बुधवार, 26 जून 2019

बी.. पॉजिटिव ...यार....🤔😡😩😢😭😃🤣🤣🤣तेरी औकात क्या है...? ( त्रिलोकीनाथ )...........

बी पॉजिटिव... यार...., 
तेरी औकात 
क्या है......?




 हमारी मांग; कैलाश भाई को बनाए कुलाधिपति !



.......... (  त्रिलोकीनाथ  )...........

कल सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का अहम दिन था। इंदौर में लोकसभा की स्पीकर रह चुकी सुमित्रा ताई की सत्ता को चुनौती देने वाले भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तथा  पश्चिम बंगाल की शेरनी ममता दीदी को उनके राज्य के प्रभारी रहकर भाजपा को विजय दिलाने वाले कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र विधायक आकाश विजयवर्गी ने इस बात पर नगर निगम के कर्मचारी को क्रिकेट की बाल की तरह छक्का मारा, कि नगरनिगम का खतरनाक भवन को गिराने का काम धरा रह गया.....।

उमा भारती मुख्यमंत्री थी, कैलाशविजयवर्गी लोक निर्माण मंत्री. मैं विधानसभा भोपाल में कैलाश भाई से कहा रीवा-अमरकंटक बी ओ टी सड़क मार्ग में नियमों का पालन नहीं हो रहा है..., उन्होंने कहा निश्चिंत रहो यार.., सब कुछ सिस्टमैटिक हैं , पालन होगा. कुछ तकनीकी ज्ञान भी उन्होंने मुझे दिया. कहते हैं 25 वर्ष का कांग्रेसी सरकार के अनुबंध का रीवा-अमरकंटक बी ओ टी सड़क मार्ग बना था, 15 साल भाजपा का शासन खत्म होते ही अनुबंध भी खत्म हो गया. अब 10 वर्ष कथित रूप से अनुबंध के अनुसार इस सड़क का प्रबंधन ठेकेदार को करना चाहिए और सरकार को करवाना चाहिए किंतु सड़क मार्ग कि जो जर्जर हालत है, लगता है वह कई हत्याएं करके ही मानेगी...... क्योंकि सड़क ठेकेदार प्रबंधन नहीं कर रहा है. केंद्र में कैलाश भाई की सरकार है और राज्य में कांग्रेस की और ठेकेदार तो है ही.... तो भैया यही है व्यवस्था.

बहरहाल  ,एक निजी चैनल के पत्रकार ने आकाश के पिता कैलाश विजयवर्गीय से सवाल पूछा कि आपके बेटे ने कानून को अपने हाथ में लेकर निगम अधिकारियों की पिटाई की. वे ऐसा कैसे कर सकते हैं ? इस पर आपका क्या कहना है. पहले तो कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मेरा बेटा गलत काम नहीं कर सकता. फिर जब पत्रकार ने दोबारा पूछा कि यह तो वीडियो में दिख रहा है कि आकाश अधिकारियों की पिटाई कर रहे हैं. इस पर वह और ज्यादा भड़क गए और पत्रकार को कहा कि आप जज हैं क्या?
 पत्रकार के बार-बार सवाल पूछने पर कैलाश विजयवर्गीय ने आपा खो दिया और कहा कि तुम्हारी हैसियत क्या है...
 और मध्य प्रदेश नहीं पूरे देश में एक नया कारोबार मिल गया अपने को भी थोड़ा सा रोजगार मिला....... बहरहाल आकाश ने विधायक पद की गरिमा को आसमान की ऊंचाइयों में लाकर पटक दिया.... और  भीड़ लाकर सार्वजनिक रूप से सरकारी कर्मचारियों को मारपीट करके जो संदेश दिया है उसे देख कर हम कह सकते हैं.... गर्व से कहो हम हिंदू हैं..! अगर काश ऐसा होता ......?

काश... मेरा एक बौद्धिक विभाग होता ..,जिसमें सर्वसम्मति से निर्देश पारित किया जाता.. क्या यह मेरी कल्पना काश ऐसा होता..... कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मेरे होते हैं सदन में 308 भी मेरे होते तो मैं मानव संसाधन मंत्रालय मे अपने स्मृति को को आदेश करता की संविधान संशोधन करके मध्यप्रदेश मैं अमरकंटक में एक मॉबलिंचिंग विश्वविद्यालय खोला जाए और वहां पर राज्यपाल को नहीं बल्कि नए पद का निर्माण करके  "भाईसाहब कैलाश विजयवर्गीय" को कुलाधिपति के रूप में पहली बार नियुक्त करता। यह ठीक उसी प्रकार से पहली बार होता जैसे विधायक आकाश ने पहली बार क्रिकेट के बैट का सदुपयोग करते हुए नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मैच खेला और छक्का जड़ा ......यह अलग बात है  कि वे गिरफ्तार हो गए......, भगवान राम की तरह उन्हें 14 दिनों का जेल भी हुआ...।
 बहरहाल मेरे मावलिंचिंग विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में आकाश को नियुक्त किया जाता ताकि वे बेहतरीन अध्ययन..., अध्यापन और ट्रेनिंग का कार्य करते   र्और शायद इसी से इस आदिवासी क्षेत्र की संविधान में प्रदत्त आदिवासी विशेष क्षेत्रों की प्राकृतिक कथा नैतिक व्यवस्थाओं के संरक्षण हेतु बनाएगी पांचवी अनुसूची के तहत संरक्षण करने के लिए दलों का निर्माण होता......, क्योंकि आर एस एस में प्रशिक्षण, आत्मरक्षा दिया जाता है.... उसमें निहित सीमाएं होती हैं, किंतु पांचवी अनुसूची क्षेत्र में इन सीमाओं को लांग कर भी जम्मू कश्मीर के पत्थरबाजों की तरह मावलिंचर्स पैदा किए जाते हैं....जो सच्चे राष्ट्रभक्त होते हैं।
 और 15 साल सत्ता में रहने वाली सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के मंदिर तथा काल्पनिक हिंदुत्व-ब्रांड के भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश में शासन करने वाली तथा विश्व स्तर पर नर्मदा संरक्षण हेतु विश्व रिकॉर्ड के वृक्षारोपण पर काम करने वाले व्यवस्था तथा नदी को अविरल बनाने हेतु सकारात्मक कार्यों का  क्रियान्वयन किया जाता.....।
 ताकि  नर्मदा-उद्गम पर अमरकंटक में नर्मदा के स्रोतों को जल धाराओं को खत्म करने वाले सभी घटकों खासतौर से नर्मदा कुंड के आसपास की सभी पहाड़ियों जिस पर अलौकिक साल के वृक्षों और अमरकंटक की नर्म-मृदा से निर्मित नर्मदा जल धाराओं हेतु बनी नाड़ियों की सुरक्षा के लिए, जिससे अंततः नर्मदा उद्गम से नर्मदा का प्रवाह होता है, उसकी सुरक्षा के लिए कार्य किया जाता......
 क्योंकि नर्मदा की पहाड़ियों पर धार्मिक नकाब पहनकर विभिन्न धर्मों खासतौर से हिंदू धर्म के ठेकेदारों द्वारा इन पहाड़ियों को जबरदस्ती कब्जा करके उन्हें काट कर अथवा उनके वृक्षों का समूह नाश करके या उन पर तेजाब डालकर साल वृक्षों का रीजनरेशन खत्म करंंने, स्वाभाविक वृक्षारोपण की प्राकृतिक संरचना को नष्ट करके मैदान बनाने का काम करने वाले .., "सभी-तत्वों" को इसी प्रकार से क्रिकेट के बल्ले से मारकर या विकेट से मार कर नर्मदा की चोटियों से भगा दिया जाता..... यह एक सकारात्मक कार्य होता ...।
 थोड़ा सा हिंसक होता... ईतना चलता है...; चाहे प्रज्ञा ठाकुर की तरह महात्मा गांधी को गोली मारने वाले गोंडसे  को सच्चा भक्त  कहने  से माफी मांग लेने पर कुछ देर के लिए मैं भी उसी तरह नाराज होता...... जैसे हमारे प्रधानमंत्री नाराज हुए कि  ."....भलाई प्रज्ञा ने माफी मांग ली है, किंतु में दिल से कभी उन्हें माफ नहीं करूंगा ...." अपने मन की बात कहते हुए मन को हल्का कर लेता..... ।
 इस प्रकार लोकतंत्र के संविधान में प्रदत्त पांचवी अनुसूची का पालन भी होता और राष्ट्रीय स्तर पर कर्तव्य-निर्वहन का प्रदर्शन भी... । 
किंतु यह मेरी कल्पना ही है.... क्योंकि जम्मू कश्मीर के पत्थरबाजों की तरह ट्रेनिंग देने वाला मेरा "माब-लिंचिंग विश्वविद्यालय,अमरकंटक"   में कभी नहीं बनेगा। उसे क्रियान्वित करने वाले चरित्र......, आदिवासी विशेष क्षेत्रों में..ऐसे महान विधायक, कभी पैदा नहीं होंगे...।
 इंदौर में भूमि-भवन-माफिया के लिए और उन पर निहित लोक-हितों के लिए समर्पित नेता व कार्यकर्ता कभी पैदा नहीं होंगे।
 हा...., मेरा दुर्भाग्य, मैं ऐसा हिंदुत्व पैदा नहीं कर पाऊंगा....😭.।
 मेरा सपना टूट जाता है...😤😪😫😲. देखता हूं ...,मेरे काल्पनिक "कुलपति के कुलाधिपति" मेरे से कहते हैं, ..... तेरी औकात क्या है..! 
 बी पॉजिटिव यार....., यह लोकतंत्र है, सब चलता है... आखिर लोकतंत्र ने काम किया ना.... हमारे राम को 14 दिन का कारावास हुआ ना..... सब कुछ ठीक हो जाएगा.... 

बी.. पॉजिटिव ...यार....🤔😡😩😢😭😃🤣🤣🤣

और अंत मे....

बहौत ही मुश्किल से मिला है यह गौरव साली चित्र.....?
1994 में तत्कालीन ASP प्रमोद फड़नीकर जी पर जूते से वार करते उस समय के इन्दौर महापौर...........
आखिर गौरवशाली परंपरा का निर्वहन भी तो होना चाहिए इसीलिए कहा गया
"बाढ़े पूत पिता के धर्मन........................"


सोमवार, 24 जून 2019

बस पर सवार प्रशासन..... जय की तलाश पर ; जैतपुर में !=( त्रिलोकीनाथ )===========

जय की तलाश पर; 
जैतपुर में.. !

जनसुनवाई









==========(  त्रिलोकीनाथ  )===========
पता नहीं अब कहानियों का क्या  दौर है..? कहानियां कुछ कहती भी हैं या नहीं..,जब हम  पढ़ते थे प्रायमरी स्कूल ,मिडिल स्कूल में, हिंदी की- अंग्रेजी की कहानियों को  बड़े चाव से पढ़ते थे।  क्योंकि कुछ ना कुछ रस रहता था.... उसको पीते थे, जमकर चखते भी थे।
 हिंदी कहानियों में एक याद आता है "चाचा छक्कन ने धोबी को कपड़े दिए" एक और कहानी जो रस भरी थी उसका शीर्षक था "जीप पर सवार इल्लियां" दरअसल यह कहानी एक गांव में चने के खेत पर किसानों की समस्या फसल की बीमारी और भ्रष्टाचार पर आधारित है। उस समय भ्रष्टाचार शुरुआती कीड़ा रहा होगा.... उसी तरह जैसे इल्लियां यानी छोटा मोटा कीड़ा जो मौसम में पैदा होता है, फसल को देखकर और फिर खत्म हो जाता है... किंतु इतने में वह सब कुछ कर जाता है। खेत में इल्लियां , लगने की  समस्या से सरकारी कृषि विभाग के लोग बुलाए गए ताकि वे इल्लियां  को देख कर समस्या का समाधान कर सके किंतु जिस प्रकार से सरकारी अमला खेत तक आया और कई चने के बूट उखाड़ कर अपने जीप में भर के ले गया उस पर व्य्ंग  करने साथ ही कथाकार किसान के हवाले से खेत मालिक से पूछा, क्या हुआ इल्लियां का.... कहानी की खात्मा इस पर होता है की सभी इल्लियां  जीप पर ले जाई गई / जा रही हैं......।
 यह व्यंग्य तत्कालिक शुरआती पारदर्शी भ्रष्टाचार का हिस्सा था, अब भ्रष्टाचार का मुकाम, वो अमरीश पुरी की फिल्म के चरित्र  "मोगैंबो" के स्तर पर जा पहुंचा है।
 हाल में ही इसे प्रदर्शित करते हुए संसद के कांग्रेस पार्टी के 52 सांसदों के दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कल ही बड़े ठोस इरादे से अपने वक्तव्य में सदन के अंदर कहा... "...कि अगर राहुल गांधी और सोनिया गांधी चोर हैं तो यहा संसद में क्या कर रहे हैं, कैसे बैठे हैं.....?  क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री ने उन्हें चोर कहा था। इस प्रकार चोर-चोर मौसेरे भाई कि खेल को जमकर खेला गया। हालांकि श्री चौधरी ने कहते हैं माफी मांग ली थी।
 किंतु यह सच की घटना बताती है 21वीं सदी की भ्रष्ट व्यवस्था अब किसी "जीप में सवार इल्लियां" की तरह नहीं है बल्कि वह अज्ञात उच्चस्तरीय कार और हवाई जहाज में सवार होकर सदन में पहुंचती है। यह एक बड़ी बीमारी के रूप में स्थापित हो गई है। जिसका समाधान यदि समय पर नहीं किया गया तो गैंग्रीन बनकर लोकतंत्र को अंततः नष्ट कर देगी, सड़ा देगी.....।
 इसका एक उदाहरण, या यू कहना चाहिए 21वीं सदी की इस भ्रष्ट व्यवस्था का एक उदाहरण विश्व प्रसिद्ध नर्मदा नदी के उद्गम नर्मदा-उद्गम स्थल अमरकन्टक मे नर्मदा स्रोत के सूख जाने और कम हो जाने से प्रमाणित होता है ।
कि सिर्फ कतिपय अधिकारी, कर्मचारी, नेता  ही नहीं साधु संतों के नकाब में धार्मिक मठाधीश अपने थोथे अहंकार  के लिए अपनी समाज की काली कमाई को सफेद करने के लिए प्रकृति के प्रतिकूल व्यवहार करते हुए उसे लगातार विनाश कर रहे हैं। इसमें जाने अनजाने उन निष्ठा और समर्पण का भी समावेश है जो  उच्चतर शिक्षा प्राप्त आईएएस, आईपीएस आई एफ एस योग्यता वाले व्यक्ति भी शामिल हैं ....जो समझ नहीं पाए कि जब नर्मदा उद्गम क्षेत्र के शीर्ष पहाड़ियों पर धार्मिक मठ के नाम पर कंक्रीट के जंगल और आयातित गांव बसाया जाएगा..., जैसा कि जैन मंदिर के नाम पर हुआ तो इसकी प्रतिपूर्ति के लिए पानी कहां से लाएंगे............?
 नर्मदा  जी उतना पानी देती जितनी क्षमता है। 
 काली कमाई का पैसा पूरी ताकत से नर्मदा की पहाड़ियों को ड्रिल  करता हुआ हजारों फीट नीचे से पानी निकाल कर गांव की प्यास बुझाता है./भक्तों की प्यास बुझाता है... यही पानी तो था ..,जो अपने प्राकृतिक स्वभाव में नर्मदा उद्गम का कारण बनता था। ऊपर से साल के वृक्षों की सुंदर प्राकृतिक छटा और नीचे नर्मदा-मृदा में होकर यह जलधाराएं नर्मदा का प्रवाह करती थी ....। जब पूरे साल के वृक्ष काट ही डाले गए, अंदर से ड्रिल करके पानी निकाल लिया गया....?, फिर भी आप कहें कि नर्मदा प्रवाहित हो.....?,
 यह तो अंधा, बहरा  व्यक्ति भी उत्तर दे सकता है... 
ऐसा ना होगा भैईया....!
 बहराल यह मुख्यमंत्री,प्रधानमंत्री और शीर्ष धार्मिक मठाधीशो  तथा ब्लैकमनी के राष्ट्रीय स्तर के स्टॉकिस्ट के समन्वय का परिणाम है।
 अन्यथा भारत का संविधान पांचवी अनुसूची की व्यवस्था देकर, आदिवासी क्षेत्र को संरक्षित करने की घोषणा करता है। जिसे यह नहीं मानते.....?
 "शायद प्रकृति ही चाहती हो.... " : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा को पहली बार मैंने तब देखा, जब नरेंद्रमोदी अपने आभा मंडल के साथ पहली बार प्रधानमंत्री बने थे और बीजेपी हेड क्वार्टर में दिल्ली में जा रहे थे, पूरी व्यवस्था में लाइव टेलीकास्ट में मूछों वाला मध्य प्रदेश का एक व्यक्ति प्रभात झा को प्रबंधन करते देखा था ....। तब उनकी अहमियत को पहचाना था, आर एस एस के समाज में जो धीरे से राष्ट्रीय पहचान ले रहा था। इसी शहडौल सर्किट हाउस में एक प्रश्न में मुझे बता रहे थे.. कि अगर विनाश हो रहा है किसी राम मंदिर का तो भगवान की ऐसी ही इच्छा है...?
  ऐसा मानकर हम भी संतुष्ट हो लेते हैं क्योंकि हिंदुत्व का कॉन्ट्रैक्ट इन्हीं लोगों के पास है।


 बहरहाल  यह बीती बातें है ।आज सुबह शहडोल के प्रशासन को नए रूप में देखा वह इसी सर्किट हाउस से बस में सवार होकर शहडोल के सीमांत अनुविभाग जैतपुर की ओर जनसुनवाई कार्यक्रम, जो हर मंगलवार को लगता है। मुख्यालय में ना करते जैतपुर में करना तय किया गया। प्रशासन इसी महान कार्य के लिए अपने पूरे दलबल के साथ जनता जनार्दन की समस्या के सुनवाई के लिए उनके घर पहुंच रहा था....। 
 प्रतीकात्मक रूप से यह बेहद मनोहारी तथा एक नया प्रयोग है, क्योंकि शहडोल में जनसुनवाई में कभी ऐसा नहीं हुआ था ।होने को पहले होता था.., प्रशासन, अक्सर पत्रकारों के दल के साथ दो-तीन माह में एक बार जिले के भ्रमण में निकलता था। और "लोकज्ञान" के जरिए समस्याओं का समाधान करता था। तथा लोकतंत्र के प्रति एक पारदर्शी  समन्वय का व्यवहार करता था ।
अब यह एक नया अंदाज "बस पर सवार प्रशासन" में मिलजुल कर समस्याओं का समाधान करेगा...।  निश्चय ही भस्ट  हो चुकी आदिवासी क्षेत्र की व्यवस्था के सुधार में यह मील का पत्थर साबित हो ....,हमारी यही शुभकामना है। हम कुछ कर पाएं, लोकतंत्र के लिए ,उनके हितों के सुरक्षा के लिए, जिनके लिए आजाद भारत में हमें सांसे दी हैं.., हमें शिक्षा-दीक्षा देने का रास्ता खोला है, हम योग्यता के चरम स्तर पर जिला स्तर पर अपना प्रदर्शन करने के लिए अपनी योग्यता की परीक्षा दे रहे हैं। और क्या करा जा सकता है...? शहडोल कलेक्टर का यह अभिनव प्रयोग कैसे अधिकतम सुधार ला सकता है देखने और सीखने के योग होगा, इस पर काम जारी ही रहेगा.. हमारी शुभकामनाएं।

शनिवार, 22 जून 2019

मोगेंबो खुश हुआ..._______________( Trilokinath )

मोगेंबो..., खुश हुआ...!





_______________( Trilokinath  )

 चरित्र अभिनेताओं की दुनिया में भलाई ओरिजिनल खलनायक संजय दत्त खलनायक फिल्म के हीरो रहे और रियल लाइफ में भी खलनायक ही रहे। बावजूद इसके अमरीश पुरी खलनायक की दुनिया का बेताज बादशाह है ,हमेशा बने रहेंगे ।......और जरा पीछे जाएं तो खलनायक  की दुनिया में प्राण फूंकने वाले प्राण तथा अजीत कुमार की खनकती आवाज में चरित्र खलनायक की भूमिका बेहद दमदार रही ।इन सबके बावजूद जब भी चरित्र खलनायक मोगैंबो खुश होता है तो यह है यादगार क्षण बन जाता है।
 22 जून को अमरीश पुरी का जन्मदिन है गूगल ने जमकर मनाया और लोगों की स्मृतियां ताजी कर दी ,अनिल कपूर के हवाले से उनके ट्वीट को प्रदर्शित किया कि यदि अमरीश पुरी नहीं होते तो शायद फिल्म नहीं बनती ।खलनायक की दुनिया में अमरीश पुरी को भारतीय फिल्मों का आदर्श खलनायक कहा जा सकता है ।उनका निधन 2005 में हुआ था, आज 14 साल भी बाद भी उनकी खलनायकि उनके जीवित होने का एहसास कराती है।
 अब हम जंप करें शहडोल में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आए लालपुर में और वोट के धंधे में बैगा सम्मेलन में बैगा समाज के साथ नाचे भी और मोगैंबो की तरह खुश भी हो गए..... उन्होंने  शहडोल कलेक्टर को  करीब लाख रुपए नाचने वालों  के लिए  उपलब्ध कराने को कहा ताकि पुरस्कार दिया जा सके , तत्काल नगद  कैसे आता......? मुख्यमंत्री ने  कलेक्टर को कहा कलेक्टर ने  खनिज अधिकारी  फरहत जहां को कहा.... कहते हैं  लाखों रुपए की राशि  तत्काल  किसी अवैध खनिज व्यापारी  से  नगद में ली गई......  और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक पहुंचाई गई।  शिवराज सिंह ,"मोगेंबो खुश हुआ" के अंदाज में  नाचने वालों को  लाखो रुपए नगद दिए। 

  नियम के हिसाब से 50000 से ऊपर की राशि  नगद नहीं दी जा सकती  और शिवराज सिंह के नेता  नरेंद्र मोदी जी की मांने  तो ₹20000 से  ऊपर नगद ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता....  किंतु  लालपुर में  तत्कालीन मुख्यमंत्री मोगेंबो  के  अवतार में आए थे और मोगैंबो के  शासन में  कानून व्यवस्था का कोई रोल नहीं रहता  ऐसा  शिवराज  ने प्रदर्शन करने का काम किया।  शायद उन्हें लगा होगा  कि वे ही मोगैंबो हैं किंतु हम आदिवासी क्षेत्र शहडोल के निवासी हैं , हमें मालूम है कई लोगों ने लालपुर बैगा सम्मेलन के लिए खलनायक  की थी.... दुर्गा टेंट हाउस का एक बिल देखा गया जिसमें करीब 28-30 लाख रुपए इस बैगा सम्मेलन के खाना और पानी के लिए शिवराज जी को अर्पित कर दिए गए। हालांकि कलेक्टर नरेश पाल ने कहते हैं रोक लगा दी थी किंतु जैसे ही कलेक्टर बदले आदिवासी विभाग के कर्मचारियों ने कलेक्टर के नोट को छुपाकर तत्कालीन कलेक्टर अनुभव श्रीवास्तव लाखों रुपए का बिल पास करवा लिया । आदिवासियों का पैसा कुछ इसी प्रकार से बहता रहता है ।अलग अलग आदिवासी विभाग के कर्मचारी बैगा सम्मेलन के नाम पर जमकर मनमानी बिल निकाला ।करोड़ों रुपए का बैगा सम्मेलन मोगेंबो शिवराज के लिए निछावर हो गया... यह भारतीय लोकतंत्र में दलित उत्थान का खलनायकी अंदाज है..... तो लाखों रुपए जो  अपने साथ डांस करने के लिए  कलेक्टर से मांगे थे, नगदी में वह फरहत जहां ने जिस अवैध खनिज कारोबारी से वैध रूप से लिया था वह अपनी कीमत तो वसूलेगा ही .... ? 
वह अवैध खनिज व्यापारी भी एक चरित्र नायक है, खलनायक के अंदाज में.... ऐसे खलनायक , अवैध कारोबार की शिवराज की सरकार में जमकर फले-फूले...... जहां कहीं कोई कलेक्टर, एसपी, एसडीएम इनके रास्ते में रोड़ा अटकाया..... मोगैंबो नाराज हो गया ।   जिसका परिणाम एसपी की हत्या तक हो चुकी है...।  मोगैंबो राज में ही कटनी खनिज अधिकारी को उसके ऑफिस में घुस के मारा गया,  शहडोल में एसडीएम  ने  मोगेंबो के काम में रोड़ा अटकाया , तो उनका स्थानांतरण हो गया, अब तो प्रशासन के नियंत्रण से व्यवस्था शायद चली गई है.... एसडीएम , तहसीलदार व संबंधित कर्मचारी अवैध खनिज व्यापारियों के हाथों पीट रहे हैं...... यह सही है कि कलेक्टर ललित दायमा ने खनिज निरीक्षक कुलस्ते को निलंबित किया.... यह  खनिज विभाग है जो मोगेंबो के लिए काम करता था ..., मोगैंबो का शासन उसकी सल्तनत व्यापक हो चुकी है.... यह समझ पाना बड़ा मुश्किल है कि वह कब पुलिस को रूप.... में तो कब प्रशासन के रूप में... और कब अवैध खनिज व्यापारियों के  साथ चल रहा है ।

कलेक्टर कहते हैं.., पुलिस सहयोग नहीं ...?


एक समाचार पत्र की बात माने ,अगर वह झूठ नहीं लिख रहा है तो... कि कलेक्टर दाहिमा कहते हैं की पुलिस सहयोग नहीं कर रही है...., तो क्या इस समय या तब जब सौरव कुमार एसपी थे तबसे मोगैंबो जिस प्रकार  खनिज के अवैध कारोबार में नंगा नाच कर रहा था ,उसे नियंत्रित करना वर्तमान पुलिस की बूते के बाहर की बात है ...., क्या आर्मी बुलाया जाना चाहिए या पैरामिलिट्री फोर्स के जरिए आदिवासी क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा होनी चाहिए .....यह वर्तमान कलेक्टर के लिए एक चुनौती भी है और एक अवसर भी।

छुटू-भैया , मोगेंबो शासन में करोड़पति ...?
 कि क्या वह मोगेंबो के शासन प्रणाली को ठीक कर सकता है। यदि ऐसा होता है यह लोकतंत्र के लिए बढ़ाया गया बड़ा कदम होगा और उसकी शुरुआत शिवराज की लालपुर बैगा सम्मेलन में मोगेंबो के खुश होने पर नगद में आए लाखों रुपए के पुरस्कार की जांच से होनी चाहिए कि वह पैसा कैसे आया, कैसे आदिवासी विभाग में किसी अंसारी का प्रस्तुत बिल, कलेक्टर की आपत्ति के बावजूद भी उसे छुपा कर नए कलेक्टर से पास करा लिया गया, कैसे दुर्गा टेंट का फर्जी बिल शिवराज के बैगा सम्मेलन के नाम पर पास हो गया, अचानक जमीनी आदमी कैसे शहर का बड़ा बिल्डर बन जाता है। या फिर अवैध खनिज का कारोबार करने वाला हर छुटू-भैया , मोगेंबो शासन में करोड़पति हो जाता है.... आज शिवराज का चरित्र बदल गया है.. अब खुश नहीं होता, ना ही उन्हें माई के लाल को चुनौती देने की साहस है.... आज वे एक माई के लाल के लिए भोपाल में लोकतंत्र से न्याय की भीख मांग रहे हैं 

....शहडोल में उनका कार्यकर्ता मीडिया के जरिए प्राण की भीख मांगने को बेचैन है..... कि खनिज माफिया उसकी हत्या कर देगा । 
यह लोकतंत्र है भैया और मोगेंबो के शासन प्रणाली में जितने  बच्चे पैदा किए , इन 15 सालों में भलाई शिवराज का चरित्र बदल जाए, वे मोगैंबो से गांधी बनने का प्रयास करें, किंतु जो मोगैंबो ने बोया उसे तो काटना ही पड़ेगा । क्योंकि यही मोगैंबो की सल्तनत है। 
 हमेशा याद रखना चाहिए जब भी सत्ता का अवसर मिले मोगैंबो बनकर वह गांववाले के बीच में नाचते हुए लाखों रुपए नगद निछावर नहीं करना चाहिए ..,आज यही निछावर शहडोल प्रशासन के नाक में दम किए हैं.... बेहतर हो कि पर्यावरण संरक्षण के लिए, नदी नालों की जान बचाने के लिए और अमरकंटक में जो भी  मोगेंबो की सल्तनत का निर्बाध साम्राज्य कायम है उसे खत्म करने के लिए, प्रशासन को स्वयं के होने को साबित करना चाहिए ।





जिसकी शुरुआत आदिवासी विभाग में शहडोल से स्वच्छता अभियान चलाकर और यदि कमिश्नर शहडोल चाहे तो पवित्र नगरी को पवित्रतम बनाने की मुहिम के लिए नर्मदा नदी की हत्या का प्रयास करने वाले सभी मोगैंबो-पुत्रों को चिन्हित करने और उनके सभी प्रयासों को नाकाम करने से शुरुआत हो सकती है। जो एक क्रांतिकारी कदम होगा ।भारत की संविधान में दी गई गारंटी, संविधान की पांचवी अनुसूची में लोकतंत्र द्वारा दी गई आदिवासी क्षेत्र की सुरक्षा के हित में, सभी अमरकंटक के प्रवासियों को सूचीबद्ध करते हुए द्वारा कराए गए वैध और अवैध बोरिंग और समर्सिबल पंप की गणना तथा उसे निकास की  प्रतिदिन जल निकासी की क्षमता को चिन्हित करते हुए कोई नीतिगत बड़ा कदम उठाना चाहिए।
 नहीं तो अमरीश पुरी का महान खलनायक "मोगेंबो" चरित्र उन्हें तो अमर कर गया....,  अमरकंटक  की नर्मदा, सोन जोहिला, शहडोल  और मध्य प्रदेश  को बर्बाद करके रख देगा। 
मुख्यमंत्री कमलनाथ ,शासकीय हमीदिया अस्पताल  में 

किंतु  15 साल की शासन प्रणाली के बावजूद भी  शिवराज  जो नहीं कर सके  वह मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर दिखाया  और  अपनी स्वास्थ्य सुविधा के लिए उंगली के ऑपरेशन के लिए  एक संपन्न उद्योगपति मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल के  शासकीय हमीदिया अस्पताल  में ऑपरेशन करा कर  लोकतंत्र के जीवित होने का  और उसके हित में  काम करने का जो समर्पण का संदेश दिया  वह वास्तव में एक मानवीय कदम है और  शिवराज सिंह  भी इससे बहुत खुश हुये तथा कमलनाथ को बधाई दी है।

गुरुवार, 20 जून 2019

सूख रहे हैं नर्मदा-स्रोत हो या स्टॉप डेम ...!


करोड़ों रुपए के स्टॉप डेम: 

 :दिखाने के दांत






अमरकंटक की नर्मदा जल स्रोत सूख गया... उद्गम से कपिल धारा के बीच में नर्मदा विलुप्त हो गई.... मान लेते हैं, वहां के कलेक्टर स्वयं के दवाब में..., स्वयं की इच्छा से अथवा किसी प्रशासनिक इच्छा से साधु-संतों की गुलामी कर रहे थे। इसलिए जो मनमानी बोरिंग में हुई और अट्टालिका धर्म के नकाब पहनकर खड़ी हुई हैं उनकी  पानी की पूर्ति के लिए इसके लिए नर्मदा के जल स्रोत खत्म करना या नर्मदा की हत्या का प्रयास करना उनकी मजबूरी रही होगी...? इसकी बात होती ही रहेगी नर्मदा तो निर्भया ही हैं ।

अब हम संभाग शहडोल  मुख्यालय शहडोल शहर की सीमा पर यानी मुडना  नदी के उस पार उमरिया और शहडोल के बॉर्डर में बसे इस सीमावर्ती अधिष्ठात्री देवी बूढ़ी माता मंदिर के बगल में स्थित स्टॉप डेम की बात करेंगे... यह स्टॉप डेम इसलिए चर्चा का हिस्सा बनता है, क्योंकि इसे मॉडल स्टॉप डेम के रूप में प्रशासन को अपना चेहरा इसमें देखना चाहिए। यदि संभाग मुख्यालय से जुड़े स्टॉप डेम में पानी स्टॉक करने के लिए  मात्र सटर नहीं लगने से पानी नहीं रोका जा सका है तो फिर पूरे संभाग में करोड़ों रुपए के स्टॉप डेम क्या दिखाने के दांत मात्र थे...? या फिर खाने के दांत और हैं . या  योग्य पानी देने वाले स्टॉप डेम कहीं और शटर लगाकर पानी रोके गए हैं...? बात जो भी हो यह एक कड़वा सच है संभाग मुख्यालय के प्रशासन के लिए कमिश्नर शहडोल के लिए भी कि अगर उनके बगल में स्थित स्टॉप डेम में किन्ही कारणों से सटर नहीं लगा है और पानी नहीं रोका जा सका है।

 तो क्या इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को कटघरे में खड़ा किया गया क्या संबंधित सचिव या पदाधिकारी को निलंबित किया गया यदि यह सब कुछ नहीं किया गया तो इसका मतलब प्रशासनिक योग्यता का अभाव प्रशासन में आंख मूंदकर काम कर रहा है क्योंकि अगर आप चाहे भी इस 100 किलोमीटर दूर किसी स्टॉप डेम को देखना चाहे तो भी नहीं देख सकते भलाई अत्याधुनिक संसाधन लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था सेटेलाइट के माध्यम से मोबाइल के जरिए आपके हाथ में हो तब तक नहीं दिखेगी जब तक आप का दिमाग यह नहीं सोचेगा कि आप यह देखना चाहते हैं और इसीलिए शहडोल की सीमा में प्रसिद्ध बूढ़ी माता मंदिर के बगल में स्थित स्टॉप डेम जिसमें सटर नहीं लगे हैं आपको नहीं दिखे बहरहाल हम यह मान सकते हैं कि जिस दौर में स्टॉप डेम शटर बंद होने चाहिए थे उस दौर में लोकतंत्र की प्रसव पीड़ा जो हर 5 साल में होती है उसका दर्द के कारण प्रशासन पानी रोको अभियान के लिए बनाए गए संभाग के सभी स्वेटर बंद करने का कोई प्रयास नहीं किया और पानी ऐसे ही बह गया यह विवाद का विषय हो सकता है यह उमरिया जिले के कलेक्टर की जिम्मेदारी थी या शहडोल के किंतु यह निर्विवाद है उस समय विधानसभा के चुनाव की तैयारी चलती रही होगी और व्यस्तता के कारण शटर लगाना प्रशासन भूल गया किंतु आईना भी है इस सबक का कि क्या आप इसमें अपना चेहरा देख पाते हैं और कुछ सीख पाते हैं की करोड़ों रुपए के स्टॉप डेम इसलिए खराब हो गए हैं क्योंकि प्रशासन का नियंत्रण जमीनी स्तर पर नहीं रह गया उसकी संवेदना पानी के साथ शायद खत्म हो गई है और इसीलिए चाहे नर्मदा काजल स्रोत हो या फिर बूढ़ी माता मंदिर के बदल का स्टॉप डेम दोनो ही सूख रहे हैं अपन तो इसलिए लिख रहे हैं साखी ताकि आत्म संतुष्टि हो कि हमने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया क्या प्रशासन अपने कर्तव्य का दिखाने के लिए ही सही कोई पारदर्शी निर्वहन करेगा या फिर सुकरी नदी और नालों से व सीखेगा कि उसका अनुगामी कार्यक्रम क्या होगा और वह इससे कैसे सीखेगा आशा करनी चाहिए चंद दिनों के लिए आने वाले प्रशासनिक अधिकारी कुछ घंटे के लिए ही कुछ बेहतर काम करें

अगर टोल प्लाजा पर 3 मिनट से ज्यादा करना पड़े इंतजार तो कोई टोल टैक्स नहीं:

अगर टोल प्लाजा पर 3 मिनट से ज्यादा करना पड़े इंतजार तो कोई टोल टैक्स नहीं: RTI के जवाब में खुलासा

नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी


| Updated: July 22, 2017 8:15 pm

गली बार जब आप देश के किसी भी नेशनल हाइवे से गुजर रहे हैं और आपको टोल पर तीन मिनट से ज्यादा इंतजार करना पड़े तो टोल ना दें। हालांकि सुनने में यह जितना भी अच्छा लग रहा हो लेकिन वास्तविकता में ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता। मगर आपको यह जानकारी दे दें कि नियम के मुताबिक ऐसी सुविधा दी हुई है। दरअसल NDTV के मुताबिक, नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा एडवोकेट हिरओम जिंदल को आरटीआई के जवाब में बताया गया कि अगर वाहन चालक को टोल प्लाजा पर 2 मिनट 50 सेकेंड से ज्यादा वक्त लाइन में इंतजार करना पड़ता है तो वह बिना टोल चुकाए जा सकता है।

NHAI ने जवाब में लिखा, “इंतजार करने की समय सीमा 3 मिनट की है।” इसमें आगे बताया गया कि वाहन को 2 मिनट 50 सेकेंड तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ सकता है। जिंदल ने आरटीआई में पूछा कि क्या ये समय अलग-अलग काऊंटरों के लिए विभिन्न है तो जवाब मिला कि नहीं ऐसा नहीं है। जिंदल ने अगला सवाल पूछा कि अगर गाड़ी चलाने वाले को कतार में 3 मिनट से ज्यादा का समय लग जाए तो इस परेशानी के एवज में उसे क्या छूट दी जाएगी। जवाब में बताया गया कि “अगर इंतजार 3 मिनट से ज्यादा का हो जाता है तो मुफ्त में निकल जाने का प्रावधान है।”

जिंदल ने बताया कि लुधियाना और दिल्‍ली तथा चंडीगढ़ और अंबाला के बीच यात्रा करने के दौरान कई बार उन्‍हें टोल भुगतान के लिए बहुत अधिक इंतजार करना पड़ा, इससे परेशान होकर उन्‍होंने यह आरटीआई डाली थी। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्‍यक्ति को टोल पर जाने से एक घंटा या आधा घंटा इंतजार करना पड़े तो उस रोड पर चलने का उद्देश्‍य ही खत्‍म हो जाता है।



मंगलवार, 18 जून 2019

प्रोपेगेंडा-प्रतियोगिता की छमाही परीक्षा भाजपा पास ...........( त्रिलोकीनाथ)............

 प्रोपेगेंडा-प्रतियोगिता की छमाही परीक्षा,

 भाजपा पास 
भाजपा कांग्रेस की पत्रकार वार्ता


...........( त्रिलोकीनाथ)............

यह न्यू इंडिया, नए हिसाब की राजनीति है ।राजनीति एक दुकान है..., दुकान को माल कैसा भी बेचें ,फर्नीचर और आकर्षण से सजा बाजार रहना चाहिए । कुछ इसी अंदाज में शहडोल की राजनीति अपना काम कर रही है और  राजनीति दुकान चलाने का प्रदर्शन कर रही है। इसीलिए राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र की भाजपा  के प्रतिनिधि जिला स्तर पर छमाही परीक्षा का पेपर देने के लिए मीडिया के सामने आए ।
पेपर था, प्रोपेगेंडा-प्रतियोगिता, कौन कितना अच्छा प्रदर्शन करता है इस बात पर दबाव था।
 कल मैं एक बिजली पंचायत में था और जो बातें थी वह तो थी ही कि चर्चा में यह बात निकल कर पाई कि कांग्रेस के प्रवक्ता का प्रदर्शन शहडोल में अच्छा नहीं रहा। उन्होंने तैयारी नहीं की थी। और कांग्रेस ने पेपर देने के लिए भेज दिया। किंतु संभाग में ही एक अन्य स्थान पर प्रवक्ता ने अच्छी तैयारी की थी। वे होशियार थे और पढ़े लिखे हुए अनुभवी  रहा, इसलिए प्रोपेगंडा में माहिर थे । 
हकीकत तो आप भी जानते हैं कि स्वयं के बारे में कितना झूठ और पाखंड प्रकट किया जाए कि वह अंततः सच बनकर लोगों के "माइंड-सेट" का काम करता है वास्तविकता का इससे कोई नाता नहीं रहता। वास्तविकता अपने हिसाब से काम करती है ;प्रोपेगंडा अपने हिसाब से काम करता है।
 बहरहाल  प्रदेश का आदिवासी संभाग शहडोल में राजनीति की दुकान चलाने वाली दोनों ही पार्टियां अपने प्रोपेगंडा प्रदर्शन में जितनी भी बातों का उल्लेख किया उसमें हवा हवाई चर्चाएं रहीं। शहडोल में कांग्रेश के प्रवक्ता से अपेक्षा रखते हुए पत्रकारों में जो चर्चा की उससे उन के तोते उड़ गए। तो भारतीय जनता पार्टी ने जो पत्रकार वार्ता की और जितना प्रदर्शन किया उसे मीडिया के लोगों के प्रश्नों के तोते उड़ गए । की अब बचा क्या ...? 
यही हाल संभाग में मूल मुद्दों के मामले को लेकर चाहे अनूपपुर हो या उमरिया सब के तोते उड़ाते देखे गए। प्रोपेगंडा प्रतियोगिता में प्रयास इस बात का था की छमाही परीक्षा पास कौन करता है.....?  स्थानीय मुद्दों पर ना नेताओं ने अपनी बात कहनी चाही और न पत्रकारों ने प्रश्न पूछे... इसलिए कि पत्रकार भी जानता है सच यह है कि यह एक प्रोपेगंडा प्रतियोगिता है। और वह भी इस दुकान में आकर आनंद लेता है। यह एक अलग बात है लोकतंत्र के साथ बड़ी धोखाधड़ी है कर्तव्यनिष्ठा के खिलाफ एक बड़ी गद्दारी है।
 और हो भी क्यों ना...,  जब अन्ना हजारे देश की आजादी के बाद का सबसे बड़ा सफल आंदोलन चला रहे थे भीड़ की दृष्टि से और मुद्दों के दृष्टिकोण से भी, लोकपाल बनाने को लेकर। तब कहीं यह छोटी सी बात प्रकासित दिखी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की जरिए कि इस लोकपाल बनने से होगा क्या..?, कुछ और कमरों में शिकायतें भर जाएंगे या कुछ नए कमरे शिकायतों से भरे मिलेंगे ......?
झूठ और पाखंड  खूब बोलो,  जोर से बोलो  और चिल्लाकर बोलो....  यही ताकत है , अवधारणा  से; अब जिस प्रकार की राजनीति चल रही है जिस प्रकार का  प्रोपेगंडा-प्रतियोगिता को नेताओं ने स्वीकार कर लिया है और सिर्फ ऊपर के निर्देशों की जी हुजूरी करते दिख रहे हैं, धरातल और जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ते हैं.... या उस पर चर्चा नहीं करना चाहते .....उससे तो यही लगता है कि अब्दुल कलाम साहब की सोच बिल्कुल परफेक्ट रही। 
बहरहाल भाजपा इस प्रोपेगंडा में प्रदर्शन में सफल रही दिखती है ।उन्होंने बकायदा अपनी बातें लिखकर प्रस्तुत की और उतनी ही ताकत से उसे बोलकर बताएं। शहडोल आदिवासी संभाग में ढेर सारी स्थानीय समस्याएं हैं...,खनिज माफिया अपने पूर्णानंद पर है उस पर नियंत्रण प्राय: फेल है.. बी ओ टी बेस पर  निर्मित  रीवा-अमरकंटक  सड़क मार्ग बद से बदतर हालात में होता जा रहा है और खुलेआम जंगलों में घुसकर खनिज माफिया खनिज और वन संपदा की मनमानी लूट मचाए है इन सब से पर्यावरण संरक्षण बर्बाद हो रहा है जिसका परिणाम बड़ा स्पष्ट और सामने है की मध्य प्रदेश की हृदय रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी का उद्गम स्थल पर नदी स्रोत की धाराएं टूट रही हैं याने नर्मदा नदी इस गर्मी में तो विलुप्त ही हो गई .., अमरकंटक में।  प्रदेश में कैसे विलुप्त होगी यह एक अलग बात है......? भ्रष्टाचार और नैतिकता इन पर कोई चर्चा जरूरी नहीं है... क्योंकि जिले की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं प्राइवेट अस्पतालों में दम तोड़ती नजर आती हैं। बचा खुचा शासकीय नीतियों में  जरिए बीमा-कारोबार प्राइवेट अस्पतालों के जलजले कायम हैं, डॉक्टरों की फीस और उनकी सेवा का नियंत्रण  नहीं है...?, अन्यथा घर द्वार सब गिरवी कर ले ..।संवेदना मर रही है, क्योंकि अगर राजनीति दुकान है तो उससे प्रेरित सभी सेवाएं पूरी तरह से दुकानदारी है ....भलाई करोड़ों अरबों रुपए की सरकारी स्कूले बन गई हैं किंतु किसी को भरोसा नहीं.., वे प्राइवेट स्कूल में कई गुना फीस देकर और स्कूल संचालकों से अपमानित होते हुए भी गुलामों जैसी जिंदगी जीने के लिए बच्चे और अभिभावक दोनों तैयार हो रहे हैं ..? यह एक प्रकार का माइंडसेट है ।
वर्तमान राजनीति और राजनीतिज्ञों ने इस प्रकार का माइंड सेट करने का काम कोई एक दिन में नहीं किया इसी प्रकार की प्रोपेगंडा प्रतियोगिता पैदा करके लोगों में भ्रम पैदा करने का काम किया ।वास्तविक मुद्दों पर ना तो चुनाव हुए और ना ही अब कोई बात करने को तैयार है, चूंकी प्रश्नपत्र ही नहीं है उस विषय का, तो पत्रकार भी इस पर कोई प्रश्न नहीं करना चाहते ,जो करना भी चाहते हैं उन्हें लगता है वह नक्कारखाने में तूती की आवाज बंद कर ना रह जाए....
 क्योंकि व्यवस्था ने प्रश्नों को पैर की जूती की नोक पर रखना सीख लिया है ।अनूपपुर जिले के पत्रकार वार्ता में ना तो भाजपा या कांग्रेश अथवा वहां की मीडिया ने नर्मदा उद्गम के सूख जाने पर कोई बहस करनी चाहिए अथवा कोई प्रश्न या प्रश्नों की बौछार इन नेताओं के सामने की। यह नेता भी चाय और समोसा और अगर देर शाम हो गई तो शाम के रंग में अंधियारे मैं प्रश्नों को घुमा देने का काम हुआ या फिर पूरा सिस्टम ही कायर अथवा कमजोर हो गया है। वह मूल मुद्दों पर चर्चा ही नहीं करता, प्रोपेगंडा पर विश्वास करता है, यही हमारा माइंडसेट है... 
कांग्रेश के लिए माइंडसेट की दुकान इसलिए खतरनाक है क्योंकि भाजपा ने देश का जो माइंड सेट किया उसके परिणाम तमाम समस्याओं और भ्रष्टाचार व अनैतिकता के बावजूद पूरी सफलता के साथ प्रोपेगेंडा की पॉलिटिक्स पूरी ताकत के साथ जीत गई ।यह बात कांग्रेस भी जानती है कि 3 राज्यों में जनता की सोच.., व्यवस्था के खिलाफ एक बड़े मतदान का प्रयास था और यह बड़ा मतदान अपनी पूरी ताकत से जब सामने आया तो छत्तीसगढ़ में तख्तापलट कर दिया और मध्यप्रदेश और राजस्थान में चेतावनी देकर कांग्रेस को बैठाया...। किंतु कांग्रेश है  कि सुधरने को तैयार नहीं है... वह उन्हीं बातों को आगे बढ़ा रही है या विश्वास कर रही है जो भाजपा करती आई है... भाजपा में अच्छाई के खिलाफ सिर्फ यह बात है कांग्रेश अवसर का लाभ उठाते हुए जमीनी रूप से मजबूत होने के लिए कोई काम नहीं कर रही है.... ना हुई उसकी नीतियां कार्यकर्ताओं को मजबूत करने पर विश्वास करती दिखती हैं ।और ना ही हर कड़वे सच का सामना करने का साहस दिखाते हैं। क्या कांग्रेसी आंतरिक रूप से भयभीत हो चलें  है...? या फिर अवसर मिले ना मिले...., जितनी गुट बंदी या कबीलाई राजनीति करके लाभ उठाया जा सके अवसर का लाभ उठा ले, फिर तो डूबना ही है... या फिर प्रोपेगंडा सफल हो गया तो यह है भारतीय राजनीति की हवा पर चलने का प्रयास होगा ।जमीनी धरातल से मुंह मोड़ने का एक प्रमाणपत्र भी है ।बहरहाल जब तक आदिवासी संभाग में पर्यावरण संरक्षण को लेकर भाजपा या कांग्रेश अथवा चतुर्थ स्तंभ जो भी बचा खुचा है वह उठे प्रश्नों पर चर्चा नहीं कर रहा है तब तक वह एक प्रोपेगंडा-सेट, "माइंडसेट" डिबेट पर  सिर्फ  प्रतियोगिता करता नजर आता है...। 
 






 



हम सबको सच  स्वीकार करना चाहिए और कैसे पर्यावरण संरक्षण के लिए हर छोटे छोटे कदम उठाए जाने चाहिए इस पर इमानदारी से काम करना चाहिए और यह फिलहाल होता नहीं दिखता.....?
 यही है लोकतंत्र की छमाही पत्रकार वार्ता का कम से कम आदिवासी संभाग शहडोल में कड़वा सच है ।
फिलहाल आदिवासी संभाग शहडोल  की छमाही परीक्षा "प्रोपेगंडा-प्रतियोगिता" में भारतीय जनता पार्टी पास हो गई दिखती है.. बधाई हो..!

शनिवार, 15 जून 2019

अमरकंटक में इमरजेंसी , विलुप्त हो गई नर्मदा ?-2-( त्रिलोकीनाथ )



विलुप्त हो गई  
नर्मदा .............?-2-

Narmada 2
सप्त कल्पक्षये क्षीणेन मृता तेन नर्मदा, नर्मदै कैव राजेंद्र परंतिष्ठेत्सरिव्दरा


( नर्मदा ही एक मात्र सात कल्पों से सदानीरा है पुराणों में नर्मदा को कल्पों तक सदानीरा रहने का उल्लेख  है)
हते हैं अहिंसा का धर्म जैन-धर्म का मूल कारण है, पानी भी पीते हैं तो छन्ना लगा कर....? इसलिए  कि कहीं कोई कीटाणु या जीवाणु  पानी के साथ  शरीर में न चला जाए ...याने उसकी हिंसा ना हो जाए ...।



एक "आउटलुक" पुस्तक देखी थी, जिसमें संपादक ने लिखा था  ... हो सकता है प्रायोजित रहा हो, लिखा था... "पिछले 500 साल में जैन-धर्म का उत्थान विद्यासागर जी महाराज के कार्यकाल में ही हुआ है ..."किंतु विकास के सफर में इस महान संत के साथ शायद अमरकंटक की नर्मदा की हत्या का पहला प्रयास इन्हीं के कार्यकाल में स्थापित होने वाले सर्वोदय-जैन-तीर्थ के नाम पर  अमरकंटक की  सबसे बड़ी चोटी  पर बने हुए  जैन मंदिर  और  उसके धर्मशाला  शायद जिसमें  कई एयर कंडीशनर्स लगे हैं  ...की तुस्टि  के लिए नर्मदा विलुप्त  की गई .... "ऐसा मेरा  अंधविश्वास  है "। यह ठीक उसी प्रकार का है  जैसा कि  शहडोल के खनिज भवन की बोरिंग के साथ एकमात्र कुआं की हत्या का  अपराध जुड़ा हुआ है। जैन मंदिर  और उसकी  धर्मशाला  या कहना चाहिए  कर्मशाला  इसलिए लक्ष्य में है क्योंकि वह  उस पहाड़ी पर है  जहां  नर्मदा के संरक्षण के लिए  शायद  कई जल धाराएं प्रवाहित होती रही होंगी.... पहले अहिंसा की  मंदिर के नाम पर  शांति की मूर्ति  और साधना का प्रदर्शित चेहरा महावीर स्वामी  के लिए  करीब 4-5 एकड़ के पूरे वृक्ष काट डाले गए....  तब आपत्ति लग रही थी .... तो कथित  तेजाब डालकर  वृक्षों को  नष्ट किया गया....,   हॉलीडे होटल  भी बना  
और पिछले  कुछ दिन पहले  जब नर्मदा  यात्रा के नाम पर  हिंदूवादी सरकार के  शिवराज सिंह, मुख्यमंत्री  ने अपना वोटबैंक  का कारोबार  फैलाया।  तब  इसी पहाड़ी पर ऐतिहासिक रैली  और भीड़ जुटाई  निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी को दिखाने के लिए  जुटाई गई भीड़ के लिए बड़ा मैदान भी बनाया गया होगा......?, हमें नहीं मालूम ......,किंतु जब हम गए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में एक बार भी नहीं सुना कि जिस पहाड़ी पर वह भाषण दे रहेे हैं... उसका नर्मदा के सूख जाने से बडा कोई भयानक हादसा हो सकता है  ....हो सकता है  प्रधानमंत्री को  विशेषज्ञों ने  ज्ञान नही दिया  रहा हो ...
किंतु प्रधानमंत्री मंच की डेकोरेशन के लिए  ठीक बगल में एक मंच भी बना था ..,जिसमें हिंदूवादी  वोट बैंक  के लिए  सभी साधु महात्माओं  को पूरे देश से बुलाया गया था । शायद इनके पास भी ऐसा कोई दिव्य ज्ञान नहीं था .....,अन्यथा जरूर वे  बताते  कि प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद नर्मदा सूख जाएगी....?

बहरहाल यह एक कड़़वा सच है की नर्मदा का जल स्रोत सूख गया.... क्योंकि जिस टीले पर  देश के  सबसे  लोकप्रिय प्रधानमंत्री होने का  दावा करने वाली  हिंदुत्व की सरकार  का मुखिया  भाषण दे रहा था  उसी टीले पर  नर्मदा का अस्तित्व  "ऐसा  मेरा अंधविश्वास है "| अकेला  जैन मंदिर, उसकी फाइवस्टार नुमा धर्मशाला व एमपी टूरिज्म का होटल हॉलीडे  या सर्किट हाउस के लिए  और इसकी  पानी की पूर्ति के लिए कराए गए बोरिंग प्राथमिक रूप से बड़े और शातिर अपराधी हैं  और यह  लोकतंत्र के लिए दुनिया की  बड़ी  पवित्र नदी के लिए  घोषित अपराध है । 
यही नहीं  नगर  व उद्गम के आसपास जितनेे भी नगर पंचायत के बोरिंग संत महात्मा विलासिता के महल/ अट्टालिका ,गांव के लिए  पानी की पूर्ति  को जब भी बोरिंग हुए उससे नर्मदा जलस्रोत की धारा प्रवाहित हो गई ....।
गर की तमाम विलासिता पूर्ण आश्रमों के संत महात्मा ,अहिंसा के संदेश देने वाले, महल नुमा मंदिरों में बोरिंग को अमरकंटक की आपात स्थिति के मद्देनजर तत्काल जिला प्रशासन /संभाग प्रशासन/ राज्य प्रशासन और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुन या  समझ रहे तो... देश प्रशासनअमरकंटक  में इमरजेंसी को  घोषित करकुछ महीनों के लिए ही  आपातकाल लगाकर  बोरिंग पर प्रतिबंध  कर देना चाहिए। सभी बोरिंग सील कर देना चाहिए। कोई दो-तीन महीने के लिए ही सही ....।
 अभी नहीं करेंगे, यह कार्य तो करना ही पड़ेगा, कल ,परसों......जब हालात बद से बदतर हो जाएंगे तबकम से कम  मुझ ना-समझ  त्रिलोकीनाथ की  भविष्यवाणी ही समझें...।

लेकिन एक और चीज है , कांग्रेस के दिग्विजय  को  परास्त कर ब भाजपा की हिंदुत्वब्रांड  की ,हिंदुत्व का ग्लैमर  लिए  उमाभारती  मुख्यमंत्री की  उनमें  धर्म और नैतिकता  शायद खत्म नहीं हुआ था...,भारत के झंडे  तिरंगा  के अपमान के आरोप में मुख्यमंत्री पद से  इस्तीफा  देने  और  बाद में घर वापसी के लिए तड़प रही थी .... क्योंकि  अपनी "खड़ाउ" उन्होंने  जिस अपने विश्वसनीय बाबूलाल गौर को   सौंपी थी  वे  आर एस एस  और  भाजपा की तथाकथित  निष्ठा के कारण सत्ता उमा भारती को सौंपने से मना कर रहे थे। उमा दीदी प्रायः अर्ध-विक्षिप्त स्थिति में अमरकंटक भाग कर आयी और उन्होंने  अपने  साथ  हुए अन्याय की एक-एक गाथा  इसी  अमरकंटक  की नर्मदा तट पर शपथ पूर्ण  बयान करते हुए भाजपा और आरएसएस को  चुनौती भी दिया...था । तब एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में  हमें बुलाया गया था, "माई की बगिया"  में  प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ  उमा जीवहीं कहीं जंगल  के किसी आश्रम में ठहरी थी... जहांं से वे प्रगट हुई..।
अब जंगल के अंदर सिर्फ नक्सलवादी ही अपना कारोबार नहीं फैलाए हैं ,संत और महात्मा का नकाब पहन कर कई लोग अंदर जा चुके हैं.... मैं गया तो नहीं, किंतु अब अंदाज लगा सकता हूं ,की  ऐसे  अंदर जंगलों में भी कई  "सर्वोदय जैन तीर्थ" जैसी  अट्टालिका है....  छुपी होंगी, जिन्होंने  अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए अमरकंटक  की पर्वत श्रंखला को जगह-जगह  बोरिंग करके गहरे घाव दिए होंगे ....इसके बाद भी  नर्मदा  प्रवाहित होती रही.. अविरल होती रहीं  जो सदियों से होती चली आई है.....?

 
आखिर क्यों चिरकुमारी नर्मदा की हत्या और उसकी प्राकृतिक आवास से  बलात्कार करने वाले इन संत महात्मा और आश्रमों में छुपे मुखिया ..क्या जिन्होंने बोरिंग करा रखी है, क्या संत आसारामजी, बाबा रामरहीम जी या रामपाल जी अथवा फलाहारी प्रपन्नाचार्य जी के स्तर के अंतरराष्ट्रीय स्तर वाले लोग नहीं हैं......? क्या जरूरी है जब यह बाबा पकड़े जाएं तभी  भारत की न्यायपालिका इनका परीक्षण करें और इन्हें जेल भेजें ...क्या लोकतंत्र का निर्माण इसी प्रकार के व्यक्तियों के लिए के लिए हुआ है .... कई प्रश्न है ...?? 

भारत में कुल 4 परसेंट आबादी की तुष्टीकरण के लिए अमरकंटक को "जैन सर्वोदय तीर्थ" के काल्पनिक नाम के लिए तथा इस अमरकंटक को मृत्युकंटक बनाने का प्रयास.., हमारी कौन सी हिंदुत्ववादी अवधारणा अथवा पर्यावरण वादी नीतिगत अवधारणा को प्रमाणित करता है....? यह तो आपन नहीं जानते ,और ना ही समझ पा रहे हैं...., जो समझ पा रहे हैं.. वह हमारी आदिवासी स्तर की घटिया सोच हो सकती है ...।
एक बार स्वर्गवासी हो चुके सुखदेवानंद से मुलाकात हुई तब मंदिर निर्माण में लगातार दुर्घटनाओं में  कई ज्ञात अज्ञात  मजदूरों की मौत  के मद्देनजर उन्होंने हंसते हुए कहा था कि. ."..वह एक हत्यारी मंदिर है, तब मुझे अटपटा लगा शायद उनकी संकीर्णता पर मुझे गुस्सा भी आया.... किंतु अब लग रहा है वे सही थे.. ।
अक्सर नजर आने वाला "ज्ञान के सागर, विद्यासागर" का यह है आकर्षित करने वाला वक्तव्य क्या महान विद्यासागर जी महाराज में स्वाभाविक ज्ञान प्रकट करेगा....? कि उन्हें इस "हत्यारी-मंदिर" और इससे प्रेरित अगल-बगल सभी फाइव स्टार नुमा अट्टालिकाओं को नष्ट करने का वह आदेश करें.... या फिर शासन को संदेश करें ,ताकि चिरकुमारींं नर्मदा बचाई जा सके...?,


कुछ तो त्याग करना होगा, जीवन पाने के लिए ....यही एक बड़ा सच है। और मेरी एक छोटी सोच भी....। और यदि हम कोई विचार अपने मोह के कारण प्रकट नहीं कर पा रहे हैं, अपने अहंकार को बरकरार रखने के लिए, अपने झूठे वैभव को आसमान में ले जाने के लिए......, तो यह अमरकंटक में सभ्य समाज द्वारा हो रहे निरंतर बालात्कार का प्रोत्साहन होगा...। हो सकता है अन्य विकल्प भी सुनिश्चित हो ..., जैसे भीड़ को नियंत्रित करना आसमानी जल को संगठित करना किंतु शीर्ष चोटियों पर वृक्षारोपण.. और वृक्षारोपण... और वृक्षारोपण... सिर्फ यही एक प्रयास होगा.... जल संग्रह कर छोटे रखने के आसपास बड़ा वृक्षारोपण तो यह एक प्रयास  होगा।
 जी हां यदि कुछ भी नहीं सोचते तो... यह नर्मदा का अपहरण ही है... एक प्राकृतिक  वैभवसाली अमरकन्टक व चिरकुमारी नदी का लोकतंत्र में  "निर्भया" बन जाना ही है ।

====================प्रति-क्रीया============

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17/06, 07:29] à17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: मित्रवर्य त्रिलोकीनाथ जी! अमरकंटक में इमरजेंसी - नर्मदाजी विलुप्त हो गया आपका लेखपढा। आपने सत्य को उकेरा है। अमरकंटक को बर्बाद करने के पूरे इंतजाम हो चुके हैं। नदियों को सदानीरा बनाने के नाटकों में अमरकंटक में आलीशान डेरा निर्मित कर पिकनिक घड़ी बनाडाला गया। अब कोई काम नहीं बचा। मुझे कल्याण आश्रम के सामने पहले जल संज्ञा संरचना का रूपांकन करने का मौका मिला था। अमरकंटक को जलमय किया जाए तत्कालीन जिला प्रशासन शहडोल ने श्रृंखलाबद्ध बंधारे मेकर यात्रियों को स्नान का पानी मिलने की कल्पना की गई थी। अब जितने होटल और आश्रम बनगए हैं वन्स को उजाड़कर वहाँ से सीवीज का पूरा इंतजाम होना कितना नकारा हो सकता है। गहरे ट्यूबवेल स्वयं पेड़ों के हक़ से आसानी से छीनेंगे। पेड़ की कटाई दे खतरनाक दृष्टि वाले पेड़ों के सूखने का शीघ्र देखने को मिल सकता है। मैं दुःखी होकर कह रहा हूँ "अमरकंटक" नाम अब "मर कैंटक" क्रिया में बदल चुका है। भगवान महादेव अपने नगरी की रक्षा करें, देश के जननेताओं को तो केवल बोटबैंक चाहिए। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: लेख के माध्यम से से बेवाक टिप्पणियाँ आपने की है उसके लिए साधुवाद। नर्मदाजी आपका मगलगल करें ।। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: "पर्यावरण मंच व्हाट्सएप ग्रुप" में लेख में प्राप्त प्रतिक्रिया एक ऐसे इंजीनियर नागेंद्र मिश्र जो जिला पंचायत शहडोल के प्रोजेक्ट चीफ थे बाद में बाणसागर परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की वर्तमान में सफल रहे भोपाल में रह रहे हैं।, के द्वारा जो तत्कालीन प्रशासन के निर्देश पर अमरकंटक में जल उपलब्ध कराने के प्राकृतिक प्रयास किए गए थे। आज सामने जो भी नर्मदा के सामने जल संरचना कलशराम के सामने बना है इन्ही की देन है, कि एक तरीका था .... जो आगे बढ़ने का...पर, दुर्भाग्य से .... कि विकास भटक गया और अमरकंटक को नष्ट करने का काम। हुआ ...., क्या इसमें सुधार की संभावना है ... प्रशासन और राजनेताओं के लिए खासतौर से कांग्रेसी विधायक फुन्दे लाल सिंह, बिसाहू लाल सिंह और युवा सांसद हिमाद्री सिंह के लिए एक बड़ी चुनौती है .... और एक बड़ा अवसर भी, वह े अपने को प्रमाणित कर सकें कि वे चुनौतियों का सामना करने को तैयार है ........ ????

"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...