मन का तंज...1
"आईसीआई" का पहला वैध आत्मनिर्भर उपभोक्ता सेंटर बनेगा भोपाल में
(त्रिलोकीनाथ)
इंडियन कोरोना इंडस्ट्रीज (आईसीआई) यह बड़े लोगों की भाषा है आम आदमी की भाषा में भारत में जो कोरोनावायरस फैला है उसका औद्योगिकरण जैसा हुआ है। उससे एक अदृश्य इंडियन-कोरोना-इंडस्ट्रीज का जिस रफ्तार में विकास हुआ है भारत के ही नहीं दुनिया के किसी भी मुल्क में इतना तेजी से विकास नहीं हुआ हो सकता है।
औद्योगीकरण के क्षेत्र में अन्य क्षेत्र में घाटा हुआ हो किंतु आईसीआई ने जो डर पैदा किया है इस देश में और इस देश की डरपोक जनता ने इस डर को जितना आत्मनिर्भर बनने में मदद किया है उसके नतीजे आईसीआई के पक्ष में बनने लगे हैं ...।दुनिया में यह बात अभी तय नहीं हुई है कि अगर कोरोनावायरस का टीका / वैक्सीन बनेगी तो किन सर्वोच्च लोगों को प्राथमिक क्रम से बांटा जाएगा।बहराल भारत में मध्यप्रदेश ही पहला ऐसा राज्य था जहां आईसीआई का सफल प्रयोग हुआ है ।अब इसी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की कलेक्टर ने सफलता पूर्ण तरीके से आईसीआई से पैदा होने वाले उपभोक्ताओं के लिए भोपाल के होटलों को क्वॉरेंटाइन करने की जगह के लिए तलाश किया है । आप अपनी आर्थिक क्षमता के हिसाब से चुन सकते हैं कि आप कहां क्वॉरेंटाइन होना चाहेंगे। वैसे अघोषित तौर पर दिल्ली में यह बात स्पष्ट रूप से प्रकट हुई थी कि वहां के हॉस्पिटल तेरह से पंद्रह लाख रुपये एक बिस्तर मरीज उपभोक्ता को ब्लैक में बेच रहे थे चुकी वहां के कलेक्टर ने इसे वैध करार नहीं किया था तो हल्ला मच गया तो वातावरण चेंज हो गया किंतु अब जो खबर आ रही है भोपाल से उसे क्योंकि कलेक्टर ने वैधानिक जामा पहनाने का काम किया है इसलिए वह वैध रूप से मानी जाएगी।
आईसीआई मैं प्रभावित होने वाले व्यक्तियों या उपभोक्ताओं के लिए खुशी की खबर है उन्हें 14 दिन सरकारी त्रासदी पूर्ण जीवन में नहीं बिताने पड़ेंगे और गरीब तो कीड़े मकोड़े हैं आईसीआई के गरीब उपभोक्ताओं को सिर्फ मार्केटिंग डर का बाजार बनाने की प्रयोग में लाया जाएगा। कुछ इस प्रकार की मनसा इस फैसले में प्रगट होती है ... बहरहाल,
"जो दैनिक भास्कर की जो खबर है पहले वह जान लेते हैं
जिला कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों को क्वारैंटाइन होना जरूरी है। उन्होंने कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों के क्वारैंटाइन की व्यवस्था की है। इसके लिए पेड क्वारैंटाइन सेंटर की व्यवस्था कुछ होटल में भी उपलब्ध कराई गई है। इन होटलों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी।
कलेक्टर ने बताया कि शासन स्तर पर क्वारैंटाइन सेंटर में भी सभी के लिए व्यवस्था की गई है। जो कोई अपनी सुविधा अनुसार निजी होटल में क्वारैंटाइन होना चाहते है, उसके लिए स्वयं के व्यय पर चिह्नित होटल में क्वारैंटाइन हो सकते हैं। इसके लिए एसडीएम से संपर्क कर निजी होटल की सूची ली जा सकती है। इनका किराया और व्यवस्थाओं के रेट भी निर्धारित हैं। इस संबंध में भुगतान होटल को करना होगा।
होटल में बनाए क्वारैंटाइन सेंटर में कौन रुक पाएगा ?
ऐसे में सवाल ये है कि एक तरफ जहां कोरोना मरीजों का पूरा इलाज करने का दावा किया जा रहा है, वहीं उनके संपर्क में आए लोग खुद के खर्चे से क्वारैंटाइन सेंटर बनाए गए होटलों में रहेंगे। जबकि राजधानी में प्रशासन ने कई कोविड सेंटर बनाए हैं, जहां पर संक्रमित के संपर्क में आए मरीजों को ठहराया जा रहा है। अब प्रशासन उनकी देखभाल नहीं कर पा रहा है, इसलिए नया तरीका ईजाद कर रहा है।
मंगलवार को ही आरजीपीवी में बनाए गए क्वारैंटाइन सेंटर में लोगों ने खराब भोजन और गंदगी की शिकायत की थी। जब वह ठीक नहीं हुई तो लोगों ने हंगामा कर दिया। ऐसी शिकायतें हर रोज क्वारैंटाइन सेंटरों से आ रही हैं। सवाल ये भी है कि होटलों में बनाए गए सेंटर का किराया आम लोग कैसे भर पाएंगे।"
यदि करीब 4 माह बाद एक आईएएस कि दिमाग में यह प्रयोग आया है तो निश्चित तौर पर 4 महीने पहले भी भारत की बौद्धिक संपदा धारी व्यक्तियों के दिमाग में प्रयोग आ सकता था... कि विदेश से जो आईसीआई का प्रोडक्ट कोविड-19 बीमारी लाया जा रहा है उन्हें जो बड़े आदमी हैं ऐसी ही होटलों में जहां यह जिस देश में हैं उन्हें उन्हीं होटलों में या फिर वहां के राजदूत कार्यालय में सुरक्षित करके ठीक कर भारत ला सकते थे। अगर ले भी आए तो भारत के ही किसी होटल में उन्हें ठीक करने तक रोक सकते थे, किंतु ऐसा करने से शायद आज आईसीआई का इतना बड़ा विस्तार, इतनी बड़ी जीडीपी और इतनी बड़ी टीआरपी नहीं देती..... भारत में 4 महीने के अंदर ही इतनी बड़ी इंडस्ट्री यह भारतीय राजनेताओं की ऐतिहासिक सफलता का उदाहरण भी है ।
इंडियन कोरोना हमारे मित्र देश रूसी करोना की तरह नहीं जो रुक जाए और ठहर जाए, इसका विकास लगातार तो रहा है इसीलिए "जान है जहान है" उसके नजर में अब "आत्मनिर्भर" क्वॉरेंटाइन सेंटर की खोज भी भोपाल के कलेक्टर ने कर ली है। वह बधाई के पात्र इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने अपनी बौद्धिक क्षमता का संपूर्ण उपयोग किया है ।
कोई जरूरी नहीं कि लोकतंत्र में लोकहित की गारंटी का पालन किया ही जाए, "लोकहित" जनतंत्र में संविधान की बड़ी त्रुटि थी, हमारे राजनेताओं ने जो गलतियां की हैं उनका सुधार, संवैधानिक-संशोधन राज्यसभा में पूर्ण बहुमत आने के तत्काल बाद कर लिया जाएगा।
और इस प्रकार एक गौरवशाली आत्मनिर्भर भारत की घोषणा भी हो जाएगी।
कोरोना काल में धर्म का नकाब धर्म ध्वजा की तरह लहराएगा। जिसका शिलान्यास राम जन्मभूमि मंदिर के नाम पर अयोध्या में पूरे जश्न के साथ शीर्ष आमंत्रित उपस्थित विशिष्ट लोगों के मध्य होगा। जिन्हें आईसीआई का निमंत्रण मिलेगा...
यही लोकतंत्र है वर्तमान भारत का...
और यही आत्मनिर्भरता है....
इसे ही जान है जहान है....
कहा जाता है
सबका साथ सबका विकास का मूल मंत्र भी जिन लोगों के लिए गढ़ा गया है वह सब अयोध्या में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हिंदुत्व के राम की स्थापना के साथ काम प्रारंभ करेंगे... और उनका हेड क्वार्टर बनाएंगे।
इस हेड क्वार्टर में हमारे भोपाल के कलेक्टर का निमंत्रण है या नहीं यह सूची आने के बाद पता चलेगा। तब तक आत्मनिर्भर भारत में अमीर आईसीआई उपभोक्ताओं के लिए "चिरायु" जैसी सुविधा की आप अनुमान ही लगा सकते हैं।
बधाई हो इस देश के अमीर आईसीआई उपभोक्ताओं को.।
वाह रे मेरे देश.....
वाह मेरे देश के नेता...,
सचमुच में हिंदुत्व को अब गर्व हो रहा है।
किंतु मैं सनातन धर्मी हूं ,हिंदू नहीं। इसलिए थोड़ा निराश हूं।
आशा करता हूं हिंदू बन जाऊं.......
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