रेत समाधि को मिला बुकर अवॉर्ड
हाथी की खुजली
और चूहा का राष्ट्रवाद
( त्रिलोकीनाथ )
पशुओं की कथाओं से भरा ज्ञान का सागर पंचतंत्र मेें एक कहानी आती है की किस प्रकार कुछ साधुओं के ऊपर रखे अनाज को चूहा खा जाते थे और फिर साधु चूहे का पीछा करते-करते उसके बिल तक जाते हैं और वहां खुदाई करते हैं तो जो सामग्री मिलती है उसे निकाल देते हैं। फिर चूहा ऊंचाई में रखे हुए अनाज तक कूद नहीं पाता और अनाज बच जाता। इसी प्रकार की अन्य ढेर सारी बाल कहानियां से बालमन ज्ञान लेकर पंचतंत्र का ज्ञानी बन जाता और यह ऐतिहासिक कृति हो जाती है। जिसे आज भी नहीं भुला पाते।
किंतु जब एक मुख्यमंत्री का बयान देखा तो पंचतंत्र में मैंने राष्ट्रवाद को खोजना चाहा कि क्या कोई चूहा राष्ट्रवादी हो सकता है..? और अगर नहीं हो सकता है तो चूहा बनने की वजाय राष्ट्रवादी बनने का मिथक समझ में नहीं आया। आज ही दैनिक जनसत्ता में हमारे मध्य प्रदेश के दार्शनिक रजनीश याने ओशो के विचार कल्पमेधा में प्रकाशित हुए
उनकी विचार से हम अपने आसपास ऐसे तरंगे पैदा कर लेते हैं की दरिद्रता अपने आप आ जाती है। याने दरिद्रता का अर्थ से धन से बहुत ज्यादा संबंध नहीं है वैचारिक दरिद्रता ही बड़ी दरिद्रता है। और उसका परिणाम यह होता है कि कोई पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन सिंह को उनकी मिथक में स्थापित सम्मान जगह दिल्ली के
उपराज्यपाल के शपथ समारोह में नहीं मिलने से वह अपमानित होते हुए उस स्थान को छोड़ देते हैं जहां उपराज्यपाल का शपथ होना है, कहते हैं शिकायत भी किया है ।इसका कोई महत्व नहीं होता है क्योंकि वह भूल जाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी देश की नई आजादी याने 2014 के शुरुआत में ही पार्टी संगठन के अंदर मार्गदर्शक मंच बना दिया है। जिसमे कभी लौह पुरुष रहे देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी अघोषित तौर पर बना बना दिए गए।
तो ऐसे में चूहा को राष्ट्रवादी नहीं बताए जाने के विचार योगी आदित्यनाथ की अपनी उपज हो सकती है ।हमारी नजर में चूहा उल्लू का का प्रिय शिकार है ।उल्लू संपन्नता की देवी लक्ष्मी का वाहन है अगर चूहा नहीं होगा तो उल्लू नहीं आएगा और शायद इसीलिए हिंदू सनातन धर्म के प्रथम देव घोषित भगवान सिद्ध गणेश जी महाराज का प्रिय वाहन है। जो पूर्व में उनकी नजर में गुलामी नुमा आजादी आई थी उसके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोकमान्य तिलक की गणेश चतुर्थी के उत्सव मे भी सज कर आई थी और गणेश जी चूहा में सवार होकर ही भारत आए थे। याने यह कहना गलत है कि चूहा राष्ट्रवादी नहीं हो सकता बल्कि चूहा पहला ऐसा भाग्यशाली प्राणी है जो कुशल राष्ट्रवाद से ओतप्रोत है क्योंकि उसी ने अपने पीठ में सवार करके गणेश जी को भारत लाए थे इसीलिए आज भी हम गणेश जी के सामने जो लड्डू रखते हैं उसे पहले चूहा खाता दिखाई देता है जो उसका हक है।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ का बयान सिर्फ एक आक्रामक बयान कहा जाना चाहिए जैसे पृथक खालिस्तान के प्रवर्तकों में से एक संत भिंडरावाले की बातें आती थी कि "जो उनके समर्थन में हो वह हाथ उठाएं अन्यथा गीदड़ की तरह सिर नीचा करले..।हो सकता है यह भी एक मिथक हो किंतु श्रुतियां इसी प्रकार की भाषा का जन्म देती है जिस से बचना चाहिए।
अन्यथा जब कोई मूल हाथी खुजली करना होता है तो वह पेड़ को गिराता ही रहता है तो बचना चाहिए हाथी से भी और उसकी खुजली से भी। तो बहुत शुभकामनाएं आनंद में रहे बिना कोई चिंता किए।
वैसे गुड न्यूज़ यह है की आजादी के अमृत महोत्सव काल के इस महा दौर में भारत की किसी महिला लेखिका को
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