नगर उदय मिशन-समालोचना प्लीज टेक पॉजिटिव...
काश मृत हो रहे तालाब...
ध्रुव-चक्र बनते....
(त्रिलोकी नाथ)
"शानदार प्रयास,बहुत बधाई।
किंतु अगर इसमें शहडोल नगर के मृत् हो रहे तालाबों मे सरकारी प्रयासों को समाप्त कर दिया जाता यानी नगर उदय मिशन में जो तालाब जिस अवस्था में है उसी अवस्था मैं अद्यतन करके सीमांकन करते हुए तालाबों को संरक्षित करने का शुभारंभ होता तो निश्चित तौर पर नगरोदय मिशन मे "सोने में सुहागा" लग जाता।
अभी भी वक्त नहीं गुजरा है इसे तालाब संरक्षण के लिए वरदान बनाना चाहिए... मैं भी अपनी भूमिका ढूंढता-फिरता हूं.. लेकिन कोई पूछता ही नहीं.....
बहरहाल बहुत-बहुत शुभकामनाएं अगर आप ऐसा कर ले तो......"
यह कमेंट मैंने जनअभियान परिषद के कार्यक्रम की फेसबुक पोस्ट पर डाली। किंतु लगा कि और भी कुछ मांगता है क्योंकि किसी भी नगर का उदय उसके सिर्फ निर्माण कार्यों से नहीं होता बल्कि पारंपरिक शहडोल जैसी वैभव संपन्न प्राकृतिक धरोहर तालाबों के और नदियों के संरक्षण के साथ विकास की समन्वय पूर्ण नीतियों के क्रियान्मन से निहित है। और यह सिर्फ सरकारी औपचारिकता या अर्धसरकारी खानापूर्ति से नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए वास्तविक धरातल में चिंतन और मंथन के साथ काम होना चाहिए।
अन्यथा जैसा कि पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भारी भरकम टिप्पणी कर दी है कम से कम शहडोल आदिवासी संभाग के मुख्यालय शहडोल नगर में अवश्य दिखता है और इसी प्रकार से हर नगर के निवासी को मध्यप्रदेश में दिखना चाहिए सही बात है कि अगर 17 सालों में आप मिशन नगर उदय कि किसी कल्पना को साकार करते हैं उसमें भी प्राकृतिक संसाधनों के विकास का समन्वय प्रदर्शित नहीं होता है तो हम अपने आप से एक बड़ा झूठ बोल रहे होते हैं या फिर विकास के नाम पर जो करोड़ों रुपए मिशन नगर उदय में ट्रांसफर होता है उसके बंदरबांट के सुनियोजित षड्यंत्र का रूपरेखा तय कर रहे होते हैं।
क्योंकि कम से कम शहडोल में जिस समझ में आता है की मनमानी तरीके से एक तरफ बोरिंग हो रही हैं, तो दूसरी तरफ तालाबों को हम नष्ट कर रहे हैं, तो तीसरी तरफ मल जल निकास के लिए जो स्टोरेज टैंक मुरना नदी अथवा सोन नदी आसपास बनाए जाने चाहिए उस पर कोई काम नहीं हो रहा है। राष्ट्रीय नदी जल संरक्षण योजना के अंतर्गत प्रदेश के 11 शहरों में शामिल शहडोल नगर को जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी सरकार ने हटा दिया है उसका ही प्रायश्चित अगर इस मिशन नगर उदय में शामिल हो जाता तो भी हम तालाबों को अद्यतन विकास के साथ कोऑर्डनेट करके शहर को साफ सुथरा और सचमुच का स्वच्छता का मॉडल बना दिए होते।
जिसमें संबंधित वालों की चारागाह विकास के
आंशिक जरिए गोबर के कंडे से लकड़ियों का उत्पादन भी संभव हो सकता था, तो शहर भी सुंदर हो सकता.., ऐसी कई कल्पनाएं नगर उदय मिशन का शानदार प्रस्फुटन हो सकता है
किंतु जब भी चुनाव आते हैं जैसा की कमलनाथ ने नारियल फोड़ने वाली बात कही है तो ऐसी योजनाएं करवट लेती हैं इस तरह है योजनाओं के अंदर छुपी मंसा भी जैसे आत्महत्या को विवश हो जाती है, खानापूर्ति करके उस लक्ष्य को भी समाप्त कर दिया जाता है जो संभावना में जीवित रहती है....।
जैसे मोहन राम तालाब में करीब 3 करोड़ रुपए गैरकानूनी तरीके से खर्च किए गए और हुआ क्या मोहन राम मंदिर में एक माफिया को संरक्षण मिल
गया तो मोहन राम स्रोत तालाब को नरक का कुंड बना दिया गया और "भ्रष्टाचार-मेव-जयते" के नारे के साथ आज करोड़ों रुपए कुछ नगरपालिका के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के कलंक के साथ ले लिए ।
जैसे एक कलेक्टर ने कहा था कि हम किसी भी ऐसे विवादित जगह मैं काम नहीं करेंगे जहां कोई और जांच खड़ी हो जाए। बहरहाल विकास का पैमाना अनुभव भी होता है और इतने तालाबों की हत्या के बाद शहडोल में हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए था शायद हम तब तक नहीं सीखना चाहते जब तक पीने के पानी की एक-एक बूंद की कीमत रिलायंस कंपनी के अथवा गुजराती मॉडल के बोतल के पानी के समकक्ष ना हो जाए....?
तो समाधान क्या है क्या सोचने का वक्त है....?
और शायद यही कारण है कि नगर उदय मिशन में पानी के संकट को तालाब के संकट से मिशन नगर उदय से नहीं जोड़ा गया है बेहतर होता इसे विरोध न समझ कर आलोचना और समालोचना की दृष्टिकोण में विशेषज्ञों की सलाह से तालाबों को अद्यतन परिवेश में सीमाअंकित करते हुए बिना आम नागरिकों को प्रताड़ित कर, उनके सहयोग से ,उनके संभल से और उनकी भी चौकीदारी से तालाबों को शहडोल शहर की शानदार धरोहर के रूप में संवारा जा सकता है.... जिसस भविष्य का जल समस्या का भयानक सामना शहडोल नगर को न करना पड़े..... अगर नागरिकों को पानी की समस्या से बचाना है और स्वच्छ शहर बनाना है तो इतना तकलीफ तो करना ही पड़ेगा।
उन्हें( तालाबों को) नगर विकास का ध्रुव-चक्र बनाना चाहिए क्योंकि इसी में नगर उदय का मिशन छुपा हुआ है अन्यथा अगर भ्रष्टाचार लक्ष्य है तो हमारा भी लिस्ट में नाम रख लें ताकि हम भी जो लाभ कमाएं वह नगर पालिका तमाम लंबित भुगतान में चुकता कर सकें.... यह भी नगर उदय मिशन का हिस्सा होगा इसमें कोई शक नहीं.......चाहे तो एफिडेविट करवा ले।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें