नशा शराब में होता, तो नाचती बोतल...
IAS पति-पत्नी हुए अलग विलग
( त्रिलोकीनाथ )
कुत्ता मानव सभ्यता के साथ-साथ विकसित होता चला आ रहा है। हमारे यहां कुत्तों के प्रति इतनी निष्ठा है की कहीं कहीं उन्हें उच्च आध्यात्मिक समाधि के रूप में मान्यता भी दी गई है। कुकुर समाधि उसकी एक पहचान भी है।जो यह कुत्ते के प्रति प्रेम का मनुष्य का एक बड़ा प्रतीक है।
किंतु यही काम जब भारत में पढ़ा लिखा समाज जब सामंतवादी नजरिए से अपने को स्थापित करता है तब वह अपनी स्थिति बद से बदतर बना देता है। दैनिक जनसत्ता में आज छपी एक खबर में ऐसी ही कुछ वाकया दिल्ली में घटा। जिससे कारण सर्वोच्च शिक्षित समाज आईएएस वर्ग के पति और पत्नी अधिकारियों को हमारे लोकतंत्र ने अलग-अलग जगह नौकरी करने के लिए बाध्य कर दिया है ताकि वह सीख सकें कि अपनी स्थिति DOG साहब के कारण नहीं गिरानी चाहिए।
तो जान लीजिए डी ओ जी साहब और कोई नहीं है उनके अपने कुत्ते ही हैं जिनके साथ तफरी करने के उद्देश्य से उन्होंने खिलाड़ियों और उनके लिए निर्मित स्टेडियम के मौलिक अधिकार की हत्या करने का फरमान जारी कर दिया।
मामला लोकतंत्र के रहनुमाओं को धीरे से लगा जोरदार झटका साबित हुआ। और उन्होंने इन आईएएस पति पत्नी अधिकारियों को अपनी लोकतंत्र की अधिकारों का उपयोग करके अलग-अलग राज्यों याने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में ड्यूटी करने का निर्देश दिया। अब तो आईएएस दंपत्ति को समझ आ ही गया होगा कि अगर अपने कुत्ते के साथ तफरी करना है तो उन्हें अपनी आमदनी से अपना स्टेडियम बनाना चाहिए और लगे हाथ लोकतंत्र की नौकरी को भी अलविदा कह देना चाहिए। किंतु हर आईएएस हाल में करोड़ों रुपए पकड़े के साथ पकड़ी गई पूजा सिंघल की तरह अमीर नहीं होता... अगर होता भी तो यह पढ़ा-लिखा शिक्षित आईएएस डिग्री धारक इतना बड़ा जोखिम शायद ही उठाएं ...?
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