बुधवार, 22 दिसंबर 2021

तालाब रक्षा में ब्लैकमेलर नहीं बन पाए- भाग 8( त्रिलोकीनाथ)

पौनांगतालाब का होगा


जीर्णाेद्धार सौंदर्यीकरण - कलेक्टर

शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के प्रस्ताव अनुसार 1 जनवरी से तालाबों का जीर्णोद्धार प्रारंभ हो जाना चाहिए शहडोल में शायद 1 जनवरी के पहले ही


कई तालाब इस वर्ष नक्शे से गायब हो जाएंगे हाल के समय में अखबार जगत ने तालाबों के प्रति कमिश्नर शहडोल की संवेदना के साथ अपने को जोड़ता हुआ दिखाया है। शहडोल- कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य ने भी कमिश्नर मुख्यालय के ठीक सामने स्थित पौनांग तालाब का निरीक्षण किया।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी को निर्देशित किया कि पौनांग तालाब का जीर्णाेद्धार का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि पौनांग तालाब के चारों ओर बाउण्ड्रीवाल कराना सुनिश्चित करें साथ ही तालाबों का बेहतर ढंग से साफ-सफाई कराएं तथा कलरफुल लाइटिंग की भी व्यवस्था कराना सुनिश्चित करें। कलेक्टर ने तालाबों के पास स्थिति मंदिरों की रंगाई-पुताई कराकर आकर्षक लुक देने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने सीएमओ को निर्देशित किया कि तालाबों का जीर्णाेद्धार कार्य कर उनका सौंदर्यीकरण का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराएं।  मौके पर नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे, सीएमओ अमित तिवारी  उपस्थित पर संभव है बारंबार सुंदरीकरण के लिए तरसते पौनांग तालाब को इस बार अपने सौंदर्य बोध का आभास हो।

 किंतु इसी प्रकार का आभास पूर्व में शहडोल के मोहना मंदिर तालाब पर करोड़ों रुपए खर्च करके और उतना ही भ्रष्टाचार करके अभियान प्रारंभ किया गया था। जो फिलहाल लूटखसोट और तोड़फोड़ का केंद्र बन गया है। तमाम सौंदर्यीकरण की सरकारी संपत्ति से बने सुंदरता का खुला दुरुपयोग होता है। अगर बिहारी-वोटरों की चिंता ना होती तो शायद छठ त्यौहार पर इस तालाब को कभी देखा भी ना जाता। जैसे मोहन राम के स्रोत तालाब शहर मुख्यालय का सबसे बड़ा गंदगी का गटर टैंक बन गया है


किंतु उसे झाड़ियों में छुपा दिया गया है या फिर सिंधी धर्मशाला ईदगाह और अन्य अतिक्रमणकारियों के हवाले कर दिया गया है ताकि वे स्रोत तालाब को लगातार भांटते रहें। यह परिस्थिति तब है जब इस पर करोड़ों रुपए की सरकारी होली खेली गई है।

 तो शहर के अन्य तालाबों को विलुप्त होने की कगार पर एसडीएम तहसीलदार और पटवारियों के भरोसे छोड़ दिया गया है


नगरपालिका तो जहां पैसा मिलता है उसी तालाब तालाब मानकर तालाबों का रकबा छोटा करके भ्रष्टाचार के अवसर तलाशने का काम करती है।

जैसा कि चौपाटी में काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने हाथों से ने तालाब गहरीकरण का किया बाद में इस तालाब को भांट कर चौपाटी का निर्माण कर दिया गया। इसी प्रकार घरौला का तालाब हो चाहे, बड़ी भीड़ का तालाब हो या फिर r.s.s. मुख्यालय की बगल का तालाब हो अपने आकार से आधे से भी कम कर दिया है निर्माण एजेंसियों ने। अब यह नगरपालिका की आमदनी का एक हिस्सा हो गया है जो अच्छी बात है किंतु तालाब का रकबा छोटा हो जाना बहुत गंदी बात है ।बहरहाल रातो रात कैसे तालाब शहडोल नगर में भट रहे हैं यह बदलते शहडोल की खतरनाक तस्वीर है ।
प्रधानमंत्री-आवास याने तालाब विनाश 
कुछ तो मुख्य मार्ग में तो बहुत कुछ अंदर तालाबों को नष्ट किया जा रहा है। नर्मदा गैस एजेंसी के बगल वाले तालाब में तो प्रधानमंत्री आवास का

पैसा लगाकर तालाब नष्ट करने के लिए प्रोत्साहित ही किया गया है इस तरह तालाबों की परंपरा कैसे विनाश होती है यह शहडोल में देखा जा सकता है।
विराट मंदिर का तालाब नहीं देख पाए महामहिम मंगू भाई

 महामहिम राज्यपाल शायद पहले ऐसे राज्यपाल रहे होंगे जो किसी पुरातात्विक संरक्षण वाले विराट मंदिर शहडोल में जा कर पूजा किए , किंतु उसके बगल में


एक बड़े तालाब की हत्या की योजना को सरकारी एजेंसियां और भ्रष्ट नागरिक तंत्र याने "माननीय पूंजीपति माफियागण" इस पुरातात्विक महत्व के तालाब को कैसे नष्ट हो जाने दिया यह भी एक बड़ा प्रमाण है क्या मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल पूजा करते वक्त नहीं देख पाए, यह भी बड़ा प्रश्न है..?

 बहरहाल "कर भला-तो हो भला" के अंदाज में अगर पौनांग तालाब से शहडोल कलेक्टर तालाबों के प्रति संवेदना के साथ उसे लोकहित में अपनी कल्पना के अनुरूप आकार दे पाती हैं तो यह एक अच्छी पहल कही जाएगी और स्वागतेय है।

 किंतु यदि किसी पटवारी के क्षेत्र में अथवा किसी नगर पालिका पार्षद के क्षेत्र में कोई तालाब नष्ट करने का प्रयास होता है तो वह क्षेत्रीय पटवारी के चरित्रावली में अथवा उस वार्ड पार्षद की चरित्रावली में क्यों अंकित नहीं करना चाहिए..? जैसे निर्वाचन आयोग ने किसी अतिक्रमण कारी को प्रतिबंधित किया है ।चुनाव लड़ने के लिए इसका उल्लेख क्यों नहीं शपथ पत्र में मांगा जाना चाहिए। कि क्या पार्षद रहते हुए संबंधित उम्मीदवार तालाब के रखवा को बचा पाया या फिर उसके विनाश मे आंखें मूंदकर नष्ट होने दिया।

 फिलहाल पत्रकारिता के दौर में शहडोल के तालाब की रक्षा में हम एक अच्छे-ब्लैकमेलर नहीं बन पा रहे हैं यह एक गंभीर चिंता का विषय है।


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