अहम् ब्रह्मास्मि-1
हे राम......
क्या इससे
ब्रह्म- हत्या
का पाप
कटेगा...?
भारतीय सनातन पद्धति में सनातन धर्म हिंदू की
धार्मिक पुनर्स्थापना का इतिहास शंकराचार्य के चार मठों से
हुआ.., यह बात यदि कोई हिंदू है तो उसे मालूम है |
इसी में मठप्रमुख जगतगुरु
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का
नाम हमेशा चर्चा मे रहा| उन्होंने
कहा है कि यदि अयोध्या के राम
मंदिर की स्थापना वैदिक ज्योतिष
गणना के आधार पर नहीं होती है
तो वह राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का
एक कार्यालय मात्र
है ..|
तो क्या जिस
प्रकार से राम मंदिर
अयोध्या के
निर्माण की प्रक्रिया का शुभारंभ की
बात उठ रही है वह सिर्फ उत्तरभारत का संघ
-कार्यालय मात्र होगा...? जहां “रामलला” हिंदुत्व
के ब्रांड होंगे| यह बात मंथन की है|
तो यदि अच्छे दिन आ ही गए हैं रामलला के..., तो क्या सनातन धर्म की आधुनिकीकरण का संघ-कार्यालय के रूप में पुनरुद्धार भी हुआ है..? जैसे भारतीय जनता पार्टी का दिल्ली स्थित, हाईटेक कार्यालय| जिसमें सिर्फ दो मूर्तियां दिखती हैं
एक अमित शाह की और दूसरी सामने दिखने वाली नरेंद्र मोदी की..| क्या इसी का एक तरीका रामलला मंदिर के नाम पर संघ कार्यालय अपनी अघोषित सत्ता की स्थापना करेगा....|, जहां से वह हिंदुत्व का ब्रांड को और आगे ले जाने के लिए लोकतंत्र में मंदिर का “प्रोपेगेंडा विश्वविद्यालय” स्थापित करें|और वही उनके
तो राजनीत का अखाड़ा बन चुकी अयोध्या की राममंदिर मैं जो भी आस्थावान सनातन धर्म में हिंदू धर्म को मानने वाला व्यक्ति होगा वह क्यों राममंदिर के इस भवन में आस्था रखता आएगा..| अगर वह जैसा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि “संघ का कार्यालय” मात्र है, बनता है तो यह सही है कि इसमें आधुनिक भारत की सांस्कृतिक-मंदिर का स्वरूप चमकेगा.. जो लोग हिंदुत्व-ब्रांड के मंदिर के लिए काम करते हैं उनका मुख्यालय इस प्रकार से भी हो सकता है...|
यदि सनातन प्रक्रिया से स्थापित जगतगुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और उनकी बातों को खारिज किया जाता है की ज्योतिष गणना के दृष्टिकोण से मंदिर तिथि का निर्माण उचित नहीं है... बैरहाल आर एस एस की अपने तरीके का रामजन्मभूमि का भवन के निर्माण की प्रक्रिया चालू होगी तो उसमें भारत के सबसे ज्यादाकट्टर हिंदुत्व चेहरा बने शिवसेना के लोगों को भी आहूत किया जाएगा इसमें लेकर संदेह है
तो क्या त्रेता युग के राम की जन्मभूमि अयोध्या, कलयुग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उत्तर भारत में कार्यालय बन जाएगा..? यह एक चिंतनीय विषय है| यह अलग बात है कि जिस प्रकार से अलग-अलग प्रकार के धर्मशाला में मंदिर और भगवान की मूर्तियां स्वागत में लगी रहती हैं अयोध्या में बाल-राम की एकमात्र मूर्ति होगी| यह त्रेतायुग से कलयुग का भगवान राम के वनवास यात्रा का प्रमाण भी होगा| जो रामराज्य की कल्पना का प्रतिबिंब भी करेगा|
तो क्या राम-लक्ष्मण और सीता आज भी बनवास पर हैं...? क्या वे किसी रावण से मुक्ति के प्रयास में छटपटा रहे हैं..., जी हां यह बात उठ भी रहे.. अगर भारत का सत्ता-धीश, राम जन्मभूमि मैं अपनी जीत का डंका पीट रहा है तो दुनिया में एकमात्र हिंदू राष्ट्र (अंतिम) रहे नेपाल के सत्ता ने प्रश्न खड़ा कर दिया है, कि भगवान राम “नेपाली” थे...?
हालांकि वह अकेले ऐसे नहीं है, भारत के अंदर ही छत्तीसगढ़ में अपने चित्रकूट हैं और अपने ही राम की स्मृतियां हैं... राम अयोध्या में जन्मे थे किंतु ओरछा का रामराजा आज भी विद्यमान है| आज भी सनातन तरीके से वहां कार्यपद्धती होते हैं, यह अलग बात है कि अयोध्या के बाद क्या ओरछा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राम का ब्रांड बनता है..?बहरहाल संपूर्ण व स्वतंत्र
निष्पक्ष परमब्रह्म मर्यादा
पुरुषोत्तम राम हमेशा चर्चा के
केंद्र में रहेंगे... क्योंकि राजनीति ब्राह्मणों की हत्या का बोझ झेल
रही है.. खासतौर से उत्तरप्रदेश में सामूहिक रूप से तथाकथित
अपराधियों के समूह जिसमें सभी ब्राह्मण थे उनकी हत्या का
आरोप भगवाधारी मुख्यमंत्री और वह भी सन्यासी बताने वाले स्वयं
को आदित्यनाथ योगी पर यह आरोप पूरे भारत के जनमानस को
हिला कर रख दिए हैं... क्योंकि अगर यह सभी ब्राह्मण हत्यारे थे, 8
पुलिस वालों के.. उनका न्याय पुलिस वालों और सब गिरोह ने
मिलकर हत्या करके कैसे कर दिया....? और जब ब्राह्मण-
हत्यारे.., यह “प्रोपेगेंडा” बर्दाश्त नहीं हुआ भगवान राम का
जन्मभूमि में असमय ही जन्म कराने का काम हिंदुत्व की सत्ता
फिर करने लगे.. यह कोई नई बात नहीं है... क्या इससे ब्रह्म-हत्या
का पाप कटेगा...?
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