मंगलवार, 31 अगस्त 2021

सेवानिवृत्त हुए मृदुभाषी पुलिस अधिकारी व्ही.डी पांडे

 सेवानिवृत्त हुए व्ही.डी पांडे 

शहडोल। मंगलवार को सेवा निवृत्त हुए उपपुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) व्ही.डी. पाण्डेय, सहित सउनि0 भैरू सिंह, सउनि0 मोहन सिंह एवं सउनि रामसुमेर कोल का पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी द्वारा


विदाई सम्मान समारोह के दौरान साल, श्रीफल, फूलमाला, प्रशस्ति पत्र व शील्ड भेंट

कर सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि उप पुलिस अधीक्षक रहे व्ही.डी. पाण्डेय, अपनी सेवा काल के दौरान बेहतर कार्य करने वालों में गिने जाते हैं। आम जनमानस के बीच उनकी छवि बेदाग, निष्पक्ष एवं लोकप्रिय रही है। जनता की समस्यों को सहज भाव से सुनना व उसका निराकरण भी उसी सहजता से करना इनकी पहचान रही है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में खासतौर से पुलिस विभाग में समय रहते आम समाज मे स्वीकृति उसके जीवन की सफलता मानी जाती है उनका से जीवन लोक समाज सेवा में बीते ऐसी शुभकामनाएं हर शासकीय सेवक अपने दिल में रहकर सेवानिवृत्त होता है

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ONE'S Again-सैंया भए कोतवाल डर काहे का..

  • माफिया वंश को पटेल वंश की चुनौती 
  • सैंया भए कोतवाल डर काहे का..

    कुछ इस अंदाज में शहडोल की अवैध रेत खदानों का कारोबार खुलकर चल रहा है कभी जेसीबी से तो कभी डंपर से तो कभी ट्रैक्टर पकड़े जाते हैं। अब बेचारे ट्रैक्टर वाले ही निशाने पर रहते हैं इसलिए ट्रैक्टर वालों में गुस्सा बहुत है और वे तहसीलदार पर भी जाने-अनजाने आक्रमण करने पर नहीं डरते या फिर एक्सीडेंटल आक्रमण हो जाता है। यह रेत की माफिया गिरी है बंधु, कुछ इसी अंदाज पर चलती है। जब कभी एक्सीडेंट में कभी कोई आईपीएस मर जाते है। अगर बच जाते तो वह एक्सीडेंट कहलाता। क्योंकि तब तक सेटलमेंट हो गए होते। जैसा अक्सर होता है

    अन्यथा मध्य प्रदेश का कोई आईपीएस का माफिया-गिरी से हत्या हो जाए और रेत की माफिया गिरी 56 इंच का सीना तान कर जमकर चले तो हालात कुछ ऐसे ही बनते हैं तो कि "सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का.."
     अब सवाल यह है कि सैंया कौन है...? तो भ्रम जाल इतना ज्यादा है इसके लिए तो अब एक विश्वविद्यालय में पीएचडी होनी चाहिए ।
  • तो प्रदेश से लेते हैं प्रदेश के लोकप्रिय और दबंग युवा कांग्रेसी विधायक संजय शर्मा के संरक्षण में चलने वाली वंशिका ग्रुप शहडोल में सभी रेत खदान की एकमात्र ठेकेदार है क्योंकि नीतियां कांग्रेस मे ऐसी ही बनी थी। संजय शर्मा भारतीय जनता पार्टी के लोकप्रिय  विधायक भी रहे ।

    भाजपा के नवजात व नव धनाढ्य नेतृत्व से तनातनी होने के चलते अपने बलबूते वह कांग्रेस में आए और दबंगई से कांग्रेस के विधायक हो गए। जो भाजपा के लिए आंख की किरकिरी थी। और जब कांग्रेस के बाद भाजपा की सत्ता आई तब उन्हें अपने कारोबार को चलाने के लिए भाजपा के कार्यकर्ताओं की जरूरत थी। उन्होंने कॉन्ग्रेस राज में ठेका लिया था वह भाजपा के सभी नव धनाढ्य जिले के छोटे बड़े नेताओं को सौंप दिया। कहते हैं सुधीर शर्मा के बाद मैहर के

    कांग्रेस से पलटी मारे हुए भाजपा नेता श्रीकांत चतुर्वेदी आंशिक तौर पर शहडोल का ठेका उनका चला रहे हैं। आंशिक ठेका शहडोल जिले की भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता कम नेता कम  ठेकेदार ठेका चला रहे हैं। और इस प्रकार की नेतागिरी का उड़ान कितना ऊंचा है की एक नेता तो खुलेआम बलात्कार इसी रेता कि माफिया गिरी में  बंद भी हो गए थे । क्योंकि वे इमानदार वंशिका ग्रुप जो से हटकर माफिया गिरी कर रहे थे, दाग थे दाग को मिटा दिया गया भाजपाा ने उन्हें अलविदाा कह। अब पूर्ण पवित्रता के साथ कथित तौर पर भाजपा में आयातित ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्रुप के श्रीकांत चतुर्वेदी और स्थानीय भाजपा नेताओं के अधीन में अपनी अपनी ताकत से पूरी इमानदारी से, कहीं कोई बेमानी नहीं... कुछ इस अंदाज से दिखने वाली वंशिका ग्रुप की ठेकेदारी भाजपा और कांग्रेस के इंजन से ही नहीं बल्कि किसी रेलगाड़ी की डिब्बों में लगी हर इंजन से वंशिका ग्रुप का एक्सप्रेस पूरी रफ्तार में चल रहा है।

    और इससे जलने वाले अवैध रेत माफिया इस "बहुइंजन वंशिका ग्रुप" के नाम पर जिले में तमाम अवैध कारोबार कर रहे हैं ।जिस पर निगरानी रखने के लिए प्रशासन काअमला दिन रात मेहनत करता है। 
  • और बदनाम हुई बहुइंजन वाली वंशिका ग्रुप
  • इसी मेहनत के दौरान 31 अगस्त की  सुबह 8:30 बजे कुछ कथित तौर पर जैसीनगर के भटिगमा क्षेत्र में अवैध रेत परिवहन करने वाले ट्रैक्टर नंबर एमपी 18 ए बी 6458 मे लगे अवैध रेत का पीछा करने लगे तहसीलदार जैसिंहनगर दीपक पटेल अपने ड्राइवर को तेजी से इस गाड़ी के पीछा करने का आदेश दिया किंतु ट्रैक्टर वाला भी कमजोर नहीं था जब माफिया गिरी ने सिस्टम को खरीद लिया तो तहसीलदार कौन होता है... यह सोच, उसने तहसीलदार की जीप से तेज ट्रैक्टर की रफ्तार बढ़ा दी।

    नतीजतन एक्सीडेंट हो गया तहसीलदार की वाहन को एक्सीडेंट करते हुए ट्रैक्टर ट्राली पलट गया इस घटना से स्तब्ध तहसीलदार दीपक पटेल ने अपने ड्राइवर सीताराम शर्मा के हवाले से थाने में रिपोर्ट करवाई।
  •   जंगल में मोर नाचा किसने देखा 
  • इस हालत में क्योंकि जान किसी की नहीं गई माफिया और माफिया-मित्र मामले को तूल न मिले रफा-दफा करने में लग गए। क्योंकि अंत तः है बदनामी शासन और प्रशासन की ही होनी थी। एक न्यूज़ चैनल ने इसे तहसीलदार के हत्या का प्रयास बताया तहसीलदार दीपक पटेल ने तंग आकर अपना मोबाइल बंद कर लिया क्षेत्र के एसडीएम दिलीप पांडे ने इसे एक्सीडेंट मात्र कहा है ।
  • किंतु स्थानीय चर्चा जोरों पर है कि हाथियों के बीच में अगर पढ़ोगे तो पिस जाओगे। एक तरफ ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ बहु इंजन वाली वंशिका एक्सप्रेस है तो दूसरी तरफ इस ईमानदार वंशिका को बदनाम करने वाला माफिया का वंश है, जो अपना मुनाफा वंशिका के वंश के नाम पर लगातार बढ़ा रहा है। 
  • इसी दौर में अचानक शहडोल के प्रभारी मंत्री

    रामखेलावन पटेल हो जाते हैं ऐसे में तहसीलदार दीपक पटेल, पटेल वंश का दीपक जला लोकतंत्र का प्रकाश फैलाना चाहे जिससे यह एक्सीडेंट हो गया। अन्यथा जब कानून-व्यवस्था शांतिपूर्ण तरीके से काम कर रहा है तब सुबह-सुबह ट्रैक्टर माफिया को पकड़ने की क्या जरूरत थी...? यह बात उनके ड्राइवर बहनोई बंधु जो लौह पुरुष पटेल वंश के बहनोई थे तो दूसरी तरफ नारद जी के बहनोई, भ्रष्ट तंत्र को नियंत्रित करने का जिम्मा संभाले हुए थे ...एक तरह से दोनों कोटवार पूरी मुस्तैदी से रेत माफिया पर नकेल कसने का काम कर रहे थे और इसीलिए एक्सीडेंट हो गया।
  •  ऐसे में जंगल में मोर नाचा किसने देखा...? सवाल उठता है तो जवाब भी बड़ा साफ है कि जब प्रभारी मंत्री पटेल ने जिले के विकास की जिम्मेदारी संभाल ही रखी है तो बहुइंजन वाली वंशिका ग्रुप को अपने एक्सप्रेस में साले-बहनोई बंधुओं को सवारी का आनंद देना ही चाहिए अन्यथा ऐसी दुर्घटनाएं होती ही रहेंगे या फिर मध्य प्रदेश पॉलिटिकल हाईकमान  से हरी झंडी दिलवा दें कि अगर ब्राम्हण का कारोबार है तो पटेल दखल ना दें...? और बेईमानी की दुनिया में इमानदारी की आचार संहिता की यही मांग है। बहरहाल एक्सीडेंट हुआ कोई जान नहीं गई, बाकी राजकाज है, चलता रहता है।
  • हलांकि जनसंपर्क विभाग के जरिए इस संबंध में स्पष्टीकरण भी आया है 
    जिसमें कहा गया तहसीलदार जयसिंहनगर  दीपक पटेल ने अवैध रेत परिवहन की कार्यवाही के दौरान हुई दुर्घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक जानकारी की वस्तुस्थिति के संबंध में अवगत कराया है कि आज सुबह 8.34 बजे फील्ड भ्रमण के दौरान ग्राम भटगवांखुर्द में अवैध रेत परिवहन करते हुए ट्रैक्टर क्रमांक- एमपी 18 एबी 6458 को रुकवाये जाने के दौरान ट्रैक्टर चालक की लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाने से ट्रैक्टर ट्रॉली मौके पर पलट गई। जिसके कारण शासकीय वाहन का पिछला हिस्सा ट्रैक्टर इंजन से आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुआ है, अवैध रेत के परिवहन का प्रकरण क्रमांक-08/अ-67/2021-22 तैयार कर वरिष्ठ कार्यालय की ओर कार्रवाई हेतु भेजा जा चुका है। साथ ही लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाने से हुई वाहन दुर्घटना के संबंध में थाना जयसिंहनगर में  एफआईआर क्रमांक-389 पंजीबद्ध कराया गया है।


सोमवार, 30 अगस्त 2021

अमृतमहोत्सव पोस्टर से निकला जहर ..?

 शिक्षा मंत्रालय की कारस्थानी

अमृतमहोत्सव पोस्टर से निकला जहर..? 

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की जगह



रीवा 30 अगस्त . समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने देश की आजादी के अमृत महोत्सव पोस्टर्स में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के चित्र न होने और माफीखोर सावरकर के चित्र होने के सवाल पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है । श्री खरे ने बताया कि यह ऐतिहासिक सत्य है कि 14-15 अगस्त 1947 की दरमियानी रात आजाद भारत की बागडोर प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपी गई थी । इधर केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा देश की आजादी के 75 वर्ष को मनाने अमृत महोत्सव कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित है । यह भारी विडंबना है कि भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के द्वारा जारी किए गए आजादी अमृत महोत्सव पोस्टर में प्रथम प्रधानमंत्री महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर गायब कर दी गई है । यह अत्यंत आपत्तिजनक एवं निंदनीय कृत्य है । श्री खरे ने कहा कि घोर आपत्ति के साथ पोस्टर में सबसे विवादित बात यह है कि इसमें सावरकर जैसे व्यक्ति की तस्वीर है जिन्होंने आजादी के आंदोलन के दौरान अपनी काला पानी की सजा से मुक्ति पाने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी और आगे मुखबिरी के काम में लगे रहते हुए अंग्रेजों से पेंशन ली थी । इसके अलावा सावरकर ने सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था । श्री खरे ने कहा कि सावरकर के द्विराष्ट्रवाद जैसे विद्वेषपूर्ण विभाजनकारी सिद्धांत के चलते भारत बंटवारे के हालात बने । भारत के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के दौरान देश के कोने कोने में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक खून खराबा हुआ । ऐसी स्थिति में पोस्टर में सावरकर का चित्र लगाया जाना अत्यंत कलंकपूर्ण बात है । पोस्टर में डॉ भीमराव अंबेडकर का चित्र भी लगा हुआ है । उनका आजादी के आंदोलन से सक्रिय रिश्ता तो नहीं था लेकिन उस दौरान दलितों के सामाजिक उत्थान एवं उनकी आजादी के लिए डॉक्टर अंबेडकर का योगदान उल्लेखनीय है । श्री खरे ने बताया कि पोस्टर में इसके अलावा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , नेताजी सुभाष चंद्र बोस , डॉ राजेंद्र प्रसाद , अमर शहीद भगत सिंह , पंडित मदन मोहन मालवीय , सरदार वल्लभभाई पटेल के चित्र शोभायमान हो रहे हैं जिसको लेकर किसी को आपत्ति नहीं है .श्री खरे ने कहा कि पोस्टर में किसी महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को प्रतीकात्मक तौर पर भी नहीं दिखाया जाना काफी आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बहादुर शाह जफर , सीमांत गांधी भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान , अमर शहीद अशफाक उल्ला , मौलाना अब्दुल कलाम आजाद जैसी महान शख्सियत को भी नजरअंदाज कर दिया गया है । यह सच है कि सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं अमर शहीदों के चित्रों का किसी पोस्टर में उल्लेख संभव नहीं है लेकिन देश की आजादी के आंदोलन के साथ गद्दारी करने वाले व्यक्ति की अमृत महोत्सव पोस्टर में लगाई गई तस्वीर निश्चित रूप से अत्यंत शर्मनाक एवं कलंकित करने वाली है । समाजवादी जन परिषद के नेता श्री खरे ने कहा कि ऐसे पोस्टर को तत्काल प्रभाव से बदला जाना चाहिए । आजादी के आंदोलन एवं देश के इतिहास के साथ इस तरह के क्रूर खिलवाड़ से सभी व्यथित एवं आक्रोशित हैं।



शुक्रवार, 27 अगस्त 2021

आजादी की यह कैसी हीरक जयंती....?

आजादी की यह कैसी हीरक जयंती....?
कौन है इसका जिम्मेदार....?

 आर्थिक विकास के अपार संभावनाओ परिपूर्ण क्षेत्रों में क्यों  है बच्चों के अवैध व्यापार का कारोबार...
(त्रिलोकीनाथ)
शहडोल।
हम देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हीरक जयंती मनाने की तैयारी पर है भारत के संविधान में आदिवासी विशेष क्षेत्रों के जागरूकता एवं संरक्षण के लिए संविधान की पांचवी अनुसूची में भारत के कई जिलों के सहित शहडोल संभाग के  जिलों को शामिल किया गया है किंतु प्राकृतिक संसाधन स परिपूर्ण
इन जिलों में भारत की गुलामी की झलक अभी भी स्पष्ट तौर पर दिखाई देती प्रतीत होती है

क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों का समुचित सदुपयोग स्थानीय नागरिक विकास के लिए ना करके माफिया तस्करों मुनाफाखोरी और उद्योगपतियों के भारी मुनाफा के लिए पूरा लोकतंत्र एक प्रकार का यहां गुलाम बना रहा है जिससे आज भी प्राचीन युग की तरह है मानव देह व्यापार बेकारी  बेरोजगारी भुखमरी के लिए वरदान साबित होता है जिसकी एक झलक पुलिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन दावों के साथ देखने को मिली जिसे अपराधिक वह  देह व्यापार के अवैध कारोबार को पकड़ने की सफलता के साथ सामने आई यह सफलता एक तरफ अपराधियों पर पुलिस की कड़े होते शिकंजे का प्रमाण रहा तो दूसरी तरफ भारत का लोकतंत्र आदिवासी विशेष क्षेत्रों में उसकी असफलता के रूप में भी देखा जाएगा जहां तमाम राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और न्यायपालिका अपने अधकचरे पत्रकारिता के साथ विद्यमान हो वहां पर यह पतित-मानसिकता देह व्यापार को प्राचीन युग की कहानी बताती  प्रतीत होती है। कि हम 75 वर्ष बाद भी तमाम प्राकृतिक संसाधनों के परिपूर्णता के बाद भी मानसिक तौर पर कितने गए गुजरे और गरीब हैं। क्योंकि ईमानदारी से हमारे राजनेता आदिवासी विशेष क्षेत्रों के महिला एवं बाल सर्वांगीण विकास के लिए कुछ नहीं कर पाए.... आदिवासी क्षेत्रों में विकास का प्रोपेगेंडा और पाखंड स्थापित करने वाले लोकतंत्र के लिए बेहद शर्म की बात रही। यह इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का दूसरा पक्ष था।

सक्रिय समर्पण से पुलिस ने कई परिवारों को दी अविस्मरणीय मुस्कान की सौगात

 लेकिन बातौर और कार्यपालिका पुलिस प्रशासन की सक्रियता और सतर्कता ने समय रहते जो सफलता हासिल की है वह निश्चित तौर पर कर्तव्य निष्ठा के प्रति समर्पण को प्रमाणित करती है।  पुलिस अधीक्षक आशीष गोस्वामी के अनुसार आज दिनांक तक कुल 278 नाबालिक बच्चे जिसमें 42 बालक व 236 बालिकाएं शामिल है। सकुशल दस्तयाब कर उनके परिजनों को उनकी मुस्कान उनके सुपुर्द की जा चुकी है। 
अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश
 शहडोल जिले के पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी के अनुसार अपने  जिले में पूर्व से मानव देह व्यापार के ऐसे गिरोह सक्रिय रहे हैं जो जिले के नाबालिग बच्चों को उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकों को बेचकर बलात श्रम कराते थे जहां से उनकी घर वापसी नहीं हो सकती थी यह एक गंभीर समस्या के साथ-साथ पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती भी रही है। 
पुलिस को मुखबिर से मिली सूचना की मेरठ एवं हापुर उत्तर प्रदेश के मानव  व्यापार का एक गिरोह शहडोल जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों से गरीब नाबालिक बच्चों को ले जाने के लिए रवाना हो गया है जो कई बच्चों को अपने एजेंट के माध्यम से ले जाने वाला है। पुलिस ने आरोपियों के सारे मूवमेंट को नजर रखने के साथ-साथ ट्रैक भी कर रही थी सटीक जानकारी के आधार पर जयसिंगनगर क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का गिरोह बच्चों को लेकर रवाना हो गया जहां पर पुलिस पर घेराबंदी करते हुए उत्तर प्रदेश पासिंग बस नंबर यूपी 15 CT 4609 को 19 नाबालिक बच्चों के साथ गिरफ्तार कर नाबालिक बच्चों को रेस्क्यू कराने में सफलता प्राप्त की है। 
बस नंबर यूपी 15 CT 4609 के चालक सोनू कुमार शर्मा पिता प्रकाश शर्मा उम्र 37 वर्ष निवासी आलमगीरपुर जिला बुलंदशहर उत्तर प्रदेश, दूसरा चालक सूर चंद पिता नानक चंद उम्र 34 वर्ष निवासी जागृति विहार मेरठ उत्तर प्रदेश, एजेंट शकील अहमद पिता रौनक अली उम्र 29 साल निवासी ग्राम असोड़ा जिला हापुर उत्तर प्रदेश के कब्जे से बच्चों के परिजनों के बिना संज्ञान व बिना वैध संरक्षण के षडयंत्र पूर्वक बंधुआ मजदूरी कराने के उद्देश्य मेरठ ले जा रहे 19 नाबालिक बच्चों को पुलिस द्वारा जयसिंह नगर के पास रोककर सुरक्षित दस्तयाब किया गया ।
  पुलिस की तत्परता ने 19 परिवार के चेहरे की मुस्कान उनके बच्चों को मानव दुरव्यापार का शिकार होने से बचा लिया वही ऐसे गिरोह का खुलासा कर उस गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों  से पूछताछ के बाद मानव तस्करी के जिले में सक्रिय अन्य एजेंटों व गुमशुदा नाबालिक बच्चों से संबंधित अन्य जानकारियां  की भी संभावनाएं है।

पुलिस विशेष मॉडल से मिल रही सफलता
जिले के पुलिस कप्तान ने गुमशुदा नाबालिक बालक बालिकाओं के खोजबीन एवं घर वापसी के लिए एक विशेष मॉडल बनाया जिसमें सभी थाना प्रभारी की कनेक्टिविटी, उपलब्ध जानकारियों को शेयर करना, गुमशुदा की किसी भी मामले की जानकारी होने पर एक प्रोफार्मा अनुसार जानकारी इकठ्ठा करना, शुरुआती 48 घंटे जिन्हें पुलिस अधीक्षक गोल्डन आवर के नाम से संबोधित करते हैं इस नियम की एस ओ पी के पालन के सतत निर्देश एवं उसके मॉनिटरिंग के विशेष प्रबंध किए गए थे। महिला अपराध प्रकोष्ठ सुश्री सोनाली गुप्ता के नेतृत्व में में नाबालिक बालक बालिकाओं को खोजने एवं दस्तयाब करने वाली समस्त टीमों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। पुलिस के ऑपरेशन मुस्कान 01 के तहत माह जनवरी 2021 में कुल 61 नाबालिक बालक और बालिकाओं को दस्तयाब किया गया। इसी तारतम्य में ऑपरेशन मुस्कान02 दिनांक 15 जुलाई 2021 से 31 अगस्त 2021 तक चलाया जा रहा है जिसमें आज दिनांक तक 100 नाबालिक बालक बालिकाओं की दस्तयाब किया जा चुका है। जिले के विभिन्न थानों की टीम नाबालिक बच्चों की दस्तयाब हेतु प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर भेजी गई है।

पुलिस की इस सफलता से पुलिस मुख्यालय ने शहडोल पुलिस का तारीफ भी की है बहरहाल समर्पित पुलिस कार्यवाही ने सिद्ध किया है

पुलिस शहडोल जोन द्वारा सभी पुलिस अधीक्षकों को गुमशुदा बालक बालिकाओं की दस्तयाब करने हेतु निर्देश के पालन में शहडोल जिले के पुलिस कप्तान अपने विशेष मुहिम के तहत ऑपरेशन मुस्कान का सफल संचालन करते दिख रहे है।   ऐसे कर्तव्यनिष्ठ नागरिक समाज से देश की स्वतंत्रता अपनी संभावनाओं को टटोलती रहती है।

मंगलवार, 24 अगस्त 2021

सूदखोर-मीडियसन सेंटर क्यों बना थाना...?

शहडोल में शंखनाद,
अनूपपुर सबसे बड़ी सूदखोरी कार्यवाही....

 





पर



 उमरिया मे 
सूदखोर-मीडियसन सेंटर
क्यों बना थाना...?

थाना-मिडिएशन से आदिवासी केवल जिंदगी तबाह...
 शहडोल जोन की पुलिस की उदाहरण दिए जानेवाली कहानियों के रूप में कहा जा सकता है की शहडोल पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी ने ऑपरेशन शंखनाद के जरिए जो मार्गदर्शी सिद्धांत तय किए उस पर अनूपपुर मे पुलिस ने अब तक की सबसे बड़ी सूदखोरी की प्रमाणित कार्यवाही को अंजाम दिया है। जो यह भी तय करता है की संविधान की पांचवी अनुसूची मे शामिल शहडोल क्षेत्र की निरस्त हो चुकी सूदखोरी लाइसेंस के बाद भी प्रतिबंधित-सूदखोरी के हालात क्षेत्र मे सफल लूटपाट के कारोबार बना है... जिसे शहडोल के बाद अनूपपुर जिले पुलिस की कार्यवाही प्रमाणित भी करती है यह सफलता से चल रहा था। जिसमें सुनियोजित कार्यवाही से ही लोगों को न्याय मिल पाएगा।
 बावजूद इसके उमरिया जिले के नरोजाबाद थाने में सूत्र के रूप में ही सही गंभीर जानकारी होने के बाद थाना नरोजाबाद सूदखोर के लिए मेडिएशन सेंटर का काम करते हुए कॉलोनी के सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारी की जिंदगी भर की कमाई करीब 17 लाख  का खुला लूट आखिर क्यों हो जाने दिया....?
 

नरोजाबाद पुलिस का एक पक्ष यह भी है की पर्याप्त दस्तावेज नहीं मिले तो फिर यह नरोजाबाद पुलिस की असफलता ही है कि उसने कोई प्लानिंग नहीं की और सूदखोर हो राहत देने का काम किया....?
 यदि वह अनूपपुर जिले की तरह कार्यवाही करती तो अब तक आदिवासी केवल सिह को दर-दर भटक कर मर जाने के लिए छोड़ नहीं देती...? 

 तो पहले देखें सूदखोरी के विरूद्ध अनूपपुर पुलिस की आज तक की सबसे बड़ी कार्यवाही,आज दिनांक 24.08.2021 को पुलिस अधीक्षक द्वारा गठित 10 टीमें जिसमें निरीक्षक से आरक्षक स्तर के लगभग 200 अधिकारी/कर्मचारी सम्मिलित थे, के द्वारा कार्यवाही कर बड़ी मात्रा में नगद राषि लगभग 55 लाख रूपये, 160 चेकबुक, 710 नग ब्लैंक चेक, 225 पासबुक, 73 एटीएम कार्ड, 48 पेनकार्ड, 66 आधार कार्ड, 50 शपथ पत्र , 80 अंकसूची, 25 ़ऋणपुस्तिका, सैकड़ों कोरे हस्ताक्षरित दस्तावेज, कोरे नोटराईज्ड दस्तावेज एवं अन्य दस्तावेज जप्त किये एवं 08 आरोपियों को हिरासत में लिया गया । (1) मो. अफजल, (2) बृजकिषोर मिश्रा, (3) योगेन्द्र शर्मा, (4) ओमान साहू, (5) लतीफ (6) सुरेष गौतम (7) अजय सिंह (8) मनोज गुप्ता एवं दो आरोपी (1) रामचरण केवट एवं (2) वीरन राय फरार हैं, जिनकी गिरफ्तारी हेतु विषेष टीम गठित की गई है । (रिपोर्ट; इंडियान्यूज पर रिपोर्टर अजीत मिश्रा अनुपपूर)

 थाना नरोजाबाद बना सफेद हाथी का दिखाने का दांत
सवाल यह है कि जब आदिवासी की ओर से संभावित सभी दस्तावेज पुलिस के हर स्तर पर प्रस्तुत रहा है जिसमें सिद्ध है कि थाना नरोजाबाद में सूदखोर उमेश सिंह के लिए मेडिएशन का काम हुआ है ऐसे में जब तक जिला पुलिस की विशेष इकाई सक्रिय होकर जमीनी हालात को खंगालने का काम नहीं करेगी सूदखोर कैसे पकड़ा जाएगा....? जबकि पर्याप्त शिकायतें भी हुई हैं। फिर भी केवल सिंह अपनी मृत्यु की सीमा तक पुलिस और प्रशासन से यह आशा बनाए हुए हैं कि "भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं...उसे न्याय जरूर मिलेगा... ।
देखना होगा उमरिया की पुलिस प्रमुख उसे क्या राहत दे पाते हैं तब जबकि शहडोल अनूपपुर की पुलिस ने अपने-अपने मील के पत्थर गढ़े हैं अथवा विशेषकर शोषित और प्रताड़ित आदिवासी केवल सिंह के लिए सूदखोरी मीडिया सेंटर बनकर पुलिसिया कार्यवाही केवल हाथी का सफेद हाथी का दिखाने का दांत बनकर रह जाएगा...?


गुरुवार, 19 अगस्त 2021

नजूल पट्टा के संबंध में आई जानकारी

 नजूल पट्टा के संबंध में आई जानकारी


धारणाधिकार के संबंध में दिशा-निर्देश जारी

शहडोल नगर धार्मिक ट्रस्टों की जमीनों का संरक्षण एक बड़ी चुनौती

शहडोल 19 अगस्त 2021- भू-अधीक्षक श्री प्रदीप मोगरे ने धारणाधिकार के संबंध में जानकारी दी है कि, धारणाधिकार- धारणाधिकार नगरी क्षेत्रों की शासकीय भूमि में धारकों को भूमि स्वामी अधिकार पत्र प्रदान किया जाना है नगरी क्षेत्र में नजूल शासकीय भूमि पर 31 दिसंबर 2014 के पूर्व आवासीय वेबसाइट मकान बनाकर निवासरत व्यवसाय करने वाले व्यक्तियों को 30 वर्षीय लीज पर दिए जाने का प्रावधान है। पात्रता की शर्तें- नगरी क्षेत्र में नजूल शासकीय भूमि पर 31 दिसंबर 2014 के पूर्व आवासीय वेबसाइट मकान बनाकर उपभोग करने वाले व्यक्तियों को 30 वर्षीय लीज पर दिए जाने का प्रावधान है। 

 दरों का निर्धारण- आवासीय प्रयोजन के मामले में प्रथम 150 वर्ग मीटर तक (कलेक्टर गाइडलाइन) बाजार मूल्य का प्रीमियम 5 प्रतिशत एकमुश्त देय होगा,151 से 200 वर्ग मीटर पर 10 प्रतिशत एक मुश्त, 200 वर्ग मीटर  से अधिक भूमि के मामले  में (कलेक्टर गाइडलाइन) बाजार मूल्य का  प्रीमियम 100 प्रतिशत एक मुश्त देय होगा। व्यवसायिक प्रयोजन के मामले में- प्रथम 20 वर्गमीटर एक (कलेक्टर गाइडलाइन) बाजार मूल्य का प्रीमियम 25 प्रतिशत एक मुश्त देय होगा, 21 से 100 वर्ग मीटर तक (कलेक्टर गाइडलाइन)  बाजार मूल्य का प्रीमियम 50 प्रतिशत एक मुश्त देय होगा,100 वर्गमीटर से अधिक भूमि के मामले में (कलेक्टर गाइडलाइन) बाजार मूल्य का प्रीमियम 100 प्रतिशत  एक मुश्त देय होगा।

             भू-भाटक का निर्धारण-मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता (भू-राजस्व का निर्धारण एवं पुर्ननिर्धारण) नियम 2018 के अंतर्गत निर्धारण के लिए विहित दर से दुगनी दर पर प्रतिवर्ष देय होगा। आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज- 31 दिसंबर 2014 के पूर्व का बिजली बिल, जलकर, समग्र आईडी, किसी शासकीय कार्यालय क्रम से जारी से भूखंड से संबंधित दस्तावेज, पत्राचार की प्रति, स्थानीय निकाय द्वारा जारी संपत्ति कर की रसीद, मतदाता सूची के नाम, पता, जनगणना 2021 में उल्लेखित पता, बैंक पासबुक की प्रति ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, आधार आधारित ईकेवाईसी एवं किसी शासकीय कार्यालय का परिचय पत्र।

      आवेदन की प्रक्रिया- आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदक किसी भी एम.पी. ऑनलाइन सेंटर कियोस्क सेंटर अथवा www.rcms.mp.gov.in पोर्टल के माध्यम से धारणाधिकार के तहत आवेदन कर सकते हैं तथा 07 दिवस के अंदर मूल आवेदन कलेक्टर न्यायालय में जमा करना अनिवार्य होगा जमा न करने की दशा में आवेदन निरस्त किया जा सकता है।

बहुप्रतीक्षित चर्चित नजूल भूमि पट्टा के संबंध में शहडोल नगर में सैकड़ों की संख्या में कई दशकों से लोगों की जन अपेक्षाओं को स्वरूप मिल सकेगा शहडोल ही नहीं पूरे संभाग में काम ना करें कई दशकों की अपनी पुरानी समस्याओं से निजात पा सकेगा।

धार्मिक ट्रस्ट संपत्ति सुरक्षा मे यह व्यवस्था एक बड़ी चुनौती।


किंतु इसके साथ ही शहडोल क्षेत्र के उन सभी धार्मिक ट्रस्ट के लिए यह व्यवस्था एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर आ भी सामने आया है क्योंकि इन समितियों के किरायेदारों ने अपनी पहचान छुपा कर शासकीय जमीन बता कर पट्टा लेने का योजना बना रखी है। कतिपय मामलोंं मे धार्मिक ट्रस्ट के जानकार ट्रस्टी पंडित पुजारी मौलवी भी इसे संरक्षषण देते प्रतीत होते हैं। ऐसी जन चर्चा शहडोल बाजार में आम हो चुकी है। देखना होगा प्रशासन की इस व्यवस्था में धार्मिक ट्रस्टों को कितना संरक्षण मिल पाता है।

मंगलवार, 17 अगस्त 2021

मंडल संयोजक (आदिवासी) बाजपेई बने सीईओ जनपद पुष्पराजगढ़।

 

शहडोल संभाग में रामराज्य

मंडल संयोजक (आदिवासी) बाजपेई बने सीईओ जनपद पुष्पराजगढ़।


पहले भी दे चुके हैं सेवाएं...

सीईओ सोनी हटाए गए

संभाग के अनूपपुर जिले अंतर्गत आदिवासी क्षेत्र जनपद पुष्पराजगढ़ में पदस्थ सीईओ देवेंद्र सोनी को शिकायतों के बाद हटा दिया गया है उसकी जगह पूर्व में जनप्रतिनिधियों के लोकप्रिय रहे मंडल संयोजक बाजपेई को प्रभार दे दिया गया है इस तरह मंडल संयोजक सीईओ का कार्यभार देखेंगे

शहडोल में भी मंडल संयोजक अपनी लोकप्रियता के दमखम पर सहायक आयुक्त आदिवासी विकास का प्रभार संभाल रहे हैं। इसी तरह अन्य मंडल संयोजक लोकप्रियता बना अन्य विभागों का भी दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं


बुधवार, 11 अगस्त 2021

केवल के हिस्से में थाने ने दिया केवल प्रताड़ना...?

मामला लाखों की सूदखोरी का....

आखिर किन कमजोरियों से गुजर रहा है


पुलिस उमरिया का "ऑपरेशन शंखनाद" 

(त्रिलोकीनाथ)

अपनी-अपनी कार्यशैली होती है अपनी-अपनी योग्यता होती है... और इसीलिए शहडोल पुलिस अधीक्षक जब सूदखोरी के खिलाफ शंखनाद चलाते हैं तो उन्हें अपने सिस्टम को किस प्रकार से सूदखोरों के नेटवर्क को ट्रेस आउट करना है जिससे कि सूदखोर पकड़ा भी जा सके और उससे प्रभावित हितग्राहियों को उसका लाभ मिल सके, इस तरह जब से पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी शहडोल में "ऑपरेशन शंखनाद" के जरिए सूदखोर माफियाओं पर कड़ी नजर रखना चालू किया है सूदखोरी के कारोबार करने वालों पर कड़ा प्रहार हुआ है और वह लगातार दहशत में है कि कहीं उसकी बारी तो नहीं....?

 किंतु जिला पुलिस अधीक्षक विकास कुमार का कार्यालय उमरिया मे यह आत्मविश्वास और सिस्टम विकसित नहीं हो पा रहा है और शायद उसके पीछे ताना-बाना यह है की उसका थाना ही सूदखोरों के संरक्षण में खड़ा हुआ दिखता है। अन्यथा नरोजाबाद और पाली क्षेत्र में सूदखोरी का पर्याय बन चुका उमेश सिंह नामक व्यक्ति किसी आदिवासी सेवानिवृत्त कालरी कर्मचारी केवल सिंह की जीवन भर की कमाई करीब 17लाख रुपए उसे सूदखोर से वापस मिल जाते। लेकिन जब पहली बार शिकायत नरोजाबाद थाने पुलिस को गई तो नरोजाबाद थाने मे बजाय सूदखोर के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही करने के वह सूदखोर उमेश के साथ आदिवासी केवल सिंह की मध्यस्थता कर आने लग गया। नतीजतन उसे कुछ लाख रुपए कि मध्यस्थता में और कुछ अंश केवल सिंह को पुलिस थाना नरोजाबाद दिला पाया बाकी पैसा तथाकथित समझोता नामा के मकड़जाल में उलझ गया ,जिसस निकल पाना केवल सिंह के लिए उतना ही प्रताड़ना का कारण बना हुआ है जितना कि उमेश सिंह के सूदखोरी के मकड़जाल में  फंसा हुआ महसूस कर रहा है।


 हाल में उमेश सिंह को जब पुलिस अधीक्षक उमरिया के दिशा निर्देश पर कुछ हजार रुपए के के मामले में पकड़ा गया तब केवल सिंह की आशा भी जाग गई कि शायद उसके साथ  हो सके और वह जीवन के चौथे उम्र में भारी आर्थिक कंगाली के बावजूद पुलिस अधीक्षक कार्यालय उमरिया में अपना निवेदन लेकर पहुंचा किंतु अब उसे निराशा के चक्रव्यूह ने घेर रखा है क्योंकि जिम्मेदार जांचकर्ता एसडीओपी नरोजाबाद थाने की मध्यस्थता का हवाला देकर मामले को पटाक्षेप करते नजर आ रहे हैं। बजाय इसके कि जो भी तथ्य उपलब्ध हैं उसमें उस कम-पढ़े लिखे आदिवासी कि मदद कर हकीकत के तह तक पर पहुंच सकें। क्योंकि मामला 17लाख रुपए सूदखोरी के जरिए गायब कर देने का है इसलिए उमेश सिंह के खिलाफ सबूत भी लगभग गायब हो रहे हैं। शिवाय इसके कि नरोजाबाद पुलिस थाना मध्यस्थता करके मामले को रफा-दफा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी...?

 ऐसे में संविधान की पांचवी अनुसूची में शामिल आदिवासी विशेष क्षेत्र में कहने के लिए तो कथित सूदखोरी लाइसेंस धारी उमेश सिंह ने नासिर्फ केवल सिंह को बल्कि क्षेत्र के अन्य लोगों को अपने मकड़जाल और पुलिस थाना की सहायता से जमकर लूटा और प्रमाणित तथ्य होने के बावजूद भी युवा और सतर्क पुलिस अधीक्षक जिला उमरिया में होने के बावजूद वह अपनी पुलिस व्यवस्था में स्वयं को सफलता से बचा पा रहा है।

 तो सवाल यह है  फिर क्या विशेषताएं शहडोल पुलिस अधीक्षक के "ऑपरेशन शंखनाद" मे रही जिस वजह से शहडोल जिले के सूदखोर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं... वही उमरिया जिले का सूदखोर उमेश सिंह जैसे लोग किसी छोटे केस में उमरिया जिला पुलिस का कुछ देर के लिए तो मेहमान होता है किंतु जहां भी लाखों और करोड़ों रुपयों किस सूदखोरी का मामला संभावित तौर से दिखता है वह नरोजाबाद थाने की रची गई सूदखोरी-रामायण-कथा में दम तोड़ता नजर आता है.। क्योंकि बताने वाले स्पष्ट तौर पर बताते हैं कि बाहर से नरोजाबाद क्षेत्र में आकर आजीविका पालन हेतु आया उमेश सिंह आखिर कैसे करोड़ों रुपए का आसामी चर्चा के रूप में बना बैठा है। क्या इतना पर्याप्त नहीं है की वह क्यों करके लाइसेंस धारी ब्याज में पैसा देने वाला व्यक्ति के रूप में वहां सफलता से स्थापित रहा है। और स्थानी बैंकर्स के साथ मिलकर न सिर्फ सेवानिवृत्त केवल सिंह को बल्कि कई लोगों को सूदखोरी के जरिए अपना विस्तार किया जिसके कारण उसकी शिकायतें पुलिस थाना नरोजाबाद तक आकर दम तोड़ती रही हैं।


इस तरह पुलिस अधीक्षक विकास कुमार के सूदखोरी अभियान का विकास भी नरोजाबाद थाने में आकर ठहर जाता है जो केवल सिंह के लिए केवल उसके पारिवारिक प्रताड़ना वाह बदहाली मैं जीवन जीने का का कारण बना देता है तो पुलिस अधीक्षक के लिए यह एक चुनौती भी है कि किस प्रकार से आदिवासी समाज और दलित समाज को इस सूदखोरी सिस्टमैटिक सिस्टम से न्याय दिला पाएगा...?

  थाने वाले उमेश सिंह की ऑफिस की तरह उसका मेडिएशन करते रहे। ऐसे में एसडीओपी को अगर सबूत नहीं मिल पा रहे हैं तो यह जिला पुलिस उमरिया की बनाई गई सिस्टम की कमजोरी ही साबित करता है बेहतर होता जिले के युवा व सतर्क पुलिस अधीक्षक  जिले स्तर पर सूदखोरी की इस नेटवर्क को विशेषकर कर्मचारी बाहुल्य क्षेत्रों में शहडोल पुलिस अधीक्षक की ऑपरेशन शंखनाद तर्ज पर उमेश सिंह जैसे बहुचर्चित प्रभावशाली वथाने को अपने करेले की तरह इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को पकड़ पाते तब भी शायद जीवन के चौथे पन में आदिवासी केवल सिंह व अन्य प्रताड़ित लोगों को न्याय मिल पाएगा अन्यथा सिस्टम ब्याज खोरी के कारोबार के पक्ष में प्रबल होता चला जाएगा ...?



रविवार, 8 अगस्त 2021

जैतहरी के बिरझू को मिली कमिश्नर की संवेदना का संदेश

 जैतहरी के बिरझू को मिली

कमिश्नर की संवेदना का संदेश

    8 अगस्त / अनूपपुर जिले मे जनपद जैतहरी के  ग्राम  लहरपुर के मुर्राटोला निवासी वृद्ध बिरझू मैना गरीबी की स्थिति होने से बरसात के दिनों में भी मिट्टी के घरौंदे में पन्नी लगाकर जीवन यापन करने मजबूर था। वृद्ध बिरझू की परेशानियों से किसी ने शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा को मोबाइल पर व्हाट्सएप करके अवगत कराया उन्होंने संदेश को गंभीरता से लेते हुए तत्काल ही जनपद पंचायत जैतहरी के मुख्य  कार्यपालन अधिकारी  सतीश को अवगत कराया और इन कार्यों में तत्पर सीईओ श्री तिवारी तत्काल मौके पर पहुंच बिरझू को सांत्वना देते हुए मिट्टी के घरौंदे में लगी पन्नी को हटाकर जी.आई.टीन सीट लगाकर उन्हें संबल प्रदान किया उन्होंने जरूरत पड़ने पर उन्हें सूचित करने को भी कहा बिरजू मैना के घर के आसपास की गंदगी को भी हटाया गया विदित हो कि बिरजू के कोई संतान नहीं है। आशा करनी चाहिए हर जनपद के सीईओ को की वे अपने स्वविवेक से दूरस्थ अंचल इन परिस्थितियों में इस संवेदना संदेश के तहत कम से कम एक जरूरतमंद को सहायता पहुंचाएंगे।


शनिवार, 7 अगस्त 2021

शहडोल प्रेस क्लब ने रखा मील का पत्थर (त्रिलोकीनाथ)

 शहडोल प्रेस क्लब ने रखा मील का पत्थर

  शासन-प्रशासन एवं समाज का




आईना होता है पत्रकार: प्रभारी मंत्री श्री पटेल


(त्रिलोकीनाथ)

 सर्किट हाउस में प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल के हाथ से जब प्रेस क्लब अपने सदस्यों को बीमा सुरक्षा का कवच दे रहा था निश्चित रूप से पत्रकारिता के लिए यह एक सांगठनिक शुभ शुरुआत है। वैसे तो शहडोल की पत्रकारिता के इतिहास में डेवलपमेंट एरिया से प्रकाशित होने वाले पहले अखबार दैनिक जनबोध के प्रकाशक द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने शहडोल के ही दैनिक भास्कर के रूप में हिंदी पत्रकारिता का बल्कि गुजराती पत्रकारिता और  अंग्रेजी पत्रकारिता में भी विश्व में पहचान बनाई है। इतने बड़े लीडर के होने के बावजूद इस आदिवासी क्षेत्र में पत्रकारिता का पिछड़ापन उसके पतन की छाप छोड़ता रहा है। जहां दुनिया में हिंदी पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को शहडोल की धरातल से पहचान मिली वही कहीं कोई अपवित्र मंसा के कारण शहडोल में पत्रकारों की सासकीय पहचान, अधिमान्यता समिति का गठन भी ना हो पाना शहडोल जैसे आदिवासी अंचल में  बुरे सपने की तरह लोकतंत्र की मजबूती को कमजोर करता है।

 इस परंपरा को तोड़ते हुए शहडोल प्रेस क्लब ने आपसी समन्वय और ट्रस्ट का एक मिसाल कायम किया है ।कुछ इसी प्रकार की बातों को प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल  ने सर्किट हाउस में अपने उद्बोधन में कहे। प्रभारी मंत्री श्री पटेल ने कहा प्रेस


क्लब ने सुरक्षा कवच बीमा का देकर पत्रकारों की कार्य क्षमता को बढ़ाया है उन्होंने इस कार्य के लिए प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजीव निगम और महासचिव कमलजीत सिंह की सराहना भी की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश में कार्यपालिका, न्यायपालिका, व्यवस्थापिका एवं मीडिया स्तंभ के रूप में अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं। मीडिया शासन-प्रशासन एवं समाज का आईना होता है जो खबरें प्रकाशित कर कमियों को दूर करने के लिए कार्य करता है एवं सभी को सजग करता है। मीडिया का कार्य कठिन तम होता है तथा खबरों को सत्यता एवं मंथन विचार एवं सही जानकारी के साथ प्रकाशित करना चाहिए अपभ्रंश एवं पूर्ण जानकारी बिना खबरों का प्रकाशन कभी-कभी गलत संदेश दे देता है। उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब द्वारा पत्रकारों को दिए जाने वाले निशुल्क बीमा का लाभ कोरोना संकट काल के दुख की घड़ी में सहारा बनेगा। 

 उद्बोधन में पत्रकारों की सुविधा के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में एक पत्रकार कक्ष के लिए ₹600000 देने की बात कर जल्द ही इसके क्रियान्वयन पर आसार होने की बात भी कही।


इस अवसर पर शहडोल जिले के विधायक वह पूर्व मंत्री जयसिंह मरावी, ब्यौहारी विधायक शरद कोल तथा जैतपुर क्षेत्र की विधायक मनीषा सिंह के साथ कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह, पुलिस अधीक्षक अवधेश गोस्वामी ने भी प्रेस क्लब के सदस्यों को सारगर्भित संदेश दिया। कि पत्रकारो हर कदम में आलोचना समालोचना समाचारों से का आमंत्रण कर लोकतंत्र के प्रहरी होने की बात कही। इस मौके पर कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्र सिंह ने कहा कि मीडिया महत्वपूर्ण एवं उत्तरदायित्व का बखूबी निर्वहन करते हुए प्रत्येक जानकारियों से प्रशासन एवं आम लोगों के बीच कड़ी का कार्य करता है। पुलिस अधीक्षक  अवधेश कुमार गोस्वामी ने कहा कि मीडिया प्रशासन एवं समाज के हर लोगों को उचित एवं अच्छी जानकारियां उपलब्ध कराता है तथा इससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से खबरों का शीघ्र प्रसारण एवं जानकारियां उपलब्ध होती हैं। कार्यक्रम में  कमल प्रताप सिंह ने प्रेस क्लब के द्वारा द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करते हुए जिला एवं प्रदेश को विकास के रास्ते में ले जाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अजय जायसवाल ने किया।

प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजीव  के स्वर्गीय पिता रमेश निगम, दैनिक भास्कर के पितृ संगठन शहडोल से प्रकाशित दैनिक जनबोध मे लंबे समय तक संपादकीय में रहे पत्रकार हित में उनके छोड़े गए कार्यों को आज कुछ कदम और आगे बढ़ते हुए देखा गया ।निश्चित तौर पर प्रेस क्लब अपने सदस्यों के लिए बीमा कवच का जो कार्य किया है उससे अन्य संगठन पत्रकार हितों के लिए प्राथमिकता की प्रतियोगिता करना चाहेंगे ताकि आदिवासी अंचल में लोकतंत्र में प्रेस की जड़ें मजबूत हो सकें।



ओलंपिक में मिला गोल्ड

 नीरज चोपड़ा ने रचा स्वर्णिम इतिहास

 ओलंपिक में मिला गोल्ड






















आज मिले स्वर्ण पदक को नीरज चोपड़ा ने उड़न सिख मिल्खा सिंह को समर्पित किया मिल्खा सिंह व उनकी धर्मपत्नी हाल में ही कोरोना के शिकार हो गए थे।


पूरे देश में जश्न का माहौल है करीब 13 साल पहले भारत के हिस्से में ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक आया था। देशवासियों को बहुत बधाई।


शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

मृतक परिवारों को स्थानीय रोजगार में प्राथमिकता नहीं...?

 शहडोल संभाग घोषित 270 में दो पत्रकार ब्लैक फंगस मे भी मरे... 

मृतक परिवारों को स्थानीय संसाधन में रोजगार में प्राथमिकता नहीं...?


 सवाल पर प्रभारी मंत्री कि कोई सोच नहीं है


(त्रिलोकीनाथ साथ विवेक पांडे)

 कोविड-19 इंडिया की माने अब तक शहडोल मे 118 अनूपपुर मे 89 और उमरिया में 63 इस तरह संभाग में 270 लोग इस घोषित महामारी की मौत में मर गए हैं ।शहडोल , अनूपपुर और उमरिया में अलग-अलग प्रभारी मंत्री है। सरकार का दावा है कि वह बहुत संवेदनशील है। संसद में सरकार ने कहा कि ऑक्सीजन  कमी से कोई नहीं मरा बावजूद इसके तथाकथित अघोषित तौर पर शहडोल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से करीब 20 से ज्यादा लोग मरे थे । अयोध्या में स्थापित राजनैतिक राम की कसम खा भी ली जाए कि हां सरकार सही बोल रही है क्योंकि जो मर गए वे लौटकर नहीं आने वाले और ना ही बताने वाले हैं की वे ऑक्सीजन कमी से मरे हैं अथवा कोविड-19 महामारी से या फिर पोस्ट कोविड-19 इफेक्ट यानी कोरोना से ठीक होने की पश्चात हार्टअटैक डिप्रेशन सुसाइड से मरे हैं या फिर किन्ही अन्य कोविड-19 से....? शहडोल में दो पत्रकार कोविड-19 जनित ब्लैक फंगस मे मर गए। तो इस पर ज्यादा मंथन करना संवेदनहीनता की पोस्टमार्टम करने जैसा है।

 प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण शहडोल संभाग मे मृतकों के शेष बचे जीवित लोगों के लिए स्थाई रोजगार कारक समाधान क्या सरकार के पास है यह एक बड़ा प्रश्न है...? हलांकि सरकारी दावा सबसे बेहतरीन करने का है किंतु सरकार की नगद देने वाली भीख से हटकर मृतकों के परिजनों को स्वावलंबन के साथ जीने के लिए स्थाई रोजगार देने के प्रयास स्थानीय संसाधन जनित रोजगार से क्यों नहीं होना चाहिए...?

 क्या स्थानीय प्राकृतिक संसाधन सिर्फ उद्योगपतियों, राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के तथाकथित विकास नामक अज्ञात योजना के लिए आरक्षित है..? या फिर वोट की राजनीति वाले एससी-एसटी-ओबीसी में जन्म लेने वाले "आरक्षण "के लिए आरक्षित है... यह भी बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है..?

 भलाई सरकारे दावा करें कि स्थानीय संसाधन में स्थानीय व्यक्तियों को रोजगार सर्वोच्च प्राथमिकता है किंतु इस महामारी में मृतक परिवार के लिए भी ऐसा कुछ दिखता नहीं ।


शहडोल में सर्किट हाउस पर प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल से यही प्रश्न पूछने का प्रयास किया गया.. उन्होंने या तो प्रश्न को समझा नहीं या फिर संवेदना के साथ उसका उत्तर देने में बचते दिखे। गोलमोल जवाब से उनकी जवाबदेही कम होती दिखी। जब उनसे बार-बार इस पर चर्चा की जा रही थी, वे प्रदेश की सरकारी योजनाओं को देश की सबसे अच्छी योजना बता कर स्थानीय संसाधनों में रोजगार में प्राथमिकता के प्रश्न को खत्म करते दिखे तो देखिए यह झलक पत्रकार वार्ता की।




गुरुवार, 5 अगस्त 2021

पतित लोकतंत्र की भी कहानी है भारतीय खिलाड़ियों के पदक

यह कैसा गौरवशाली क्षण...?

ओलंपियाड से क्यों झलकती है


हमारे खिलाड़ियों की गरीबी


(त्रिलोकीनाथ) 

बहुचर्चित फिल्म गांधी में अपनी भारत यात्रा के दौरान जब वे एक नदी पर उतरकर पानी पीने जाते हैं तब देखते हैं की एक महिला अपने आंचल को अपने वस्त्र से ढकने का प्रयास करती हैं , महात्मा गांधी के आंखों में पानी भर आता है और वे अपना अंगवस्त्र पानी में बहा कर उक्त महिला को देने का प्रयास करते हैं । 

सार्वजनिक स्थानों में आजादी के सत्तर साल बाद भी यह मंजर अक्सर देखने को मिलता है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक खेलों के बाद महात्मागांधी के सबसे बड़े अनुयाई होने के दावा करने वाले गुजरात  निवासी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 लाख की सूट तब  मुंह चिढ़ाने जैसा लगता है जब ओलपियाड से ताम्रपदक, रजतपदक जीत कर हमारी गौरव को अपनी बदहाली से, गरीबी से संघर्ष करके सामने दिखने वाला खिलाड़ी भारत के प्रतीक के रूप में पहचाना जाता है। और इवेंट के रूप में उसका मजाक बनाया जाता है हर कोई इस तात्कालिक लाभ में अपनी वैसी फोटो उसके साथ दिखाना चाहता है जैसे गांधी फिल्में गांधी ने तब अपना अंग वस्त्र भारत की गरीब महिला को उसकी गरीबी के लिए दिया था...; अंतर इतना है तब गांधी देश के लिए काम कर रहे थे और अब हमारे नेता अपनी वोट राजनीति को लूटने के लिए उसकी गरीबी को बेचते हैं...

 अन्यथा पहले ओलंपियाड में जब हॉकी के जादूगर ध्यानचंद ने का जादू दुनिया में छाया था अथवा पाकिस्तान के जन्मे मिल्खा सिंह भारत की गुलामी से आजादी तक समस्याओं और परिस्थितियों से इतना भागे कि उन्हें जन्म तो पाकिस्तान में लेना पड़ा विकास भारत में करना पड़ा और उड़न सिख का तमगा पाकिस्तान ने दिया। इसके बावजूद भी भारतीय खेलों के लिए भारत की गरीबी नेताओं की गरीबी से ज्यादा गरीब दिखती है..., क्योंकि वे उनकी गरीबी को भी बेचकर प्रचार करके थकना नहीं चाहता।

 जबकि भारत के लिए भारत का गरीब दुनिया के ओलिंपियाड में अपनी कड़ी मेहनत से और उससे ज्यादा कड़े संघर्ष से पदक जीत कर लाता है। जापान के ओलिंपियाड में ऐसे ही कुछ हमारे गौरवशाली क्षण कुछ इस प्रकार से दर्ज हुए। हमें गर्व है इस शर्म के साथ कि भारतीय राजनीति कुछ सीख नहीं पाई संघर्ष साली इतिहास से...










रवि कुमार दहिया गुरुवार 57 किलोग्राम फ़्री स्टाइल कुश्ती के फ़ाइनल में रूसी ओलंपिक समिति के पहलवान ज़ोर उगुएव से 7-4 से हारे. तो वहीं 86 किलोवर्ग फ़्री स्टाइल कुश्ती में पूनिया यूरोपीय देश सैन मारिनो के पहलवान माइल्स अमीन से हारे.

इसी तरह प्राप्त सारे ऐतिहासिक पदक हमें सिर ऊंचा करके जीने का अंदाज बताते हैं जीत के बाद हर कोई उसके पीछे देखना चाहता है श्रेय भी लेना चाहता किंतु इमानदारी से मैं कुछ करना नहीं चाहता भारतीय खेलों को जमीनी हकीकत का जामा पहनाने के लिए वह उतना ही झूठा साबित होता है जितना कि संसद में कोरोनावायरस के संबंध में कहा गया यह दवा की ऑक्सीजन की कमी से भारत में एक भी व्यक्ति नहीं मरा।

 अयोध्या की राम की कसम।


"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...