गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

अब तक67 लोगों को शहडोल में मिली राहत राशि

26 कोविड मृतकों के वारिसान को जारी की अनुग्रह राशि

शहडोल 30 दिसम्बर 2021- कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने कोरोना महामारी से मृत्यु होने पर तीसरे चरण पर 26 मृतक के परिजनों को कोविड अनुग्रह राशि स्वीकृत की है। 

बीते दिवस दूसरे चरण में 20 लोगों को और पहले चरण में 21 लोगों को अनुग्रह राशि जारी की जा चुकी है

1- स्व. जोखूलाल नामदेव निवासी 221 सुक्लान टोला, शिव मंदिर के पास ब्यौहारी के वारिसान धमेन्द्र कुमार नामदेव

2- स्व. बद्री प्रसाद पटेल नि. कंचनपुर के वारिसान कौशिल्या बाई पटेल

3- स्व. चन्द्रशेखर यादव ग्राम झगरहा वार्ड नं. 5 शंकर मंदिर के पास पोस्ट  अमलाई के वारिसान महेश कुमार यादव

4- स्व. विष्णु दत्त तिवारी ग्राम चंगेरा पो. कुबरा थाना जयसिंहनगर के वारिसान गीता देवी

5- स्व. प्रेमदास पटेल नि. मझौली पो. मलया तह. जैतपुर के वारिसान गंगा प्रसाद पटेल

6- स्व. लल्ली बाई पति स्व. वंशरूप नि. जयसिंहनगर वार्ड 3 थाना तहसील जयसिंहनगर के वारिसान प्रीती केवट

7- स्व. राम राकेश बैंगा ग्राम 27 मझौली ज.पं. बुढ़ार शहडोल के वारिसान फूल बाई बैगा

8- स्व. सतीष रजक वार्ड न. 4 शहडोल छोटी मस्जिद के पास सोहागपुर के वारिसान रजनी रजक

9- स्व. श्यामदास गुप्ता वार्ड नं. 4 सोहागपुर के वारिसान संजय गुप्ता

10- स्व. नूर मोहम्मद ग्राम पो. दियापीपर के वारिसान महरू निशा

11- स्व० प्रसांत द्विवेदी नि. शालू द्विवेदी पति स्व० प्रसांत जयसिंहनगर के वारिसान शालू द्विवेदी

12- स्व०रमेश कुमार वर्मा नि. ग्राम खैरहा के वारिसान जानकी वर्मा

13- स्व. मो. अली नि. लाखेर टोला बुढ़ार वार्ड नं. 12 के वारिसान रूकसाना बेगम

14- स्व. श्री विनोद कुमार काबरा क्वाटर नं. बी-86  ओ.पी. कॉलोनी शहडोल के वारिसान क्षमा कावरा

15- स्व. श्रीमती शकीला बानो पति स्व. करीम खान नि. वार्ड नं. 20 पुरानी बस्ती धनपुरी के वारिसान फहीन खान

16- स्व. महमूद अली नि. ग्रह क्र. 67 वार्ड नं. 3 सोहागपुर शहडोल के वारिसान  शबाना अली

17- स्व. छोटेलाल यादव ग्राम गोरतरा तहसील सोहागपुर के वारिसान  श्रीमती कौषिल्या यादव, 18- स्व. राजेन्द्र कुमार जैन नि. मस्जिद रोड बुढ़ार वार्ड क्रं. 12 के वारिसान संगीता जैन

19-  स्व. चन्द्रकांत गौतम पिता राम सजीवन शर्मा नि. रेल्वे कॉलोनी धनपुरी वार्ड नं. 6 के वारिसान  रामसजीवन शर्मा

20- स्व. मनोज कुमार मिश्रा ग्राम जमुनी पो. सपटा, तह, ब्यौहारी के वारिसान श्रीमती प्रीति मिश्रा

21- स्व. धीरेश प्रताप सिंह नि. चुनिया पो. सिन्दुरी के वारिसान  प्रभाकर सिंह, स्व. शकीला बेगम पतिगुलाम नबी बुढ़ार जिला शहडोल के वारिसान गुलाब नबी, 

22- स्व. अनवर खान नि. वार्ड नं. 6 रेल्वे कॉलोनी द्य धनपुरी नं. 3 सोहागपुर के वारिसान मेहजबीन फातमा

23- स्व. सुन्दर लाल तिवारी नि. देवी मंदिर रोड वाई क्रं. 7 ब्यौहारी के वारिसान सतीष तिवारी,

24- स्व. रुकमणि देवी पति स्व. श्री सावन चौधरी नि. अमराडण्डी धनपुरी द्य पो. अमलाई

25- स्व. लालमणि चौधरी वार्ड नं. 2 बस्ती, ग्राम जमुनिहा, केशवाही पो. केशवाही के वारिसान श्रीमती सोमवती चौधरी,

26- स्व. श्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव नि. 09 पंचायती मंदिर रोड, के वारिसान श्रीमती आभा श्रीवास्तव

 को 50-50 हजार रूपये की कोविड अनुग्रह राशि स्वीकृत की गई है।



बुधवार, 29 दिसंबर 2021

तो ओमिक्रान होगा एक हजार पार

ओमिक्रान से 1000 से

 ज्यादा होंगे संक्रमित


कोविड-19 का वायरस तीसरी लहर पर सवार होकर आज भारत में अपनी संक्रमितों की संख्या 1000 को पार करेगा। उपलब्ध अखबारी आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 का प्रभाव 2021 के अंतिम दिन में ही 11 सौ लोगों से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका होगा। बेहतर हो अपनी सुरक्षा अपने हाथ कोविड से बचाव की पहली शर्त स्वयं की सुरक्षा और सतर्कता है।


छुआछूत भलाई तथाकथित मनुवादी कुप्रथा रही हो वर्तमान में यही एकमात्र प्रदान है तथा सतर्कता की पहली शर्त भी।

अतः भीड़ से बचें अनावश्यक लोगों के संपर्क में ना आएं और शुचिता का पालन करें। स्वयं की सुरक्षा समाज की सुरक्षा है



20 लोगों को मिली अनुग्रह राशि

सुप्रीमकोर्ट निर्देश 

20 कोरोनामृत वारिसों को 


शहडोल में जारी

हुई राहत राशि

शहडोल 29 दिसम्बर 2021- कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने कोरोना महामारी से मृत्यु होने पर 20 मृतक के परिजनों को कोविड अनुग्रह राशि स्वीकृत की है। कलेक्टर ने
1- स्व. बिरझु पटेल ग्राम कंचनपुर पोस्ट लालपुर तहसील सोहागपुर के वारिसान श्रीमती भानमति पटेल पति बिरझु पटेल,
2- स्व. श्रीमती नजबुन निशा के वारिसान पति श्री रफीक बेगनिवासी वार्ड नं. 01/03 सोहागपुर तहसील सोहागपुर,
3-स्व. सलीम खान के वारिसान यकीदा बेगम नि. नया वार्ड नं. 14 एस.पी. बंगला के पीछे शहडोल
4- स्व. राजकिसोर श्रीवास्तव के वारिसान श्रीमती वंदना श्रीवास्तव नि. वार्ड नं. 10 बाणसागर देवलौंद ब्यौहारी,
5- स्व. दीपक चौरसिया निवासी स्टेडियम के पीछे वार्ड नं. 06 पाण्डव नगर शहडोल के वारिसान श्रीमती सत्यभामा चौरसिया,6- स्व0 श्रीमन्नारायण अग्रवाल नि. वार्ड नं. 06 पाण्डव नगर स्टेडियम के पीछे शहडोल के वारिसान श्रीमती उषा अग्रवाल,7- स्व. सुजीत शुक्ला नि. वार्ड नं. 14 घरौला मोहल्ला दीनदयाल बगिया के पीछे सोहागपुर के वारिसान श्रीमती शान्ती शुक्ला,
8- स्व. सुधेश जैन रेल्वे स्टेशन के पास मस्जिद रोड बुढ़ार के वारिसान श्रीमती संध्या जैन,
9- स्व, माबूद अली नि. वार्ड नं. 31 मिठूबाड़ा पत्ता गोदाम के पास शहडोल के वारिसान रसीदा बेगम,
10- स्व. अषोक कुमार शर्मा के वरिसान श्रीमती अरूणा पटेल ग्राम खन्नौधी तह. गोहपारू जिला शहडोल,
11- स्व. शेषमणि पटेल के वारिसान श्रीमती रामकली निवासी नगनौडी जयसिंहनगर,
12- स्व. करूणा देवी श्रीवास्तव के वारिसान केशव प्रसाद श्रीवास्तव नि.वार्ड 4 छोटी अमलाई, धनपुरी नं. 8,
13- स्व. श्री जमुना प्रसाद वर्मन के वारिसान श्रीमती वंदना वर्मन निवासी वार्ड नं. 10 पंचायत मंदिर रोड जैन वीडियो के पास शहडोल,
14- स्व. लल्लू प्रसाद के वारिसान नीतू केवट निवासी ग्राम विरूहली, थाना बुढ़ार, 15- स्व. विष्णु नारायण शुक्ल के वारिसान श्रीमती शिवाली पाण्डेय नि. सिंचाई विभाग के पीछे वार्ड नं. 12 शहडोल,
16- स्व. श्रीमती सुईया गुप्ता के वारिसान श्री रामजियावन गुप्ता ग्राम मलौटी पो. आमडीह थाना तहसील जयसिंहनगर,
17- स्व. श्रीमति उजियरिया कोल पति स्व. रामगोपाल कोल के वारिसान पुत्र दिनेश कुमार कोल नि. धनपुरी हर्रा दफाई वार्ड नं. 15,
18-स्व. धनीराम सोधिया के वारिसान श्रीमती अराधना सोधिया नि. वार्ड 13 न्यू घरौला मोहल्ला शहडोल,
19- प्रीती तिवारी के वारिसान राजेश कुमार तिवारी नि. वार्ड नं. 10 नया वार्ड नं. 13 घरौला मोहल्ला शहडोल,
20-प्रकाश केशरी के वारिसान राजेश प्रसाद गुप्ता वार्ड नं. 15 झण्डा बाजार ब्यौहारी
जिला शहडोल को 50-50 हजार रूपये की कोविड अनुग्रह राशि स्वीकृत की गई है।



मंगलवार, 28 दिसंबर 2021

शहडोल अनूपपुर बनेंगे आयुष वन

 प्राकृतिक औषधी-संपदा से विलुप्त होते जा रहे शहडोल


अनूपपुर में भी बनेंगे आयुष वन

सूत्रों की माने तो वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह ने इस अनूठी पहल की जानकारी देते हुए बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव को चिर-स्थाई बनाने के लिए प्रदेश के 9 जिलों में आयुष वन विकसित किये जायेंगे।  अगले साल पन्ना, भोपाल, गुना, खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, अलीराजपुर, शहडोल और अनूपपुर जिले में 450 हेक्टेयर क्षेत्र में आयुष वन विकसित किए जायेंगे। इसी तरह वर्ष 2023-24 में स्थानीय प्रजातियों और जड़ी-बूटियों का रोपण कराया जाएगा।वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि नर्मदा नदी का उद्गम स्थल अमरकंटक जन-साधारण के लिए आस्था का केन्द्र है। नर्मदा उद्गम स्थल के पास 50 हेक्टेयर क्षेत्र में आयुष वन की स्थापना की जा चुकी है। इस व्यवस्था से औषधि पौधे लगने से पर्यटकों के लिए प्रकृति दर्शन का आकर्षण केन्द्र बनेगा। जैव-विविधता संरक्षण के लिए विभाग द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने की दिशा में जैव-विविधता को बचाना बेहद जरूरी है। उन्होंने विश्वास दिलाया है कि आयुष वन जैसे स्थल पर्यावरण ज्ञान केन्द्र के रूप में उपयोगी होंगे।



सोमवार, 27 दिसंबर 2021

पारदर्शी भ्रष्टाचार पर नोटिस...?

 मामला एसी आदिवासी विभाग

 पारदर्शी भ्रष्टाचार मे


ए.सी. ट्राईबल को मिली नोटिस..?

दो दशक के कौशल की कुशलता 

को भी पड़ेगी चोट

जब से पूर्व सीजेआई सांसद रंजन गोगोई ने भ्रष्टाचार को समाज द्वारा स्वीकार कर लिए जाने की बातें कहीं  गयी हैं तब से भ्रष्टाचार का पारदर्शी होने की अपेक्षा बढ़ती जा रही है। इस दिशा में शहडोल के आदिवासी विभाग ने अपने मील के पत्थर गाढ़े हैं।

एक तृतीय वर्ग कर्मचारी की प्रभारी पूर्व सहायक आयुक्त  के रूप में करोड़ों रुपए का पांडे शिक्षा समिति जयसिंहनगर के नाम पर अवैध भुगतान और उसमें जिला कोषालय अधिकारी की निकासी पर सहमति एक बड़ा उदाहरण है। किंतु समय-समय पर उच्चाधिकारियों के निर्देश कानून व्यवस्था की रक्षा करते भी नजर आते हैं।

 बहरहाल खबर है संभाग के उच्च अधिकारी ने आदिवासी विभाग में निर्देश किया है की लोकायुक्त की जांच और छापों में प्रभावित व कथित रूप से दंडित विनोद बारगाही नाम के कर्मचारियों को जानबूझकर जिम्मेदार प्रमुख पद पर पदस्थ करने के लिए क्यों ना दंडात्मक कार्यवाही की जाए । साथ ही इस मामले में भली-भांति जानकारी रखने वाले करीब दो दशक से एक ही स्थान पर सकुशल पदस्थ कर्मचारी कौशल मरावी के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं ।

एक्शन में अफसर

कमिश्नर शहडोल ने सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को जारी किया कारण बताओ नोटिस

विगत दिवस आरटीआई कार्यकर्ता नरेंद्र सिंह गहरवार की शिकायत पर 


लोकायुक्त द्वारा दण्डित किए गए छात्रावास अधीक्षक बिनोद बरगाही को बनाए जाने का समाचार प्रकाशित किया था जिसमें 24 घंटे के अंदर उक्त आदेश को निरस्त किया गया था तथा कमिश्नर  द्वारा जांच के आदेश दिए थे

संभागीय उपायुक्त द्वारा कि गई जांच के भेजे गए प्रतिवेदन के अनुसार यह पाया गया कि ज़िला कार्यालय के संज्ञान में यह बात थी कि जिस सख्स का आदेश किया जा रहा है वह गबन का आरोपी है इसके बाद भी उसका आदेश किया गया है।

किए गए इस आदेश जारी करने पर सहायक आयुक्त श्री धुर्वे को कमिश्नर के पत्र क्रमांक 4438 दिनांक 23/12/21 द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।यह कोई पहला मामला नहीं है एक अन्य मामले में जिस महिला अधीक्षिका को कमिश्नर द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में छात्रावास से हटाया था उसे फिर से उसी पद पर बिठा दिया गया है।

इसके साथ ही कमिश्नर  के पत्र क्रमांक 4439 दिनांक 23/12/21 के द्वारा छात्रावास शाखा प्रभारी कौशल सिंह मरावी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने हेतु सहायक आयुक्त को लेख किया गया है

खबरयह भी है कि पर्दे के पीछे से तृतीय वर्ग कर्मचारी एमएस अंसारी आज भी सहायक आयुक्त के भ्रष्टाचार संयक्त तमाम निर्णय पर अपनी पकड़ बनाए रखता है और सहायक आयुक्त के वाहन को लेकर जिले के तमाम हॉस्टल अधीक्षकों से संपर्क कर अपनी वर्षों की वसूली के दुकानदारी को अनवरत जारी रखें है। जबकि 2017 में ही इस आशय के निर्देश


दीपाली रस्तोगी द्वारा स्पष्ट तौर पर दिए गए थे की आदिवासी हॉस्टलों में आदिवासी अधीक्षक ही रखे जाएं । चर्चा आम हो चुकी है। करीब दो दशक से आदिवासी विभाग मे हॉस्टलों पर प्रति हॉस्टल 10हजार रुपये की अवैध उगाही और उसका बंदरबांट डीसी कार्यालय तक होने की बातें आम है ।अगर कुछ गैर आदिवासी के नियम विरुद्ध तरीके से हॉस्टल अधीक्षक के रूप में पदस्थापना होती है तो यह राशि 20 से 25हजार प्रतिमाह सुनियोजित तरीके से वसूला जाता है। जो आदिवासी छात्रों की पेट काटकर भ्रष्टाचारियों पारदर्शी तरीके से सिस्टम में बाटा जाता है।

 और यही कारण है कि खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर बैठे हुए या काम कर चुके कुछ चर्चित बी इ ओ के करोड़ों रुपए की भ्रष्टाचार की खबरें आम हो चुकी है। जिसमें एक  निलंबित हो गए ।तो अन्य एक चंदेल की 5 करोड़ रुपए से ज्यादा  रीवा स्थित भव्य भवन की निर्माण की  चर्चा आदिवासी विभाग के भ्रष्टाचार की पारदर्शिता का प्रमाण है। क्योंकि हॉस्टल अधीक्षक के रूप में लोकायुक्त से पकड़े गए या पनिश्ड कर्मचारियों को फिर से गंभीर पदों में लाकर खंड शिक्षा अधिकारी अथवा पूर्व सहायक आयुक्त की मिलीभगत से आदिवासी विभाग में भ्रष्टाचार की पकड़ को और कड़ा किया गया है। ताकि हर माह होने वाली अवैध उगाही को कुशल तरीके से संचालित किया जा सके। 

बहरहाल देखना होगा संभागीय उच्च अधिकारी के कड़ी फटकार के बाद शहडोल सहायक आयुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचारियों पर क्या कोई उठापटक होती है अथवा उन पर ज्यादा वसूली का और दबाव बनाया जाता है ...? 

क्योंकि जब तक  पांडे शिक्षा समिति के करोड़ों रुपए के अवैध भुगतान को करने वाले एमएस अंसारी जैसे लोगों के नेटवर्क से शिकायत कर्ताओ कि शिकायतों की वापसी होती रहेगी, उच्चाधिकारियों की कार्यवाही कितनी प्रभावशाली कहलायेंगे यह वक्त बताएगा। फिलहाल देखना होगा कि विनोद वरगाही के मामले में सहायक आयुक्त कौशल मरावी पर क्या कार्रवाई करते हैं तथा जवाबदेही का कितना पालन कर पाते हैं....?


रविवार, 26 दिसंबर 2021

इंडियन-ब्लैक-मनी बनाम ओमिक्रान

2021 का अंतिम रविवार की अखबार कतरन 

357 करोड़

    बड़ा


या 495...?

काला धन विदेश से वापस लाने वाले दावे के साथ आई भाजपा सरकार का दूसरा दावा 2022 तक किसानों की आय दोगुनी ओ जाने का आश्वासन 2021 के अंतिम रविवार तक कुछ इस प्रकार से नजर आया। किसानों की आय दोगुनी होगी या नहीं यह 2022 के अंतिम इतवार तक इंतजार करना चाहिए,किंतु काला धन का भारतीय देसी करण का रूप  357 करोड़ रुपए की नगद राशि अगर काला धन है तो यह भी एक रिकॉर्ड की तरह देखा जाना चाहिए ।


हलां कि पीयूष जैन जिसके यहां से राशि मिली है उसे गिरफ्तार कर लिया गया है किंतु भ्रष्टाचार की 21वीं सदी की दुनिया में यह भारत के अंदर काला धन की शायद सबसे छोटी मछली हो जो चारे की तरह इस्तेमाल हो गई हो ।क्योंकि अब तमाम सरकारी ठेके हजारों-हजार करोड़ रुपए में ई टेंडर के रूप में देखे जाते हैं ऐसे में 357 करोड़ की नकदी कोई बहुत महत्व नहीं रखती। यह अलग बात है कि आम नागरिक इन करोड़ों हजार करोड़ों के आंकड़ों को सपने की तरह देखता है।

 बहराल 2021 के अंतिम रविवार में कोरोनावायरस की तीसरी लहर का नेतृत्व करते हुए



भारत में ओमिक्रान कोविड-19 का नया अवतार लेकर 495 के आंकड़े को पार करके उपस्थित देखा गया है जो एक भयानक सपने की शुरुआत की तरह दिख सकती है तो सतर्क रहें  खतरा बरकरार है चाहे वह काला बाजार के वायरस से हो या कोविड-19 के वायरस से हो।



पंचायत चुनाव रद्द

केबिनेट का निर्णय

पंचायत चुनाव रद्द

 मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव  को लेकर शिवराज कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला हुआ है। रविवार की सुबह हुई कैबिनेट की बैठक में पंचायत चुनाव निरस्त करने पर कैबिनेट ने मुहर लगाई है। कैबिनेट की मुहर के बाद प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा गया है। राज्यपाल से प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव रद्द करने को लेकर निर्देश जारी कर सकती है।

    दरअसल, एमपी में तीन चरणों में पंचायत चुनाव होने थे। चुनाव में रोटेशन प्रणाली को लेकर पेंच फंस गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर राज्य निर्वाचन आयोग को फटकार लगाई थी। इसके बाद ओबीसी के लिए रिजर्व सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। इसे लेकर सियासी बवाल मच गया था। शिवराज सरकार ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। साथ ही साफ कर दिया है कि ओबीसी रिजर्वेशन के बिना एमपी में पंचायत चुनाव नहीं होंगे।( सभार एनबीटी)



शनिवार, 25 दिसंबर 2021

बाणगंगा मेला पर ओमिक्रान की मार

बाणगंगा मेला नहीं लगेगा-

आपदा प्रबंधन  ने लिया निर्णय

दोनो डोज वैक्शीनेशन के साथ कोरोना अनुकूल व्यवहार भी आवश्यक- कलेक्टर

रात्रि 11.00 बजे से प्रातः 05.00 बजे तक रहेगा नाईट कर्फ्यू

शहडोल 25 शहडोल 2021- कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन एवं कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी से रोकथाम एव बचाव हेतु आज कलेक्ट्रेट कार्यालय के विराट सभागार में कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट , नगर पालिका अध्यक्ष  एवं पुलिस अधीक्षक  की उपस्थिति में जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक की सम्पन्न हुई। बैठक में समिति के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि शासन द्वारा कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाएं। बैठक में समिति के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि शासन द्वारा कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाएं।


बैठक में निर्णय लिया गया कि 14 जनवरी मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित होने वाला बाणगंगा मेला इस वर्ष कोरोना महामारी के नए वरिएंट ओमिक्रॉन के प्रसार एवं संभावित तीसरी लहर की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए आयोजित नही किया जाएगा।

      आपदा प्रबंधन समिति के बैठक में निर्णय लिया गया कि जिले में रात्रि 11:00 से प्रातः 5:00 बजे तक नाइट कर्फ्यू रहेगा। समस्त सिनेमा हॉल, मल्टीप्लेक्स, थिएटर, जिम, कोचिंग क्लासेस, स्विमिंग पूल, क्लब, स्टेडियम में 18 वर्ष से अधिक आयु के केवल उन लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा जिन्हें कोविड के दोनों टीके लगे हुए हैं। साथ ही जिम आज की मशीनें सैनिटाइज हो इस बात का भी ध्यान रखा जाए। समस्त स्कूलों, कॉलेजों एवं हॉस्टलों में कार्यरत शिक्षक, संचालक, स्टाफ तथा 18 वर्ष से अधिक आयु के छात्र-छात्राएं कोविड के दोनों टीके लगवा लें तभी संस्था में प्रवेश करें। बैठक में निर्णय लिया गया कि व्यापारिक प्रतिष्ठान, मॉल, सब्जी मंडी के दुकानदार यह सुनिश्चित करें कि वे स्वयं वैक्सीनेशन के दोनों रोज लगवाए उनके अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारी भी दोनों टीका अवश्य लगवाएं। साथ ही व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आने वाले ग्राहक भी मास्क लगाएं। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि ग्राहक द्वारा कोविड अनुकूल व्यवहार का पालन नहीं कर रहा है तो उसे प्रतिष्ठान में प्रवेश ना दिया जाए और उन्हें कोविड वैक्सीनेशन हेतु प्रेरित करेंगे।

बैठक में कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने कहा कि व्यापारिक संगठन के प्रतिनिधि कोरोनावायरस को रोकने के लिए सहयोग एवं सहभागिता निभाएं तथा लोगों को दोनों टीका लगाने हेतु प्रेरित करें। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि होटल संचालक एवं जिले में कार्यरत समस्त प्राइवेट कंपनियां इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वे स्वयं कोविड वैक्सीनेशन का दोनों टीका लगवाएं तथा उनके अधीनस्थ कार्य करने वाले कर्मचारी सभी को भी टीका लगवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि व्यापारिक, प्रतिष्ठान, मॉल, होटल अपने प्रतिष्ठान के सामने स्पष्ट रूप से जानकारी अंकित कराएं कि उनके प्रतिष्ठान में प्रवेश के लिए कोविड वैक्सीनेशन का दोनों टीका लगवाएं। 

बैठक में कलेक्टर ने जिले के नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति वैक्सीनेशन का कोई भी डोज वंचित है तो शहडोल नगर के मानस भवन, गांधी स्टेडियम तथा जिला चिकित्सालय शहडोल कोविड वैक्सीनेशन सेंटर रोज क्रियाशील है, वहां आकर वैक्सीनेशन से वंचित व्यक्ति टीका लगवाकर खुद को और अपने परिवार को कोरोना महामारी से बचाएं। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि प्राइवेट चिकित्सालय के संचालक सुनिश्चित करें कि उनके चिकित्सालय में आने वाला मरीज कोविड वैक्सीनेशन कराया है अथवा नहीं। यदि कोई मरीज बिना वैक्सीनेशन के आपात स्थिति में आता है तो उसे पृथक से अलग कमरे में रखा जाए तथा उसका कोविड टेस्ट भी कराया जाए। जिससे संक्रमण को रोका जा सके।


बैठक को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक  अवधेश कुमार गोस्वामी ने कहा कि बस संचालक यह सुनिश्चित करें कि उन्होंने, उनके स्टाफ ने कोविड का दोनों टीका लगवा लिया है, तभी बसे रवाना करें और बसों में यात्री को तभी प्रवेश दें जब वह वैक्सीनेशन के दोनों डोज के प्रमाण पत्र दिखा दें। तभी उन्हें बस में प्रवेश करने दें, अन्यथा बसों का संचालन को रोककर विधि सम्मत कार्यवाही की जाएगी। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि अब रोको टोको अभियान के अंतर्गत बिना मास्क, वैक्सीनेशन के दोनों टीके ना लगवाने तथा आवाजाही करने पर जुर्माने आदि की कार्यवाही की जाएगी।




        

शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

किस्सा चनाराम जी का (त्रिलोकीनाथ)

 धर्म स्थल पर माफियाराज

अयोध्या से शहडोल तक


माफियारामजी का दबदबा ..




(त्रिलोकीनाथ)

क्सर शासकीय कार्यालयों में और मुख्य मार्गों पर मैंने उन्हें रामनामी चंदन लगाए हुए धोती और कुर्ते की तर्ज पर बने हुए एक लोकज्ञानी युवा विद्वान को चना बेचते हुए देखा है । इन दिनों नहीं दिखाई देते...। उन्हें देखने का शौक होता था।

 तब वे पूछते थे, "क्या लेंगे रामजी; चनाराम जी या मूंगराम जी अथवा दालराम जी...... आप कहे तो मैं इसमें मुर्राराम जी को मिला दूं ...."और फिर काफी कम पैसे  पर भरकर शानदार मिक्सर हमें खिलाते थे।

 किसी युवा आध्यात्मिक पुरुष को इस प्रकार का व्यवसाय करते हुए मैंने बहुत कम देखा है। वह शायद एक है। क्योंकि उन्हें आध्यात्मिकशब्द-सुख बांटने में और अध्यात्म सहेजने में बहुत आनंद आता रहा होगा ....। उनकी राम प्रेम की इस अनूठे व्यवसाय में शहडोल के लोग उन्हें  प्रेम से "चनाराम जी" भी कहते है।

यह अच्छा है कि पूरे भारत में पूरे धर्म में बेअदबी कानून लागू नहीं है अन्यथा हमारे टुकड़े टुकड़े करके फेंक दिया गया होता.....? और शायद इसलिए हम कह पा रहे हैं किं भगवान राम की जन्मस्थली अवध यानी अयोध्या में इस व्यवसायकला के मद्देनजर 21वीं सदी के हिंदुत्व ब्रांड से निकलकर नएराम जी पैदा हुए हैं। जहां दशकों तक, उनके अनुसार सदियों तक... धर्म युद्ध छेड़ने के बाद एक कॉर्पोरेट राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। इसे राम जन्म भूमि ट्रस्ट की संज्ञा दी गई है।

 एक पुरानी कहावत है कि "गांव बसा नहीं... लुटेरे पहले आ गए", उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी/ संत /महात्मा/ मठाधीश जो भी कहे आदित्यनाथ के राज्य में अयोध्या मे इस मंदिर ट्रस्ट के अगल-बगल लुटेरों का जमावड़ा है। कहते हैं राम जन्मभूमि ट्रस्ट इन लुटेरों का शरणगाह है ।


इन लुटेरों में पटवारी से लेकर कलेक्टर तक छुटभैया कार्यकर्ता से लेकर शीर्ष विधायक तक राम के नाम पर जमीनों की माफियागिरी कर रहे थे । कम दाम में आमनागरिकों से उनका हक लूटकर "राम का ब्रांड" बना कर उसे करोड़ों-अरबों रुपए में बाजार में बेचने के फिराक में काम कर रहे । अगर समता पूर्ण तरीके से बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी को दी गई जमीन के इर्द-गिर्द भी इसी प्रकार का माफिया राज होता तो शिकायत नहीं होती यह माना जाता कि लोकतंत्र यही है किंतु वहां यह चर्चा में अभी नहीं आई है बावजूद इसके की मुस्लिम धर्म के आड़ में जमीनों  का ज्यादा उपयोग देखा गया है ।

 लुटेरो का नामकरण होता "माफियाराम जी"।

 अगर हमारे चनाराम जी इस हिंदुत्व ब्रांड के अंदर रामजी को बेचकर काम करते हैं तो इन लुटेरों का नामकरण होता "माफियाराम जी"।

 तो अयोध्या में भव्यराम मंदिर के निर्माण के पहले माफियाराम जी का बड़ा बोलवाला है। भारत की बची-कुची नेतागिरी और पत्रकारिता की वजह से हिंदुत्वब्रांड की रामजी की शरण में पलने वाले तमाम माफियाराम जी अब एक्सपोज हो रहे हैं।

 बहरहाल हमें आनंद आध्यात्मिक सुख का लेना चाहिए। 21वीं सदी का आध्यात्मिक सुख अगर हमारे चनाराम जी वहां जाकर बांटते तो उसका रूप कुछ इस प्रकार होता... तो भैया जी अवध की भूमि है किससे खरीदना चाहेंगे, आप पटवारी माफिया रामजी से या एसडीएम माफियारामजी से ..इनसे सस्ती मिल सकती है, थोड़ा अच्छे माफिया रामजी कलेक्टर माफिया रामजी से लेंगे और विधायक माफिया रामजी से लेंगे की कीमत ज्यादा है.. तो ज्यादा आध्यात्मिक सुख मिलेगा। क्योंकि वह सीधे रामदरबार में रहने का सुख का आनंद आपको देंगे।

 इस तरह जन्मभूमि ट्रस्ट के इर्द-गिर्द आध्यात्मिक सुख का मल्टीनेशनलकरण हो चुका होगा। तब हमारे चनारामजी किसी फाइव या सेवनस्टार होटल की किसी साध्वी या किसी मंत्री के साथ बैठकर अपने कारपोरेट इंडस्ट्री से  माफिया रामजी की बनाई हुई जमीनों के कॉलनियों में अवध के राम  से आध्यात्मिक सुखों का धंधा ऑनलाइन भी कर सकते थे।

 किंतु जब उन्हें शहडोल जैसे आदिवासी पिछड़े क्षेत्र में चना,मूंग और दाल, मुर्रा के बीच में अपने रामजी को याद करते हुए उन्हें कण-कण में परोस ते हुए आज भी जब कल्पना में देखता हूं तो लगता है हमारे चनाराम जी हमारे जैसे ही आदिवासी किस्म के पिछड़े हुए लोग हैं। जिनका आध्यात्मिक विकास अयोध्या के हिंदुत्व ब्रांड के राम जी में और भी पिछड़ जाता ... जिसे वे कहते हैं विकास हो गया होता ....?

बेहतर है कि वह शहडोल में ही वास्तविक अध्यात्मिक सुकून से प्रेम बांटते हुए आनंद का कारोबार कर रहे हैं, अन्यथा भटक गए होते तो अयोध्या में माफियाराम जी के दरबार के भ्रष्ट दरबारी होते ।

क्योंकि अयोध्या की अति विवादित बाबरी-राम मंदिर प्रकरण का निराकरण करने वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ के मुखिया पूर्व सीजेआई भाजपा के सांसद रंजन गोगोई ने जी-ग्रुप के पत्रकार चौधरी साहब से साक्षात्कार में स्पष्ट कर दिया है कि "भ्रष्टाचार समाज निर्माण के युग से चली आ रहा है अब लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया है।"

 इस भ्रष्टाचार का मीठा जहर की नई परिभाषा में हमारे चनाराम जी कॉर्पोरेट माफियाराम जी के घटिया दलाल कहलाते हैं ,जिन्हें कॉर्पोरेट जगत में कर्मठ-कार्यकर्ता के रूप में बेच दिया गया होता। हो सकता है वे करोड़ों-अरबों के मालिक होते, किंतु साइकिल में अपने पिछड़ेपन में उनकी नजर में दलित-धारणा में तब आदिवासी क्षेत्र में वे आम लोगों को जब मिलते, तब चना मूंग और दाल में कण-कण में राम को बनाकर राम के प्रेम को शायद ना बांट पाते...।

 नफरत व भ्रष्टाचार से सत्ता का निर्माण और सत्ता में राम की मूर्ति का चेहरा तमाम प्रकार के माफियाराम जी के भ्रम में स्थापित होता जा रहा है ।त्याग, तपस्या ,समर्पण की मूर्ति रामायण के की कल्पनाकार अगर यह देख रहे होंगे तो जरूर सोचते होंगे "हां मैं मुजरिम हूं.."। मैंने ही उस राम की ब्रांडिंग की थी जहां अयोध्या में ही लैंडिंग होने के लिए हवाई अड्डे बनते हैं.. राम का भव्यमंदिर बनता है और उसमें माफियाराम जी शरणगाह बनता है।

 यह सब हम इसलिए देख पा रहे हैं क्योंकि हम शहडोल की मोहनराम मंदिर में स्थापित सत्ता के संरक्षण में तमाम प्रकार के माफियाओं की सफलता पिछले 10 वर्ष से देखते आ रहे हैं। यह अलग बात है कि यहां मंदिर की जमीन कोई कलेक्टर एसडीएम यह पटवारी अभी मंदिर की जमीन खरीद और बेच नहीं रहा । 

किंतु पुजारी पटवारी से मिलकर भू अभिलेख के खसरा नंबर 38 कि 33 डिसमिल जमीन फर्जी


संस्था के नाम से कब्जा कर लिया है तहसीलदार कोर्ट में मुकदमा लंबित होने के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है । यह भी सच है हाईकोर्ट के संरक्षण में एसडीएम सोहागपुर द्वारा निर्मित "स्वतंत्रकमेटी" के जरिए मोहनराम मंदिर भ्रामक तरीके से मंदिर की प्रॉपर्टी को माफियागिरी की तरह खुली लूट का जरिया बना दिया गया है। 

बावजूद संभावना में चनाराम जी रामराज का सुख आज भी यदा-कदा अपने व्यवसाय के जरिए बांटते रहते हैं। क्योंकि यहां संभावना जिंदा है .... वह संभावना, अयोध्या में मर रही है...। 

किसी दार्शनिक ने कहा था "धर्म अफीम के नशे की तरह होता है" तो कुछ देर के लिए धर्म का नशा छोड़ देंगे तब पता चलेगा लोकतंत्र में कितना बड़ा अध्यात्मिक नुकसान पहुंचाने का काम किया है.... फिर चाहे वह शहडोल का मोहनराम मंदिर हो या अयोध्या के रामलला जी का मंदिर..... कोई अंतर नहीं दिखेगा।

 क्योंकि भगवान रामजी को हटाकर माफियाराम जी ने गैर कानूनी अतिक्रमण कर रखा है। और जिम्मेदार कार्यपालिका मूक बधिर बनी हुई है।

 तो ठीक ही कहा है किसी ने

 "रामजी की चिड़िया, रामजी का खेत..

   चुग ले, चिड़िया भर भर पेट... 

फिलहाल माफिया रामजी जमकर चुग रहे हैं फिर वह अयोध्या हो या शहडोल क्या फर्क पड़ता है.. सत्ता का चरित्र सब जगह एक जैसा होता है। कहीं हंगामा होता है तो कहीं सांसद रंजन गोगोई के अनुसार समाज भ्रष्टाचार को स्वीकार कर लिया है..।

 तो जब कोई चनाराम जी के रामजी, एसडीएम की कुर्सी पर आएंगे, कोई कलेक्टर रामजी उन्हें कहेंगे... तब मोहनराम जी पांडे कि मोहनराम मंदिर के रामजी को माफिया रामजी से मुक्ति मिलेगी.....?

 तो देखते हैं यह सपना कब साकार होता है.....? होता भी है, कि नहीं होता....

 यह भी देखते हैं..


लिपकीय त्रुटि से बना भ्रम..

 

श्रीमती चपरा बनीं


 वित्त विकास निगम के अध्यक्ष

अगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के ट्विटर में


लिपिकीय त्रुटि को हटा दें, तो हम सहज ही सोच लेंगे कि हमारे शहडोल के लिए लगे हाथ जबलपुर के लिए भी यह एक उपलब्धि है कि हमारे यहां के चपरा परिवार की बहू श्रीमती अमिता चपरा मध्यप्रदेश में महिला एवं वित्त विकास निगम के अध्यक्ष बनाई गई है। और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी उन्हीं को बधाई दिए हैं।

 बहरहाल अगर यह खबर सच है तो उन्हें बहुत बधाई। आशा करनी चाहिए संभाग में महिलाओं को चिन्हित करके कम से कम हर विकासखंड में 10-10 महिलाओं को रोजगार देने का योजनाबद्ध कार्य किया जाएगा। साथ ही रोजगार में बाजार की सुनिश्चितता पहले तय कर ली जाएगी ताकि महिलाओं को घर बिकने की नौबत ना आवे उन्हें पुनः बहुत बधाई। अगर खबर सच है तो....?



गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

एक संस्मरण: शैलेंद्र

समर्पण की यात्रा


(शैलेंद्र श्रीवास्तव)

10 दिसंबर को सुबह लगभग 10:30 पर एक सज्जन जिनकी उम्र लगभग 30 वर्ष के आस पास लग रही थी, सफ़ेद वस्त्र धारण किए हुए पीठ पर एक भारी सा बैग और हाथ में एक डंडी लिए हुए, कॉलेज चौराहा बुढार के पास पैदल आगे बढ़ते हुए दिखाई पड़े, थोड़ा देर के लिए मेरा ध्यान उन पर गया पर कुछ ही समय बाद, बात दिमाग से निकल गई । दोपहर को अचानक मेरा शहडोल जाना हुआ, मेरे साथ अजय कुशवाहा जी भी थे, लगभग 3:30 बजे वही सज्जन मुझे बुढार शहडोल के बीच नेशनल हाईवे पर कंचनपुर के पास फिर पैदल यात्रा करते हुए दिखाई पड़े, मैं और अजय जी कुछ आगे बढ़ गए, पर हमसे रहा न गया, और हम लौट कर उनके पास वापस आए। मैंने उनसे पूछा महाराज आप कौन हैं और कहां जा रहे हैं ?

उन्होंने बताया कि वे रामकृष्ण मिशन कोलकाता से जुड़े हुए एक सन्यासी हैं, जो अमरकंटक दर्शन के लिए गए थे जहां से उन्हें काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए बनारस जाना था और अचानक उनका मन पैदल ही जाने को हो गया और वह 8 तारीख को अमरकंटक से नर्मदा जल लेकर काशी विश्वनाथ जी का अभिषेक करने के संकल्प के साथ बनारस के लिए पैदल ही निकल पड़े। उन्होंने बताया कि 10 तारीख को सुबह 8:00 बजे वे देवहरा से चले थे, उन्होंने हमसे पूछा कि शहडोल में विश्राम के लिए कोई मंदिर या आश्रम बताएं, हमने उन्हें रास्ते में ही पढ़ने वाले विराट मंदिर के बारे में बताया, जिसके बाद वे फिर आगे की यात्रा के लिए बढ़ गए। 


शाम को मैं और अजय जी अपने काम निपटाने के बाद उनकी ही चर्चा करते हुए शहडोल से वापस लौट रहे थे, लगभग 6:00 बजे वे हमें फिर शहडोल बाईपास पर हुंडई शोरूम के सामने मिले। उन्हें देखकर हम फिर रुक गए उनका दृढ़ संकल्प एवं आत्मविश्वास देखकर हमसे रहा ना गया, मैं और अजय जी गाड़ी से उतर कर उनके चरण स्पर्श करने के लिए उनके पास पहुंचे, उन्होंने चरण स्पर्श करने से हमें मना किया, हमने उनके साथ एक फोटो लेने की भी इच्छा जताई पहले तो उन्होंने मना किया फिर बड़ी मुश्किल से केवल एक फोटो के लिए तैयार हुए जो मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूं। 

शाम को जब हमारी मुलाकात उनसे हुई उनके पैर थक चुके थे और बहुत धीरे-धीरे वे आगे की ओर बढ़ रहे थे, पर उनका दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास उतना ही मजबूत था जितना कि सुबह ....... गर्मी ठंडी बरसात, डर भय, लाभ हानि, भूख प्यास से परे उन्हें देखकर मन को एक अलग शांति का अहसास हुआ।

( संस्मरण , शैलेंद्र श्रीवास्तव जिला भाजपा मीडिया प्रमुख से प्राप्त हुआ )



फिर लगा रात का कोरोना का कर्फ्यू

कोविड-19 का तीसरा चरण


ओमिक्रोन का आतंक बरकरार

एक खबर के अनुसार मध्य प्रदेश में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज से रात्रिकालीन कर्फ्यू की घोषणा कर दी है, रात्रिकालीन कर्फ्यू रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक पूरे प्रदेश में एक बार फिर लगाया जाएगा। दरअसल ओमीक्रॉन के देश में बढ़ते मामलों के बाद अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अलर्ट बरतते हुए निर्देश दिए है,जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है।



बुधवार, 22 दिसंबर 2021

तालाब रक्षा में ब्लैकमेलर नहीं बन पाए- भाग 8( त्रिलोकीनाथ)

पौनांगतालाब का होगा


जीर्णाेद्धार सौंदर्यीकरण - कलेक्टर

शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के प्रस्ताव अनुसार 1 जनवरी से तालाबों का जीर्णोद्धार प्रारंभ हो जाना चाहिए शहडोल में शायद 1 जनवरी के पहले ही


कई तालाब इस वर्ष नक्शे से गायब हो जाएंगे हाल के समय में अखबार जगत ने तालाबों के प्रति कमिश्नर शहडोल की संवेदना के साथ अपने को जोड़ता हुआ दिखाया है। शहडोल- कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने भी कमिश्नर मुख्यालय के ठीक सामने स्थित पौनांग तालाब का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी को निर्देशित किया कि पौनांग तालाब का जीर्णाेद्धार का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि पौनांग तालाब के चारों ओर बाउण्ड्रीवाल कराना सुनिश्चित करें साथ ही तालाबों का बेहतर ढंग से साफ-सफाई कराएं तथा कलरफुल लाइटिंग की भी व्यवस्था कराना सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने तालाबों के पास स्थिति मंदिरों की रंगाई-पुताई कराकर आकर्षक लुक देने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने सीएमओ को निर्देशित किया कि तालाबों का जीर्णाेद्धार कार्य कर उनका सौंदर्यीकरण का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराएं।  मौके पर नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे, सीएमओ अमित तिवारी  उपस्थित पर संभव है बारंबार सुंदरीकरण के लिए तरसते पौनांग तालाब को इस बार अपने सौंदर्य बोध का आभास हो।

 किंतु इसी प्रकार का आभास पूर्व में शहडोल के मोहना मंदिर तालाब पर करोड़ों रुपए खर्च करके और उतना ही भ्रष्टाचार करके अभियान प्रारंभ किया गया था। जो फिलहाल लूटखसोट और तोड़फोड़ का केंद्र बन गया है। तमाम सौंदर्यीकरण की सरकारी संपत्ति से बने सुंदरता का खुला दुरुपयोग होता है। अगर बिहारी-वोटरों की चिंता ना होती तो शायद छठ त्यौहार पर इस तालाब को कभी देखा भी ना जाता। जैसे मोहन राम के स्रोत तालाब शहर मुख्यालय का सबसे बड़ा गंदगी का गटर टैंक बन गया है


किंतु उसे झाड़ियों में छुपा दिया गया है या फिर सिंधी धर्मशाला ईदगाह और अन्य अतिक्रमणकारियों के हवाले कर दिया गया है ताकि वे स्रोत तालाब को लगातार भांटते रहें। यह परिस्थिति तब है जब इस पर करोड़ों रुपए की सरकारी होली खेली गई है।

 तो शहर के अन्य तालाबों को विलुप्त होने की कगार पर एसडीएम तहसीलदार और पटवारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है


नगरपालिका तो जहां पैसा मिलता है उसी तालाब तालाब मानकर तालाबों का रकबा छोटा करके भ्रष्टाचार के अवसर तलाशने का काम करती है।

जैसा कि चौपाटी में काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने हाथों से ने तालाब गहरीकरण का किया बाद में इस तालाब को भांट कर चौपाटी का निर्माण कर दिया गया। इसी प्रकार घरौला का तालाब हो चाहे, बड़ी भीड़ का तालाब हो या फिर r.s.s. मुख्यालय की बगल का तालाब हो अपने आकार से आधे से भी कम कर दिया है निर्माण एजेंसियों ने। अब यह नगरपालिका की आमदनी का एक हिस्सा हो गया है जो अच्छी बात है किंतु तालाब का रकबा छोटा हो जाना बहुत गंदी बात है ।बहरहाल रातो रात कैसे तालाब शहडोल नगर में भट रहे हैं यह बदलते शहडोल की खतरनाक तस्वीर है ।
प्रधानमंत्री-आवास याने तालाब विनाश 
कुछ तो मुख्य मार्ग में तो बहुत कुछ अंदर तालाबों को नष्ट किया जा रहा है। नर्मदा गैस एजेंसी के बगल वाले तालाब में तो प्रधानमंत्री आवास का

पैसा लगाकर तालाब नष्ट करने के लिए प्रोत्साहित ही किया गया है इस तरह तालाबों की परंपरा कैसे विनाश होती है यह शहडोल में देखा जा सकता है।
विराट मंदिर का तालाब नहीं देख पाए महामहिम मंगू भाई

 महामहिम राज्यपाल शायद पहले ऐसे राज्यपाल रहे होंगे जो किसी पुरातात्विक संरक्षण वाले विराट मंदिर शहडोल में जा कर पूजा किए , किंतु उसके बगल में


एक बड़े तालाब की हत्या की योजना को सरकारी एजेंसियां और भ्रष्ट नागरिक तंत्र याने "माननीय पूंजीपति माफियागण" इस पुरातात्विक महत्व के तालाब को कैसे नष्ट हो जाने दिया यह भी एक बड़ा प्रमाण है क्या मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल पूजा करते वक्त नहीं देख पाए, यह भी बड़ा प्रश्न है..?

 बहरहाल "कर भला-तो हो भला" के अंदाज में अगर पौनांग तालाब से शहडोल कलेक्टर तालाबों के प्रति संवेदना के साथ उसे लोकहित में अपनी कल्पना के अनुरूप आकार दे पाती हैं तो यह एक अच्छी पहल कही जाएगी और स्वागतेय है।

 किंतु यदि किसी पटवारी के क्षेत्र में अथवा किसी नगर पालिका पार्षद के क्षेत्र में कोई तालाब नष्ट करने का प्रयास होता है तो वह क्षेत्रीय पटवारी के चरित्रावली में अथवा उस वार्ड पार्षद की चरित्रावली में क्यों अंकित नहीं करना चाहिए..? जैसे निर्वाचन आयोग ने किसी अतिक्रमण कारी को प्रतिबंधित किया है ।चुनाव लड़ने के लिए इसका उल्लेख क्यों नहीं शपथ पत्र में मांगा जाना चाहिए। कि क्या पार्षद रहते हुए संबंधित उम्मीदवार तालाब के रखवा को बचा पाया या फिर उसके विनाश मे आंखें मूंदकर नष्ट होने दिया।

 फिलहाल पत्रकारिता के दौर में शहडोल के तालाब की रक्षा में हम एक अच्छे-ब्लैकमेलर नहीं बन पा रहे हैं यह एक गंभीर चिंता का विषय है।


इस्माइल अंसारी बने उपाध्यक्ष

पिछड़ा वर्ग के पटेलों के बाद अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में  भी दिखे पिछड़े समाज के लोग

 


अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में मुस्लिम युवाओं की भागीदारी पर समाज को मिल सकता है विकास का अवसर..

वैसे सामान्य रूप से देखा जाए यह कोई बड़ी खबर नहीं है किंतु तटस्थ होकर देखें तो भाजपा में शहडोल में मुसलमानों का झुकाव प्रकोष्ठ के रूप में शायद कहीं बार इतने पिछड़े समाज के युवाओं को तवज्जो मिली ।यह नई भारतीय जनता पार्टी का चेहरा भी है इसलिए यह खबर विशेष भी है की हिंदुत्व ब्रांड की राजनीति मुस्लिम युवा पसंद कर रहे हैं अथवा मुस्लिम हित में भारतीय जनता पार्टी के संगठन से स्वयं को जोड़ कर रखना चाहते हैं अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में  बड़ी संख्या में प्रकोष्ठ का विस्तार हुआ है


जिसमें इसमें सकारात्मक विचारधारा की इस्माइल अंसारी जैसे युवाओं को जगह मिली है साथ ही केंद्र में रहे मुस्लिम युवाओं कुछ जिम्मेदारी दी गई है किंतु क्या दी गई जिम्मेदारी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ तक दिखाने के दांत हैं..? अथवा भविष्य में उन्हें प्रशासनिक पदों पर अथवा वास्तव में जिला योजना समिति  नगर पालिका के पार्षदों और अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के रूप में काम करने का अवसर मिल सकता है ताकि भी अपनी समाज को राष्ट्रीय हिंदुत्व की विचारधारा के साथ विकास की गंगा में हमसफर बन सके.....?

 यह आने वाले दिनों में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की सफलता और एकजुटता से प्रमाणित होगा अन्यथा जैसे हर राजनीतिक दल किसी समाज विशेष का उपयोग करते हैं और फेंक देते हैं उसी अंदाज पर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के इन युवा चेहरों को उपयोग किया जाएगा यह देखने की बात होगी। बहरहाल आदिवासी विशेष क्षेत्र संभाग  में भाजपा शहडोल जिलाध्यक्ष कमल प्रताप का यह बदला हुआ चेहरा है अथवा 21वीं सदी की राजनीति का विस्तार यह भविष्य की हकीकत में छुपा हुआ है...


मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

पुन: पदस्थ हुए रविकरण त्रिपाठी

सीएमओ कुर्सीजी  पर की


 त्रिपाठी जी की हुई

 घर वापसी

भलाई पूर्व सीजेआई सांसद रंजन गोगोई भ्रष्टाचार को समाज में स्वीकार्यता की बात को तवज्जो देते हैं किंतु न्याय पालिका राहत देने का काम करती है इस दिशा में भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाए गए शहडोल जिले के धनपुरी नगरपालिका के पूर्व सीएमओ रवि करण त्रिपाठी को पुनः धनपुरी नगरपालिका की जिम्मेदारी सौंपी गई है कहते हैं माननीय न्यायालय के द्वारा इस संदर्भ में आदेश जारी हो गया है

 बीते वक्त में रवि करण  सहित पांच अन्य लोगों का बीते दिवस भोपाल नगरीय निकाय विभाग के द्वारा निलंबन का आदेश जारी किया गया था अभी इस मामले में को एक पखवाडा भी नहीं बिता की पुनः रवि करण त्रिपाठी को धनपुरी नगरपालिका की नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए हैं। धनपुरी में भाजपा प्रवक्ता शैलेंद्र वापुर नगर पालिका अध्यक्ष हंसराज तंवर के द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद् चलाए गए मुहिम पर नगरी प्रशासन ने कार्यवाही की थी इस तरह भाजपा की ही अंदर कार्यपालिका और विधायिका का शीत युद्ध छिड़ा हुआ है फिलहाल कुर्सी पर रवि कांत त्रिपाठी ने बाजी मार ली है

फिलहाल रविकरण त्रिपाठी जी की माता जी का निधन हो जाने से उनका परिवार शोकाकुल है

सोमवार, 20 दिसंबर 2021

शिकायत की हुई घर वापसी..? (त्रिलोकीनाथ)

तो.. पारदर्शी-भ्रष्टाचार से


अभिभूत हो रहा है आदिवासी विभाग ...?

 (त्रिलोकीनाथ)

जब से पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट, सांसद रंजन गोगोई ने अपने इंटरव्यू में कहा है कि भ्रष्टाचार को लोगों ने स्वीकार कर लिया है तब से हमने भी प्रयास किया है कि भ्रष्टाचार समाज में पारदर्शी रूप से प्रकट होना चाहिए ।ताकि पता चल सके कि "दूध में पानी कितना है और दूध कितना है" आपकी इच्छा है आप दूध पिए नहीं तो पाने वाले दूध को आप पीने से मना करने का अपना मौलिक अधिकार प्रकट कर सकते हैं।

 कुछ इसी अंदाज में जब शहडोल आदिवासी विभाग में अपने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व सहायक आयुक्त तृतीय वर्ग कर्मचारी एमएस अंसारी नैतिकता का नकाब ओढ़ कर उस चर्चा से हटने लगे जो उनके कार्यकाल में बड़े भ्रष्टाचार के रूप में छोटे से सिर्फ 8 करोड़35लाख  रुपए के रुपए के भ्रष्टाचार  के घोटाले के रूप में फेमस हुई तो हमने उन्हें धैर्यता दिया कि वे बैठे,  भ्रष्टाचार समाज में स्वीकार्य हो चुका है और भी हमारी चर्चा में पारदर्शिता के रूप में बैठे भी रहे।

 कुछ इसी तर्ज पर उनके कार्यकाल का गैर कानूनी तरीके से आहरित किया गया और फिर पारदर्शी तरीके जैसीहनगर के पांडे शिक्षा समिति को भ्रष्ट तरीके से वर्षों तक लंबित रहे करोड़ों रुपए का भुगतान के मामले की जांच


जब शहडोल में अपनी चींटी चाल से चलते हुए आई तो उसे आदिवासी विभाग के अंसारी जी के वर्षों के मित्र मंडली के बाबू लोग जांच प्रक्रिया पर लीपापोती करने के लिए संलग्न हो गए। और नतीजतन वरिष्ठ दलित नेता मनमोहन चौधरी की की गई शिकायत को कथित तौर पर श्री चौधरी द्वारा वापस ले लेने के साथ निराकरण कर दिए जाने की चर्चाएं पारदर्शी होने लगी।

न्यायपालिका ने वापसी की इजाजत नहीं दी 

 लेकिन इतिहास बताता है शहडोल में सर्व शिक्षा अभियान के डीपीसी श्री मदन त्रिपाठी की एक पिद्दी सी शिकायत पर जिला महिला समन्वयक श्रीमती त्रिपाठी को ट्रेन यात्रा में गलत वर्ग की यात्रा भुगतान लेने पर अंततः शहडोल न्यायपालिका ने उन्हें 4 वर्ष की सजा सुना दी। कहते हैं डीपीसी ने यह समझते हुए कि शिकायत कि घर वापसी उनका मौलिक अधिकार है.. प्रयास किया की वह लगभग यात्राओं में आम हो चुकी पिद्दी सी यात्रा भ्रष्टाचार की शिकायत वापस ले ले... किंतु क्योंकि मामला 420 से जुड़ा था न्यायपालिका ने शिकायतकर्ता के  डीपीसी श्री मदन त्रिपाठी के शिकायत को इस आशय से कहकर वापस नहीं लेने दिया की 420 का भ्रष्टाचार शायद महान भ्रष्टाचार है इसलिए शिकायत की घर वापसी नहीं होगी और उन्हें याने कथित नाममात्र के भ्रष्टाचार के लिए ना सिर्फ जिला महिला समन्वयक के पद से हटना पड़ा बल्कि 4 वर्ष का दंड से भी अपमानित होना पड़ा...।

 किंतु आदिवासी विभाग में दलित नेता पर शायद यह प्रावधान लागू नहीं होता अगर वर्षों से भ्रष्टाचार के लिए लगभग पदस्थ हुआ  तृतीय वर्ग कर्मचारी जैसे अपने लक्ष्य पूर्ति के लिए गैर कानूनी तरीके से सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग जैसे पद पर पदस्थ हुआ और पांडे शिक्षा समिति को करोड़ों रुपए का गैर कानूनी भुगतान किया, याने 420 की गई; शायद इसीलिए कथित तौर पर दलित नेता श्री मनमोहन चौधरी के नाम पर शिकायत वापसी होने तक उच्चस्तर से आई जांच की प्रक्रिया को कई दिनों तक लटका कर रखा गया। अंततः पारदर्शी भ्रष्टाचार पारदर्शी तरीके से फिलहाल घर वापसी के सिद्धांत पर लंबित है। 

क्योंकि मामला न्यायपालिका तक नहीं पहुंचा, "तो बड़े-बड़े शहरों में छोटी मोटी बातें होते ही रहती हैं"; शायद पूर्व चीफ जस्टिस आफ इंडिया सांसद रंजन गोगोई इसी प्रकार के अनुभव की निष्ठा से भ्रष्टाचार को समाज कि स्वीकारता को स्वीकार किए थे और कोई बात नहीं है...।


"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...