मंगलवार, 29 सितंबर 2020

पट्टे पर रक्षा उपकरण सेना वतन साथियों

 पट्टे पर, सेना रक्षा उपकरण वतन साथियों

बुझ सको तो बूझो......





रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया–2020 का खुलासा किया

नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) में घरेलू रक्षा उद्योग और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय शामिल किए गए समय की देरी को घटाने और व्यापार करने में सहजता को बढ़ाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया


रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)–2020 का अनावरण किया। पहली रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी)वर्ष 2002 में लागू की गई थी और तब से बढ़ते घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन देने और रक्षा विनिर्माण में आत्म-निर्भरता हासिल करने के लिए इसे समय-समय पर संशोधित किया जाता रहा है। रक्षा मंत्री ने डीएपी–2020तैयार करने के लिए अगस्त 2019में महानिदेशक (अधिग्रहण) श्री अपूर्वा चंद्रा की अध्यक्षता में मुख्य समीक्षा समिति के गठन को मंजूरी दी थी। डीएपी-2020 पहली अक्टूबर 2020से लागू होगी। डीएपी 2020 को तैयार करने में एक वर्ष से अधिक का समय लगा है औरजिसमें निम्नानुसार हितधारकों के बड़े दायरे से मिली टिप्पणी / सुझाव शामिल हैं: -

सेवाएं

एमओडी

थिंक टैंक

संघ

उद्योग

  • डीएमए
  • थल सेना
  • नौसेना
  • वायुसेना
  • आईसीजी

 

  • एनएससीएस

 

  • एमओडी (फिन)
  • डीआरडीओ
  • डीडीपी
  • डीजीक्यूए
  • एमपी आईडीएसए
  • पीएचडी चैम्बर
  • दिल्ली नीति समूह
  • भारतीय रक्षा अनुसंधान

 

  • फिक्की, सीआईआई, एसोचैम
  • यूएसआईबीसी/यूएसआईएसएफ
  • एएमसीएचएएम
  • यूकेआईबीसी
  • आरओई
  • केपीएमजी
  • भारतीय (30)
  • टाटा
  • एल एंड टी
  • महिन्द्रा
  • अडानी जीपी

 

  • विदेशी (20)

2.डीएपी 2020 को सरकार के आत्म-निर्भर भारत के विज़न के साथ जोड़ा गया है और इसका मेक इन इंडिया पहल के माध्यम से भारतीय घरेलू उद्योग को सशक्त बनाने के साथ भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने का अंतिम उद्देश्य है। नई विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति की घोषणा के साथ,डीएपी 2020 में भारतीय घरेलू उद्योग के हितों की रक्षा करते हुए आयात प्रतिस्थापन और निर्यात दोनों के लिए विनिर्माण केंद्र स्थापित करने हेतु एफडीआई को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त रूप से प्रावधान शामिल किए गए हैं। आत्म-निर्भर भारत अभियान में स्थापित विशिष्ट सुधारनिम्नानुसार शामिल किए गए हैं:

(ए) आयात पर प्रतिबंध के लिए हथियारों / मंचों की एक सूची को अधिसूचित करना डीएपी में प्रासंगिक संयोजन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि सूची में वर्णित किसी उपकरण की खरीद आयात से पूर्व अधिसूचित समय सीमा के बाद नहीं की गई है।

(बी) आयातित पुर्जों का स्वदेशीकरण

  1. सूचना के लिए अनुरोध। आरएफआई चरण कलपुर्जों / छोटे उपकरणों के स्तर पर निर्माण और स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना के लिए संभावित विदेशी विक्रेताओं की इच्छा का पता लगाएगा।
  2. खरीद की नई श्रेणी (वैश्विक-भारत में निर्माण) नई श्रेणी में भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से उपकरणों के पूरे / हिस्से या कलपुर्जों / असेंबली / सब-असेंबली / रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सुविधा का निर्माण शामिल है।
  3. आईजीए के माध्यम से सह-उत्पादन। यह आईजीए के माध्यम से सह-उत्पादन सुविधाओं की स्थापना करने में सक्षम बनाता है जिससे 'आयात प्रतिस्थापन' हासिल होगा और जीवन चक्र लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
  4. संविदात्मक सक्षमताइसमें स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से जीवन चक्र समर्थन लागत और प्रणाली संवर्द्धन को अनुकूलित करने के लिए क्रेता का अधिकार शामिल है।

(सी)रक्षा विनिर्माण में एफडीआई नई एफडीआई नीति की घोषणा के साथ, नई श्रेणी 'खरीदें (वैश्विक-भारत में निर्माण)' जैसे उपयुक्त प्रावधानों कोशामिल किया गया है ताकि घरेलू उद्योग को आवश्यक संरक्षण प्रदान करते हुए विदेशी ओईएम को भारत में अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से 'विनिर्माण / रख-रखाव संस्थाओं'की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

(डी) समयबद्ध तरीके से रक्षा खरीद प्रक्रिया और तेजी से निर्णय लेना। आत्म-निर्भर भारत अभियान में घोषित रक्षा सुधार के एक हिस्से के रूप में,अनुबंध प्रबंधन का समर्थन करने के लिए एक पीएमयू की स्थापना अनिवार्य है। पीएमयू अधिग्रहण प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्रों में सलाहकार और परामर्श सहायता प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा। इन सुधारों में शामिल अन्य मुद्दे हैं:-

  1. हथियारों / प्लेटफार्मों के जीएसक्यूआर की वास्तविक स्थापनावैश्विक और घरेलू बाजारों में उपलब्ध ‘तुलनात्मक’ उपकरणों के विश्लेषण के आधार पर सत्यापन योग्य मापदंडों की पहचान पर अधिक जोर देने के साथ एसक्यूआर के निर्माण की प्रक्रिया को और अधिक परिष्कृत किया गया है।
  2. परीक्षण प्रक्रियाओं का सरलीकरण डीएपी 2020 पारदर्शिता,निष्पक्षता और सभी को समान अवसरों के सिद्धांत के आधार पर प्रतियोगिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ परीक्षण करने की आवश्यकता पर जोर देता है, इसमें उन्मूलन की प्रक्रिया को लागू नहीं किया जाता है।

3. व्यापार करने में सहजता यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस समीक्षा के प्रमुख फोकस क्षेत्रों में से एक था ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को लागू करनाजिसमें सरलीकरण,प्रतिनिधिमंडल पर जोर और कुछ विशिष्ट प्रावधानों के साथ प्रक्रिया को उद्योग के अनुकूल बनाना शामिल था:-

(ए) प्रक्रियात्मक बदलाव

  1. 500 करोड़ रुपये तक के सभी मामलों में एओएन के एकल चरण समझौते को स्थापित किया गया है,जिससेसमय कम लगेगा।
  2. एओएन के समझौते के बाद एफ़टीपी मामलों को प्रत्यायोजित शक्तियों के अनुसार आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे खरीद चक्र की संख्या में काफी कमी आएगी।
  3. नियोजन प्रक्रिया में, एलटीआईपीपी को एकीकृत क्षमता विकास योजना (आईसीडीपी)के रूप में फिर से नामित किया गया है,जिसमें 15 वर्षों की बजाय दस वर्षों की योजना अवधि शामिल है।

(बी) प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) और मानक अनुबंध दस्तावेज (एससीडी) फ्लो चार्ट संचालित दिशा-निर्देशों, भंडारण संरक्षण के प्रावधान और जहां परियोजनाएं पूर्व परिभाषिक तरीके के अनुरूप प्रगति नहीं कर रही हैं वहां संविदा के निरस्तीकरण के अनुसार आरएफपी और एससीडी में प्रावधानों को सक्षम करने के साथ-साथ आवश्यकताओं को स्पष्टता और संयोजन प्रदान करने के कुछ उपायों को शामिल किया गया है।

डीएपी 2020 की प्रमुख विशेषताएं

4. भारतीय विक्रेताओं के लिए श्रेणियों में आरक्षण खरीदें (भारतीय-आईडीडीएम),मेक I,मेक II,डिजाइन और विकास में उत्पादन एजेंसी,ओएफबी / डीपीएसयू और एसपी मॉडल की श्रेणियां विशेष रूप से भारतीय विक्रेताओं लिए आरक्षित होंगी जो 49 प्रतिशत से कम एफडीआई के साथ स्वामित्व और नियंत्रण के मानदंडों को पूरा करते हैं। यह आरक्षण घरेलू भारतीय उद्योग में भागीदारी में विशिष्टता प्रदान करेगा।

5. स्वदेशी सामग्री का संवर्द्धन

(ए) स्वदेशी सामग्री (आईसी) में समग्र वृद्धि।

क्रम संख्या

श्रेणी

डीपीपी 2016

डीएपी 2020

(1)

खरीद (भारतीय- आईडीडीएम)

न्यूनतम 40 %

न्यूनतम 50 %

(2)

खरीद (भारतीय)

न्यूनतम 40 %

देशी डिजाइन- न्यूनतम 50 %

अन्य न्यूनतम 60 %

(3)

खरीद और निर्माण (भारतीय)

न्यूनतम निर्माण का 50 %

न्यूनतम निर्माण का 50 %

(4)

खरीद (वैश्विक- भारत में विनिर्माण)

-

न्यूनतम खरीद जोड़ निर्माण का 50 %

(5)

खरीद (वैश्विक)

-

 

भारतीय विक्रेताओं के लिए न्यूनतम 30 %

 

 

(बी) आईसी सत्यापन एक सरल और व्यावहारिक सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई है और आईसी की गणना अब बेस कॉन्ट्रैक्ट प्राइस यानी कुल अनुबंध मूल्य कम करों और शुल्कों पर की जाएगी।

(सी) स्वदेशी सैन्य सामग्री प्लेटफार्मों और अन्य उपकरणों / प्रणालियों की जांच और स्वदेशी कच्चे माल का उपयोग करने के लिए विक्रेताओं के लिए इनाम के प्रावधान के साथ लिए स्वदेशी सैन्य सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना।

(डी)स्वदेशी सॉफ्टवेयर खरीदें (भारतीय- आईडीडीएम) और खरीदें (भारतीय) मामलों में स्वदेशी सॉफ्टवेयर पर फायर कंट्रोल सिस्टम, रडार, एन्क्रिप्शन, कम्युनिकेशंस आदि जैसे परिचालन आधार अनुप्रयोगों के लिए विकल्प तलाशने का प्रावधान शामिल किया गया है।

6. परीक्षण और जांच प्रक्रियाओं का युक्तिकरण

(ए) उपयुक्तता और अन्य शर्तों पर परीक्षण उपकरण के लिए कार्यात्मक प्रभावशीलता की पुष्टि करने वाले उचित प्रमाणपत्र प्राप्त किए जा सकते हैं।

(बी) परीक्षणों का दायरा प्रमुख ऑपरेशनल मापदंडों के भौतिक मूल्यांकन तक सीमित रहेगा, जबकि विक्रेता प्रमाणन,मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं द्वारा प्रमाणन, मापदंडों के कंप्यूटर सिमुलेशन के आधार पर अन्य मापदंडों का मूल्यांकन किया जा सकता है।

(सी) परीक्षणों के दोहराव से बचाव और छूट समनुरूपता प्रमाणपत्र के आधार पर दी जाएगी। समय बचाने के लिए विभिन्न परीक्षणों और जहां भी संभव हो, संपूर्ण परीक्षणों को एक साथ मिलाकर किया जाना चाहिए।

(डी) मरम्मत का कार्य करने की अनुमति के साथ परीक्षण के दौरान कमियों / दोषों को सुधारने के लिए भाग लेने वाले विक्रेताओं को अपेक्षित अवसर दिया जाएगा।

(ई) प्रस्ताव का अनुरोध विक्रेताओं को स्वीकृति जांच प्रक्रिया (एटीपी) का मसौदा जमा करने के लिए कहेगा जिसपर तकनीकी परीक्षण के दौरान खुद क्यूए एजेंसी द्वारा अंतिम फैसला लिया जाएगा। विक्रेता द्वारा वहन किए जाने वाले लागत के पहलू सहित परीक्षणों के लिए नमूना आकार विक्रेता के लिए आरएफपी में अग्रिम रूप से कहा जाएगा।

(एफ) निरीक्षण निरीक्षण की कोई पुनरावृत्ति विशेष रूप से उपकरणों की स्वीकृति के दौरान नहीं की जाएगी। थर्ड पार्टी निरीक्षण भी किया जाएगा।

7. निर्माण और नवाचार

(ए) मेक I (70 प्रतिशततक सरकार द्वारा वित्तपोषित) 250 करोड़ रुपये / डीए की सीमा लगाई गई है और बोली मानदंडों के आधार पर डीए का चयन होगा।

(बी) उप-घटकों / असेंबली के साथ-साथ स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हथियारों / उपकरणों / प्रणालियों / प्लेटफार्मों के उत्पादन के लिए मेक II(उद्योग वित्त पोषित)।

(सी) आयात प्रतिस्थापन सक्षम करने के लिए उपकरण / प्लेटफॉर्म या कलपुर्जों / असेंबली / सब-असेंबली के निर्माण के लिए मेक III (स्वदेशी रूप से निर्मित) श्रेणी।

(डी) आईडेक्स,प्रौद्योगिकी विकास कोष और आंतरिक सेवा संगठनों जैसी विभिन्न पहलों के तहत 'नवाचार'के माध्यम से विकसित प्रोटोटाइप की खरीद की सुविधा दी गई है।

8. डिजाइन और विकास डीआरडीओ / डीपीएसयू / ओएफबी द्वारा डिजाइन और विकसित प्रणालियों के अधिग्रहण के लिए डीएपी 2020 में अलग से एक समर्पित अध्याय शामिल किया गया है। प्रमाणीकरण और सिमुलेशन के माध्यम से मूल्यांकन पर अधिक जोर देने और समय में कमी लाने के लिए एकीकृत एकल चरण परीक्षणों के साथ एक सरल प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सर्पिल विकास के पहलुओं को भी शामिल किया गया है।

9.खालीपन यानी रिक्तता का समाधान नए अध्याय के रूप में कुछ मौजूदा रिक्तता को निम्न रूप में दुरूस्त किया गया है: -

(ए) सूचना संचार प्रौद्योगिकी। विशेष रूप से अंतर-संचालन (इंटरऑपरेबिलिटी)एवं बिल्ट-इन अपग्रेडिबिलिटी,बढ़ी हुई सुरक्षा आवश्यकताओं और परिवर्तन प्रबंधन में आईसीटी गहन उपकरणों की खरीद से संबंधित मुद्दे शामिल किए गए हैं।

(बी) पट्टे पर देना परिसंपत्तियों पर मालिकाना हक के बिना उनका संचालन करने के लिए एक नई श्रेणी शुरू की गई है, जो बड़ी प्रारंभिक पूंजी के विकल्प को प्रतिस्थापित करता है।

(सी)संविदा प्रबंधन के बादनिरीक्षण, तरलता क्षति, अनुबंध में संशोधन आदि के संबंध में अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद की प्रक्रिया को औपचारिक बनाने के लिए प्रावधान।

(डी) अन्य पूंजीगत खरीद प्रक्रिया डीएपी में एक नए अध्याय के रूप में एक नई प्रक्रिया को शामिल किया गया है और एक समयबद्ध तरीके से सरलीकृत प्रक्रिया के तहत कैपिटल बजट के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की खरीद सेवाओं के लिए एक सक्षम प्रावधान किया गया है।

10. उद्योग के अनुकूल वाणिज्यिक शर्तें

(ए)विक्रेताओं द्वारा प्रारंभिक भावों को बढ़ाने से रोकने और परियोजना की वास्तविक कीमत पर पहुंचने हेतु बड़े अनुबंधों के लिए मूल्य बदलाव खंड शामिल किया गया है।

(बी) विक्रेताओं को भुगतान विक्रेताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए तय समयसीमा के अंदर डिजिटल सत्यापन के माध्यम से एसएचक्यू / पीसीडीएद्वारा दस्तावेजों के समानांतर प्रसंस्करण जैसे उपयुक्त प्रावधानों को शामिल किया गया है। भारतीय उद्योग को भुगतान विदेशी उद्योग के जैसे किए जाने का प्रावधान किया गया है।

11. ऑफसेट। ऑफसेट दिशा-निर्देशों को संशोधित किया गया है,जिसमें घटकों की बजाय पूर्ण रक्षा उत्पादों के निर्माण को प्राथमिकता दी जाएगी और ऑफसेट के कार्य निर्वहन में प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न मल्टीप्लायरों को जोड़ा गया है।

12. वास्तव में,डीएपी 2020जिसे एक साल से अधिक समय में तैयार किया गया है,भारत सरकार के आत्म-निर्भर भारत के विज़न और मेक इन इंडिया का संवाहक एवं उद्योग के अनुकूल प्रक्रिया है। डीएपी 2020 दस्तावेज़ एक विश्वास पैदा करता है और क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा।

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सोमवार, 28 सितंबर 2020

आख़िर उमा दीदी घबराई हुई क्यों लग रही हैं... (त्रिलोकीनाथ)

30 अप्रैल  की तैयारी .....

आख़िर उमा दीदी घबराई हुई क्यों लग रही हैं... 


तो क्या वयोवृद्ध आडवाणी और जोशी भी जाएंगे जेल.....?

(त्रिलोकीनाथ)

तो क्या निर्मल मन की सन्यासिनी पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश उमा भारती "हिंदुत्व ब्रांड" के प्रबंधन की शिकार हो रही हैं या उन्हें भय सता रहा है कि उनके साथ कुछ अच्छा नहीं होने वाला है ... ?

उनके ट्वीट्स मोदी सरकार की प्रवक्ता की तरह काम कर रहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जी न्यूज़ नेटवर्क के हवाले से जो खबरें छनकर आ रही हैं वे भाजपा की आंतरिक बदली भी राजनीति को सांकेतिक धार दे रही है। अगर उमा जी का आसन्का सही है, हो सकता है उनके अपने सूत्र हों, तो क्या मुरली मनोहर, जोशी लालकृष्ण आडवाणी भी उमा भारती की तरह हिंदुत्व के लिए बलिदान करने को तैयार हैं .....?  

जैसा कि उमा ने कहा है कि "वे जमानत नहीं लेंगी "उनकी भाषा बहुत साफ-सुथरी और उनके निर्मलमन की स्पष्ट वादिता को बताती है कि वे कोई नेता नहीं है, बल्कि   सहज सरल सनातन धर्म की एक आम नागरिक है.... और उन्हें पूरी पिक्चर अब साफ -साफ दिखाई दे रही है...।

 तो क्या उमा भारती घबराई हुई हैं... आइए समझे मोदी सरकार के प्रायः अघोषित प्रवक्ता इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भाषा में...... हो सकता है कॉर्पोरेट जगत के कृषिबिल की आवाज दबाने के लिए कंगना राणावत, सुशांत राजपूत ,रिया चक्रवर्ती, दीपिका पादुकोण का प्रोपेगेंडा प्रचार तंत्र  फेल हो रहा हो... और उनके डिजिटल डेटाबेस यही बता रहे हो  जिसे समझ कर  डिजिटल मीडिया ने  प्रायोजित तरीके से  अब उमा भारती को  जेल  भेजने  और  जेल में जमानत न लेने की चर्चा को, उग्र हो रहे के आंदोलन की खबर को  दबाने के लिए प्रायोजित किया गया हो .....और यदि इससे भी किसान आंदोलन  की खबरें बढ़ती ही चली और भी कोई बड़ा प्रयोग भारत मेंंंं देखने को मिल सकता है ......

तो हर खबर के लिए सतर्क और सजग रहिए आखिर 70% कृषि कारोबार में  कॉर्पोरेट  जगत को  उपहार देने का मामला है ... अन्यथा उमाा भारती यह क्यों कहती  

"मैं तो बीजेपी की रिजर्व फोर्स हूं. जरूरत पड़ने पर हमेशा काम आऊंगी."

तो देखें प्रवक्ता मीडिया ने क्या बोला.....

Corona Positive: देश की पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद आज एम्स अस्पताल में भर्ती हो गई हैं. उमा भारती ने ट्वीट कर अस्पताल में भर्ती होने के तीन कारण बताए हैं. उन्होंंने बताया कि उनको रात में बुखार बढ़ गया था.

 उमा भारती ने अपनी ट्वीट में लिखा, "मैं एम्स ऋषिकेश में भर्ती हो गई हूं.

 इसके तीन कारण है.

 पहला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन बहुत चिंता कर रहे हैं, 


दूसरा कारण है कि मुझे रात में बुखार बहुत बढ़ गया था 

और तीसरा कारण है कि मेरी एम्स में जांच-पड़ताल होने के बाद यदि मुझे सकारात्मक रिपोर्ट मिली तो मैं परसों लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में पेश होना चाहती हूं." 

इस दिशा पर उमा जी की आज नई खबर आई....

 नई दिल्लीः अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है कई पिलर्स भी खड़े हो चुके हैं. हालांकि बाबरी विध्वंस मामले (Babri Demolition Case) में फैसला आना अभी बाकी है. बाबरी विध्वंस मामले (Babari Demolition Case) में सुनवाई कर रही सीबीआई की एक विशेष अदालत 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगी. सीबीआई के विशेष जज एस के यादव ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं.


मामले के 32 आरोपियों में पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार और उमा भारती मुख्य रूप से शामिल हैं. लेकिन इससे पहले ही उमा भारती कोरोना से संक्रमित हो गई हैं. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इस बीच उमा भारती ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि वे इस मामले में जेल जाने को तैयार हैं, लेकिन जमानत नहीं लेंगी.


उमा भारती ने नड्डा को लिखे पत्र में कहा, '30 सितंबर को लखनऊ की सीबीआई की विशेष अदालत में फैसला सुनने के लिए मुझे पेश होना है. मैं कानून को वेद, अदालत को मंदिर एवं जज को भगवान का रूप मानती हूं. इसलिए अदालत का हर फैसला मेरे लिए भगवान का आशीर्वाद होगा.'

उमा भारती ने कहा, 'मुझे अयोध्या आंदोलन में भागीदारी पर गर्व है. मैंने तो हमेशा कहा है कि अयोध्या के लिए तो फांसी भी मंजूर है. मैं नहीं जानती फैसला क्या होगा, लेकिन मैं अयोध्या पर जमानत नहीं लूंगी. जमानत लेने से आंदोलन में भागीदारी की गरिमा कलंकित होगी. ऐसे हालातों में आप मुझे नई टीम में रख पाते हैं कि नहीं इसपर विचार कर लीजिए. यह गर्व, आनंद और आश्चर्यपूर्ण विसंगति का विषय है कि जिस अयोध्या मामले में 2017 में CBI ने मुझे साजिशकर्ता होने पर शक जताया, उसी का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने 5 अगस्त 2020 को किया. माननीय अदालत इस पर जो फैसला देगी वह मेरे सिर माथे होगा.


उमा ने आगे लिखा, 'मुझे आप 30 साल से जानते हैं. विचार-निष्ठा और परिश्रम ही मेरी राजनीति के आधार हैं. मैं राम मंदिर के लिए भी लड़ी और राम राज्य के लिए भी लड़ी. मैंने हिंदुत्व को सर्व समावेशी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इसलिए दलित, आदिवासी, सभी वर्गों के गरीब और विशेषकर पिछड़ा वर्ग बीजेपी से जुड़ जाए और जुड़े रहे इसमें मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी.'


बीजेपी नेता ने लिखा, 'पार्टी ने मुझे निकाल दिया था तब भी मैंने राष्ट्रवाद और इन वर्गों की चिंता नहीं छोड़ी थी. राम, गंगा, तिरंगा और वंचित वर्ग इनके लिए मेरी जान हाजिर है. राम मंदिर बन गया, लेकिन रामराज्य अभी बाकी है. मेरे सामने बहुत लंबी जिंदगी बाकी है, जो कि मैं अब राम राज्य के लिए लगाऊंगी.'


आखिर में उन्होंने लिखा, 'इसलिए मैं आपके विवेक पर छोड़ती हूं कि आप मुझे पदाधिकारियों की टीम में रख पाते हैं कि नहीं. मेरे लिए तो भगवान की कृपा और सर्वजन समाज का साथ ही मेरी शक्ति है. आप मेरे बारे में आंखें मूंद के फैसला ले सकते हैं. मैं तो बीजेपी की रिजर्व फोर्स हूं. जरूरत पड़ने पर हमेशा काम आऊंगी.'


तो देखते चलिए पाकिस्तान, चीन, राम मंदिर, कोरोनावायरस ,सुशांत राजपूत, कंगना ,प्रिया, दीपिका और अब सनातन धर्म से आए  सन्यासिनी  राजनीतिक  पूर्व मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश उमा भारती....




रविवार, 27 सितंबर 2020

तो ऐसे पहुंचा शहडोल, प्रदेश में पांचवें स्थान पर.. (त्रिलोकीनाथ)

 

-तो ऐसे पहुंचा शहडोल, 
प्रदेश में पांचवें स्थान पर..
-दुनिया में विश्वगुरु बनने से
सिर्फ करीब 13 लाख से पीछे है भारत
(त्रिलोकीनाथ)
प्रधानमंत्री ने अपेक्षा प्रकट की, इसलिए की भी शुरू से दुनिया घूमते रहे प्रचारक के तौर पर । तो उनकी महत्वाकांक्षा में दुनिया का नेता बनना था। बीच में उनके आईटी सेल ने उन्हें विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बता ही दिया है। तो भारत तो एक सीढ़ी मात्र है, जिसमें वे पैर रखकर ऊपर उड़ने का ख्वाब रखते हैं।
 तो उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की सहमति से भी निर्णय होना चाहिए, इसकी चर्चा अंत में करेंगे।
 शुरुआत में हम अपने मातृभूमि की चर्चा करेंगे शहडोल क्षेत्र, जिला कहेंगे तो लोग भ्रमित हो जाएंगे। क्योंकि शहडोल को तोड़कर अलग-अलग नेताओं ने अपने-अपने धंधे की पॉलिटिकल-इंडस्ट्री के "पेटी-कांटेक्टर" बन कर , आदिवासी क्षेत्र को अलग-अलग तरीके से राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक शोषण किया।
 किंतु इससे तो शहडोल की अवधारणा की एकता खत्म नहीं हो जाती... और कोरोनावायरस से दर्द का जब रिश्ता होता है तो देखने का नजर, जरा नजदीक का हो जाता है। हमने देखा कि मध्यप्रदेश में शहडोल दिखने के लिए तो कोरोना संक्रमण के मामले में 14 वां स्थान रखता है।
 किंतु वास्तव में देखा जाए तो यह आदिवासी क्षेत्र, शहडोल क्षेत्र मध्यप्रदेश का पांचवा सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्र है। अब नेता यानी विधायिका और कार्यपालिका, हमारा प्रशासक वर्क है ना माने तो, ना माने, हम आदिवासी क्षेत्र के निवासी हैं ऐसा ही सोचते हैं । 
तो शहडोल आदिवासी संभाग मध्यप्रदेश का इकलौता संभाग है जहां दलित प्रेम ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को इतना उदारवादी बनाया कि उन्होंने इसे संभाग बनाने के साथ जोरशोर से गोद लेने की घोषणा भी कर दी। याने ब्रांडिंग कर दी। तो गोद लिया हुआ आदिवासी क्षेत्र सर्वसंपन्न, प्राकृतिक संसाधन से भरा पूरा क्षेत्र शहडोल, मध्यप्रदेश का पांचवा सर्वाधिक कोरोना संक्रमित क्षेत्र है ।आंकड़े कुछ ऐसा ही बताते हैं।


 इतनी हालत खराब बिंध्य प्रदेश के रीवा संभाग कि कहींं भी नहीं है। बीसवीं सदी में तब रीवा संभाग का एक जिला हुआ करता था शहडोल जिला, जैसे सतना, सीधी और रीवा जिला तो इन जिलो के आंकड़े को देखिए और फिर शहडोल क्षेत्र के आंकड़े को देखिए। मुख्यमंत्री केेे गोद में विकास की रफ्तार में शहडोल कोरोना महामारी केेे संक्रमण का सर्वाधिक दंश झेेल रहा।
 क्या कोई इसे देख रहा है.... या फिर सुन भी रहा.. समझ तो बिल्कुुल नहीं रहा। क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तीन बार अपनी शहडोल संभाग की यात्रा के लिए सिर्फ इसलिए आने को किया, क्योंंकि उन्हें कांग्रेस के बागी और उनकी भाजपा सरकार के पहले आदिवासी नेता के रूप मेंं बिसाहूलाल ने सरकार बनाने का बड़ा जोखिम उठाया था  और  किसी कोरोना इंडस्ट्री में,  इसे अब कोरोना कहना जरा नाजायज होगा, तो  उन्होंनेे सत्ता पलट कर भाजपा को  सौंपने का काम किया था। अप चुनाव जीतने के लिए भाजपा का दुर्भाग्य था  कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी का निधन हो गया, जैसा कि बिसाहूलाल ने कहा था पूर्व राष्ट्रपति की मौत के लिए,  तो यात्रा रद्द करनी पड़ी। फिर जैसे ही मौका मिला 65 करोड़ केे हवाई जहाज का उद्घाटन बिसाहूलाल के चुनाव के लिए आदिवासी क्षेत्र में हो गया। उन्होंने विकास भी किया है एक मेडिकल कॉलेज भी दिया है जिसे कोरोना महामारी से निपटन का ज्ञान  व्यावहारिक तौर पर  नहीं बताया गया था...,  इसलिए  पूरा का पूरा  आदिवासी क्षेत्र  एक लैब बन गया...।
 हो सकता है  यह शहडोल क्षेत्र के  आदिवासी विकास की यह भी एक  गाथा हो, की शहडोल क्षेत्र मध्यप्रदेश के बड़े नगरों के बाद संक्रमण के मामले में बड़ा योगदान दिया। नजरिया है अब आदिवासी नजरिया तो ऐसा ही होता है।


     
तो चलिए अब प्रदेश और देश , दुनिया में चलते हैं जहां भारत नेेे छह माह के कोरोना महामारी की वर्षगांठ के बाद सिर्फ सात करोड़ टेस्टिंग कर पाया है। जो एक गौरव की तरह प्रदर्शित किया गया है। याने 131 करोड़ भारतीय नागरिकों की टेस्टिंग नहींं की गई। फिर भी उपलब्धि है, क्योंकि भारत भी एक प्रकार का आदिवासी क्षेत्र है। उतना ही पिछड़ापन,  उतनी ही दलित सोच..., जितनी शहडोल के आदिवासी क्षेत्र के हम नागरिकों की है.. क्योंकि उसका विस्तार  बड़ा है  तो बड़ी आदिवासी सोच है ....।



तो इन्हें चिंता संयुक्त राष्ट्र मैं भारत के निर्णायक भूमिका की सता रही है यानी अंतरराष्ट्रीय नेता बनने की ।किंतु दुनिया में हम कोरोना के मामले में सर्वाधिक संक्रमित नागरिकों के राष्ट्र के रूप में गणिती मामलों मेंं स्थापित हो चुके हैं। और हमें इसके लिए कोई शर्म नहीं है...? होना भी नहीं चाहिए..., वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का निर्मल-मन  इसी की घोषणा किया था  कि यह एक दैवी आपदा है ....।
 हो सकता है यह किसी अघोषित लक्ष्य का हिस्सा रहा हो... और लक्ष्य पूर्ति के बाद अब इसलिए हम संयुक्त राष्ट्र में अपने हक्क की बात करते हैं...। करना भी चाहिए , कूटनीति- राजनीति शायद इसेेे ही कहते।
 लेकिन आंकड़े हम जैसे आदिवासी पत्रकारों से झूूठ बोलते हैं, ऐसा लगता है तो, थोड़ा सा समझे, आंकड़े झूठ क्या बोल रहे हैं.....?
 गुजरात में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और  नरेंद्र मोदी  एक साथ  शायद अंतिम बार एक लाख लोगों की भीड़  इकट्ठा करके  जोर-जोर से तालियां बजवाई थी  दोनों साथ साथ हैं  दोनों नहीं मान रहे थे  कि कोरोनावायरस  कोई एटम बम है चीन हमारा पड़ोसी है  तो जरा देर से  हमको प्रसाद बांटा  और हमने ग्रहण किया  अमेरिका  उसका पड़ोसी नहीं है  तो वहां जल्दी  कोरोनावायरस ने तबाही मचा दी यह अलग बात है कि भारत का पप्पू , पागलों की तरह चिल्लाता रहा  कि कोरोनावायरस से डर कर रहो, सत्ता लूटने के चक्कर में जो वक्त मिले तो वायरस के बारे में भी कुछ करो, भारत को बचाना जरूरी है। लेकिन भारत का प्रधानमंत्री बुद्धिमान थे, उन्हे लगा यह लक्ष्य-पूर्ति में बाधक है.......? इसलिए कई को छोड़ दिया उन्हें काटने के लिए...। 

अमेरिका और भारत  एक साथ चले थे । 33 करोड़  की आबादी वाला अमेरिका 10 करोड़ से ज्यादा कोरोना टेस्ट कर लिया याने करीब 35% अमेरिकी नागरिकोंं की टेस्टिंग किया है अब वह हमसे सिर्फ 12-13 लाख संक्रमित नागरिकोंं की संख्या से ज्यादा है।
 जबकि भारत 5 या 6 प्रतिशत अपनी आबादी की यानी सिर्फ 7 करोड़ नागरिकों की टेस्टिंग कर पाया है। तब वह अमेरिका से करीब सिर्फ 12-13 लाख संक्रमित नागरिकों की संख्या से पीछे है.... अगर अपनी आबादी का 35% टेस्टिंग किया होता तो वह दुनिया का सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्र के रूप में  दर्ज होता...

 और इसमें कोई शक नहीं कि जो मोदी सरकार सिर्फ "डिजिटल-डाटा-बेस" पर  सरकार चला रही है..,  उसे  हमारे जैसी  आदिवासी पत्रकारिता की  समझ ना हो....  यानी वह भी अच्छी तरह से सब समझते हैं.. आखिर शिक्षा और दीक्षा में वह हमसे ज्यादा योग्य हैं और अगर भी योग्य नहीं भी हैं, तो "डॉन" की तो गारंटी है कि वह योग्य है अब यह नहीं पूछिएगा कि "डॉन" कौन है...? "डॉन" कभी दिखता नहीं है कोरोनावायरस की तरह.....।
 लेकिन आपदा को अवसर के रूप में समझ रखने वाले लोग  आपदा का निर्माण अवसर के लिए भी करना जानते हैं। शायद इसीलिए ज्यादा से ज्यादा कर्ज लो..., अपने लोगों को  बांटो....  और ज्यादा से ज्यादा घी पियो....।सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और कोरोनाराम कि हिंदुत्व ब्रांड की कार्यप्रणाली मैं ऐसा होता रहता।
 इसलिए चुनाव बहुुुुत जरूरी है सरकार बनाकर ही भारत को निजीकरण के धंधे में बेचा जा सकता है । क्योंकि सत्ता की दुकान मेकअप जा भी जरूरी है , आखिर  सार्वजनिक संपत्तियों को  सस्ते में बेच देना  भी एक विकास है। अपने लोगों को  उपहार देना... ,  "सबका साथ-सबका" विकास किसी  ड्रीम-प्रोजेक्ट का  धरातल में उतरने जैसा है ।

बहराल  कोरोनावायरस देने वाला महान चीन को शायद अगले हफ्ते तक हमारे मोबाइल के स्क्रीनशॉट से बाहर हो जाए...। क्योंकि वह दुनिया की सूची मामलेे में 44 या 45 स्थान पा चुका होगा। तब तक भारत विश्वगुरु कोरोनावायरस से बन चुका होगा। 
सरकारी आंकड़ों हमारे जैसे आदिवासी पत्रकारों की समझ  वाले लोगों की नजर में  भारत विश्वगुरु  कोरोनाराम के भरोसे  बन चुका है। 
 .....और हम 65करोड़ रुपया की हवाई जहाज में बैठे हैं..., मुख्यमंत्री के गोद में बैठ कर मध्य प्रदेश के पांचमें सर्वाधिक संक्रमित क्षेत्र के रूप में स्थापित हो चुके हैं। अब कोई  पुष्पा या खनिज विभाग की फरहत जहां-जहां  चाहे अनूपपुर, शहडोल या उमरिया के वर्ल्ड टाइगर सेंचुरी में जंगल राज में जंगल बेचे क्या फर्क पड़ता है।
 शहडोल का विकास अघोषित तौर पर ही सही प्रदेश के 5 बड़ेेेे शहरों के स्तर पर जा पहुंचा है जहां जंगलराज की तरह कोरोना का राज्य कायम है। मुख्यमंत्री जी ने प्राइवेट अस्पतालों को भी वरदान दे दिया है, उनकी कर्तव्य निष्ठा यह सोच कर क्यों प्रतीत होती कि वे अपील करते सभी निजी चिकित्सालयों से चिकित्सकों से कि 2 महीना मुफ्त की चिकित्सा क्यों नहीं होनी चाहिए किंतु तब हवाई जहाज से उतरना पड़ता तो क्या कोरोना इंडस्ट्री के  इंडस्ट्रियलिस्ट का अपमान हो जाता....? ऐसेे उद्योगपति भारतीय भाषा मैं सांस्कृतिक राष्ट्रवादी कहलाते हैं। 
क्या अभी भी आप गर्व से नहीं कहेंगे कि आप हिंदू हैं 
तो जोर से, पूरी कर्मनिष्ठा के साथ तबलीगी जमात से उधार लेकर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना 
"गर्व से कहो हम हिंदू है... ।
यह अलग बात है की "गर्व" कोरोना के मामले में "शर्म" की पर्यायवाची है। 
------------इति आदिवासी क्षेत्रे--------------






शहडोल क्षेत्र प्रदेश में पांचवा संक्रमित स्थान पर पहुंचा

 मध्यप्रदेश में  शहडोल आदिवासी क्षेत्र  कोरोना संक्रमण की सूची पर पांचवें स्थान पर इस पर कल देखिए विस्तार में ......




शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

सेवा सप्ताह बनाम नंगा नाच - 3


सेवा सप्ताह बनाम नंगा नाच - 3

भाजपा का 25 करोड़

 भोजन के पैकेट

 एक राष्ट्रीय झूठ..?

(त्रिलोकीनाथ)

 


आज  सिर्फ  उस हिस्से की चर्चा करेंगे जो सत्ताधारी भारतीयजनतापार्टी के पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सेवा-सप्ताह के अंदर यह कहकर कांग्रेस पार्टी के ऊपर हमला किया है की उनके कार्यकर्ताओं ने 25 करोड़ लोगों को भोजन के पैकेट बांटे हैं और विपक्षी पार्टियों ने एक भी पैकेट नहीं बाटे।


 यह मेरी नजर में सेवा-सप्ताह का सबसे बड़ा झूठ था। तो गणित की भाषा में समझ ले कि यह कैसे झूठ था..... हम इस झूठ पर यकीन भी कर ले जो सत्ता के रक्षामंत्री ने बाद में शायद प्रधानमंत्री ने भी व वित्त मंत्री ने तो कहा ही था की 80करोड़ देश की आबादी को मुफ्त में अनाज दिया गया है। याने पेट भरा गया है ।इस कार्यकाल में तो हम इस झूठ को भी नजरअंदाज करते हैं क्यों हो सकता है यह सच हो उनकी अपने तर्क की परिभाषा में, यह राजकाज है ।,


वह बोलते होंगे किंतु सत्ता पार्टी का का संगठन प्रमुख अगर झूठ बोलता है तो वह दुखद है ।

अब समझे कि उन सब सरकार और संगठन तथा डॉन अनुसार भारतीय जनता पार्टी 10करोड़ से जादा कार्यकर्ताओं वाली पार्टीहै। जो उनके कर्मठ कार्यकर्ता है, जो कभी भी बलिदान के लिए तत्पर रहते हैं । 

और इसमें कोई शक नहीं हम राम की भी कसम खा सकते हैं की पार्टी का कार्यकर्ता कुछ जब भी निर्देश हुआ है उसने घर से रोटी बनाकर अपने गुप्त और सार्वजनिक कार्यकर्ताओं के लिए भोजन पहुंचाया है। यह इन कार्यकर्ताओं की निजी गुणवत्ता है। जो देश के संस्कार से आया है। यह अलग बात है कि संस्कार का किस प्रकार से प्रयोग हो रहा है । तो अगर कम से कम इन 10 करोड़ कार्यकर्ताओं को निर्देश किया गया होता कि वह सुबह और शाम का 1-1 भोजन पैकेट बंबई की भाषा में खाने का डिब्बा तैयार करके अगर प्रतिदिन पहुंचाया जाता करोड़ों पलायन प्रवासी श्रमिकों के लिए जो लावारिस हो चुकी व्यवस्था के कारण रोड से गुजर रहे हैं आर्थिक मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का है लेकर उनकी सेवा की जा सकती थी, तो भी 20 करोड़ पैकेट प्रतिदिन भारतीय प्रताड़ित नागरिकों के लिए उपलब्ध हो सकता था। हालांकि 10 करोड़ कार्यकर्ताओं का का आंकड़ा बहुत पुराना है अब तो ज्यादा बढ़ गए होंगे क्योंकि सत्ता के गुण में मक्खी की तरह लोग चिपक जाते हैं। तो इस तरह भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख में क्या सिर्फ डेढ़ सौ से ज्यादा दिन की प्रताड़ना के अवसर पर सिर्फ 1 दिन पिया  आधा दिन सेवा करने का निर्देश डॉन की तरफ से हुआ था.....? क्योंकि भाजपा का कार्यकर्ता सेवा तब करता है जब निर्देश होता है, बाकी 149 दिन आपने क्या किया....?

डॉन के निर्देश पर बनाया गया कांग्रेस का पप्पू राहुल गांधी एक दिन दिल्ली की सड़कों में प्रवासी पैदल चल रहे नागरिकों के बगल में बैठ गए तो लगा सत्ता का सिंहासन टूट जाएगा। उन्हें फीलगुड नहीं हुआ कि कोई एक नेता तो जमीन पर आया, संवेदना लेकर....

 क्योंकि ताली और थाली बजाकर फिर दीप जलाकर और फिर दीपोत्सव में कोरोना राम का पूजन करा कर जिस भयानक तरीके से इस देश के नागरिकों को उनकी धार्मिक श्रद्धा के कारण और नेताओं के प्रति आस्था के कारण डराया गया कि वह अपने ही घर में बीमारी में अंधभक्त होकर अपनी ही मां को यह जानते हुए भी कि वह कोरोनावायरस नहीं है  स्पर्श नहीं कर पा रहा है...

 ...और अंत में जो हुआ बहुत दुखद था मृत्यु के दौरान मृत्यु के पहले और अब मृत्यु के बाद कोरोना का डर और उससे बड़ा   डर को बनाए रखने का  प्रबंधन के चलते हम अमानवीय होते चले गए....। क्योंकि मृत्यु के पश्चात हम उस मृत्यु संस्कारों का भी पालन करने में असफल हो रहे हैं जिसके लिए कोई प्रबंधन नहीं है। क्या यही अच्छे दिन हैं...? क्या इन्हीं अच्छे दिनों के लिए सफलतापूर्वक संपन्न होने के कारण या मध्य अवधि के दौर में सेवा-सप्ताह का जन्म-उत्सव मनाया....?

 क्योंकि अभी तक सरकार ने कोविड-19 बीमारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन याने सामाजिक रुप से बीमारी के आ जाने की स्वीकृति भी नहीं दी है जबकि कम से कम शहडोल शहर में यह हवा में फैलती दिख रही है..... तो 17 सितंबर का जन्मोत्सव 87000  के नागरिकों के मरण दिवस का एक प्रतीक मेरे परिवार में भी टूट पड़ा....

 मैं चाह कर भी हे नरेंद्रमोदी ka जन्म दिवस अंधभक्तों की महान परंपरा में नहीं मना सकता......? भारत के व्यवस्था को गुप्त रूप से चलाने वाले डॉन तुम्हें प्रणाम है..., और कोरोनाराम जिनका महल अयोध्या में 5 अगस्त को भव्य आयोजन के साथ पूजन किया गया... ऐसे कोरोना राम को शत शत प्रणाम है।

 और उनके 10 करोड़ से ज्यादा महान कर्मयोगी-अंधभक्तों को/ कार्यकर्ताओं को जो लोकतंत्र में जनता-जनार्दन के रूप में स्थापित हैं। आपको बहुत-बहुत बधाई,  17 सितंबर को सेवा सप्ताह बनाम नंगा नाच का प्रदर्शन करने के लिए |


चलते चलाते आज की खबर जरूर बता दें कि मुख्यमंत्री शिवराज जी को ठंडा खाना मिला तो उन्होंने अधिकारी को दंडित कर दिया। करोड़ों जनता भूखों पैदल गई , कई मर गए क्या किसी को दंडित किया गया....?
 यही राज काज है।                             (समाप्त)


                                                                                                        -------------------(जारीभाग-3)


माफिया इसी का नाम है... (त्रिलोकीनाथ)

 माफिया इसी का नाम है...


(त्रिलोकीनाथ)

 कभी लेडी सिंघम के रूप में चर्चित, शहडोल जिले की एक महिला रेंजर इन दिनों रेत माफिया से चर्चा के लिए चर्चित है.. चर्चा तो यह भी है जंगली लोगों ने जंगल के दामन में दाग लगने के डर से माफिया वायरस को बांधवगढ़ में अटैच कर दिया। सवाल यह माफिया वायरस कहीं टाइगर वर्ल्ड लाइफ में फैल ना जाए।

 अगर वायरस ने अपना असर दिखाया तो दुनिया में बांधवगढ़ "टाइगर की खाल" के लिए प्रसिद्ध हो जाएगा।  वैसे भी वह प्रसिद्ध तो रहा ही...

 बेहतर होता इस माफिया वायरस को भोपाल के जंगल में छोड़ दिया जाता जहां यह परजीवी के रूप में किसी नेता की शक्ल में किसी पार्टी की नेत्री  वन चमचमाती रहती है। वैसे भी सत्ता की राजनीति जिसके पास पैसा है सफल नेता बन सकता है।

 यह बात समझ से बाहर है कि इस खतरनाक वायरस को बांधवगढ़ जैसे स्वस्थ परिवेश में क्यों करके प्रदूषण के लिए  फेक दिया गया...?

 वैसे भी चर्चितऑडियो का वजूद शहडोल में कभी कुछ रहा नहीं ....तो इस ऑडियो को कोई निष्कर्ष निकलेगा कह पाना जल्दबाजी होगी। क्योंकि इसमें तो अफसरों की लंबी कतार है फिर किसी ने बताया कि वायरस ने 50000 का एक मोबाइल किसी उच्च अधिकारी की महिला को यूं ही गिफ्ट किया है। उस मोबाइल से कितना वायरस फैल रहा है कुछ कहना मुश्किल है। बेहतर तो होता यह कि वायरस को वहीं पर सीमित करके पहले माफिया को किल किया जाता है, किंतु उन्हें डर है कि माफिया किल हो जाने से उनके बच्चों के पेट पालने वाला कौन मसीहा आएगा.....? इसलिए मिडिलमैन-वायरस को किनारे करके एक जांच बैठा दी गई... बजाय इसके की बातचीत के दौरान जो तथ्य निकलकर के आए उसमें से कुछ अवैध खदानों की अवैध मशीनों और वाहनों को जप्त करके उनको जंगल विभाग राजसात कर लेता।

 तो ईमानदारी का कोई एक तोता पिंजरे से निकलकर एक पर्ची निकाल कर शायद किसी जंगली को ईमानदार अफसर बनने का भविष्यवाणी करता .... किंतु दुखद है की माफिया वायरस को संरक्षण देते हुए  बांधवगढ़  आरक्षित  टाइगर फॉरेस्ट में भेज दिया गया.. ताकि वर्षों से टिका नवाब की नवाबी याने माफिया गिरी अब सीधे उच्च अधिकारियों के संपर्क में सफलता से चलाई जा सके....? वैसे वायरस को परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि यहां वहां होने के बाद फरहत जहां भी उमरिया पहुंच गई हैं अब उमरिया में ऊंची उड़ान माफिया के लिए माफिया गिरी और नवाब के लिए नवाबी के अरमान भी पूरे हो जाएंगे इस व्यवस्था को नवाब की तरह "हम भी परणाम करते हैं" आखिर यह संभाग के प्रभारी मंत्री का मुख्यालय जो है तो एक से भले दो, दो से भले तीन.....


बुधवार, 23 सितंबर 2020

यह किसानों के विनाश का बिल है- आनंद


किसान बिल को लेकर समाजवादी पक्ष मे घोर निराशा; समाजवादी नेता आनंद ने कहा


यह किसानों का विनाश-बिल है।

 बिलासपुर छत्तीसगढ़ के कद्दावर समाजवादी नेता मीसाबंदी आपातकाल के योद्धा आनंद मिश्रा बोले–किसानों के विनाश का बिल है कृषि बिल… क्या मुंगेली का किसान अपना पाँच बोरा धान बेचने बैंगलुरू जायेगा??

 

“कृषि बिल किसानों के विनाश का बिल है। इससे किसानों को नुकसान होगा और कारपोरेट खेती को बढ़ावा मिलेगा।यदि मोदी सरकार किसानों के हित की बात करती है, तो उसे यह ऐलान करने में एतराज क्यों है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में अनाज की खरीदी नहीं होगी।यह बातें प्रखर समाजवादी नेता और किसानों के चिंतक आनंद मिश्रा ने एक बातचीत के दौरान कही।


उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने किसानों के नाम पर जो बिल आया है।वह किसानों के विनाश का बिल है।दरअसल भारत को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने में सबसे बड़ी बाधा कृषि के क्षेत्र को लेकर है।कृषि जो आत्मनिर्भर भी है और स्वयंभू भी है।  उसे खत्म करने के लिए लगातार कोशिश यह सरकार पिछले 6 साल से कर रही है।खेती को खत्म करने के लिए सबसे पहला कदम है कि एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस, न्यूनतम समर्थन मूल्य) को खत्म किया ज़ाए।वह एमएसपी खत्म नहीं कर पा रही है।इसलिए यह नया रास्ता निकाला है।मजे की बात है कि आर्थिक मोर्चों पर नाकाम साबित होने के बावजूद इस सरकार में बैठे लोग इस तरह का कदम उठा रहे हैं।


आनंद मिश्रा ने कहा कि देश में 70 फ़ीसदी छोटे किसान है। मंडी की व्यवस्था खत्म हो जाएगी तो वे अपना अपनी उपज कहां बेचेंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या मुंगेली का किसान बेंगलुरु जाकर अपना पाँच बोरा धान बेचेगा …? क्या एक छोटा किसान टेलीफोन से रेट पता करके प्रदेश या देश के दूसरे हिस्से में जाकर अपना उपज बेच सकेगा।वे मानते हैं कि इसके पीछे एक वजह यह भी है कि मंडियों के संचालन से जो टैक्स मिलता है ,वह पूरी तरह से राज्य सरकार को मिलता है।इसे खत्म कर केंद्र की सरकार राज्य को अपना पिट्ठू बनाना चाहती है।इसके साथ ही जो तरीका अपनाया जा रहा है।उससे कारपोरेट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा।जो कि बहुत ही खतरनाक है।

भारत का इतिहास बताता है कि किस तरह उपनिवेशवाद आया।स्वायतता  को खत्म करके लोगों को गुलाम बनाया गया।जो आत्मनिर्भर व्यवस्था थी उसे खत्म किया गया और एक केंद्रीकृत व्यवस्था बनाई गई।

आनंद मिश्रा कहते हैं कि लोग मंडी में अनाज बेचते थे तो सरकार के पास रिकॉर्ड रहता था कि कितना अनाज खरीदा गया है और कितना स्टोर कर रखा गया है।अब इस अनाजों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किया जा रहा है।जिससे सरकार के पास इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं होगा कि कितना अनाज खरीदा गया और कितना भंडारण किया गया।इस तरह से सरकार कारपोरेट के हाथ में पूरा व्यापार देने जा रही है।जो छोटे–मझोले व्यापारी इस क्षेत्र में लगे हुए थे और हजारों हाथों को इनकी वजह से रोजगार मिला हुआ था।वह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।गुलाम बनाने के लिए एक केंद्रीकृत व्यवस्था बनाई जा रही है।जिससे कारपोरेट जगत जो कहे वही पैदा किया जा सके।यह ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोगों को न्यायालय जाने का भी मौक़ा नहीं मिल पाएगा।सारे विवाद ट्रिब्यूनल में हल होगे ट्रिब्यूनल कलेक्टर की अदालत होगी और सभी जानते हैं कि इसमें काम किस तरह होता है।


आनंद मिश्रा की चिंता इस बात को लेकर भी है कि जिस तरह पंजाब से विरोध के स्वर उठ रहे हैं ,उससे साफ़ ज़ाहिर होता  है कि पंजाब के किसान इस बिल से खुश नहीं है।चिंता की बात यह है कि जब भी पंजाब में किसान की हालत खराब होती है ,तो वह क्षेत्र अशांत तो होता है।पहले भी हम इसके परिणाम भुगत चुके हैं।अब देश इस तरह के अशांति को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है।इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।आनंद मिश्रा ने कहा कि राज्यसभा में जिस तरह से बिल पास कराया गया।सभी ने देखा है।कोविड-19 के बहाने सरकार कुछ भी करना चाहती है।वह तो अभी आम चुनाव भी करा सकती है।जिससे फिर 5 साल के लिए उसे गद्दी मिल जाए।राज्यसभा में यह बिल ध्वनिमत से पारित किया गया।जबकि प्रावधान के मुताबिक वोटिंग होना चाहिए।वे आगे कहते हैं कि जिस तरह से स्पेशल ट्रेन-स्पेशल रोड का चलन बढ़ता जा रहा है ,उससे लगता है कि सामान्य आदमी के चलने के लिए भी सड़क नहीं मिलेगी।कृषि बिल से किसान को कोई फायदा नहीं होगा।अगर मोदी सरकार किसानों के हित की बात करती है तो उसे यह ऐलान करने में क्यों एतराज है कि समर्थन मूल्य से कम में अनाज की खरीदी नहीं होगी।उन्होंने यह भी कहा कि इस सरकार में बैठे लोग और नीति आयोग से जुड़े लोग पहले भी संकेत दे चुके हैं कि वे समर्थन मूल्य के पक्ष में नहीं है।दरअसल इसकी वजह यह है कि समर्थन मूल्य होने से गांव के मजदूरों की मजदूरी बढ़ती है।  इससे उद्योग और रियल एस्टेट सेक्टर को सस्ते में मजदूर नहीं मिल सकते।इंडस्ट्री और रियल स्टेट को सस्ते में मजदूर मुहैया कराने के लिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य को ही खत्म करना चाहते हैं।


यह पूछे जाने पर कि इसका छत्तीसगढ़ पर क्या असर होगा आनंद मिश्रा कहते हैं कि छत्तीसगढ़ देश का हिस्सा है।यहां भी विपरीत असर पड़ेगा।छत्तीसगढ़ के लोगों ने पिछले साल भी देखा है कि केंद्र की ओर से प्रदेश सरकार को धमकी दी गई थी कि 16  सौ  से अधिक कीमत पर धान खरीदी की गई तो हम नहीं खरीदेंगे।इस बार भी यही बात हो सकती है।सरकार ने अब अनाज का भंडारण नहीं करने का फैसला किया है।अनाज का भंडारण किए जाने से खर्च होता है और भ्रष्टाचार होता है।इस पर रोक लगाने के नाम पर भंडारण को ही खत्म किया जा रहा है।  इससे बुरा असर होग।वे यह भी मानते हैं कि इस बिल के बाद छोटे किसानों को अपनी जमीन बचाना मुश्किल होगा।खेती कारपोरेट से जुड़े लोगों के हाथ में जा सकती है।अमेरिका जैसे देश के उदाहरण है ,जहां केवल 3 फ़ीसदी लोग खेती करते हैं।लेकिन कारपोरेट खेती की वजह से वहां किसानी का दिवाला निकल गया और किसानों को सब्सिडी देनी पड़ रही है।भारत में भी इस तरह की स्थिति ना आ जाये।इसलिए इस बिल का पुरजोर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए।

यह अलग बात है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


और उसकी सरकार तथा उनके कर्मयोगी-अंधभक्त इसे अभी विकास का बिल बता रहे हैं

हो सकता है दोनों में कृषि विकास को लेकर चिंता हो और मतअंतर भी इसी के निवारण के लिए भारतीय संसद की व्यवस्था संविधान में की गई थी किंतु डॉन के निर्दश से हरिवंश जो समाजवादी पृष्ठभूमि के राज्यसभा में उपसभापति हैं उन्होंने इसे बिना मत विभाजन के ध्वनि मत से पारित करा दिया और विरोध करने वाले सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया शायद भारतीय संसद किसानों की बिल को उचित मंथन के बाद समुचित स्थान देती ।

अब यह किसानों के विनाश का या विकास काबिल है... कोरोनाराम के भरोसे हो गया जो नया भारत का नया भगवान है.....



संक्रमण के मामले में शहडोल पहुंचा 15 में स्थान पर

 

मध्यप्रदेश में 15वें स्थान पर पहुंचा शहडोल


 शहडोल का प्रशासन हुआ अलर्ट   

20% बेड आरक्षित रखे,  कलेक्टर के निर्देश

मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों की संख्या शहडोल जिले में तेजी से बढ़ कर सामने आई है जिससे प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए निजी चिकित्सालय में 20% बेड आरक्षित रखने का निर्देश दिया है शहडोल में 633 सक्रिय मरीजों की संख्या दर्ज की गई है इस दिशा परमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ राजेश पाण्डेय ने बताया कि कलेक्टर डाॅ सतेन्द्र सिंह के निर्देशानुसार जिले के श्री राम हेल्थ सेंटर सोहागपुर, देवांता अस्पताल सिंह रोड़ एवं अमृता अस्पताल रीवा रोड़ को आदेशित किया गया है कि उनके अस्पताल के स्वीकृत बेड का 20 प्रतिशत कोरोना मरीज के लिए सुरक्षित रखते हुए उन्हें कोरोना संबंधित आवश्यक चिकित्सकीय उपचार के साथ-साथ एम्बूलेंश आदि की भी सुविधाएं प्रदान करें एवं प्रतिदिन 6.00 बजे तक ई-मेल के माध्यम से जानकारी भी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें, अन्यथा मध्यप्रदेश शासन की महामारी अधिनियम के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आपके संस्था के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी।

दुनिया में आज वर्ल्डोमीटर ने यह बताया


तो भारत की कोविड-19 ट्रक करें इस प्रकार से ट्रैक 
किया




     कुल मिलाकर शहडोल जिले की हालात कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर पहुंच चुका है कोरोना से स्वयं को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका मास्क तो लगाएं ही नाक और गला हमेशा रखें स्वच्छ और रहे मस्त इससे कोरोना सुबह शाम लेना भाप .......





सेवा सप्ताह बनाम नंगा नाच.....2(त्रिलोकीनाथ)

        

भाजपा का  सच/झूठ

 सेवा-सप्ताह बनाम नंगानाच.....2


    कुप्रबंधन से             कोरोनाराम का नया

   सांस्कृतिक राष्ट्रवाद 

 

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                                   --(त्रिलोकीनाथ)-------------------------


 यह तो बहुत अच्छा हुआ डॉन ने निर्देश नहीं दिया कि पूरे देश में गुप्त तरीके से मारकाट मचा दो, लोगों को लूट लो अन्यथा वे सब कर्मठ कार्यकर्ता अपने नेता के लिए जान की बाजी लगा देते...। खुलकर नंगा नाच करते। क्योंकि हमे मालूम है कि उनका नेता, उनका भगवान है और भगवान जो भी निर्देश देगा वह अपने कार्यकर्ताओं की जीवन रक्षा और भविष्य की सुरक्षा के लिए देगा। एक सुनहरे सपने के लिए देगा। जिसमें "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद" की धरातल पर आनंद ही आनंद होगा। यह धर्म नहीं कर्म का अंधभक्तों का अंधानुकरण अब शुरू  होता।

 क्योंकि सपने और सब्जबाग इसी रास्ते पर बिछाए गए हैं। यह उससे भी अच्छा हुआ की डॉन ने यह भी नहीं कहा कि अपने घर के बच्चों को हत्या कर दो, अपने मां बाप का गला घोट दो और मेरे लिए त्याग और महान बलिदान की पराकाष्ठा कर मोक्ष प्राप्त करो । क्योंकि अगर ऐसा  डॉन कहता तो उनके कर्मठ कार्यकर्ता उसका पूर्ण अनुशासन के साथ जैसे करते आए हैं उनके सक्रिय कार्यकर्ता गुप्त निर्देशों का पालन करते आए हैं वह राजनीतिक दल के रूप में सार्वजनिक रूप से पालन करते ।

 अंततः उन्होंने सेवा सप्ताह को जन्म दिवस के रूप में उत्सव के रूप में मनाया। यह उस चुनौती को करारा जवाब था जिसने इतना खूबसूरत अवसर  प्रदान किया। अभी गुप्त-निर्देशों के तहत जमीनी कार्यकर्ताओं के लिए निर्देश बहाल नहीं किए गए हैं इसलिए प्रत्येक अवसर का सुनिश्चित समय में चाहे वह "कोरोनाराम" मंदिर का काम हो या फिर भारत की समस्त सार्वजनिक संपत्ति को अपने श्रेष्ठ-भक्तों को बतौर उपहार पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से इसी कोरोना कॉल मे परोसा गया, अब देश की कृषि मंत्री हरसिमरत कौर बादलउनके भक्त मंडली का हिस्सा नहीं थी....। ऊपर से सरदार फैमिली की, जिनका इतिहास ही बलिदान की जन्मभूमि पर हुआ है।उन्हें यह मंत्री-पद का बलिदान और त्याग तुच्छ लगा और जब एक लोकतांत्रिक कृषि मंत्री होने के नाते बिना उनकी सहमति के भारत के किसानों को "विश्वव्यापी" व महान बनाने के लिए लाए गए संसदीय बिल में सहमति नहीं ली गई। तो उन्होंने पूर्ण विनम्रता के साथ अपनी असहमति को त्यागपत्र में बदल कर डान के निर्देशों का पालन करने से मना कर दिया। स्वाभाविक रूप से वे बागी परिवार की हैं ऐसा कहा जाता है की जब जलियांवाला हत्याकांड जनरल डायर ने किया तो शाम के उन्हीं के घर पर कोई पार्टी-वार्टी हुई थी।

 किंतु देश की आजादी के बाद उनके बगावत का अंदाज देखने का मिला था उन्होंने कालीख को मिटाने का काम किया...। पितृपक्ष में पितरों  का सम्मान किए। इस पर चर्चा फिर करेंगे।

 चर्चा इस बात की कि डॉन का निर्देश था जन्मदिवस को सेवा-सप्ताह में मनाया जाए। हमें इस बात का बुरा लगा कि हम इस महान महाकाल के तांडव नृत्य में भाग नहीं ले पाए। जो पूरे एक हफ्ता चला। सरकारी खर्चे से पूरी विलासिता के साथ। यानी जनता के टैक्स से पूरी बेशर्मी के साथ। 

इसलिए की जन्मदिवस के पहले से ही हमें भी "कोरोनाराम" ने जकड़ लिया था। एक पट्टा हमारे घर पर भी लग गया था, लालवाला। ठीक 17 सितंबर तारीख को लालपट्टे की अवधि सुनिश्चित की गई थी। हम मुक्त होते इसके पहले ही मेरे परिवार में मेरे बड़े पिताजी के सबसे छोटे लड़के करीब 50 वर्ष के अवधेश का "कोरोनाराम" के कारण मेडिकल कॉलेज शहडोल में निधन हो गया। 

अब हमारा परिवार इस मृत्योत्सव के शोक में व उसके पश्चात कोरोना के कारण जो मृत्यु होती है उसकी कष्टकारी परिस्थितियों एक अमानवीय परिस्थिति का सामना कर रहा है।

 तो शुरुआत इसी से करते हैं 3 तारीख को स्वयं मेडिकल कॉलेज की परिस्थितिकी को देखने और समझने की अपनी जिज्ञासा के कारण अपने बेटे का "अचानक नाक के सुगंध है ना आने से" सन्का का निवारण हेतु,  जांच कराने चले गए। मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य सेवाओं में समर्पित तमाम चिकित्सकों के कर्तव्य निष्ठा के बाद भी संभवत है हम कोविड19 कुप्रबंधन के शिकार हो गए। ऐसा मुझे शंका है। एक तो ऐसी किसी बीमारी की कल्पना में मेडिकल कॉलेज का निर्माण भी नहीं हुआ था जो कुछ भी था वह तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर ही उसी से मनाया गया था जैसे हमें याद है कि जिला चिकित्सालय शहडोल में टीवी के मरीज के लिए अलग अस्पताल था ऐसा कोई अलग तथ्य कोविड-19 के लिए नहीं बना था तो जो प्रबंधन अत्याधुनिक करीब 1000 करोड़ रुपए की मेडिकल कॉलेज के लिए होना चाहिए विशेषकर कोविड-19 के लिए वह वह मुझे आदिवासी पत्रकार को समझ में नहीं आया।

 हो सकता है मेरी ज्ञान और समझ उस प्रबंधन से परे रही हो। क्योंकि 100 ×100 के चेंबर/हाल में स्वस्थ नागरिकों का और कोविड प्रभावित नागरिकों का दो-तीन मीटर के अंतर में खड़ा रहना समझ से बाहर लगा।

 उससे ज्यादा यह कि जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता 1 मीटर के अंतर से हमें लिस्टेड सूचीबद्ध कर रहे थे वही दो कार्यकर्ता 3 से 4 मीटर के अंतर पर कोविड-19 से बचाव के लिए किट पहनकर हमारा सैंपल टेस्ट ले रहे थे। क्योंकि मैं अपनी आदिवासी पत्रकारिता की जिज्ञासा की पुष्टि के लिए स्वयं के जांच करा रहा था इसलिए मुझे लगा कि मैं शायद गलत जगह आ गया। अगर प्रबंधन सही होता तो यह मेरी सोच है कि क्या होता है...?

 मेरी जितनी समझ है उसके अनुसार 2-3 प्रथक-प्रथक कच्छ सूचीबद्ध कर रहे कार्यकर्ताओं की कम से कम 10 मीटर की दूरी पर अलग-अलग होते और संदेहास्पद मरीज उन कमरो में प्रथक प्रथक जाता। ताकि कोविड-19 कोई भी सैंपलिंग के दौरान उस प्रक्रिया से जिसे लेकर स्वयं फिट पहनकर सूचीबद्ध कर रहे कार्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो सतर्क थे अन्य स्वस्थ नागरिक प्रभावित ना होते।, किंतु ऐसा कुछ दिखा नहीं।

 100 बाई 100 के चेंबर में सिर्फ ओपेन टीन सैड था जहां वेल्टीनेशन था/ वही हवा का निकास था बाकी हवा का निकास भी पर्याप्त नहीं था। क्योंकि कोई एग्जास्ट फैन हवा निकास के लिए व्यवस्था नहीं थी। इसलिए मुझे शक हुआ कि मैंने गलत निर्णय लिया, यहां आकर।

 यह भी हो सकता था कि सभी सेंपलिंग खुले वातावरण में रखी जाती ताकि स्वस्थ व्यक्ति से प्रभावित नहीं होता और इस तरह मुझे यकीन हो गया कि मैं भी पॉजिटिव आऊंगा। मेरे नजर में यह कुप्रबंधन था। और धोखे से जब रिजल्ट 5 तारीख को आया तो मैं उन सभी 20 के 20 लोगों में पॉजिटिव था। एक स्वस्थ किंतु एक प्रमाणित अस्वस्थ कोविड-19 का व्यक्ति एक अधिकारी ने मेरे से कहा कि लगता है आप भी मेरे जैसे ही कोविड-19 कार हो गए हैं। किंतु उन्होंने शायद मेरी पत्रकारिता स्तर की जिज्ञासा की अपने नजर से ना देखा रहा हो। 

बहरहाल मेरी पत्रकारिता की जिज्ञासा ने मुझे पहली नजर में परेशान कर दिया। यह अलग बात है कि मुझे होम-आइसोलेशन के कारण अन्य लाभ भी मिले जो शायद में अपनी जिज्ञासा बस लाभ नहीं ले पाता। अब मेरा बेटा नेगेटिव है जो इस्मेल लॉस मात्र तक सीमित रहा और आइसोलेशन के कारण भी ठीक हुआ।

 किंतु इस पूरी प्रक्रिया में जो सबसे खतरनाक हालात थे मेरे निजी जीवन के लिए वह यह कि मैं अपनी 93 वर्षीय वयोवृद्ध मां जोकि अचानक 1 तारीख के बाद से स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अब की तब जैसी हालात से गुजर रही थी। मुझे उनसे स्वयं को दूर करना पड़ा। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने कहा था बुजुर्गों का विशेष ख्याल रखना है ।क्योंकि उन पर इसका सीधा असर पड़ता है, मैं कोविड-19 पॉजिटिव प्रमाणित हो चुका था चाह कर भी अपने मन को मैं नहीं समझा सकता था कि मैं पूर्ण स्वस्थ व्यक्ति हूं। मेरी पत्नी अपने इस कार्यकाल में संपूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया उनके पास अब उनकी बिमार सास के अलावा उनके पति और पुत्र को "कोरोनावायरस" होने के बाद मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ा। क्योंकि नियम निर्देश थे के प्रमाणित व्यक्ति के घर में कंटेनमेंट एरिया का लाल-फ्लेक्सी लगा दी जाती है ।इस तरह है एक बहुत बुरे दौर से मैं और मेरा परिवार गुजर रहा था। शायद राम जी की कृपा थी हमारी माताराम सेवाओं के चलते स्वस्थ हो गई,जब तक हम कोविड-19  से मुक्त होते तब तक वे पूर्ण स्वस्थ हो चुकी थी। मेडिकल कॉलेज से बड़ा कोविड-19 प्रमाण पत्र मेरी 93 वर्ष मां का स्वस्थ होना था।


 इसी दौरान डॉन ने शायद भारत के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी का जन्मदिन का उत्सव 17 सितंबर को केंद्र में रखकर सेवा-सप्ताह  में मनाने का काम किया। किंतु मैं या मेरे परिवार के लिए यह मरण-दिवस के रूप में दर्ज हुआ।

 कोई कैसे अपना जन्म दिवस हफ्ते भर चला सकता है, 


अगर उसके देश में 87,000 से ज्यादा लोग इस कोरोना काल में कोरोना बीमारी के चलते मर गए हो....?

 क्या यह नंगा नाच नहीं है....?

 तांडव की उद्घोषणा नहीं है....? 

इसीलिए मैं कहता हूं कि यह डॉन की कृपा थी कि उसने अपने तथाकथित 10 करोड़ से ज्यादा कार्यकर्ताओं को यह नहीं कहा कि अपने परिवार के लोगों की समूल हत्या कर दो.... उसने यह नहीं कहा कि परिवार व समाज के लोगों को लूट लो ...!

 यह डॉन की कृपा थी किंतु यह सेवा सप्ताह बनाम सत्ता का नंगा नाच  जरूर बनकर सामने आया..... 


                                                                                                          -------------------(जारीभाग-3)




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