मामला एसी आदिवासी विभाग
पारदर्शी भ्रष्टाचार मे
ए.सी. ट्राईबल को मिली नोटिस..?
दो दशक के कौशल की कुशलता
को भी पड़ेगी चोट
जब से पूर्व सीजेआई सांसद रंजन गोगोई ने भ्रष्टाचार को समाज द्वारा स्वीकार कर लिए जाने की बातें कहीं गयी हैं तब से भ्रष्टाचार का पारदर्शी होने की अपेक्षा बढ़ती जा रही है। इस दिशा में शहडोल के आदिवासी विभाग ने अपने मील के पत्थर गाढ़े हैं।
एक तृतीय वर्ग कर्मचारी की प्रभारी पूर्व सहायक आयुक्त के रूप में करोड़ों रुपए का पांडे शिक्षा समिति जयसिंहनगर के नाम पर अवैध भुगतान और उसमें जिला कोषालय अधिकारी की निकासी पर सहमति एक बड़ा उदाहरण है। किंतु समय-समय पर उच्चाधिकारियों के निर्देश कानून व्यवस्था की रक्षा करते भी नजर आते हैं।
बहरहाल खबर है संभाग के उच्च अधिकारी ने आदिवासी विभाग में निर्देश किया है की लोकायुक्त की जांच और छापों में प्रभावित व कथित रूप से दंडित विनोद बारगाही नाम के कर्मचारियों को जानबूझकर जिम्मेदार प्रमुख पद पर पदस्थ करने के लिए क्यों ना दंडात्मक कार्यवाही की जाए । साथ ही इस मामले में भली-भांति जानकारी रखने वाले करीब दो दशक से एक ही स्थान पर सकुशल पदस्थ कर्मचारी कौशल मरावी के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं ।
एक्शन में अफसर
कमिश्नर शहडोल ने सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को जारी किया कारण बताओ नोटिस
विगत दिवस आरटीआई कार्यकर्ता नरेंद्र सिंह गहरवार की शिकायत पर
लोकायुक्त द्वारा दण्डित किए गए छात्रावास अधीक्षक बिनोद बरगाही को बनाए जाने का समाचार प्रकाशित किया था जिसमें 24 घंटे के अंदर उक्त आदेश को निरस्त किया गया था तथा कमिश्नर द्वारा जांच के आदेश दिए थे
संभागीय उपायुक्त द्वारा कि गई जांच के भेजे गए प्रतिवेदन के अनुसार यह पाया गया कि ज़िला कार्यालय के संज्ञान में यह बात थी कि जिस सख्स का आदेश किया जा रहा है वह गबन का आरोपी है इसके बाद भी उसका आदेश किया गया है।
किए गए इस आदेश जारी करने पर सहायक आयुक्त श्री धुर्वे को कमिश्नर के पत्र क्रमांक 4438 दिनांक 23/12/21 द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।यह कोई पहला मामला नहीं है एक अन्य मामले में जिस महिला अधीक्षिका को कमिश्नर द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप में छात्रावास से हटाया था उसे फिर से उसी पद पर बिठा दिया गया है।
इसके साथ ही कमिश्नर के पत्र क्रमांक 4439 दिनांक 23/12/21 के द्वारा छात्रावास शाखा प्रभारी कौशल सिंह मरावी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने हेतु सहायक आयुक्त को लेख किया गया है
खबरयह भी है कि पर्दे के पीछे से तृतीय वर्ग कर्मचारी एमएस अंसारी आज भी सहायक आयुक्त के भ्रष्टाचार संयक्त तमाम निर्णय पर अपनी पकड़ बनाए रखता है और सहायक आयुक्त के वाहन को लेकर जिले के तमाम हॉस्टल अधीक्षकों से संपर्क कर अपनी वर्षों की वसूली के दुकानदारी को अनवरत जारी रखें है। जबकि 2017 में ही इस आशय के निर्देश
दीपाली रस्तोगी द्वारा स्पष्ट तौर पर दिए गए थे की आदिवासी हॉस्टलों में आदिवासी अधीक्षक ही रखे जाएं । चर्चा आम हो चुकी है। करीब दो दशक से आदिवासी विभाग मे हॉस्टलों पर प्रति हॉस्टल 10हजार रुपये की अवैध उगाही और उसका बंदरबांट डीसी कार्यालय तक होने की बातें आम है ।अगर कुछ गैर आदिवासी के नियम विरुद्ध तरीके से हॉस्टल अधीक्षक के रूप में पदस्थापना होती है तो यह राशि 20 से 25हजार प्रतिमाह सुनियोजित तरीके से वसूला जाता है। जो आदिवासी छात्रों की पेट काटकर भ्रष्टाचारियों पारदर्शी तरीके से सिस्टम में बाटा जाता है।
और यही कारण है कि खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर बैठे हुए या काम कर चुके कुछ चर्चित बी इ ओ के करोड़ों रुपए की भ्रष्टाचार की खबरें आम हो चुकी है। जिसमें एक निलंबित हो गए ।तो अन्य एक चंदेल की 5 करोड़ रुपए से ज्यादा रीवा स्थित भव्य भवन की निर्माण की चर्चा आदिवासी विभाग के भ्रष्टाचार की पारदर्शिता का प्रमाण है। क्योंकि हॉस्टल अधीक्षक के रूप में लोकायुक्त से पकड़े गए या पनिश्ड कर्मचारियों को फिर से गंभीर पदों में लाकर खंड शिक्षा अधिकारी अथवा पूर्व सहायक आयुक्त की मिलीभगत से आदिवासी विभाग में भ्रष्टाचार की पकड़ को और कड़ा किया गया है। ताकि हर माह होने वाली अवैध उगाही को कुशल तरीके से संचालित किया जा सके।
बहरहाल देखना होगा संभागीय उच्च अधिकारी के कड़ी फटकार के बाद शहडोल सहायक आयुक्त कार्यालय में भ्रष्टाचारियों पर क्या कोई उठापटक होती है अथवा उन पर ज्यादा वसूली का और दबाव बनाया जाता है ...?
क्योंकि जब तक पांडे शिक्षा समिति के करोड़ों रुपए के अवैध भुगतान को करने वाले एमएस अंसारी जैसे लोगों के नेटवर्क से शिकायत कर्ताओ कि शिकायतों की वापसी होती रहेगी, उच्चाधिकारियों की कार्यवाही कितनी प्रभावशाली कहलायेंगे यह वक्त बताएगा। फिलहाल देखना होगा कि विनोद वरगाही के मामले में सहायक आयुक्त कौशल मरावी पर क्या कार्रवाई करते हैं तथा जवाबदेही का कितना पालन कर पाते हैं....?
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