सोचा था विपक्ष के नेता हो जाने के बाद कुछ अंत्री-मंत्री जैसी संवैधानिक सुरक्षा मिल जाती होगी कि वह अपनी बात कहेगा तो उसको सुना भी जाएगा या फिर उसको कहीं भी आने-जाने की कुछ प्रधानमंत्री जैसी छूट होगी लेकिन मन बहुत दुखी हुआ क्योंकि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पुलिस ने सड़क में रोक दिया कि आप संभल नहीं जा सकते, क्योंकि हम नहीं चाहते. कारण गिना दिया.नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी फिर वही कागज का किताब वाला संविधान लेकर कुछ पत्रकारों को बताने लगे कि इसमें कुछ लिखा है जिसके कारण मैं वहां जा रहा हूं
लेकिन यह लोग मुझे नहीं जाने दे रहे हैं ..और इस प्रकार 2014 के बाद मिली आजादी में नेता प्रतिपक्ष की हैसियत हमें उतनी ही दिखाई जितनी हमारी शहडोल में है. उससे ज्यादा कुछ नहीं... हम भी कागज लिए आदिवासी क्षेत्र में आदिवासियों की तरह भटकते रहते हैं कि यह संविधान है, यह कानून है.. इसको थोड़ा सा मानिए..
---------------- (त्रिलोकी नाथ)--------------
लेकिन ऐसा दूर-दूर तक होता नहीं दिखता... और हो भी क्यों ना मध्यप्रदेश कोई उत्तरप्रदेश तो है नहीं की जहां दमदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सूरज चमक रहा हो और जहां आदित्यनाथ नहीं है वहां पर मुझ त्रिलोकी नाथ की क्या हैसियत.. यह बात मैं गर्व से सोच सकता हूं क्योंकि अगर मैं आदित्यनाथ के राज्य में होता तो जैसे संभल में एक मस्जिद में मंदिर होने का शक होने के कारण "चट-मंगनी पट-ब्याह" के तर्ज पर कोर्ट में याचिका गई.. कोर्ट ने सुनवाई किया... कोर्ट ने आर्डर पारित किया और पूरा प्रशासन कोर्ट के आदेश को पालन करने में शाम के ही लग गया... ऐसा कहा जाता है इतनी ईमानदारी से इतनी कर्तव्य निष्ठा जो कार्यवाही हो रही थी वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में योगी आदित्यनाथ जी का नाम दर्ज कर सकती थी... किंतु दुर्भाग्य..?
लेकिन यह दुर्भाग्य मध्यप्रदेश में हमारे लिए सौभाग्य बन जाता.. अगर आदित्य योगीनाथ मुख्यमंत्री होते तो मध्य प्रदेश में न्यायपालिका ने जो 2012 में आदेश पारित किया था की शहडोल के मोहन राम मंदिर ट्रस्ट मामले में "स्वतंत्र कमेटी को समस्त प्रभार दे दिए जाएं.." पूजा पाठ छोड़कर, क्योंकि वह पंडित-पुजारी का धंधा है इसलिए रोजाना की पूजा पाठ का काम पंडित पुजारी को दिया जाए बाकी पूरा काम एक स्वतंत्र कमेटी बनाकर उसको दे दिया जाए... उसे आज तक यानी 12 साल बीतने के बाद भी न्यायपालिका का वह आदेश क्रियान्वयन हो पाने में मोहताज हो रहा है ...
अगर यही आदेश जैसा कि योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के संभल में हुआ हुआ होता और अगर वह हाई कोर्ट का होता तो उसे तो 12 घंटे भी नहीं लगता और आदेश की क्रियान्वयनवित हो गया होता... क्योंकि मस्जिद के अंदर मंदिर दबे होने का का मामला था.. इसलिए 24 घंटे में क्रियान्वन का प्रयास किया जा रहा था...
बहरहाल हमारे यहां करीब 21 साल से हिंदू राज्य क सपना
साकार हो रहा है.. हिंदू सनातन धर्म को ईमानदारी पूर्ण तरीके से लागू करने का युद्ध भी इन दिनों चल रहा है.. लेकिन शहडोल के संभाग मुख्यालय स्थित मोहन राम मंदिर में 12 साल बीत जाने के बाद भी न्यायपालिका, कार्यपालिका से यह अपेक्षा नहीं कर पा रही है कि उसके आदेश का पालन हो सके... ऐसा नहीं है कि कार्यपालिका आदेश का पालन नहीं करना चाहती किंतु कहा यह जाता है कि विधायिका, न्यायपालिका के आदेश को अप्रत्यक्ष तौर पर पालन नहीं करने दे रही है... यही कारण है की 2012 का आदेश अपने पालन के लिएदर-दर ठोकर रहा है... और जब भी कार्यपालिका में कोई ईमानदार अधिकारी स्वयं को "जिंदा हूं.." रखने का प्रयास करता है तो उसके जमीर को नेस्तनाबूद करने के लिए हिंदुओं का तथाकथित समूह धर्म का नकाब पहनकर दीवार बनकर खड़ा हो जाता है...
और अंततः अधिकारी हथियार डाल देता है. इस बार भी वही होता दिख रहा है.. 13 जून 2024 को अंतिम बार शहडोल के अनुविभागी अधिकारी अरविंद शाह (आईएएस) ने फिर प्रयास किया की न्यायपालिका को गर्व कर सके की कार्यपालिका अपने जिम्मेदारी को कर्तव्य निष्ठा समझकर कार्रवाई कर रही है...; और कर सकती है.. किंतु कथित रूप से विधायिका ने उसके हाथ पैर बांध दिए और वे अंततः लगभग अपराधी हो चुके समूह के सामने हथियार डाल दिए.... और 2012 का आदेश फिर एक बार ठंडे बस्ती में डाल दिया गया...
क्योंकि जैसे संभल के प्रशासन के सामने एक भीड का सामना करने में करीब 5 आदमी की मौत हो गई इस तरह प्रशासन भयभीत होकर शहडोल की भीड़-तंत्र को चुनौती नहीं देना चाहता... क्योंकि प्रशासन को मालूम है अगर मुसलमान का भीड़-तंत्र जो मुट्ठी भर हैं वह खतरनाक है तो जो हिंदुओं का भीड़ तंत्र सत्ता में है वह उसे कहीं का नहीं छोड़ेगा... और इसी भय से आज तक मध्य प्रदेश हाई कोर्ट न्यायपालिका का आदेश विधायिका के अप्रत्यक्ष दबाव में लगभग मृत अवस्था में पड़ा हुआ है... किंतु वह मरा नहीं है क्योंकि हाई कोर्ट आदेश को आशा है कि कोई तो होगा ..जो आएगा और उसे जिंदा करके उसके अधिकार सौंप कर आदेश का पालन कर न्यायपालिका को बता सकेगा की टाइगर अभी जिंदा है…..
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