गुरुवार, 25 मार्च 2021

गोस्वामी जी ने लिखी "सूदखोरी-मानस" पुलिस को चुनौती.. या प्रेरणा.

 गोस्वामी जी ने लिखी

 "सूदखोरी-मानस"


 पुलिस के लिए बनेगी बड़ी चुनौती.. या प्रेरणा....?

 पुलिस का सूदखोरों पर शिकंजा ऑपरेशन शंखनाद....



पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में की गई ताबड़तोड़ कार्यवाहीकोयलांचल क्षेत्र में काफी समय से विभिन्न माध्यमों से शहडोल के संवेदनशील पुलिसअधीक्षक को यह सूचनायें प्राप्त हो रही थी कि भोले-भाले आदिवासी संवर्ग के लोगों को क्षेत्रके प्रभावशाली वर्ग के द्वारा छोटी-मोटी कर्ज के रूप में नगदी रकम अथवा उपयोग कीवस्तुओं को देकर उनकी वसूली अनवरत कर ऐसे व्यक्तियों को कर्ज से मुक्त नहीं होने देते हैंऔर आजीवन वह व्यक्ति कर्ज के बोझ तले दबा ही रहता है। ऐसे अनेक परिवार हैं जो कर्जके बोझ में दबकर परिवार सहित आत्महत्या जैसे कदम उठा चुके हैं। 

पुलिस अधीक्षक शहडोल ने इस प्रकार की सूचना के आधार पर जिले के प्रभावशाली पुलिस अधिकारियों की एक टीमइस कार्य में लगाई और परिणामस्वरूप दिनांक 24.03.2021 को पुलिस की सक्रियता कीजानकारी प्राप्त होने पर फरियादी रमई बैगा पिता गुमानी बैगा निवासी बंगवार कॉलोनी धनपुरीके द्वारा पुलिस अधीक्षक शहडोल को सीधे सूचना दी गई कि धनपुरी निवासी कालू सिंधी उर्फअनिल जसवानी एवं राकेश गुप्ता इससे खाली चेकों में हस्ताक्षर कराकर स्वयं राशि अंकितकरते हुए कूट-रचना करते हुए इसे धोखे में रखकर इसके खाते से 4,90,000 रूपये की क्षतिपहुंचाये हैं। सूचना को गंभीरता से लेकर पुलिस अधीक्षक के द्वारा थाना प्रभारी धनपुरी कोतत्काल वैधानिक कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया। थाना प्रभारी धनपुरी द्वारा तत्परता सेधारा 420, 467, 468 ता.हि. का अपराध उपरोक्त आरोपीगणों के विरूद्ध पंजीबद्ध किया गयाऔर फरियादी से विस्तारपूर्वक पूछताछ करने पर बताया गया कि उक्त दोनों आरोपी बैंकएल0आई0सी0 एवं एस0ई0सी0एल0 से संबंधित कार्य को एक साथ करते हैं। इसे पैसों कीआवश्यकता होने से इसने इनसे कहा कि मेरे पी0एफ0 खाते से 9,00,000 रूपये का लोनदिला दें तब दोनों आरोपियों के द्वारा लोन दिलाने को कहकर पीड़ित से कई कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराया गया और खाली चेकों पर हस्ताक्षर यह कहकर कराया गया कि बाबू इत्यादि को खर्चा देना पड़ता है। पीड़ित का खाता एस0बी0आई0 बुढ़ार में है जहां से इसेजानकारी मिली कि उक्त दोनों आरोपी कालू सिंधी उर्फ अनिल जसवानी एवं राकेश गुप्ता इसके पी0एफ0 खाते से लोन न निकलवाकर एस0बी0आई0 बुढ़ार से दिनांक 17.10.2018 को09 लाख रूपये का लोन दिलाया है और उक्त दिनांक को ही बैंक ने 3,57,236 रूपये एवं1,00,000 रूपये भी काटे । इस प्रकार 4,94,757 रूपये शेष बचे। पूर्व से हस्ताक्षर कराकर रखे गए इसके चेकों के माध्यम से दोनों आरोपियों के द्वारा दिनांक 18.10.18 को चेक क्र. 550862 से 3,00,000 रूपये एवं चेक क. 550843 के माध्यम से 1,90,000 रूपये खाता क्र.020342775390 में ट्रांसफर कराये गए। बिना इसकी जानकारी के दोनों आरोपीगणों ने इसकाखाता भी एस0बी0आई0 बुढ़ार से एस0बी0आई0 अमलाई ट्रांसफर करा दिया। इस प्रकार उक्तदोनों आरोपीगणों ने पीड़ित आदिवासी समुदाय के रमई बैगा के साथ जानबूझकर कूटरचनाकरते हुए मूल्यवान राशि चेक के द्वारा प्राप्त कर इसके साथ छल किये हैं और 4,90,000रूपये की क्षति पहुंचाये हैं। 

पीड़ित के बताये अनुसार उक्त दोनों आरोपीगणों को पुलिस नेअभिरक्षा में लेकर पूछताछ की है और उनके कब्जे से पीड़ित के हस्ताक्षरउपयोग की गई रकम भी वसूल की जावेगी। बैंक की भूमिका की भी जांच की जा रही है।साक्ष्य के आधार पर वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।उपरोक्तानुसार की गई कार्यवाही की जानकारी जब धनपुरी कस्बा में आग की तरह फैली तो धनपुरी के इसी प्रकार से ठगे गए व्यक्तियों ने बिना किसी डर के पुलिस केपास अपनी पीड़ा बताने उपस्थित हुए। इसी क्रम में दिनांक 25.03.21 को ही फरियादी सुनीता वर्मा पति स्व0 अशोक वर्मा निवासी वार्ड नं. 3 धनपुरी की थाना धनपुरी में उपस्थित होकर लिखित आवेदन पत्र प्रस्तुत की कि धनपुरी निवासी मुनव्वर अली तथा जवाहर जसवानी इससेअधिक ब्याज वसूलने के लिए हस्ताक्षर किये खाली चेक रखकर कूट-रचना कर धोखाधड़ीकिये हैं। विवरण अनुसार पीड़िता बताई कि मई 2019 में इसे पैसों की जरूरत थी और यहकहीं से लोन लेने की बात कर रही थी। उसी समय आरोपी मुनव्वर अली बोला कि ब्याज मेंपैसे दिला दूंगा मेरा दोस्त जवाहर जसवानी मेरे साथ पैसा लेन-देन का काम करता |


 हमलोगों की बैंक में अच्छी पहचान है। हम तुमस ब्याज भी कम लेंगे। पीड़िता इनकी बातों परविश्वास करके 1,70,000 रूपये का लोन लेना तय किया जिसमें मुनव्वर अली तथा जवाहरजसवानी ने इससे दो-दो कोरे चेकों पर हस्ताक्षर करवाये और तीन-चार कोरे चेक बिनाहस्ताक्षर के भी ले लिये। जिसमें स्वयं हस्ताक्षर बना लिये। इसे कोर्ट ले जाकर शपथ पत्रबनवाये। उसमें 2 लाख रूपये देने की बात लिखाकर हस्ताक्षर कराये थे। इससे 10 प्रतिशतब्याज लेने को दोनों ने कहा था इसके बाद मुनव्वर अली बैंक ऑफ बड़ौदा के खाता संख्या

05080100004169 से कोरे लिये गए चेकों में से एक में 2 लाख रूपये स्वयं भरकर जून 2019में निकाल लिये और मुझसे ब्याज की रकम मांग करने लगे। इसके द्वारा मुनव्वर अली तथाजवाहर जसवानी से हस्ताक्षर किये गए खाली चेक व शपथ पत्र वापस मांगा तो नहीं दे रहेहैं। इसे डर है कि इसके खाली चेकों का कहीं गलत उपयोग न करें। पीड़िता के अनुसारमुनव्वर अली तथा जवाहर जसवानी ने 1,70,000 रूपये उधार देकर इससे 2,00,000 रूपयेउधार लेने की लिखा-पढ़ी कराकर अनाप-शनाप कर्जा ब्याज के रूप में वसूला है। पीड़िताकी रिपोर्ट पर उपरोक्त दोनों आरोपीगणों के विरूद्ध धारा 420, 467, 468 भादवि 3/4 म0प्र0ऋणियों का संरक्षण अधिनियम पंजीबद्ध कर विवेचना की गई तो उक्त दोनों आरोपीगणपुलिस की अभिरक्षा में स्वीकार किये कि उन्होंने पीड़िता के साथ धोखाधड़ी की है।आरोपीगणों के कब्जे से पीड़िता सुनीता वर्मा का शपथ पत्र तथा हस्ताक्षर किया हुआ कोराचेक तथा भारतीय स्टेट बैंक की चेकबुक तथा पासबुक, अन्य के हस्ताक्षरित कोरा चेक वपीड़िता से संबंधित दस्तावेज जप्त किये गए हैं। बैंक की भूमिका की जांच की जा रही है।अनुसार अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।

साक्ष्य केपुलिस अधीक्षक शहडोल द्वारा बनाये गए अनुकूल वातावरण तथा सूदखोरों के विरूद्ध छेड़ी गई कार्यवाही के परिणामस्वरूप फरियादी एस0के0 देवांगन पिता डी0एस0 देवांगन वरिष्ठ शाखा प्रबंधक, भारतीय जीवन बीमा निगम बुढ़ार भी थाना धनपुरी में उपस्थित आकर आरोपी बृजवासी अग्रवाल, त्रिवेणी अग्रवाल एवं अरूण अग्रवाल के विरूद्ध सूचना रिपोर्ट दर्ज करायाकि बीमा एजेंट ब्रजवासी अग्रवाल व उसकी पत्नी त्रिवेणी तथा लड़का अरूण अग्रवाल छल पूर्वक बीमाधारकों से धोखाधड़ी कर कूटरचना करते हुए बीमा धारकों की पॉलिसी में से लोन अथवा सरेंडर राशि प्राप्त करने तथा अवैध रूप से लाभ अर्जित करने किये हैं कि उक्त तीनों व्यक्ति जो बीमा पॉलिसी एजेंट हैं इनके द्वारा वर्ष 2017 के पूर्व सेवर्तमान तक बीमा धारकों को ब्याज में पैसा दिया जाता है और नया बीमा कर तीन वर्ष पूरा होने पर उस पॉलिसी में से लोन अथवा सरेंडर राशि प्राप्त करने हेतु पॉलिसी धारकों से कोरे फार्म में हस्ताक्षर कराकर उनके फॉर्म स्वयं भरकर बीमा कार्यालय को भिजवाया जाता है ।

उक्त अभिकर्तागण सरेंडर की राशि अलग से खाता खुलवाकर अपने पास रखा रहता है औरराषि उसी खाते में भिजवाने हेतु कार्यालय में पत्राचार करता है। तीनों अभिकर्ताओं द्वारा बीमाधारकों से वेतन पर्ची लेकर उसकी छायाप्रति में बैंक खाता क्र. सुधारकर स्वयं के द्वाराप्रमाणित किया जाता है और बीमा धारकों के नाम से आवेदन करवाया जाता है कि लोन सरेंडर की राषि का भुगतान इसी खाते में चाहिए। फरियादी द्वारा कुछ पॉलिसी धारकों द्वाराकी गई शिकायत की जांच में उनके वेतन पर्ची तथा बीमा के अन्य कागजातों में कूटरचना की गई है तथा छलपूर्वक स्वयं के लिए लाभ अर्जित किया गया है पॉलिसी धारक 1. श्री सीतारामदाहिया, 2. रामदास बैगा, 3. बीमाधारक राजेश कुमार विश्वकर्मा, 4. कोसेलाल इस प्रकारइनके साथ उक्त तीनों आरोपीगणों के द्वारा अपनी योजना अनुसार उनके द्वारा भेजी गई रकमको स्वयं के द्वारा खुलवाये गए खाता पर प्राप्त कर छल किया गया और लाभ अर्जित कियागया है। साथ ही ब्याज में पैसा देकर उसके बदले में नया बीमा भी किया जाता है और बीमापॉलिसी का 03 वर्ष पूरा होने पर उस पॉलिसी के अंतर्गत लोन हेतु आवेदन कराया जाता है।

लोन लेने के तुरंत बाद पॉलिसी सरेंडर हेतु आवेदन भिजवाया जाता है। साथ ही उक्त तीनोंआरोपी बीमा अभिकर्ताओं के द्वारा पॉलिसी धारकों से हस्ताक्षर करवाकर उनकी ओर से झूठीशिकायतें की जाती हैं तथा बीमा दस्तावेज तथा लोन आदि के दस्तावेजों में कूटरचना करआपराधिक षड़यंत्र करते हुए अवैध तरीके से लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से धोखाधड़ी कीगई है। आवेदक के आवेदन पत्र के आधार पर धारा 420, 467, 468, 120-बी, 34 ताहि काअपराध उक्त तीनों आरोपीगणों के विरूद्ध पंजीबद्ध कर विवेचना के दौरान आरोपी बृजवासीअग्रवाल को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई तो जुर्म स्वीकार करते हुए अपने कब्जे सेधोखाधड़ी के दस्तावेज जप्त कराये हैं। अन्य आरोपीगणों की तलाष व विवेचना जारी है।पुलिस अधीक्षक द्वारा चलाये गए सूदखोरी अभियान में न केवल धनपुरी क्षेत्रसहयोगी बन रहा है बल्कि थाना अमलाई एवं थाना खैरहा क्षेत्र में भी कोयलांचल के सूदखोरोंसे तंग आ चुके पीड़ितों के द्वारा थाना में पहुंचकर अपनी फरियाद बताई गई और पुलिस केद्वारा तत्काल वैधानिक कार्यवाही की गई। थाना अमलाई में सूचनाकर्ता राजेश चौधरी पिता

बंटी चौधरी उम्र 39 निवासी अमराडंडी लिखित में शिकायत दर्ज कराई कि आरोपी नारायणकचेर जो इसी के साथ कॉलरी में नौकरी करता है एवं भारी ब्याज में रकम उधार में देकरसूदखोरी का काम करता है। भोले-भाले लोगों को अपना षिकार बनाता है और उसकीकमाई का एक बड़ा हिस्सा लेकर उसका और उसके परिवार का जीवन तबाह कर देता है।अगस्त 2019 में पीड़ित को पत्नी के ईलाज के लिए 50,000 रूपये की आवष्यकता थी तोइसने नारायण कचेर से 50,000 रूपये 01 वर्ष के लिए उधार लिया जिसके बदले एक सालबाद 02,00,000 रूपये देने की लिखा-पढ़ी इससे करवाया था और यूनियन बैंक की चेकबुक वएसबीआई की चेकबुक में हस्ताक्षर करवाकर अपने पास रख लिया था। दोनों बैंकों का एटीएमभी अपने पास रख लिया था। इसने वर्ष 2020 में नारायण कचेर का 2021.05.2518:2Bवापस कर दिया था। उधार का पैसा वापस करने के बाद भी नारायण कचेर ने इसके दोनोंएटीएम से 3,50,000 रू0 निकाल लिये। पैसा वापस मांगने पर बोलता है कि तुम्हारा पैसाब्याज में कट गया है। तुम्हें और 4,00,000 रूपये देने पड़ेंगे। शिकायत करने पर कानूनीकार्यवाही की धमकी देता है और 4,00,000 रूपये का नोटिस दे दिया है। आरोपी नारायणकचेर के द्वारा दिशा-निर्देश देकर अपने भतीजे लालबहादुर कचेर के माध्यम से इसके खातेसे एटीएम के जरिये पैसा निकलवाता था जो आज वह भी इसकी मदद करना चाहता है तथागवाही देने को भी तैयार है। पीड़ित के अनुसार आरोपी नारायण कचेर इसी तरह पचासोंलोगों को ब्याज में पैसा देकर उनके पासबुक एटीएम व चेक अपने पास रखे गए हैं वहअपनी मर्जी से शपथ पत्र बनवाकर अपने पास रख लेता है। पीड़ित के अनुसार आरोपीनारायण कचेर 50,000 के बदले साढे तीन लाख रूपये एटीएम के जरिये निकलवा चुका हैतथा 50,000 नगद भी ले लिया है और 4 लाख रूपये और देने के लिए नोटिस भेजा है।आरोपी नारायण कचेर इसी प्रकार अपनी सूदखोरी की दुकान चलाकर अमलाई,धनपुरी के कईकॉलरी श्रमिकों को अपने जाल में फंसाकर उनकी खून-पसीने की मेहनत की कमाई घर बैठेलूट रहा है। पीड़ित की षिकायत पर थाना अमलाई में आरोपी नारायण कचेर के विरूद्ध धारा3/4 म0प्र0 ऋणियों का संरक्षण अधिनियम का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना के दौरानआरोपी से पूछताछ की गई तथ जुर्म स्वीकार करने पर उसके कब्जे से 46 बैंक पासबुक,विभिन्न बैंकों के 13 एटीएम, 06 व्यक्तियों के शपथ-पत्र, 09 व्यक्तियों के चेक बुक एवं

हस्ताक्षर युक्त 23 चेक जो विभिन्न बैंकों के हैं। इसके साथ ही आरोपी द्वारा संपर्ण सूदखोरी

के दौरान बांटे गए कर्ज का लेखाजोखा जिस रजिस्टर में लिखा है उसे भी पुलिस ने आरोपी

के कब्जे से जप्त किया है तथा उसके मोबाईल को भी जप्त कर पुलिस आगे की विवेचना

कर रही है। आगे विवेचना के दौरान जप्त किये गए दस्तोवजों के आधार पर छानबीन कर

अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।

थाना खैरहा में फरियादी रामकरण विश्वकर्मा पिता काषी विष्वकर्मा उम्र 61 साल

निवासी चौराडीह के द्वारा थाना उपस्थित होकर चलाये गए अभियान के आधार पर विश्वास

करते हुए सूदखोर रामसुमन जायसवाल एवं उसके लड़के बृजकिशोर के विरूद्ध लिखित रिपोर्ट

दर्ज कराया कि कॉलरी में नौकरी करने के उपरांत यह वर्तमान में सेवानिवृत्त है। वर्ष 2011 में

अपनी आवश्यकता के लिए सेवा के दौरान ही सिरौंजा निवासी रामसुमन जायसवाल से

60,000 रूपये उधारी लिया था और उधारी पटाने के लिए 5,000 रूपये प्रतिमाह अदा करता

था। वर्ष 2014 तक इसी तरह पैसा अदा करता रहा। किन्तु 2014 में तबियत खराब होने पर

1,40,000 रू0 का कर्ज पुनः रामसुमन जायसवाल से उधार लिया और गारंटी के तौर पर दो

खाली चेक दिया था और नोटरी कराया था। तबियत ठीक होने के बाद 10 हजार रूपये

प्रतिमाह की दर से वापस करने लगा। मार्च 2019 तक इसने 10हजार रू0 प्रतिमाह रामसुमन

व कभी-कभी उसके लड़के बृजकिशोर को अदा किया था। मय ब्याज के पूरा पैसा अदा करने

के बाद जब इसने रामसुमन जायसवाल से अपने दोनों चेक व नोटरी वाला कागज मांगा तो

उसने कहा कि बाद में आकर ले जाना और उसन वापस नहीं किया। दिनांक 21.03.21 को

रामसुमन व उसका लड़का बृजकिशोर करीब 03 बजे दोपहर इसके घर में आये। ये अपनी

पत्नी विमला व पुत्र रामप्रसाद के साथ अपने घर के बाहर बैठा था तो दोनों पिता पुत्र


आरोपीगणों ने बोला कि ब्याज का 06 लाख रू0 तुम और दो इसने कहा कि जो कर्ज का

पैसा लिया था उसे ब्याज के चुका दिया हूँ। तभी दोनों लोग मां-बहन की बुरी-बुरी गाली

दिये और धमकी दिये कि अगर ब्याज का पैसा 6 लाख रूपये नहीं पहुंचाये तो घर से उठाकर

जान से मार देंगे। पीड़ित की रिपोर्ट पर दोनों पिता पुत्र के विरूद्ध धारा 294, 506, 34 भादवि

3/4 मप्र ऋणियों का संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कर आरोपीगणों के

कब्जे से पीड़ित के दोनों चेकबुक, शपथपत्र तथा लेन-देन का रजिस्टर जप्त किया गया है

तथा विवेचना की जा रही है।

इस प्रकार जिले के संवेदनषील पुलिस अधीक्षक के कुषल मार्गदर्षन में चलाये

गए सूदखोरों के विरूद्ध इस अभियान में धनपुरी एसडीओपी श्री भरत दुबे, उप पुलिस अधीक्षक

सुश्री सोनाली गुप्ता, उप पुलिस अधीक्षक सचिन धुर्वे, निरीक्षक महेन्द्र सिंह चौहान, उनि

रत्नांबर शुक्ला, उनि विकास सिंह, उनि उमाशंकर चतुर्वेदी, उनि सुभाष दुबे, उनि आराधना

तिवारी, उनि प्रदीप द्विवेदी, उनि राजदेव मिश्रा, सउनि राकेश मिश्रा, सउनि दिलीप सिंह,

सउनि राकेश बागरी तथा थाना धनपुरी, अमलाई एवं खैरहा का स्टॉफ के अलावा मुख्यालय से

बुलाये गए अधिकारी/कर्मचारी की भूमिका रही है। जप्त किये गए दस्तावेजों के आधार पर

आगे की विवेचना की जा रही है। पुलिस अधीक्षक शहडोल की तरफ से समूचे जिले के

वासियों को सूचित किया जाता है कि जिले के या जिले से बाहर के ऐसे सूदखोर यदि किसी

को भी उपरोक्त प्रकार से परेषान कर उनकी कमाई का हिस्सा वसूल रहे हैं, ऐसे व्यक्तियों के

विरूद्ध कार्यवाही के लिए शहडोल पुलिस तत्पर है और अपेक्षा करती है कि पीड़ित सामने

आकर अपनी पीड़ा बतायें।

उपरोक्त समस्त सूदखोरों से भारी मात्रा में आदिवासियों एवं अन्य गरीब कॉलरी

में काम करने वाले कर्मचारियों के हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक, बैंक चेक बुक, पास बुक, एटीएम,

ऋण पुस्तिका एवं अन्य दस्तावेज जप्त किये गए हैं। जिसके आधार पर विवेचना के दौरान

यह पाया गया कि बहुत अधिक संख्या में भोले-भाले आदिवासी , अन्य कर्मचारियों व व्यक्तियोंको बड़े संगठित रूप से उपरोक्त सूदखोरों द्वारा न केवल ठगा गया बल्कि उन्हें आजीवनआर्थिक रूप से बंधुआ बना लिया गया । पुलिस के द्वारा ऐसे ठगे हुए व्यक्तियों की सूचीबनाई जा रही है एवं अपनी कार्यवाही से सूदखोरों के चंगुल से स्थाई रूप से मुक्ति दिलवाईगई।सभी सूदखोर आरोपियों के विभिन्न बैंकों में बैंक खाते सीज कर दिये गए हैं।उपरोक्त बैंक खातों में जमा रकम से भी पीड़ित व्यक्तियों की हुई क्षति की भरपाई कीजावेगी। 

आज के प्रेस कॉन्फ्रेंस में नरोजाबाद थाना कार्यप्रणाली को लेकर सूदखोरी का उठा मुद्दा नरोजाबाद थाना अंतर्गत पाली के सूदखोर उमेश सिंह के द्वारा करीब 17 लाख रुपए सूदखोरी में हड़प लिए जाने का मुद्दा उठा जिसमें एक आदिवासी सेवानिवृत्त कॉलरी कर्मचारी केवल सिंह  से मात्र ₹30000 ब्याज में लिए जाने के बाद सूदखोर द्वारा एटीएम रख लिया गया और पूरी राशि जो सेवानिवृत्त पर उसे करीब 17 लाख रुपए मिली थी एटीएम से निकाल ली गई उमेश सिंह द्वारा 2011 से अपने साथ हुए धोखाधड़ी के शिकायत नरोजाबाद थाने में  करने के बाद भी उसे कोई राहत नहीं मिली के बाद थाना  में जो भी अधिकारी आए उन्होंने कुछ हजार रुपए देकर समझौता बना कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया किंतु मामला अनुसूचित जाति आयोग के पास पहुंच जाने के बाद पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बना हुआ है अब जबकि शहडोल में सूदखोरी पर बड़ा अटैक हुआ है देखना होगा संज्ञान लिए जाने पर पुलिस महा निरीक्षक संबंधित थाना के दोषी पुलिस कर्मचारियों के खिलाफ सूदखोरी को बढ़ावा दिए जाने पर क्या कार्यवाही करते देखते हैं ज्ञातव्य है सूदखोर उमेश सिंह पूरे क्षेत्र में कथित तौर पर लाइसेंस होल्डर सूदखोर के रूप में अपना दबदबा बनाया हुआ है

 अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल जोन द्वारा उपरोक्त कार्यवाही की सराहना करते हुए पूरी टीम को 30,000 रूपये नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है।


मंगलवार, 23 मार्च 2021

कमल पर सवार कोरोना का पहला वर्षगांठ

 


कमल पर सवार

कोरोना का पहला वर्षगांठ

(त्रिलोकीनाथ)

कोरोनावायरस को लेकर कथित तौर पर वैज्ञानिक दावा है यह  वायरस जीवित वायरस नहीं है ।अगर जीवित होता  तो अधिक कोहराम मचाया होता है। ।अगर जीवित होता तो क्या हालात होते हैं यह चिंता का विषय है।

 जीवित न होने की दशा में जहां चुनाव आयोग चाहता है  इसे रोक देता है क्योंकि जहां चुनाव हो रहे हैं वहां पर यह कोरोना नहीं फैल रहा है। और न फैलने की जहां तक बात है तो खुद दिल्ली में यह नहीं फैला, जहां बड़े-बूढ़े किसान हजारों की संख्या में सरकार की बनाई बॉर्डर लाइन पर किसानी को जिंदा बनाए रखने के लिए मृत वायरस को आंखें मैं आंखें डाल कर चुनौती दे रहे हैं। फिलहाल तो किसानों के आंदोलन से यह वायरस प्रभावशाली असर नहीं छोड़ पाया है। ऐसा नहीं है इस आंदोलन को फेल करने के लिए और मल्टीनेशनल तथा दोस्त यारों की बनाई हुई कथित कृषि सुधार कानूनों को सफल बनाने के लिए वायरस का हमला, डर का हमला, सरकार ने नहीं किया होगा अपनी जनता जनार्दन को बचाने के लिए सरकार ने बहुत प्रयास किए हैं या फिर भारत का किसान इस हमले के लिए आत्मघाती दस्ता बना कर बलिदान हो जाने को तैयार बैठा है। सरकार ने भी इसे यही संज्ञा देकर मान लिया होगा कि आत्मघाती दस्ता से किस तरह निपटना है क्योंकि उसकी कर्तव्यनिष्ठा कृषि सुधार कानूनों की रक्षा के लिए कोरोनावायरस की सेना अभी तक तो असफल ही हुए दिख रहे हैं।

 तो एक रोचक कथा अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी गढ़ते महसूस होते हैं अब यह बातें आनंद की होने लगी हैं। कि सुबह  कोलकाता और पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में शिवराज हेलीकॉप्टर हवाई जहाज से जाते हैं और शाम के मध्यप्रदेश में आकर सायरन बजाकर कोरोनावायरस से डर कर रहने का संदेश देते हैं ताकि कोरोनावायरस महामारी से अपनी जनता जनार्दन को बचा सकते हैं। याने उसे जिंदा रख सकते हैं। तो जिंदा रहना है इसलिए मृत वायरस कोरोना भाईसाहब से डर कर रहना चाहिए। ऑर्डर की सबसे बड़ी शर्त यह है कि कम से कम उन वैक्सीन को लगवा ही लेना चाहिए जिनका खर्चा भी पीएम केयर फंड से खर्च होने वाला है। यह अलग बात है कि पीएम केयर्स फंड का यह खर्चा पारदर्शी तरीके से जनता जनार्दन को नहीं बताया जाएगा क्योंकि मामला मृत वायरस कोरोनावायरस भाई साहब को डर के लिए बरकरार रखने का है।

 


कमल पर सवार इंडियन कोरोना ऐसे भयंकर होता जा रहा है पहली वर्षगांठ मैं हर व्यक्ति को समीक्षा करना चाहिए। तो देखते चलिए डर के कारोबार में किसका कितना कारोबार चलता है फिलहाल तो प्रशासन ने घोषित तौर पर 11:00 बजे दिन के और शाम के 7:00 बजे सायरन बजाकर कोरोनावायरस से डरने का संदेश दिया है यानी जागरूकता का संदेश दिया है। तो फिर राजश्री गुटका वालों ने ₹20 का गुटका ₹30 में ब्लैक में बेचकर काला धन इकट्ठा करने की घोषणा कर दी है। तो अपना अपना डर का धंधा है और अपना अपना कारोबार है इसी व्यवस्था को बोलते हैं "आत्मनिर्भर भारत" का रामराज्य याने राम भरोसे चलती हुई सरकार। इस डर में और भी कई धंधे अपनी चमक लिए दिखेंगे। बैंक वाले सूदखोर तो पेट्रोल और डीजल वाले मुनाफा खोर समाज भारत की जनता जनार्दन को कीड़ों मकोड़ों की तरह इस्तेमाल करेगी। और काला धन का बड़ा साम्राज्य स्थापित करेगी। यही कड़वा सच है।यही नया इंडिया क्योंकि जितना डर और आतंक का वातावरण बनेगा कोरोनावायरस आपका उतना ही पीएम केयर्स फंड से गुप्त तरीके से खर्च होने वाला धन जनता जनार्दन के नाम पर खर्च हो जाएगा और यही जनसेवा भी है। कोरोना की वर्षगांठ पर सभी मुनाफा को रो को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


शनिवार, 20 मार्च 2021

कलेक्टर ने किया निरस्त, तो टूटेगा अतिक्रमण..?

 अवैध पट्टे की आड़ पर बने अतिक्रमण को लगा झटका......


 कलेक्टर ने  किया निरस्त 

तो, टूटेगा माफियागिरी का अतिक्रमण..?

(विशेष खबर मनीष शुक्ला के साथ )

तो क्या फर्क पड़ता है जब पत्रकार अपनी पत्रकारिता झारता है, माना जाता है प्रेशर बना होगा तो झाड़ दिया, ना तो सिस्टम को फर्क पड़ता है  और ना ही उस पक्ष को जो भ्रष्टाचार से ओतप्रोत सिस्टम को अपने जूते के तले दबा कर रखता है... लेकिन अगर कलेक्टर या न्यायालय का आदेश जब झरने लगता है, तब फर्क पड़ता है.... क्योंकि धनपुरी के रीजनल ऑफिस के सामने सरकारी जमीन पर सरकारी कर्मचारियों की मदद से गैर-सरकारी प्रमाणित करते हुए अतिक्रमणकारी ने न सिर्फ अतिक्रमण कर लिया बल्कि उस पर अपना ताजमहल भी बना लिया।

 तो आइए देखें इस दौरान क्या-क्या हुआ?

 और क्या ताजमहल तोड़ने की औकात हमारे सिस्टम में है...? अथवा वह भी सिर्फ एक प्रेशर था जो कलेक्टर के आदेश के रूप में झर गया जैसे पत्रकार को जब प्रेसर बनता  है तो वह झर जाता है।

 धनपुरी के नगर पालिका क्षेत्र में रीजनल ऑफिस के करोड़ों रुपए की कीमती सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण की खबर आती है



शुरुआत होने पर स्थानीय अखबार में इसका प्रकाशन भी होता है पत्रकार को अपेक्षा होती है कि प्रशासन जागरूक होगा किंतु ऐसा होता नहीं। औपचारिक तौर पर नेशनल हाईवे सेेे लगी इस सरकारी जमीन को सीमांकन और जांचकर्ता कुछ इस प्रकार से जांच करते हैं की जमीन निजी पट्टेे की आराजी बताा दी जाती।
 यह अलग बात है कि ठीक इसके बगल से लगी   भूमि के अवैध निर्माण को सरकारी जमीन संबंधित न्यायालय को भ्रमित किया या फिर सत्य यह हुआ की अद्यतन व्यवस्था में तहसीलदार बुढार को यह बता कर संबंधित आर आई ने भ्रमित किया कीया अवैध निर्माण, पट्टे की आराजी पर हो रहा है। बात नगर पालिका तक दी गई किंतु उन्होंने भी जांच नहीं की , क्योंकि मुद्दा करोड़ों अवैैध अतिक्रमण का था।
 बहरहाल बीच में विजयआश्रम ने भी इस पर छानबीन की और पाया कि हां यह सरकारी जमीन पर ही अतिक्रमण हो रहा
संबंधित उच्चाधिकारियों को इस बात की पूरी भनक थी किंतु कोरोना सिर्फ राजनीतिज्ञों के लिए वरदान नहींं था बल्कि अतिक्रमण कारी और भ्रष्ट समाज के लिए भी बड़ा वरदान थ नतीजतन हो रहाााा अवैध निर्माण लगातार जारी रहा क्योंकि प्रशासन कोरोना कोरोना चुनौती के रूप में लें या फिर एक अबसर के रूप में यह सुरक्षित नहींं हो उनके लिए हो गयाााा था जिन्होंने अपने लक्ष्य पूर्ति कर ली थी किंतु जैसा कि मुंशी प्रेमचंद ने पंंच परमेश्वर की कहानी पर फोकस किया है कि न्याय होता है देर है लेेेकिन अंधेर नहीं याचिकाकर्ताओं को विद्वान कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्रर सिंह के न्यायालय से आदेश पारित किया

प्रश्न आधीन आराजी  नगर पालिका क्षेत्र् अंतर्गत है तथा धारा 57(2) के तहत नगर पालिका क्षेत्र केे अंतर्ग भूमि स्वामी घोषित किए जाने का अधिकार अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को नहीं इसलिए अधीनस्थ न्यायालय का आदेश निरस्त किया जाता है। तथा प्रश्नआधीन भूमि यानी रीजनल ऑफिस केे सामने की भूमि को मध्यप्रदेश शासन लिखे जानेे का आदेश किया जाता है । 
इस तरह अंततः  न्याय मिला  यह साबित करते हुआ की देर हैैैै लेकिन अंधेर नहीं... कलेक्टर शहडोल ने अपनेेेे पारित आदेश 16 फरवरी 21को स्पष्ट आदेेश किया

तो अब समस्या यह है कि जिन लोगों ने नेशनल हाईवे की जमीन पर अपना ताजमहल सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के सहयोग से खड़ा कर लिया है। उस ताजमहल को नगर पालिका परिषद और राजस्व का अमला मिलकर कब और कैसे गिराता है। गिराता भी है या नहीं...?. यह भी एक देखने लायक रोमांचक विषय-वस्तु होगी...? क्योंकि जब इस ताजमहल का निर्माण हो रहा था तब पत्रकारों ने खूब हो-हल्ला मचाया किंतु उन्हें झूठा साबित करते हुए माफियागिरी की सफलता पर मोहर लगाने का काम हुआ था।
 तो क्या अब कलेक्टर द्वारा पारित आदेश में लगे हुए मुहर की कोई मायने होंगे अथवा वह भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की तरह सिर्फ भोंकता हुआ चौकीदार साबित होगा....? क्योंकि अंततः जमीनी कार्यवाही ही तमाम कार्रवाईयों को प्रमाणित करती है  ।


सोमवार, 15 मार्च 2021

एक और मर्डर थाना ब्योहारी के नाम... (त्रिलोकीनाथ)

बिके-थाने की दर्दनाक कहानी- पार्ट 2


पाठक-पुत्र के मौत पर उठे सवाल..?    
पिता ने कहा
इकलौते पुत्र की गई हत्या
थाना ने किया रफा-दफा....

(त्रिलोकीनाथ)

शहडोल। हालांकि जिले ही नहीं संभाग के पूरे पुलिस थाने अपने अपने अंदाज में अपराधियों और अपराध को यदा-कदा संरक्षण देते रहते हैं किंतु जिस स्तर पर थाना ब्योहारी मे किसी हत्या के प्रकरण ब्योहारी थाने में दबाये जाने


के मामले उभर कर आ रहे हैं यह पुलिस कप्तान के लिए बड़ी चिंता का विषय हो सकता है। कि क्या पुलिस के थाने हत्या के मामलों को रफा-दफा करने के अड्डे बन गए हैं...?

  हफ्ते के अंदर ही एक और हत्या मामला उसी व्योहारी थाने का पुलिस कप्तान के सामने जा पहुंचा है जिसमें ब्यौहारी थाना के अंतर्गत ग्राम टिहकी के हार्ट अटैक के मरीज 65 वर्षीय रामनिरंजन पाठक में पुलिस कप्तान से मिलकर अपनी व्यथा बताया कि उसके इकलौते पुत्र 26 वर्षीय किशन की 13 फरवरी को ब्यौहारी ले जाकर हत्या कर दी गई और दुर्घटना का मामला बताकर मामले को रफा-दफा किया जा रहा है घटना का विवरण देते हुए रामनिरंजन पाठक ने बताया की दिनांक 13 फरवरी को शाम के करीब 7:00 बजे मेरे गांव से 15 किलोमीटर दूर के निवासी दिलीप द्विवेदी पिता राम लखन द्विवेदी आए और मेरे  26 वर्ष लड़के किसन उर्फ राजेश्वरी को यह कहकर ब्यौहारी ले गए कि चलो घूम कर आते हैं और फिर रात्रि में नहीं लौटे सुबह के वक्त एक एंबुलेंस मे दिलीप, किशन को लगभग मृत अवस्था में लाया और बोला कि एक्सीडेंट हो गया है इसलिए शहडोल ले जाना है  जब हम सब शहडोल जा रहे थे तो उसने एंबुलेंस को शहडोल की बजाए ब्यौहारी हॉस्पिटल ले गया जहां कथित तौर पर उसे मृत बता दिया गया। जबकि सिविल अस्पताल व्योहारी के पर्ची से ज्ञात होता है की 2:52 में वह हॉस्पिटल में था और उसे शहडोल हॉस्पिटल के लिए रिफर कर दिया गया था,जो शंका का कारण बनता है।  जबकि किशन के उस वक्त उसके ना तो कपड़े फटे थे और ना ही कोई ऐसी परिस्थिति जिससे कश्मीर की  दुर्घटना बताई जा सके। पिता ने थाना ब्यौहारी पर आरोप लगाते हुए कहा अपने तमाम शंकाओं के आधार पर मैंने संदर्भित पत्र मैं थाना  को शिकायत भी किया था और तमाम फोटोग्राफ्स भी दिखाए थे जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि मेरे लड़के के साथ मारपीट की गई थी इसके बावजूद थाना से हमें कोई पारदर्शी जांच होती दिखाई नहीं देती है । उन्होंने बताया मेरे लड़के का दिलीप से विवाद था और उसे षडयंत्र पूर्वक ले जाकर मारपीट करके उसकी हत्या कर दी गई है तथा दिखाने के लिए गाड़ी के शीशे तोड़ दिए गए और इस प्रकार थाना वालों से मिलकर मामले को रफा-दफा करने का काम किया जा रहा है। मैं बीमार व्यक्ति इस अवस्था में कहीं आ जा नहीं सकता और मेरे ऊपर बज्र टूट गया है ।

इस तरह जिला पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी के समक्ष बुजुर्ग मरी ने अपने मार्मिक दास्तान मैं पुत्र की हत्या का आशंका व्यक्त किया ज्ञातव्य है की हाल में ही उस वक्त देर रात पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी के सामने अलग-अलग गांव में


दो चतुर्वेदी परिवार एक में प्राणघातक हमले मैं 17 टांके लगे होने के बाद भी एमएलसी न कराए जाने तो दूसरे में हत्या की आशंका पर पुलिस कार्यवाही नहीं होने पर शिकायत की गई थी तीसरे मामले में एक गर्भवती महिला को स्थगन आदेश मिलने के बाद भी पुलिस पालन नहीं करने की शिकायत की गई थी देखना होगा जिस प्रकार पुलिस थाना ब्यौहारी में आपराधिक प्रकरणों को दवा दिया जाता है क्या अन्य थानों में लंबित हत्या

अथवा महिला विशेष गुमशुदा मामलों पर जिला पुलिस कप्तान गंभीरता से कोई कार्यवाही कर भी पाते हैं यह बात तब और गंभीर हो जाती है जब जिले के प्रभारी मंत्री सुश्री मीना सिंह के भाई को कथित तौर पर बलात्कार के प्रकरण में अंततः गिरफ्तार करना पड़ता है क्या इस वातावरण में शहडोल संभाग का पुलिस प्रशासन निष्पक्ष और तत्काल कार्यवाही की दक्षता दिखा पाने में स्वयं को सक्षम पाता है....?

 यह देखने योग्य बात होगी बहरहाल इकलौते की हत्या से प्रताड़ित पाठक परिवार को पुलिस


कितना राहत देती है यह भी देखना होगा क्योंकि जब तक ब्योहारी थाने के प्रभारी थानेदार और उसके चंगू-मंगू वहां पदस्थ हैं, निष्पक्ष न्याय की आशा घास के ढेर  में सुई ढूंढने के समान होगा। 



तो देखना होगा कि पुलिस कप्तान सुई ढूंढ पाते हैं....?



शनिवार, 13 मार्च 2021

बिके थाने की दर्दनाक कहानी - त्रिलोकीनाथ

 "प्रत्यक्षण् किम् प्रमाणम"

दिनभर पुलिस-समीक्षा होती रही और और जब बाहर निकले समीक्षा इंतजार करती मिली....

(त्रिलोकीनाथ)

तो शनिवार 13 मार्च दिन भर पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी जिले के पुलिस अमला को बुलाकर कानून व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे, यानी समीक्षा को ढूंढ भी रहे थे... और जब देर रात मीटिंग खत्म हुई तो तीन समस्याएं, साक्षात समीक्षा के रूप में मीटिंग स्थल के बाहर  उनका इंतजार कर रही थी।


और मजे की बात यह है कि तीनों समीक्षाएं, व्यवहारी थाने से संबंधित थी। तीनों समस्याएं इस बात पर शिकायत कर रही थी कि थाना प्रभारी ने उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की और वे प्रताड़ित होकर अंततः पुलिस कप्तान का देर रात पुलिस समीक्षा बैठक के बाहर इंतजार कर रहे हैं।


 स्वभाविक है पुलिस कप्तान जिस कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अपने थाना प्रभारियों के और उच्च अधिकारियों के साथ समीक्षा कर रहे थे जब व्यवहारी थाना की तीन समस्याएं जिसमे अलग-अलग गांव के दो चतुर्वेदी परिवार में प्रताड़ना के मामले और एक गर्भवती महिला की भूमि पर सरकारी स्थगन होने के बाद भी कथित तौर पर अवैध निर्माण का मामला की रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी, पुलिस कप्तान के लिए चिंता का विषय बन गया। उन्होंने इसके निदान के लिए उपस्थित थाना प्रभारी पटेल की तरफ देखना भी उचित नहीं समझा और तीनों समस्याएं समीक्षा करने के लिए एसडीओपी को तत्काल दे दी गई।

 एक मामले में बुजुर्ग चतुर्वेदी परिवार को तत्काल राहत देते हुए 307 धारा कायम करने का निर्देश दिया तो दूसरे मामले में चतुर्वेदी परिवार के कथित आत्महत्या मामले की जांच एसडीओपी को सौंप कर सही जांच का निर्देश दिया और तीसरे में शहडोल में कथित तौर पर अस्पताल में किन्ही गर्भवती महिला को मानसिक प्रताड़ना से मुक्ति देते हुए उनकी जमीन पर स्थगन आदेश का पालन कराने का आदेश किया।

 तो सवाल यह है कि थाना प्रभारी पटेल जी का क्या हुआ..? यह भी अलग बात है कि जब पुलिस कप्तान बंद कमरे में अति गोपनीय समीक्षा मीटिंग कर रहे थे तब ब्यौहारी थाना से प्रताड़ित इन तीनों प्रकरणों पर  किसी अन्य थाना प्रभारी के इशारे पर थाना प्रभारी व्यवहारी श्री पटेल मीटिंग छोड़कर बाहर आकर इन्हें प्रभावित करने का काम किया कि ताकि तीनों समस्याएं डीआईजी कैंपस से पुलिस कप्तान का इंतजार किए बिना वापस चले जाएं ...और उनका समस्या कल समाधान हो जाएगा।

 किंतु तीनों समस्याएं अपने अनुभव के आधार पर कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कप्तान अवधेश गोस्वामी पर अतिविश्वास के कारण, बिना मिले वापस जाना उचित नहीं समझा। यह भी पुलिस कप्तान के लिए चिंता का विषय है कि क्या उनके द्वार में आकर कोई प्रताड़ित-प्रभावित परिवार द्वार से भगाया जा सकता है और यदि ऐसा कोई कर रहा है था तो वह कौन लोग थे...? की देर रात तक कि पुलिस कप्तान से कोई भी ना मिल सके।

 चलिए, यह सुखद रहा यदि आपको थाना व्यवहारी में न्याय नहीं मिलता दिखाई दे रहा है तो आप पुलिस कप्तान शहडोल को सीधे मिल सकते हैं अथवा जैसा कि पुलिस कप्तान श्री गोस्वामी ने थाने की बजाय एसडीओपी कार्यालय का रुख देखने के निर्देश दिए हैं। तो एसडीओपी कार्यालय पर भी भरोसा करना चाहिए यदि "थाना  बिकता है, बोलो खरीदोगे...." के तर्ज पर व्यवहारी में चल रहा है.... ।

तो संक्षेप में पहली शिकायत मैं भोलहरा  के बुजुर्ग रामधनी चतुर्वेदी जी का था जिसमें शराब माफिया गुप्ता बंधु ने उनके पुत्र को सिर पर इतना मारा कि 17 टांके लग गए किंतु पुलिस ने उसकी एमएलसी नहीं कराई थी।







दूसरा मामला ग्राम सााखी के चतुर्वेदी परिवार का था जहां कथित तौर पर हत्या की गई है किंतु पुलिस ने उसमें





आत्महत्या करने का प्रकार बनाया था।

 और तीसरा तो अति संवेदनशील एक गर्भवती

 तो देखते चलिए अब जबकि पुलिस कप्तान दिनभर समीक्षा को ढूंढते रहते हैं किंतु थाना व्यवहारी की तीन समस्याएं समीक्षा बनकर पुलिस कप्तान के सामने मीटिंग के बाहर उनका इंतजार करती हैं गोस्वामी जी का अंतिम फरमान क्या होता है.., क्या थाना प्रभारी पटेल तत्काल वहां से अपने चंगू-मंगू के साथ हटाए जाते हैं या फिर वहां ही उन्हें दंडित करने का प्रावधान बनाया जाता है...? ताकि संदेश जाए कि पुलिस कप्तान गोस्वामी के रहते थाना इस स्तर पर नहीं बिकेगा...?

 और यह भी कि उनके द्वार पर आया कोई प्रताड़ित व्यक्ति द्वार से बाहर नहीं भगाया जाएगा तो जो लोग इसमें शामिल थे क्या बे भी दंडित होते हैं...?

 तो दिखते चलिए कानून व्यवस्था क्या सच में चल रही है अथवा पुलिस कप्तान को भ्रम के धुंए में उनके थाना अधिकारी सच्चाई को छुपाने का प्रयास करते हैं...?

क्योंकि जिले के अन्य थानो ने भी कमोवेश इसी प्रकार से प्रकरणों का निपटारा करते हैं...? और पुलिस कप्तान के द्वार में आते-आते दम तोड़ देती है...। थाना व्योहारी की यह तीन घटनाएं इसका अनुपम उदाहरण है।

 बहरहाल ,यह खुशी की बात है की "आशा में आकाश टिका है, स्वांस् तंतु, कब टूटे....." अंतिम आशा के रूप में पुलिस कप्तान की कार्यवाही "देश-भक्ति जन-सेवा" के कानून को जीवित रखती है.....


शुक्रवार, 12 मार्च 2021

काश मृत हो रहे तालाब... ध्रुव-चक्र बनते.... (त्रिलोकी नाथ)

नगर उदय मिशन-समालोचना प्लीज टेक पॉजिटिव...







काश मृत हो रहे 
तालाब...

 ध्रुव-चक्र बनते....

(त्रिलोकी नाथ)

 "शानदार प्रयास,बहुत बधाई। 


किंतु अगर इसमें शहडोल नगर के मृत् हो रहे तालाबों मे सरकारी प्रयासों को समाप्त कर दिया जाता  यानी नगर उदय मिशन में जो तालाब जिस अवस्था में है उसी अवस्था मैं अद्यतन करके सीमांकन करते हुए तालाबों को संरक्षित करने का शुभारंभ होता तो निश्चित तौर पर नगरोदय  मिशन मे "सोने में सुहागा" लग जाता।

 


अभी भी वक्त नहीं गुजरा है इसे तालाब संरक्षण के लिए वरदान बनाना चाहिए... मैं भी अपनी भूमिका ढूंढता-फिरता हूं.. लेकिन कोई पूछता ही नहीं.....

 बहरहाल बहुत-बहुत शुभकामनाएं अगर आप ऐसा कर ले तो......"

यह कमेंट मैंने जनअभियान परिषद के कार्यक्रम की फेसबुक पोस्ट पर डाली। किंतु लगा कि और भी कुछ मांगता है क्योंकि किसी भी नगर का उदय उसके सिर्फ निर्माण कार्यों से नहीं होता बल्कि पारंपरिक शहडोल जैसी वैभव संपन्न प्राकृतिक धरोहर तालाबों के और नदियों के संरक्षण के साथ विकास की समन्वय पूर्ण नीतियों के क्रियान्मन से निहित है। और यह सिर्फ सरकारी औपचारिकता या अर्धसरकारी खानापूर्ति से नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए वास्तविक धरातल में चिंतन और मंथन के साथ काम होना चाहिए।


 अन्यथा जैसा कि पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारी भरकम टिप्पणी कर दी है कम से कम शहडोल आदिवासी संभाग के मुख्यालय शहडोल नगर में अवश्य दिखता है और इसी प्रकार से हर नगर के निवासी को मध्यप्रदेश में दिखना चाहिए सही बात है कि अगर 17 सालों में आप मिशन नगर उदय कि किसी कल्पना को साकार करते हैं उसमें भी प्राकृतिक संसाधनों के विकास का समन्वय प्रदर्शित नहीं होता है तो हम अपने आप से एक बड़ा झूठ बोल रहे होते हैं या फिर विकास के नाम पर जो करोड़ों रुपए मिशन नगर उदय में ट्रांसफर होता है उसके बंदरबांट के सुनियोजित षड्यंत्र का रूपरेखा तय कर रहे होते हैं।

 क्योंकि कम से कम शहडोल में जिस समझ में आता है की मनमानी तरीके से एक तरफ बोरिंग हो रही हैं, तो दूसरी तरफ तालाबों को हम नष्ट कर रहे हैं, तो तीसरी तरफ मल जल निकास के लिए जो स्टोरेज टैंक मुरना नदी अथवा सोन नदी आसपास बनाए जाने चाहिए उस पर कोई काम नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय नदी जल संरक्षण योजना के अंतर्गत प्रदेश के 11 शहरों में शामिल शहडोल नगर को जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी सरकार ने हटा दिया है उसका ही प्रायश्चित अगर इस मिशन नगर उदय में शामिल हो जाता तो भी हम तालाबों को अद्यतन विकास के साथ कोऑर्डनेट करके शहर को साफ सुथरा और सचमुच का स्वच्छता का मॉडल बना दिए होते। 

जिसमें संबंधित वालों की चारागाह विकास के


आंशिक जरिए गोबर के कंडे से लकड़ियों का उत्पादन भी संभव हो सकता था, तो शहर भी सुंदर हो सकता.., ऐसी कई कल्पनाएं नगर उदय मिशन का शानदार प्रस्फुटन हो सकता है

 किंतु जब भी चुनाव आते हैं जैसा की कमलनाथ ने नारियल फोड़ने वाली बात कही है तो ऐसी योजनाएं करवट लेती हैं इस तरह है योजनाओं के अंदर छुपी मंसा भी जैसे आत्महत्या को विवश हो जाती है, खानापूर्ति करके उस लक्ष्य को भी समाप्त कर दिया जाता है जो संभावना में जीवित रहती है....।

 जैसे मोहन राम तालाब में करीब 3 करोड़ रुपए गैरकानूनी तरीके से खर्च किए गए और हुआ क्या मोहन राम मंदिर में एक माफिया को संरक्षण मिल


गया तो मोहन राम स्रोत तालाब को नरक का कुंड बना दिया गया और "भ्रष्टाचार-मेव-जयते" के नारे के साथ आज करोड़ों रुपए कुछ नगरपालिका के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के कलंक के साथ ले लिए ।

जैसे एक कलेक्टर ने  कहा था कि हम किसी भी ऐसे विवादित जगह मैं काम नहीं करेंगे जहां कोई और जांच खड़ी हो जाए। बहरहाल विकास का पैमाना अनुभव भी होता है और इतने तालाबों की हत्या के बाद शहडोल में हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए था शायद हम तब तक नहीं सीखना चाहते जब तक पीने के पानी की एक-एक बूंद की कीमत रिलायंस कंपनी के अथवा गुजराती मॉडल के बोतल के पानी के समकक्ष ना हो जाए....?

तो समाधान क्या है क्या सोचने का वक्त है....?

 और शायद यही कारण है कि नगर उदय मिशन में पानी के संकट को तालाब के संकट से मिशन नगर उदय से नहीं जोड़ा गया है बेहतर होता इसे विरोध न समझ कर आलोचना और समालोचना की दृष्टिकोण में विशेषज्ञों की सलाह से तालाबों को अद्यतन परिवेश में सीमाअंकित करते हुए बिना आम नागरिकों को प्रताड़ित कर, उनके सहयोग से ,उनके संभल से और उनकी भी चौकीदारी से तालाबों को शहडोल शहर की शानदार धरोहर के रूप में संवारा जा सकता है.... जिसस भविष्य का जल समस्या का भयानक सामना शहडोल नगर को न करना पड़े..... अगर नागरिकों को पानी की समस्या से बचाना है और स्वच्छ शहर बनाना है तो इतना तकलीफ तो करना ही पड़ेगा।

 उन्हें( तालाबों को) नगर विकास का ध्रुव-चक्र बनाना चाहिए क्योंकि इसी में नगर उदय का मिशन छुपा हुआ है अन्यथा अगर भ्रष्टाचार लक्ष्य है तो हमारा भी लिस्ट में नाम रख लें ताकि हम भी जो लाभ कमाएं वह नगर पालिका तमाम लंबित भुगतान में चुकता कर सकें.... यह भी नगर उदय मिशन का हिस्सा होगा इसमें कोई शक नहीं.......चाहे तो एफिडेविट करवा ले।


सोमवार, 8 मार्च 2021

रहिमन पानी राखिए... (त्रिलोकीनाथ)

रहिमन पानी राखिए....

तलाब विनाश के चौकीदार....




पुलिस महानिरीक्षक  कार्यालय, आखिर क्यों..?

शहडोल ।पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के ठीक पीछे कि दोनों तालाब अपनी मृत्यु के दिन गिन रहे हैं, क्योंकि इस पर अपना कब्जा बता कर कोई व्यक्ति  तालाब के मेड़ पर किराया भी वसूल रहा है और जगह-जगह मकान भी बनवा रहा है। हालांकि तालाब को सरकारी करण कर दिया गया है किंतु जिस प्रकार से माफियाओं को हटाया जाता है तालाब को बचाने के लिए भू माफिया के खिलाफ पर्याप्त कार्यवाही नहीं की गई है।

तो बगल में एक और तालाब है इस तालाब के अंदर भी सड़क बना दी गई है क्योंकि वोट बैंक बनाना जरूरी है तालाब को बचा कर रखना जरूरी नहीं है क्योंकि जिंदगी सिर्फ अपने लिए जीनी है इसलिए गुलाबी घेरे वाले तालाब विनाश के कगार पर है तो नीले घेरा वाले तालाब को बचाने की संभावना तब तक जीवित रहेगी जब तक उसमें माफिया से शासन और प्रशासन लड़ सकता है यह अलग बात है किस शासन के लोगों के खिलाफ कोई माफिया सफेदपोश नकाब पहनकर न्यायालय के समक्ष तालाब में अपना अधिपत्य जाहिर करना चाहता है तो देखना यह भी चाहिए की शुरुआत में क्या कमिश्नर और कलेक्टर तथा पुलिस महा निरीक्षक के दीया तले अंधेरे की इस कहावत को साबित करता तालाब माफिया के खिलाफ कोई पारदर्शी कार्यवाही किसी प्रशासनिक अधिकारी के लिए उसकी योग्यता के लिए चुनौती के रूप में स्वीकार किया जा सकता है और अगर नहीं तो माफिया राज जिंदाबाद इसका नारा भी बुलंद होना ही चाहिए क्योंकि दवे छुपे उच्चाधिकारी भी इस व्यवस्था मैं आंख मूंद ना चाहते हैं क्योंकि वर्तमान व्यवस्था मे हमारे तालाब मरते ही जा रहे हैं। ऐसी बात नहीं है कि अगर पुलिस इमानदारी से चाहने तो वह जिला एवं सत्र न्यायालय आवास के सामने अपनी जमीन भी बचा सकती है यह अनुभव में सिर्फ भी हुआ है तो फिर तालाब के मामले में इतना रूखा व्यवहार क्यों.....?


शुक्रवार, 5 मार्च 2021

काके ने कहा, मोदी जी मार रहे हैं (त्रिलोकीनाथ)

 काके ने कहा...




मोदी, सब तरफ से मार रहे है...

(त्रिलोकीनाथ)

 महंगाई के दौर में पेट्रोलियम पदार्थों डीजल पेट्रोल गैस की कीमतें अधिक होने से हो रही आलोचनाओं के बीच में मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की सफाई आई कि अंतरराष्ट्रीय कारणों से महंगाई बढ़ रही है, जब भी सच्चाई स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय कारणों के कारण डीजल पेट्रोल आधे से भी कम रेट पर बिकने चाहिए। विरोधाभासी सफेद झूठ समाचार को पढ़ते हुए मैंने काके से कहा...

"मंत्री क्या उटपटांग बयान दे रहे हैं..."

 काके अपना काम करते रहे... मैं फिर अखबार पढ़ने लगा, कुछ देर ठहरने के बाद काके ने कहा.. "मोदी जी दोनों तरफ से मार रहे हैं..."

 उनकी बातों को समझने के लिए मैं उनका चेहरा देखता रहा, उन्होंने आगे कहा

 "पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ाकर लूटा जा रहा है तो दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों के लिए बाजार भी खोला जा रहा है की पेट्रोल डीजल महंगाई बढ़ रही है... इसलिए, इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल करिए..., बहुत सस्ती पड़ेगी। और तीसरी तरफ सूदखोरी ब्याज का धंधा बढ़ाने के लिए बैंकों के निजीकरण हो रहे हैं... तो इलेक्ट्रॉनिक वाहन खरीदने को पैसा नहीं है अगर तो कर्ज  में घर बैठे गाड़ियां आप खरीद लीजिए....। कुल मिलाकर उपभोक्ता हर तरफ से कैसे लूटा जा सके इसका कारोबार हो रहा है यह सब जगह से सिर्फ मारा जा रहा है"

 उनकी बातों को सुनकर और समझ कर मुझे यह लगा कि जो व्यक्ति जिस कारोबार में जीवन जीता है वह उस व्यवसाय के मर्म को समझता है, कि आखिर चोट कहां पड़ रही है। और कौन चोट कर रहा है। बाहर का आदमी सिर्फ देखता है।

 तो उनकी बातों से यह भी स्पष्ट हो गया की पेट्रोल ,डीजल की कीमत लीटर की बजाय जल्द ही पॉइंट में बिक्री होंगी। फिलहाल ₹1 पॉइंट से ऊपर पेट्रोल बिक रहा है, यह किस लक्ष्य तक जाएगा कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

 क्योंकि यह इस बात पर भी निर्भर करता है की इलेक्ट्रॉनिक्स गाड़ियां या इलेक्ट्रिक वाहन से उसे बाजार में लागत से कितना गुना ज्यादा उतारा जाएगा और लागत में राजनीत को मिलने वाला कितने गुना चंदा होगा। इस पर इलेक्ट्रिक वाहनों का दर तय होगा।

 कुल मिलाकर पेट्रोल-डीजल एक से ₹2 या तीन चार रुपए पॉइंट भी हो जाए ताकि लोक महंगाई से परेशान होकर अपनी वाहनों को घर के शोरूम में खड़ा कर दें और बैंक से कर्ज लेकर इलेक्ट्रॉनिक वाहन खरीदना चालू कर दें। इससे आम नागरिक कर्ज के जाल में भी फंस जाएगा, कुछ रईसों के लिए पेट्रोल डीजल आरक्षित हो जाएंगे... तो महंगाई का दिखाने वाला सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.. आम नागरिक कर्ज में भी फंस जाएगा और सूदखोर बैंक के कर्ज, उद्योगपति के वाहन भी बिकेंगे....; इस अंदाज में भारतीय बाजार विकसित किया जाएगा।

 कुछ ऐसी आशंका में काके ने अद्यतन राजनीतिक व्यवस्था पर निराशाजनक बात कही थी। तो यह तय है पेट्रोल और डीजल की कीमतें और बढ़ेंगी या फिर उपभोक्ताओं को अपनी आवश्यकताओं को सीमित करना होगा। ताकि नकली बाजार का व्यवसाय भोगवादी प्रवृत्ति से मुड़कर प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप चल पड़े। किंतु इस दिशा में सरकार कोई प्रयास करती नजर नहीं आती। वह तो सिर्फ बड़े पूंजीपतियों की कठपुतली की तरह उंगलियों के इशारे पर काम करती नजर आती है।

 ठीक इसी तरह कृषि सुधार बिल में भी उद्योगपतियों ने  जिसमें दिखने वाले भारतीय और ना दिखने वाले अज्ञात जिन्हें एफडीआई विदेशी निवेशक भी कहा जाता है अपने उंगली के इशारे से नियंत्रित कर रहे हैं ऐसा कहा जा सकता है और यही कारण है कि कृषि सुधार नामक चर्चित 3 काले कानून के कारण दिल्ली बॉर्डर में बैठे हुए सैकड़ों किसान बलिदान होने को मजबूर हो रहे हैं; काफी शहीद हो गए हैं। किंतु शासन की सिर पर जूं तक नहीं रेंग रही है। क्योंकि वह बाजारवाद की कठपुतली बन गई है।

 बावजूद इसके की भारत का लोकज्ञानी किसान समाज अथवा ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़े हुए भारतीय नागरिक अपनी समझ से यह धीरे-धीरे समझ गया है कि इन सब के पीछे आखिर चल क्या रहा है..।

 अब तो उनके अपने भी धर्म के लेकर मजाक करने लगे


किंतु इंटरनेशनल इंडस्ट्रियल ट्रेडर्स (अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक व्यापारी) जिन्हें मल्टीनेशनल माफिया भी कहा जा सकता है भारतीय बाजार पर कब्जा करने के लिए भारतीय संविधान मैं निहित व्यवस्था को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। किंतु चाहे बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमतें हूं या फिर कृषि सुधार बिल में चल रहे गंभीर आंदोलन की समस्या हो। अंततः यह भारतीय नागरिकों की मानसिक आजादी को खत्म कर देगा। क्या स्वतंत्रता का आंदोलन मैं सैकड़ों वर्षों के बलिदान और संघर्ष का लक्ष्य यही था....? बात सिर्फ महंगाई अथवा लूट तक सीमित नहीं है.., स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और इस मूलभूत अधिकार को बचाए रखने की भी है तो फिर रास्ता क्या है...?

 आखिर हमारे जनप्रतिनिधि इस पर मौन क्यों हैं यह एक बड़ा प्रश्न है..? तो क्या हमसे पहले हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं कार्यपालिका, विधायिका अथवा न्यायपालिका गुलाम हो चुकी हैं.... यह भी एक बड़ा यक्ष प्रश्न है...?

 इसका निदान इस बात पर है कि छोटी से छोटी घट रही घटनाओं पर क्या आप नजर रखते हैं...? अथवा उसे नजरअंदाज करते हैं...

 क्या यह भी छोटी घटना है कि पेट्रोल "प्रति लीटर" की दर से बिकने की बजाए "प्रति पॉइंट" की दर से बिकने लगा है...?

 क्या आप सोच सकते हैं तो बिल भी प्रति पॉइंट पर क्यों न लिया जाए.. उपभोक्ता का आखिर यह एक अधिकार भी है शायद, जागो ग्राहक जागो से आप जाग जाएं.... 

कि सिर्फ महंगाई ही नहीं बढ़ रही है बल्कि हम एक सुनियोजित गुलामी की तरफ खींचे चले जा रहे हैं..

 जहां काके कहेंगे कि मोदी सब तरफ से मार रहा है... क्योंकि उन्हें मरने का अनुभव हो रहा है... और हम नकली धर्म-कर्म-कर्तव्य मार्ग के भ्रामक ताने-बाने में अंधे कुएं में धकेले जा रहे हैं।

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मंगलवार, 2 मार्च 2021

तानासाही भी एक योग्यता है...?. (त्रिलोकीनाथ)

अद्यतन परिस्थितियां बताती हैं 

तानासाही भी एक योग्यता है....?


(त्रिलोकीनाथ)

1975 में 26 जून की सुबह रेडियो पर तत्कालीन प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी की आवाज में संदेश गूंजा, जिसे पूरे देश में सुना गया. संदेश में इंदिरा ने कहा, 'भाइयों, बहनों... राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा की है. लेकिन इससे सामान्य लोगों को डरने की जरूरत नहीं है.'

2014 के बाद रेडियो में और टीवी में कई ऐसे अवसर आए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक आकर इस प्रकार नोटबंदी आदि का जिक्र किया  कोरोना से लॉकडाउन भी उसमें एक है और घंटा बजाकर आधी रात को जीएसटी कानून की घोषणा भी एक प्रभावशाली इवेंट रहा। हाल में व्यापारियों का भारत बंद इसका प्रमाण पत्र था कि वह कितने डरे और भयभीत हैं । 
यह अलग बात है कि इन सभी घोषणाओं के दुष्प्रभाव से भारतीय नागरिक के नागरिक स्वतंत्रता या तो बंधक हो गई अथवा भय के वातावरण में जीने का मीठा जहर पीने लगी। कोरोना के कार्यकाल में कई कानूनों के संशोधन जो चुपचाप हुए उसमें कृषि सुधार बिल के दुष्प्रभाव ने दिल्ली में एक नई घोषित "बॉर्डर लाइन" बना दी।सैकड़ों किसान शहीद हो गए, तिरंगे का षड्यंत्र पूर्ण तरीके से अपमान भी हुआ। सब कुछ भारतीय लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक होता रहा ।
तो यह सब राजकाज था, ऐसा मान ले। श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही के लिए प्रायश्चित किया और एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में पुनः स्थापित हुई किंतु अपनी गलतियों की सजा के लिए प्रधानमंत्री हाउस में गोली मार दी गई।
 क्या नरेंद्र मोदी अपने निर्णयों के लिए कभी प्रायश्चित करेंगे.., अगर उन्होंने गलतियां की है तो... यह भविष्य के गर्भ में है।
 आदिवासी क्षेत्र में पल रहा है तानाशाही का भूत
किंतु हम शहडोल में आते हैं यहां रेडियो और टीवी के जरिए तो नहीं किंतु कोई बीमार वन मंडल अधिकारी नेहा श्रीवास्तव अगर महिला है तो उसकी मन स्थिति को समझा जा सकता है। क्योंकि युगो से चहारदीवारी के अंदर अपनी सोच को वे क्रियान्वित करती आई है समाज के प्रतिनिधि भी है तो दूसरी ओर कोई महिला रेंजर पुष्पा सिंह का जंगलराज, डीएफओ नेहा श्रीवास्तव से कई गुना ऊंचा दिखा। उन्होंने तो खुलेआम रेत तस्कर से जंगल का सौदा ही कर दिया यह अलग बात है की बात मीडिया तक आ गई और वायरल हो गई। आखिर सब कुछ चुपचाप जंगल समाज में अभी भी चल ही रहा है ।
तो अभी तक सिस्टम ने उन्हें क्या दंड दिया है...? स्पष्ट नहीं हुआ।

तो नेहा श्रीवास्तव अगर अपने चहारदीवारी वन मंडल परिसर मैं यह नोटिस चस्पा करती हैं कि उनका कार्यालय मीडिया प्रतिबंधित क्षेत्र है तो लोकतंत्र के ऊपर एहसान करती हैं। क्योंकि उन्होंने यह बोर्ड लगाने का आदेश नहीं दिया की  संपूर्ण वन मंडल मीडिया प्रतिबंधित क्षेत्र है..., ऐसा भी समझना चाहिए।
 क्योंकि सिर्फ रट्टू तोता बन कर यदि डिग्री हासिल कर ली जाए और पद में बैठ जाएं तो आप योग्य पदधारी नहीं हो सकते । इसीलिए लगातार आईएएस समाज जमीनी नागरिकों से, किसानों से और अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति से यह सीखने का प्रयास करता है कि आखिर समस्या क्या हम समझ पाए हैं...? और कभी कभी उन्हें समझ कर हल भी कर देता है। तो वह पढ़ रहा होता और अपनी योग्यता को प्रमाणित करता रहता है और यह उसकी चुनौती भी है।
 आईएएस पंकज अग्रवाल की यह बात खुद पर गुस्साते आते हुए अच्छी लगी थी, कि साडे ₹5 किलो धान का समर्थन मूल्य पर हम खरीद नहीं पा रहे हैं ....,और साडे ₹3 किलो में व्यापारी फट्टा लगाकर बाजार में खरीद रहा है।
 तो योग्यता को स्वयं बार-बार सीखना होता है, लोकतंत्र में। महिला अधिकारियों ने जो किया, सो किया.. वह उनकी निजी बीमारी अथवा कमजोरी भी हो सकती है...

लेकिन अगर यही काम जिला शिक्षा अधिकारी करता है तो यह कह कर नहीं डाला जा सकता है कि वह आरक्षित वर्ग के अधिकारी हैं..., उन्होंने समझने में भूल की है। बल्कि यह समझना होगा की है,यह सब सूची समझी "साइलेंट-ऑर्डर" मानसिकता का प्रदूषण है...।

 लोकतंत्र में बगैर बुनियादी ढांचा (नान-इंफ्रास्ट्रक्चर) अद्यतन पत्रकारिता को उनकी कमियों के बाद भी कैसे खारिज किया जा सकता है..?
    मुख्य मुद्दे पर आते हैं राष्ट्रपति कलाम जी ने कहीं यह बात कही थी कि अगर लोकपाल आ भी गया तो क्या होगा..., कुछ और शिकायतों से कमरे भर जाएंगे...। यानी जब तक नैतिकता जीवित नहीं होगी पूरे सिस्टम में लोकतंत्र को लगातार समझने का कमिटमेंट और उसे बनाए रखने का संघर्ष आदमी के अंदर चाहे वह आई ए एस, आई एफ एस या आईईएस हो अथवा न्यायपालिका अथवा विधायिका के पदाधिकारी हों,वे सब लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते रहेंगे, इसमें कोई शक नहीं है। उसके स्वरूप छोटे या बड़े हो सकते हैं किंतु इन सबकी मनसा सिर्फ तानाशाही से शासन चलाने की और "मैं चाहे ये करुं, मैं चाहे वो करुं, मेरी मर्जी..... " के गाने के अंदाज पर चलती है।

 इन सबसे बचना चाहिए, हो सके तो लगातार सरकारी  पैसे से होने वाली बैठकों में इस पर संवाद भी करना चाहिए कि आदिवासी क्षेत्रों में इस प्रकार की मूर्खता का प्रदर्शन कितना सही है...? क्योंकि महात्मा गांधी ने कहा था "लोकतंत्र अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के लिए निहित है..."
आप तो चौथे स्तंभ को भी नहीं पचा पा रहे हैं क्योंकि आप नियमित पारदर्शी भ्रष्टाचार की बीमारी से लाइलाज होते जा रहे हैं और आपको शर्म आ सकती है की मीडिया कहीं आपकी उस बीमारी को देख ना ले...? इसलिए क्योंकि वह सिर्फ यही देखता-फिरता है क्योंकि आप अपना पॉजिटिव एप्रोच दिखाने में असफल रहे हैं....।, क्योंकि आपके परिसर में सरकारी काम के नाम पर इन्हीं षड्यंत्रों   का ताना-बाना पारदर्शी रूप से चलता है। और इसी का यह परिणाम भी है जल जंगल जमीन माफियाओं के हवाले हो रही है। तो अगर शर्म है तो सोचना चाहिए... और अपनी बेशर्मी के प्रमाण पत्रों को अपने परिसरों से हटा देना चाहिए क्योंकि आज तक तो संविधान में मूर्खता का रिजर्वेशन फिलहाल तो पारित नहीं हुआ है... और यदि ऐसा रिजर्वेशन है तो मीडिया को संविधान के उन पन्नों को भी बताना चाहिए जिससे यह तय हो सके कि सरकारी कर्मचारियों से मिलने का और कौन सा रास्ता है, है भी या नहीं है...? मीडिया को भी और नंगी लुटी पिटी जनता को भी। जिन्हें आप के आका जनता जनार्दन कहते हैं।



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