गुरुवार, 30 जुलाई 2020
यह देश पागल क्यों नहीं हो रहा है.....?
बुधवार, 29 जुलाई 2020
तेरा तुझको अर्पण... 100 साल पहले, गांधी की ताकत को कमजोरी में बदलता आज का लोकतंत्र (त्रिलोकीनाथ)
मंगलवार, 28 जुलाई 2020
मन का तंज...1 आईसीआई का पहला वैध आत्मनिर्भर उपभोक्ता सेंटर बनेगा भोपाल में , कलेक्टर भोपाल की नई खोज (त्रिलोकीनाथ)
मन का तंज...1
"आईसीआई" का पहला वैध आत्मनिर्भर उपभोक्ता सेंटर बनेगा भोपाल में
(त्रिलोकीनाथ)
इंडियन कोरोना इंडस्ट्रीज (आईसीआई) यह बड़े लोगों की भाषा है आम आदमी की भाषा में भारत में जो कोरोनावायरस फैला है उसका औद्योगिकरण जैसा हुआ है। उससे एक अदृश्य इंडियन-कोरोना-इंडस्ट्रीज का जिस रफ्तार में विकास हुआ है भारत के ही नहीं दुनिया के किसी भी मुल्क में इतना तेजी से विकास नहीं हुआ हो सकता है।
औद्योगीकरण के क्षेत्र में अन्य क्षेत्र में घाटा हुआ हो किंतु आईसीआई ने जो डर पैदा किया है इस देश में और इस देश की डरपोक जनता ने इस डर को जितना आत्मनिर्भर बनने में मदद किया है उसके नतीजे आईसीआई के पक्ष में बनने लगे हैं ...।दुनिया में यह बात अभी तय नहीं हुई है कि अगर कोरोनावायरस का टीका / वैक्सीन बनेगी तो किन सर्वोच्च लोगों को प्राथमिक क्रम से बांटा जाएगा।बहराल भारत में मध्यप्रदेश ही पहला ऐसा राज्य था जहां आईसीआई का सफल प्रयोग हुआ है ।अब इसी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की कलेक्टर ने सफलता पूर्ण तरीके से आईसीआई से पैदा होने वाले उपभोक्ताओं के लिए भोपाल के होटलों को क्वॉरेंटाइन करने की जगह के लिए तलाश किया है । आप अपनी आर्थिक क्षमता के हिसाब से चुन सकते हैं कि आप कहां क्वॉरेंटाइन होना चाहेंगे। वैसे अघोषित तौर पर दिल्ली में यह बात स्पष्ट रूप से प्रकट हुई थी कि वहां के हॉस्पिटल तेरह से पंद्रह लाख रुपये एक बिस्तर मरीज उपभोक्ता को ब्लैक में बेच रहे थे चुकी वहां के कलेक्टर ने इसे वैध करार नहीं किया था तो हल्ला मच गया तो वातावरण चेंज हो गया किंतु अब जो खबर आ रही है भोपाल से उसे क्योंकि कलेक्टर ने वैधानिक जामा पहनाने का काम किया है इसलिए वह वैध रूप से मानी जाएगी।
आईसीआई मैं प्रभावित होने वाले व्यक्तियों या उपभोक्ताओं के लिए खुशी की खबर है उन्हें 14 दिन सरकारी त्रासदी पूर्ण जीवन में नहीं बिताने पड़ेंगे और गरीब तो कीड़े मकोड़े हैं आईसीआई के गरीब उपभोक्ताओं को सिर्फ मार्केटिंग डर का बाजार बनाने की प्रयोग में लाया जाएगा। कुछ इस प्रकार की मनसा इस फैसले में प्रगट होती है ... बहरहाल,
"जो दैनिक भास्कर की जो खबर है पहले वह जान लेते हैं
जिला कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को क्वारैंटाइन होना जरूरी है। उन्होंने कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों के क्वारैंटाइन की व्यवस्था की है। इसके लिए पेड क्वारैंटाइन सेंटर की व्यवस्था कुछ होटल में भी उपलब्ध कराई गई है। इन होटलों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी।
कलेक्टर ने बताया कि शासन स्तर पर क्वारैंटाइन सेंटर में भी सभी के लिए व्यवस्था की गई है। जो कोई अपनी सुविधा अनुसार निजी होटल में क्वारैंटाइन होना चाहते है, उसके लिए स्वयं के व्यय पर चिह्नित होटल में क्वारैंटाइन हो सकते हैं। इसके लिए एसडीएम से संपर्क कर निजी होटल की सूची ली जा सकती है। इनका किराया और व्यवस्थाओं के रेट भी निर्धारित हैं। इस संबंध में भुगतान होटल को करना होगा।
होटल में बनाए क्वारैंटाइन सेंटर में कौन रुक पाएगा ?
ऐसे में सवाल ये है कि एक तरफ जहां कोरोना मरीजों का पूरा इलाज करने का दावा किया जा रहा है, वहीं उनके संपर्क में आए लोग खुद के खर्चे से क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए होटलों में रहेंगे। जबकि राजधानी में प्रशासन ने कई कोविड सेंटर बनाए हैं, जहां पर संक्रमित के संपर्क में आए मरीजों को ठहराया जा रहा है। अब प्रशासन उनकी देखभाल नहीं कर पा रहा है, इसलिए नया तरीका ईजाद कर रहा है।
मंगलवार को ही आरजीपीवी में बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में लोगों ने खराब भोजन और गंदगी की शिकायत की थी। जब वह ठीक नहीं हुई तो लोगों ने हंगामा कर दिया। ऐसी शिकायतें हर रोज क्वारैंटाइन सेंटरों से आ रही हैं। सवाल ये भी है कि होटलों में बनाए गए सेंटर का किराया आम लोग कैसे भर पाएंगे।"
यदि करीब 4 माह बाद एक आईएएस कि दिमाग में यह प्रयोग आया है तो निश्चित तौर पर 4 महीने पहले भी भारत की बौद्धिक संपदा धारी व्यक्तियों के दिमाग में प्रयोग आ सकता था... कि विदेश से जो आईसीआई का प्रोडक्ट कोविड-19 बीमारी लाया जा रहा है उन्हें जो बड़े आदमी हैं ऐसी ही होटलों में जहां यह जिस देश में हैं उन्हें उन्हीं होटलों में या फिर वहां के राजदूत कार्यालय में सुरक्षित करके ठीक कर भारत ला सकते थे। अगर ले भी आए तो भारत के ही किसी होटल में उन्हें ठीक करने तक रोक सकते थे, किंतु ऐसा करने से शायद आज आईसीआई का इतना बड़ा विस्तार, इतनी बड़ी जीडीपी और इतनी बड़ी टीआरपी नहीं देती..... भारत में 4 महीने के अंदर ही इतनी बड़ी इंडस्ट्री यह भारतीय राजनेताओं की ऐतिहासिक सफलता का उदाहरण भी है ।
इंडियन कोरोना हमारे मित्र देश रूसी करोना की तरह नहीं जो रुक जाए और ठहर जाए, इसका विकास लगातार तो रहा है इसीलिए "जान है जहान है" उसके नजर में अब "आत्मनिर्भर" क्वॉरेंटाइन सेंटर की खोज भी भोपाल के कलेक्टर ने कर ली है। वह बधाई के पात्र इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अपनी बौद्धिक क्षमता का संपूर्ण उपयोग किया है ।
कोई जरूरी नहीं कि लोकतंत्र में लोकहित की गारंटी का पालन किया ही जाए, "लोकहित" जनतंत्र में संविधान की बड़ी त्रुटि थी, हमारे राजनेताओं ने जो गलतियां की हैं उनका सुधार, संवैधानिक-संशोधन राज्यसभा में पूर्ण बहुमत आने के तत्काल बाद कर लिया जाएगा।
और इस प्रकार एक गौरवशाली आत्मनिर्भर भारत की घोषणा भी हो जाएगी।
कोरोना काल में धर्म का नकाब धर्म ध्वजा की तरह लहराएगा। जिसका शिलान्यास राम जन्मभूमि मंदिर के नाम पर अयोध्या में पूरे जश्न के साथ शीर्ष आमंत्रित उपस्थित विशिष्ट लोगों के मध्य होगा। जिन्हें आईसीआई का निमंत्रण मिलेगा...
यही लोकतंत्र है वर्तमान भारत का...
और यही आत्मनिर्भरता है....
इसे ही जान है जहान है....
कहा जाता है
सबका साथ सबका विकास का मूल मंत्र भी जिन लोगों के लिए गढ़ा गया है वह सब अयोध्या में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिंदुत्व के राम की स्थापना के साथ काम प्रारंभ करेंगे... और उनका हेड क्वार्टर बनाएंगे।
इस हेड क्वार्टर में हमारे भोपाल के कलेक्टर का निमंत्रण है या नहीं यह सूची आने के बाद पता चलेगा। तब तक आत्मनिर्भर भारत में अमीर आईसीआई उपभोक्ताओं के लिए "चिरायु" जैसी सुविधा की आप अनुमान ही लगा सकते हैं।
बधाई हो इस देश के अमीर आईसीआई उपभोक्ताओं को.।
वाह रे मेरे देश.....
वाह मेरे देश के नेता...,
सचमुच में हिंदुत्व को अब गर्व हो रहा है।
किंतु मैं सनातन धर्मी हूं ,हिंदू नहीं। इसलिए थोड़ा निराश हूं।
आशा करता हूं हिंदू बन जाऊं.......
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सोमवार, 27 जुलाई 2020
सवाल रहस्य में मौतों के न्याय का..... (त्रिलोकीनाथ)
रहस्य में मौतों को क्या मिलेगा न्याय.....?
जस्टिस लोढ़ा के बाद न्यायाधीश महेंद्रत्रिपाठी की मौत ने न्यायपालिका में भरी दहशत.....
(त्रिलोकीनाथ)
संवेदना और विश्वास के संकट भरे माहौल में
शहडोल जिले के निवासी महेंद्र त्रिपाठी
और उनके बड़े लड़के की इस प्रकार से हुई मृत्यु ने न्यायपालिका को हिला दिया है इसके पहले बहुचर्चित जस्टिस लोढ़ा की मौत ने भी अब तक अपने रहस्य में मृत्यु की चादर पर कोई खुलासा नहीं कर पाए जस्टिस लोया की मृत्यु मे हलांकि उनके परिवार के लोग सामने आकर उसे स्वाभाविक मौत का रूप दे रहे थे। लेकिन आम जनमानस है इसको मानने को तैयार नहीं। चुंकि उच्चतम न्यायालय फिर जस्टिस की मौत रहस्य में परिस्थितियों में कि धुंध में बरकरार हैं। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि एडीजे महेंद्र की मौत का खुलासा पारदर्शी होगा तो आइए जानते हैं समाचार सूत्र एडीजे की मृत्यु को किस प्रकार बता रहे हैंस्रोत-"(इरशादहिंदुस्तानी/बैतूल:) बैतूल के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश महेंद्र कुमार त्रिपाठी एवं उनके बेटे अभियनराज मोनू की मौत हो गई है. जज पिता और पुत्र की अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मजिस्ट्रेट और उनके बेटे की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद जिला प्रशासन में हड़कम्प मच गया है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक एडीजे महेंद्र कुमार त्रिपाठी की रविवार सुबह इलाज के दौरान एलिक्सिस अस्पताल में मृत्यु हो गई, जबकि पुत्र ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया.
बैतूल की अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रद्धा जोशी के मुताबिक जज पिता और उनके पुत्र को बीते 23 तारीख को पाढर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वहां दोनों को फूड पॉइजनिंग (Food Poisoning) होने की बात पता चली. दोनों की हालत बिगड़ने पर उन्हें नागपुर रेफर किया गया था. अस्पताल ले जाते समय बेटे की रास्ते में ही मौत हो गई, जबकि जज पिता ने अस्पताल में दम तोड़ा. इस मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. एएसपी के मुताबिक मजिस्ट्रेट महेंद्र कुमार त्रिपाठी और उनके बेटे की 20 जुलाई की तारीख भोजन करने के बाद हालत बिगड़ी.
पुलिस को संदेह है कि मजिस्ट्रेट और उनके बेटे परिवार ने जो चपातियां खाई थीं उससे उन्हें फूड पॉइजनिंग हुई. मजिस्ट्रेट और उनके दोनों पुत्रों ने ही चपातियां खाई थीं, जबकि उनकी पत्नी ने चपाती नहीं खाई थी. एएसपी ने बताया कि पुलिस इस मामले में मजिस्ट्रेट के घर में रखे आटे की सैम्पलिंग करेगी, वहीं बिसरा भी जांच के लिए भेजा जाएगा. मजिस्ट्रेट पिता और उनके पुत्र के शवों का पोस्टमार्टम नागपुर में ही किया जा रहा है. एसडीओपी विजय पुंज ने बताया कि मजिस्ट्रेट परिवार से उन्हें जानकारी मिली है कि न्यायालय में या सर्किट हाउस के पास किसी परिचित ने उन्हें आटा दिया था, जिसे घर जाकर रोटियां बनाई गई थीं.
इधर कोतवाली और गंज टीआई मजिस्ट्रेट के आवास पर जांच के लिए पहुंचे. नौकर के मुताबिक मजिस्ट्रेट की पत्नी और उनके दोनों बेटे कुछ दिन पहले ही इंदौर से आए थे. उस रात खाना मजिस्ट्रेट की पत्नी ने ही बनाया था. पुलिस ने मजिस्ट्रेट के आवास से आटे की थैली, इलाज में उपयोग की गई इंजेक्शन की सिरिंज जब्त की है. खबर है कि मजिस्ट्रेट पिता और उनके बेटे के शवों को बैतूल न लाकर उनके गृह ग्राम ले जाया जाएगा. इस मामले में मजिस्ट्रेट का परिवार महाराष्ट्र के नागपुर स्थित मानपुरा थाने में हत्या का मामला दर्ज कराया है. एडीजे महेंद्र कुमार त्रिपाठी मूलत: शहडोल जिले के धनपुरी क्षेत्र के निवासी थे."
वर्तमान लोकतांत्रिक प्रणाली में क्या अपर जिला सत्र न्यायाधीश महेंद्रत्रिपाठी और उसके परिवार को क्या न्याय मिल पाएगा....? यह एक संशय भरा प्रश्न है। क्योंकि मध्य प्रदेश की सीमा में या फिर कहना चाहिए महाराष्ट्र के थाने के अंतर्गत एडीजे महेंद्र की पत्नी ने रिपोर्ट किया है।
हालांकि वर्तमान में जो लोकतांत्रिक संकट चल रहा है उसमें सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका की अपना ही सांगठनिक ढांचा है जिसमें वह स्वतंत्रता से न्याय दिला सपने की दावा कर सकता है।
न्याय चाहे एडीजे महेंद्र त्रिपाठी की रहस्यमई मौत का हो अथवा न्याय, कानपुर वाले विकास दुबे की रहस्यमई मौत का हो....।
चुंकी महेंद्र त्रिपाठी न्यायाधीश थे या फिर विकास दुबे हत्या का आरोपी था दोनों ही मानव हैं और मानवीय संवेदना के साथ लोकतांत्रिक मौलिक अधिकार में पारदर्शी न्याय अत्यावश्यक है। महेंद्र त्रिपाठी की मृत्यु का अधिक खतरनाक संवेदन सील स्वरूप पहली खबर में आया था जब बताया गया की "प्रसाद" खाने के कारण पिता-पुत्र की मृत्यु हो गई थी। संवेदना इस बात की थी कि धर्म में ईश्वर का प्रसाद पूरी आस्था के साथ और विश्वास करके कोई भी व्यक्ति प्रसाद खाता है। यदि घर पहुंचा कर भगवान का प्रसाद धार्मिक वातावरण में न्यायधीश को खिलाया जाएगा और उसका परिवार मृत्यु तक संवेदना से हिल जाएगा तब मानवीय संवेदना में सुरक्षा की भावना कैसे स्थापित रह पाएगी...?
क्योंकि धार्मिक श्रद्धा और भावनाओं को भड़का कर हमारे देश में इतना ज्यादा धंधा हो चुका है की प्रसाद में जहर मिलाकर के खाने की बात ईश्वर के अस्तित्व पर एक सिरे से अविश्वास करने का संदेश था।
इरशाद हिंदुस्तानी की इस समाचार से राहत मिली है कि जहर "प्रसाद" में चढ़कर नहीं आया था बल्कि आटे में चढ़कर आया था। और यह है मौत के धंधे में एक संतोषजनक खबर जस्टिस लोया के मामले में मौत किस पर चढ़कर आई थी न्यायपालिका के लिए अभी भी यह एक खतरनाक रहस्य है।
देखते हैं एडीजे महेंद्र त्रिपाठी और उनके पुत्र की मृत्यु के मामले में क्या हमारा लोकतंत्र न्याय की गारंटी पारदर्शी तरीके से दिखा पाता है.... या फिर जस्टिस लोया की तरह न्यायपालिका को भयभीत करने के एक हथियार मात्र साबित होता है...। क्योंकि बार-बार यह साबित होना की न्यायपालिका के जज को भी हत्या की जा सकती है हमारी लोकतांत्रिक संवैधानिक ढांचे पर बड़ा प्रहार है.....Add caption
रविवार, 26 जुलाई 2020
यथा राजा - तथा प्रजा -क्या गैर कानूनी लौटे ललित पांडे...? (त्रिलोकीनाथ)
17 चीन का भारत... बेशर्म राजनीति को नहीं है चिंता( त्रिलोकीनाथ)
संक्रमित चीन बन गए हैं। पूरे भारत में 17 चीन के बराबर संक्रमित व्यक्ति दर्ज हैं। वर्ल्डोमीटर के आंकड़ों के अनुसार भारत तीसरे नंबर में तो चीन 26 में नंबर में संक्रमित राष्ट्रों की श्रेणी में स्थापित है। भारत में रिकवरी रेट करीब 9लाख पार है और इस बीमारी से मृत व्यक्तियों की संख्या 32000 से ज्यादा है हमारा पड़ोसी रूस 8लाख से ज्यादा मरीजों के साथ चौथे स्थान पर है। वहां मृत व्यक्तियों की संख्या 13 हजार से ज्यादा है।
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शनिवार, 25 जुलाई 2020
8:00 गांधी चौक में बंद हो गई दुकाने अनलॉक फर्स्ट सैटरडे
गुरुवार, 23 जुलाई 2020
अहम् ब्रह्मास्मि-2 क्या ब्रह्म-हत्या का पाप कटेगा...? हे राम (त्रिलोकीनाथ)
अहम् ब्रह्मास्मि-1
हे राम......
क्या इससे
ब्रह्म- हत्या
का पाप
कटेगा...?
भारतीय सनातन पद्धति में सनातन धर्म हिंदू की
धार्मिक पुनर्स्थापना का इतिहास शंकराचार्य के चार मठों से
हुआ.., यह बात यदि कोई हिंदू है तो उसे मालूम है |
इसी में मठप्रमुख जगतगुरु
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का
नाम हमेशा चर्चा मे रहा| उन्होंने
कहा है कि यदि अयोध्या के राम
मंदिर की स्थापना वैदिक ज्योतिष
गणना के आधार पर नहीं होती है
तो वह राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का
एक कार्यालय मात्र
है ..|
तो क्या जिस
प्रकार से राम मंदिर
अयोध्या के
निर्माण की प्रक्रिया का शुभारंभ की
बात उठ रही है वह सिर्फ उत्तरभारत का संघ
-कार्यालय मात्र होगा...? जहां “रामलला” हिंदुत्व
के ब्रांड होंगे| यह बात मंथन की है|
तो यदि अच्छे दिन आ ही गए हैं रामलला के..., तो क्या सनातन धर्म की आधुनिकीकरण का संघ-कार्यालय के रूप में पुनरुद्धार भी हुआ है..? जैसे भारतीय जनता पार्टी का दिल्ली स्थित, हाईटेक कार्यालय| जिसमें सिर्फ दो मूर्तियां दिखती हैं
एक अमित शाह की और दूसरी सामने दिखने वाली नरेंद्र मोदी की..| क्या इसी का एक तरीका रामलला मंदिर के नाम पर संघ कार्यालय अपनी अघोषित सत्ता की स्थापना करेगा....|, जहां से वह हिंदुत्व का ब्रांड को और आगे ले जाने के लिए लोकतंत्र में मंदिर का “प्रोपेगेंडा विश्वविद्यालय” स्थापित करें|और वही उनके
तो राजनीत का अखाड़ा बन चुकी अयोध्या की राममंदिर मैं जो भी आस्थावान सनातन धर्म में हिंदू धर्म को मानने वाला व्यक्ति होगा वह क्यों राममंदिर के इस भवन में आस्था रखता आएगा..| अगर वह जैसा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि “संघ का कार्यालय” मात्र है, बनता है तो यह सही है कि इसमें आधुनिक भारत की सांस्कृतिक-मंदिर का स्वरूप चमकेगा.. जो लोग हिंदुत्व-ब्रांड के मंदिर के लिए काम करते हैं उनका मुख्यालय इस प्रकार से भी हो सकता है...|
यदि सनातन प्रक्रिया से स्थापित जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और उनकी बातों को खारिज किया जाता है की ज्योतिष गणना के दृष्टिकोण से मंदिर तिथि का निर्माण उचित नहीं है... बैरहाल आर एस एस की अपने तरीके का रामजन्मभूमि का भवन के निर्माण की प्रक्रिया चालू होगी तो उसमें भारत के सबसे ज्यादाकट्टर हिंदुत्व चेहरा बने शिवसेना के लोगों को भी आहूत किया जाएगा इसमें लेकर संदेह है
तो क्या त्रेता युग के राम की जन्मभूमि अयोध्या, कलयुग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर भारत में कार्यालय बन जाएगा..? यह एक चिंतनीय विषय है| यह अलग बात है कि जिस प्रकार से अलग-अलग प्रकार के धर्मशाला में मंदिर और भगवान की मूर्तियां स्वागत में लगी रहती हैं अयोध्या में बाल-राम की एकमात्र मूर्ति होगी| यह त्रेतायुग से कलयुग का भगवान राम के वनवास यात्रा का प्रमाण भी होगा| जो रामराज्य की कल्पना का प्रतिबिंब भी करेगा|
तो क्या राम-लक्ष्मण और सीता आज भी बनवास पर हैं...? क्या वे किसी रावण से मुक्ति के प्रयास में छटपटा रहे हैं..., जी हां यह बात उठ भी रहे.. अगर भारत का सत्ता-धीश, राम जन्मभूमि मैं अपनी जीत का डंका पीट रहा है तो दुनिया में एकमात्र हिंदू राष्ट्र (अंतिम) रहे नेपाल के सत्ता ने प्रश्न खड़ा कर दिया है, कि भगवान राम “नेपाली” थे...?
हालांकि वह अकेले ऐसे नहीं है, भारत के अंदर ही छत्तीसगढ़ में अपने चित्रकूट हैं और अपने ही राम की स्मृतियां हैं... राम अयोध्या में जन्मे थे किंतु ओरछा का रामराजा आज भी विद्यमान है| आज भी सनातन तरीके से वहां कार्यपद्धती होते हैं, यह अलग बात है कि अयोध्या के बाद क्या ओरछा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राम का ब्रांड बनता है..?बहरहाल संपूर्ण व स्वतंत्र
निष्पक्ष परमब्रह्म मर्यादा
पुरुषोत्तम राम हमेशा चर्चा के
केंद्र में रहेंगे... क्योंकि राजनीति ब्राह्मणों की हत्या का बोझ झेल
रही है.. खासतौर से उत्तरप्रदेश में सामूहिक रूप से तथाकथित
अपराधियों के समूह जिसमें सभी ब्राह्मण थे उनकी हत्या का
आरोप भगवाधारी मुख्यमंत्री और वह भी सन्यासी बताने वाले स्वयं
को आदित्यनाथ योगी पर यह आरोप पूरे भारत के जनमानस को
हिला कर रख दिए हैं... क्योंकि अगर यह सभी ब्राह्मण हत्यारे थे, 8
पुलिस वालों के.. उनका न्याय पुलिस वालों और सब गिरोह ने
मिलकर हत्या करके कैसे कर दिया....? और जब ब्राह्मण-
हत्यारे.., यह “प्रोपेगेंडा” बर्दाश्त नहीं हुआ भगवान राम का
जन्मभूमि में असमय ही जन्म कराने का काम हिंदुत्व की सत्ता
फिर करने लगे.. यह कोई नई बात नहीं है... क्या इससे ब्रह्म-हत्या
का पाप कटेगा...?
"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )
मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...
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एक पखवाड़े बाद अराजकता पूर्ण माफिया गिरी के पूरे 2 वर्ष हो जाएंगे ,जब बरही- मैहर सड़क मार्ग पर अरबों रुपए से निर्मित पुल पर आवा...
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दैनिक राष्ट्रीय समाचार पत्र जनसत्ता नई दिल्ली के 40 साल के इतिहास में शायद यह पहला अवसर होगा जब शहडोल का नाम संपादकीय में लिखा गया होगा। अप...
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कई सदी के बाद उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलने के पश्चात अपने जन्म स्थान पर एक भव्यतम अर्ध निर्मित राम मंदिर में पूर्व में स्थापित श्री रामलल...