कमल पर सवार
कोरोना का पहला वर्षगांठ
(त्रिलोकीनाथ)
कोरोनावायरस को लेकर कथित तौर पर वैज्ञानिक दावा है यह वायरस जीवित वायरस नहीं है ।अगर जीवित होता तो अधिक कोहराम मचाया होता है। ।अगर जीवित होता तो क्या हालात होते हैं यह चिंता का विषय है।
जीवित न होने की दशा में जहां चुनाव आयोग चाहता है इसे रोक देता है क्योंकि जहां चुनाव हो रहे हैं वहां पर यह कोरोना नहीं फैल रहा है। और न फैलने की जहां तक बात है तो खुद दिल्ली में यह नहीं फैला, जहां बड़े-बूढ़े किसान हजारों की संख्या में सरकार की बनाई बॉर्डर लाइन पर किसानी को जिंदा बनाए रखने के लिए मृत वायरस को आंखें मैं आंखें डाल कर चुनौती दे रहे हैं। फिलहाल तो किसानों के आंदोलन से यह वायरस प्रभावशाली असर नहीं छोड़ पाया है। ऐसा नहीं है इस आंदोलन को फेल करने के लिए और मल्टीनेशनल तथा दोस्त यारों की बनाई हुई कथित कृषि सुधार कानूनों को सफल बनाने के लिए वायरस का हमला, डर का हमला, सरकार ने नहीं किया होगा अपनी जनता जनार्दन को बचाने के लिए सरकार ने बहुत प्रयास किए हैं या फिर भारत का किसान इस हमले के लिए आत्मघाती दस्ता बना कर बलिदान हो जाने को तैयार बैठा है। सरकार ने भी इसे यही संज्ञा देकर मान लिया होगा कि आत्मघाती दस्ता से किस तरह निपटना है क्योंकि उसकी कर्तव्यनिष्ठा कृषि सुधार कानूनों की रक्षा के लिए कोरोनावायरस की सेना अभी तक तो असफल ही हुए दिख रहे हैं।
तो एक रोचक कथा अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी गढ़ते महसूस होते हैं अब यह बातें आनंद की होने लगी हैं। कि सुबह कोलकाता और पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में शिवराज हेलीकॉप्टर हवाई जहाज से जाते हैं और शाम के मध्यप्रदेश में आकर सायरन बजाकर कोरोनावायरस से डर कर रहने का संदेश देते हैं ताकि कोरोनावायरस महामारी से अपनी जनता जनार्दन को बचा सकते हैं। याने उसे जिंदा रख सकते हैं। तो जिंदा रहना है इसलिए मृत वायरस कोरोना भाईसाहब से डर कर रहना चाहिए। ऑर्डर की सबसे बड़ी शर्त यह है कि कम से कम उन वैक्सीन को लगवा ही लेना चाहिए जिनका खर्चा भी पीएम केयर फंड से खर्च होने वाला है। यह अलग बात है कि पीएम केयर्स फंड का यह खर्चा पारदर्शी तरीके से जनता जनार्दन को नहीं बताया जाएगा क्योंकि मामला मृत वायरस कोरोनावायरस भाई साहब को डर के लिए बरकरार रखने का है।
कमल पर सवार इंडियन कोरोना ऐसे भयंकर होता जा रहा है पहली वर्षगांठ मैं हर व्यक्ति को समीक्षा करना चाहिए। तो देखते चलिए डर के कारोबार में किसका कितना कारोबार चलता है फिलहाल तो प्रशासन ने घोषित तौर पर 11:00 बजे दिन के और शाम के 7:00 बजे सायरन बजाकर कोरोनावायरस से डरने का संदेश दिया है यानी जागरूकता का संदेश दिया है। तो फिर राजश्री गुटका वालों ने ₹20 का गुटका ₹30 में ब्लैक में बेचकर काला धन इकट्ठा करने की घोषणा कर दी है। तो अपना अपना डर का धंधा है और अपना अपना कारोबार है इसी व्यवस्था को बोलते हैं "आत्मनिर्भर भारत" का रामराज्य याने राम भरोसे चलती हुई सरकार। इस डर में और भी कई धंधे अपनी चमक लिए दिखेंगे। बैंक वाले सूदखोर तो पेट्रोल और डीजल वाले मुनाफा खोर समाज भारत की जनता जनार्दन को कीड़ों मकोड़ों की तरह इस्तेमाल करेगी। और काला धन का बड़ा साम्राज्य स्थापित करेगी। यही कड़वा सच है।यही नया इंडिया क्योंकि जितना डर और आतंक का वातावरण बनेगा कोरोनावायरस आपका उतना ही पीएम केयर्स फंड से गुप्त तरीके से खर्च होने वाला धन जनता जनार्दन के नाम पर खर्च हो जाएगा और यही जनसेवा भी है। कोरोना की वर्षगांठ पर सभी मुनाफा को रो को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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