शनिवार, 20 मार्च 2021

कलेक्टर ने किया निरस्त, तो टूटेगा अतिक्रमण..?

 अवैध पट्टे की आड़ पर बने अतिक्रमण को लगा झटका......


 कलेक्टर ने  किया निरस्त 

तो, टूटेगा माफियागिरी का अतिक्रमण..?

(विशेष खबर मनीष शुक्ला के साथ )

तो क्या फर्क पड़ता है जब पत्रकार अपनी पत्रकारिता झारता है, माना जाता है प्रेशर बना होगा तो झाड़ दिया, ना तो सिस्टम को फर्क पड़ता है  और ना ही उस पक्ष को जो भ्रष्टाचार से ओतप्रोत सिस्टम को अपने जूते के तले दबा कर रखता है... लेकिन अगर कलेक्टर या न्यायालय का आदेश जब झरने लगता है, तब फर्क पड़ता है.... क्योंकि धनपुरी के रीजनल ऑफिस के सामने सरकारी जमीन पर सरकारी कर्मचारियों की मदद से गैर-सरकारी प्रमाणित करते हुए अतिक्रमणकारी ने न सिर्फ अतिक्रमण कर लिया बल्कि उस पर अपना ताजमहल भी बना लिया।

 तो आइए देखें इस दौरान क्या-क्या हुआ?

 और क्या ताजमहल तोड़ने की औकात हमारे सिस्टम में है...? अथवा वह भी सिर्फ एक प्रेशर था जो कलेक्टर के आदेश के रूप में झर गया जैसे पत्रकार को जब प्रेसर बनता  है तो वह झर जाता है।

 धनपुरी के नगर पालिका क्षेत्र में रीजनल ऑफिस के करोड़ों रुपए की कीमती सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण की खबर आती है



शुरुआत होने पर स्थानीय अखबार में इसका प्रकाशन भी होता है पत्रकार को अपेक्षा होती है कि प्रशासन जागरूक होगा किंतु ऐसा होता नहीं। औपचारिक तौर पर नेशनल हाईवे सेेे लगी इस सरकारी जमीन को सीमांकन और जांचकर्ता कुछ इस प्रकार से जांच करते हैं की जमीन निजी पट्टेे की आराजी बताा दी जाती।
 यह अलग बात है कि ठीक इसके बगल से लगी   भूमि के अवैध निर्माण को सरकारी जमीन संबंधित न्यायालय को भ्रमित किया या फिर सत्य यह हुआ की अद्यतन व्यवस्था में तहसीलदार बुढार को यह बता कर संबंधित आर आई ने भ्रमित किया कीया अवैध निर्माण, पट्टे की आराजी पर हो रहा है। बात नगर पालिका तक दी गई किंतु उन्होंने भी जांच नहीं की , क्योंकि मुद्दा करोड़ों अवैैध अतिक्रमण का था।
 बहरहाल बीच में विजयआश्रम ने भी इस पर छानबीन की और पाया कि हां यह सरकारी जमीन पर ही अतिक्रमण हो रहा
संबंधित उच्चाधिकारियों को इस बात की पूरी भनक थी किंतु कोरोना सिर्फ राजनीतिज्ञों के लिए वरदान नहींं था बल्कि अतिक्रमण कारी और भ्रष्ट समाज के लिए भी बड़ा वरदान थ नतीजतन हो रहाााा अवैध निर्माण लगातार जारी रहा क्योंकि प्रशासन कोरोना कोरोना चुनौती के रूप में लें या फिर एक अबसर के रूप में यह सुरक्षित नहींं हो उनके लिए हो गयाााा था जिन्होंने अपने लक्ष्य पूर्ति कर ली थी किंतु जैसा कि मुंशी प्रेमचंद ने पंंच परमेश्वर की कहानी पर फोकस किया है कि न्याय होता है देर है लेेेकिन अंधेर नहीं याचिकाकर्ताओं को विद्वान कलेक्टर डॉक्टर सत्येंद्रर सिंह के न्यायालय से आदेश पारित किया

प्रश्न आधीन आराजी  नगर पालिका क्षेत्र् अंतर्गत है तथा धारा 57(2) के तहत नगर पालिका क्षेत्र केे अंतर्ग भूमि स्वामी घोषित किए जाने का अधिकार अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को नहीं इसलिए अधीनस्थ न्यायालय का आदेश निरस्त किया जाता है। तथा प्रश्नआधीन भूमि यानी रीजनल ऑफिस केे सामने की भूमि को मध्यप्रदेश शासन लिखे जानेे का आदेश किया जाता है । 
इस तरह अंततः  न्याय मिला  यह साबित करते हुआ की देर हैैैै लेकिन अंधेर नहीं... कलेक्टर शहडोल ने अपनेेेे पारित आदेश 16 फरवरी 21को स्पष्ट आदेेश किया

तो अब समस्या यह है कि जिन लोगों ने नेशनल हाईवे की जमीन पर अपना ताजमहल सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के सहयोग से खड़ा कर लिया है। उस ताजमहल को नगर पालिका परिषद और राजस्व का अमला मिलकर कब और कैसे गिराता है। गिराता भी है या नहीं...?. यह भी एक देखने लायक रोमांचक विषय-वस्तु होगी...? क्योंकि जब इस ताजमहल का निर्माण हो रहा था तब पत्रकारों ने खूब हो-हल्ला मचाया किंतु उन्हें झूठा साबित करते हुए माफियागिरी की सफलता पर मोहर लगाने का काम हुआ था।
 तो क्या अब कलेक्टर द्वारा पारित आदेश में लगे हुए मुहर की कोई मायने होंगे अथवा वह भी लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की तरह सिर्फ भोंकता हुआ चौकीदार साबित होगा....? क्योंकि अंततः जमीनी कार्यवाही ही तमाम कार्रवाईयों को प्रमाणित करती है  ।


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