विलुप्त हो गई
नर्मदा .............?-2-
नर्मदा .............?-2-
Narmada 2
( नर्मदा ही एक मात्र सात
कल्पों से
सदानीरा है पुराणों में नर्मदा को कल्पों तक सदानीरा रहने का उल्लेख है)
कहते हैं अहिंसा का धर्म जैन-धर्म का मूल
कारण है, पानी भी पीते हैं तो छन्ना लगा कर....? इसलिए कि कहीं कोई कीटाणु या जीवाणु पानी के साथ शरीर में न चला जाए ...याने उसकी हिंसा ना
हो जाए ...।
एक "आउटलुक" पुस्तक देखी थी, जिसमें संपादक ने लिखा था ... हो सकता है
प्रायोजित रहा हो, लिखा था... "पिछले 500 साल में जैन-धर्म का उत्थान विद्यासागर जी
महाराज के कार्यकाल में ही हुआ है ..."किंतु विकास के सफर में इस महान संत के साथ
शायद अमरकंटक की नर्मदा की हत्या का पहला प्रयास इन्हीं के कार्यकाल में स्थापित होने वाले सर्वोदय-जैन-तीर्थ के नाम पर अमरकंटक की सबसे बड़ी चोटी पर बने हुए जैन मंदिर और उसके धर्मशाला शायद जिसमें कई एयर कंडीशनर्स लगे हैं ...की तुस्टि के लिए नर्मदा विलुप्त की गई ....
"ऐसा मेरा अंधविश्वास है "। यह ठीक उसी प्रकार का है जैसा कि शहडोल के खनिज भवन की बोरिंग के साथ
एकमात्र कुआं की हत्या का अपराध जुड़ा
हुआ है। जैन मंदिर और उसकी धर्मशाला या कहना चाहिए कर्मशाला इसलिए लक्ष्य में है क्योंकि वह उस पहाड़ी पर है जहां नर्मदा के संरक्षण
के लिए शायद कई जल धाराएं प्रवाहित होती रही होंगी....
पहले अहिंसा की मंदिर के नाम
पर शांति की
मूर्ति और साधना का
प्रदर्शित चेहरा महावीर स्वामी के लिए करीब 4-5 एकड़ के पूरे वृक्ष काट डाले गए.... तब आपत्ति लग रही थी .... तो कथित तेजाब डालकर वृक्षों को नष्ट किया गया...., हॉलीडे होटल भी बना
और पिछले कुछ दिन पहले जब नर्मदा यात्रा के नाम पर हिंदूवादी सरकार के शिवराज सिंह, मुख्यमंत्री ने अपना वोटबैंक का कारोबार फैलाया। तब इसी पहाड़ी पर
ऐतिहासिक रैली और भीड़ जुटाई ।निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी
को दिखाने के लिए जुटाई गई भीड़
के लिए बड़ा मैदान भी बनाया गया होगा......?, हमें नहीं
मालूम ......,किंतु जब हम गए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के भाषण में एक बार भी नहीं सुना कि जिस पहाड़ी पर वह भाषण दे रहेे हैं...
उसका नर्मदा के सूख जाने से बडा कोई भयानक हादसा हो सकता है ....हो सकता है प्रधानमंत्री को विशेषज्ञों ने ज्ञान नही दिया रहा हो ...?
किंतु प्रधानमंत्री मंच की डेकोरेशन के लिए ठीक बगल में एक मंच भी बना था ..,जिसमें हिंदूवादी वोट बैंक के लिए सभी साधु महात्माओं को पूरे देश से बुलाया गया था । शायद इनके
पास भी ऐसा कोई दिव्य ज्ञान नहीं था .....,अन्यथा जरूर
वे बताते कि प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद नर्मदा
सूख जाएगी....?
बहरहाल यह एक कड़़वा सच है की नर्मदा का जल स्रोत सूख गया.... क्योंकि जिस टीले पर देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री होने का दावा करने वाली हिंदुत्व की सरकार का मुखिया भाषण दे रहा था उसी टीले पर नर्मदा का अस्तित्व "ऐसा मेरा अंधविश्वास है "| अकेला जैन मंदिर, उसकी फाइवस्टार नुमा धर्मशाला व एमपी टूरिज्म का होटल हॉलीडे या सर्किट हाउस के लिए और इसकी पानी की पूर्ति के लिए कराए गए बोरिंग प्राथमिक रूप से बड़े और शातिर अपराधी हैं और यह लोकतंत्र के लिए दुनिया की बड़ी पवित्र नदी के लिए घोषित अपराध है ।
यही नहीं नगर व उद्गम के
आसपास जितनेे भी नगर पंचायत के बोरिंग संत महात्मा विलासिता के महल/ अट्टालिका ,गांव के लिए पानी की पूर्ति को जब भी बोरिंग हुए उससे नर्मदा जलस्रोत
की धारा प्रवाहित हो गई ....।
नगर की तमाम विलासिता पूर्ण आश्रमों के संत महात्मा ,अहिंसा के संदेश देने वाले, महल नुमा मंदिरों में बोरिंग को अमरकंटक की आपात स्थिति के मद्देनजर तत्काल जिला प्रशासन /संभाग प्रशासन/ राज्य प्रशासन और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुन या समझ रहे तो... देश प्रशासन, अमरकंटक में इमरजेंसी को घोषित कर, कुछ महीनों के लिए ही आपातकाल लगाकर बोरिंग पर प्रतिबंध कर देना चाहिए। सभी बोरिंग सील कर देना चाहिए। कोई दो-तीन महीने के लिए ही सही ....।
नगर की तमाम विलासिता पूर्ण आश्रमों के संत महात्मा ,अहिंसा के संदेश देने वाले, महल नुमा मंदिरों में बोरिंग को अमरकंटक की आपात स्थिति के मद्देनजर तत्काल जिला प्रशासन /संभाग प्रशासन/ राज्य प्रशासन और अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुन या समझ रहे तो... देश प्रशासन, अमरकंटक में इमरजेंसी को घोषित कर, कुछ महीनों के लिए ही आपातकाल लगाकर बोरिंग पर प्रतिबंध कर देना चाहिए। सभी बोरिंग सील कर देना चाहिए। कोई दो-तीन महीने के लिए ही सही ....।
अभी नहीं
करेंगे, यह कार्य तो करना ही पड़ेगा, कल ,परसों......जब हालात बद से बदतर हो जाएंगे तब; कम से कम मुझ ना-समझ त्रिलोकीनाथ की भविष्यवाणी ही समझें...।
लेकिन एक और चीज है , कांग्रेस के दिग्विजय को परास्त कर तब भाजपा की हिंदुत्वब्रांड की ,हिंदुत्व का
ग्लैमर लिए उमाभारती मुख्यमंत्री की उनमें धर्म और नैतिकता शायद खत्म नहीं हुआ था...,भारत के झंडे तिरंगा के अपमान के आरोप में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और बाद में घर वापसी के लिए तड़प रही थी ....
क्योंकि अपनी
"खड़ाउ" उन्होंने जिस अपने
विश्वसनीय बाबूलाल गौर को सौंपी थी वे आर एस एस और भाजपा की
तथाकथित निष्ठा के
कारण सत्ता उमा भारती को सौंपने से मना कर रहे थे। उमा दीदी प्रायः अर्ध-विक्षिप्त
स्थिति में अमरकंटक भाग कर आयी और उन्होंने अपने साथ हुए अन्याय की
एक-एक गाथा इसी अमरकंटक की नर्मदा तट पर शपथ पूर्ण बयान करते हुए भाजपा और आरएसएस को चुनौती भी दिया...था । तब एक प्रेस
कॉन्फ्रेंस में हमें बुलाया
गया था, "माई की
बगिया" में प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ उमा जी, वहीं कहीं जंगल के किसी आश्रम में ठहरी थी... जहांं से वे
प्रगट हुई..।
अब जंगल के अंदर सिर्फ नक्सलवादी ही अपना
कारोबार नहीं फैलाए हैं ,संत और
महात्मा का नकाब पहन कर कई लोग अंदर जा चुके हैं.... मैं गया तो नहीं, किंतु अब
अंदाज लगा सकता हूं ,की ऐसे अंदर जंगलों
में भी कई "सर्वोदय जैन
तीर्थ" जैसी अट्टालिका है.... छुपी होंगी, जिन्होंने अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए अमरकंटक की पर्वत श्रंखला को जगह-जगह बोरिंग करके गहरे घाव दिए होंगे ....इसके
बाद भी नर्मदा प्रवाहित होती रही.. अविरल होती रहीं जो सदियों से होती चली आई है.....?
आखिर क्यों चिरकुमारी नर्मदा की हत्या और उसकी प्राकृतिक आवास से बलात्कार करने वाले इन संत महात्मा और आश्रमों में छुपे मुखिया ..क्या जिन्होंने बोरिंग करा रखी है, क्या संत आसारामजी, बाबा रामरहीम जी या रामपाल जी अथवा फलाहारी प्रपन्नाचार्य जी के स्तर के अंतरराष्ट्रीय स्तर वाले लोग नहीं हैं......? क्या जरूरी है जब यह बाबा पकड़े जाएं तभी भारत की न्यायपालिका इनका परीक्षण करें और इन्हें जेल भेजें ...क्या लोकतंत्र का निर्माण इसी प्रकार के व्यक्तियों के लिए के लिए हुआ है .... कई प्रश्न है ...??
भारत में कुल 4 परसेंट आबादी की तुष्टीकरण के लिए अमरकंटक को "जैन सर्वोदय तीर्थ" के काल्पनिक नाम के लिए तथा इस अमरकंटक को मृत्युकंटक बनाने का प्रयास.., हमारी कौन सी हिंदुत्ववादी अवधारणा अथवा पर्यावरण वादी नीतिगत अवधारणा को प्रमाणित करता है....? यह तो आपन नहीं जानते ,और ना ही समझ पा रहे हैं...., जो समझ पा रहे हैं.. वह हमारी आदिवासी स्तर की घटिया सोच हो सकती है ...।
एक बार स्वर्गवासी हो चुके सुखदेवानंद से
मुलाकात हुई तब मंदिर निर्माण में लगातार दुर्घटनाओं में कई ज्ञात अज्ञात मजदूरों की मौत के मद्देनजर उन्होंने हंसते हुए कहा था कि.
."..वह एक हत्यारी मंदिर है, तब मुझे अटपटा
लगा शायद उनकी संकीर्णता पर मुझे गुस्सा भी आया.... किंतु अब लग रहा है वे सही
थे.. ।
अक्सर नजर आने वाला "ज्ञान के सागर, विद्यासागर" का यह है आकर्षित करने वाला वक्तव्य क्या महान विद्यासागर जी
महाराज में स्वाभाविक ज्ञान प्रकट करेगा....? कि उन्हें इस "हत्यारी-मंदिर" और इससे
प्रेरित अगल-बगल सभी फाइव स्टार नुमा अट्टालिकाओं को नष्ट करने का वह आदेश करें.... या फिर शासन को संदेश करें ,ताकि
चिरकुमारींं नर्मदा बचाई जा सके...?,
कुछ तो त्याग करना होगा, जीवन पाने के लिए ....यही एक बड़ा सच है। और मेरी एक छोटी सोच भी....। और यदि हम कोई विचार अपने मोह के कारण प्रकट नहीं कर पा रहे हैं, अपने अहंकार को बरकरार रखने के लिए, अपने झूठे वैभव को आसमान में ले जाने के लिए......, तो यह अमरकंटक में सभ्य समाज द्वारा हो रहे निरंतर बालात्कार का प्रोत्साहन होगा...। हो सकता है अन्य विकल्प भी सुनिश्चित हो ..., जैसे भीड़ को नियंत्रित करना आसमानी जल को संगठित करना किंतु शीर्ष चोटियों पर वृक्षारोपण.. और वृक्षारोपण... और वृक्षारोपण... सिर्फ यही एक प्रयास होगा.... जल संग्रह कर छोटे रखने के आसपास बड़ा वृक्षारोपण तो यह एक प्रयास होगा।
जी हां यदि
कुछ भी नहीं सोचते तो... यह नर्मदा का अपहरण ही है... एक प्राकृतिक वैभवसाली अमरकन्टक व चिरकुमारी नदी का
लोकतंत्र में "निर्भया"
बन जाना ही है ।
====================प्रति-क्रीया============
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17/06, 07:29] à17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: मित्रवर्य त्रिलोकीनाथ जी! अमरकंटक में इमरजेंसी - नर्मदाजी विलुप्त हो गया आपका लेखपढा। आपने सत्य को उकेरा है। अमरकंटक को बर्बाद करने के पूरे इंतजाम हो चुके हैं। नदियों को सदानीरा बनाने के नाटकों में अमरकंटक में आलीशान डेरा निर्मित कर पिकनिक घड़ी बनाडाला गया। अब कोई काम नहीं बचा। मुझे कल्याण आश्रम के सामने पहले जल संज्ञा संरचना का रूपांकन करने का मौका मिला था। अमरकंटक को जलमय किया जाए तत्कालीन जिला प्रशासन शहडोल ने श्रृंखलाबद्ध बंधारे मेकर यात्रियों को स्नान का पानी मिलने की कल्पना की गई थी। अब जितने होटल और आश्रम बनगए हैं वन्स को उजाड़कर वहाँ से सीवीज का पूरा इंतजाम होना कितना नकारा हो सकता है। गहरे ट्यूबवेल स्वयं पेड़ों के हक़ से आसानी से छीनेंगे। पेड़ की कटाई दे खतरनाक दृष्टि वाले पेड़ों के सूखने का शीघ्र देखने को मिल सकता है। मैं दुःखी होकर कह रहा हूँ "अमरकंटक" नाम अब "मर कैंटक" क्रिया में बदल चुका है। भगवान महादेव अपने नगरी की रक्षा करें, देश के जननेताओं को तो केवल बोटबैंक चाहिए। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: लेख के माध्यम से से बेवाक टिप्पणियाँ आपने की है उसके लिए साधुवाद। नर्मदाजी आपका मगलगल करें ।। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: "पर्यावरण मंच व्हाट्सएप ग्रुप" में लेख में प्राप्त प्रतिक्रिया एक ऐसे इंजीनियर नागेंद्र मिश्र जो जिला पंचायत शहडोल के प्रोजेक्ट चीफ थे बाद में बाणसागर परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की वर्तमान में सफल रहे भोपाल में रह रहे हैं।, के द्वारा जो तत्कालीन प्रशासन के निर्देश पर अमरकंटक में जल उपलब्ध कराने के प्राकृतिक प्रयास किए गए थे। आज सामने जो भी नर्मदा के सामने जल संरचना कलशराम के सामने बना है इन्ही की देन है, कि एक तरीका था .... जो आगे बढ़ने का...पर, दुर्भाग्य से .... कि विकास भटक गया और अमरकंटक को नष्ट करने का काम। हुआ ...., क्या इसमें सुधार की संभावना है ... प्रशासन और राजनेताओं के लिए खासतौर से कांग्रेसी विधायक फुन्दे लाल सिंह, बिसाहू लाल सिंह और युवा सांसद हिमाद्री सिंह के लिए एक बड़ी चुनौती है .... और एक बड़ा अवसर भी, वह े अपने को प्रमाणित कर सकें कि वे चुनौतियों का सामना करने को तैयार है ........ ????
17/06, 07:29] à17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: मित्रवर्य त्रिलोकीनाथ जी! अमरकंटक में इमरजेंसी - नर्मदाजी विलुप्त हो गया आपका लेखपढा। आपने सत्य को उकेरा है। अमरकंटक को बर्बाद करने के पूरे इंतजाम हो चुके हैं। नदियों को सदानीरा बनाने के नाटकों में अमरकंटक में आलीशान डेरा निर्मित कर पिकनिक घड़ी बनाडाला गया। अब कोई काम नहीं बचा। मुझे कल्याण आश्रम के सामने पहले जल संज्ञा संरचना का रूपांकन करने का मौका मिला था। अमरकंटक को जलमय किया जाए तत्कालीन जिला प्रशासन शहडोल ने श्रृंखलाबद्ध बंधारे मेकर यात्रियों को स्नान का पानी मिलने की कल्पना की गई थी। अब जितने होटल और आश्रम बनगए हैं वन्स को उजाड़कर वहाँ से सीवीज का पूरा इंतजाम होना कितना नकारा हो सकता है। गहरे ट्यूबवेल स्वयं पेड़ों के हक़ से आसानी से छीनेंगे। पेड़ की कटाई दे खतरनाक दृष्टि वाले पेड़ों के सूखने का शीघ्र देखने को मिल सकता है। मैं दुःखी होकर कह रहा हूँ "अमरकंटक" नाम अब "मर कैंटक" क्रिया में बदल चुका है। भगवान महादेव अपने नगरी की रक्षा करें, देश के जननेताओं को तो केवल बोटबैंक चाहिए। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: लेख के माध्यम से से बेवाक टिप्पणियाँ आपने की है उसके लिए साधुवाद। नर्मदाजी आपका मगलगल करें ।। [17/06, 07:29] त्रिलोकी नाथ: "पर्यावरण मंच व्हाट्सएप ग्रुप" में लेख में प्राप्त प्रतिक्रिया एक ऐसे इंजीनियर नागेंद्र मिश्र जो जिला पंचायत शहडोल के प्रोजेक्ट चीफ थे बाद में बाणसागर परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की वर्तमान में सफल रहे भोपाल में रह रहे हैं।, के द्वारा जो तत्कालीन प्रशासन के निर्देश पर अमरकंटक में जल उपलब्ध कराने के प्राकृतिक प्रयास किए गए थे। आज सामने जो भी नर्मदा के सामने जल संरचना कलशराम के सामने बना है इन्ही की देन है, कि एक तरीका था .... जो आगे बढ़ने का...पर, दुर्भाग्य से .... कि विकास भटक गया और अमरकंटक को नष्ट करने का काम। हुआ ...., क्या इसमें सुधार की संभावना है ... प्रशासन और राजनेताओं के लिए खासतौर से कांग्रेसी विधायक फुन्दे लाल सिंह, बिसाहू लाल सिंह और युवा सांसद हिमाद्री सिंह के लिए एक बड़ी चुनौती है .... और एक बड़ा अवसर भी, वह े अपने को प्रमाणित कर सकें कि वे चुनौतियों का सामना करने को तैयार है ........ ????
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