत कलेक्टर शहडोल से अनुमति लेने की परिस्थिति में बहुत सारी भूमि की परिस्थितियां स्पष्ट हो जाती थी। अब प्रतिबंध हट जाने से कॉलोनाइजर्स आदिवासियों की भूमि सामान्य बताकर विक्रय कर रहे हैं । तो कुछ लोग बिना कॉलोनाइजर लाइसेंस के आदिवासियों की भूमि को अवैध रूप से हस्तांतरण करा कर सामान्य वर्ग के लोगों को कीमती दामों में बेच रहे हैं। जिसकी जानकारी राजस्व अधिकारी इन भूमाफिया से मिलकर ऐसे मिलीभगत कर ऐसे भू माफिया को संरक्षण देते नजर आ रहे हैं। क्योंकि कुछ लोग चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हैं तो कुछ लोग वकालत के क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए हैं और नेता तो आते ही नेतागिरी में इसीलिए हैं ताकि उनकी माफिया गिरी को संरक्षण मिले। पोंडा नाला के पास बनी कॉलोनी की चर्चा तो आम हो चुकी है। कि किस प्रकार नाला की पूरी जमीन को हड़प कर भू-माफिया वकालत का नकाब पहनकर लोगों को भ्रामक तरीके से भूमि और भवन बेच रहा है। आने वाले बरसात में इस नाले की जो बदतर हालात देखने को मिलेगी वह जनता ही भोगेगी। रही भवन के स्वामित्व की चुनौती तो खरीददार के लिए आने वाले समय में न्यायालय में न्याय के लिए चक्कर पर चक्कर काटता हुआ चुनौती का कारण बनेगा।
इसमे लोग भारतीय जनता पार्टी से जुड़कर अपनी भू-माफिया गिरी चमका रहे हैं क्योंकि कलेक्टर के भूमि संबंधी प्रतिबंध में छूट होने से आदिवासियों की जमीन की खुलेआम लूट हो रही है। बेहतर होता सभी कॉलोनाइजर्स को पारदर्शी तरीके से अपनी अपनी जमीनों का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए ।ताकि वैध तरीके से काम करने वाले कॉलोनाइजर को इसका खामियाजा न भुगतना पड़े। व विशेष करके उन खरीददारों को जो भू-माफिया बनाम बिल्डर्स का नकाब पहनकर आम जनता के साथ ठगी कर रहे हैं ।उन पर नियंत्रण रख सके तो देखना होगा कि क्या प्रशासन छूट के नाम पर आदिवासियों की जमीन की लूट का षडयंत्र का पर्दाफाश कर पाता है अथवा नहीं ...?
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