
भाजपा पास
भाजपा कांग्रेस की पत्रकार वार्ता
...........( त्रिलोकीनाथ)............
यह न्यू इंडिया, नए हिसाब की राजनीति है ।राजनीति एक दुकान है..., दुकान को माल कैसा भी बेचें ,फर्नीचर और आकर्षण से सजा बाजार रहना चाहिए । कुछ इसी अंदाज में शहडोल की राजनीति अपना काम कर रही है और राजनीति दुकान चलाने का प्रदर्शन कर रही है। इसीलिए राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र की भाजपा के प्रतिनिधि जिला स्तर पर छमाही परीक्षा का पेपर देने के लिए मीडिया के सामने आए ।
पेपर था, प्रोपेगेंडा-प्रतियोगिता, कौन कितना अच्छा प्रदर्शन करता है इस बात पर दबाव था।

हकीकत तो आप भी जानते हैं कि स्वयं के बारे में कितना झूठ और पाखंड प्रकट किया जाए कि वह अंततः सच बनकर लोगों के "माइंड-सेट" का काम करता है वास्तविकता का इससे कोई नाता नहीं रहता। वास्तविकता अपने हिसाब से काम करती है ;प्रोपेगंडा अपने हिसाब से काम करता है।
बहरहाल प्रदेश का आदिवासी संभाग शहडोल में राजनीति की दुकान चलाने वाली दोनों ही पार्टियां अपने प्रोपेगंडा प्रदर्शन में जितनी भी बातों का उल्लेख किया उसमें हवा हवाई चर्चाएं रहीं। शहडोल में कांग्रेश के प्रवक्ता से अपेक्षा रखते हुए पत्रकारों में जो चर्चा की उससे उन के तोते उड़ गए। तो भारतीय जनता पार्टी ने जो पत्रकार वार्ता की और जितना प्रदर्शन किया उसे मीडिया के लोगों के प्रश्नों के तोते उड़ गए । की अब बचा क्या ...?
यही हाल संभाग में मूल मुद्दों के मामले को लेकर चाहे अनूपपुर हो या उमरिया सब के तोते उड़ाते देखे गए। प्रोपेगंडा प्रतियोगिता में प्रयास इस बात का था की छमाही परीक्षा पास कौन करता है.....? स्थानीय मुद्दों पर ना नेताओं ने अपनी बात कहनी चाही और न पत्रकारों ने प्रश्न पूछे... इसलिए कि पत्रकार भी जानता है सच यह है कि यह एक प्रोपेगंडा प्रतियोगिता है। और वह भी इस दुकान में आकर आनंद लेता है। यह एक अलग बात है लोकतंत्र के साथ बड़ी धोखाधड़ी है कर्तव्यनिष्ठा के खिलाफ एक बड़ी गद्दारी है।
और हो भी क्यों ना..., जब अन्ना हजारे देश की आजादी के बाद का सबसे बड़ा सफल आंदोलन चला रहे थे भीड़ की दृष्टि से और मुद्दों के दृष्टिकोण से भी, लोकपाल बनाने को लेकर। तब कहीं यह छोटी सी बात प्रकासित दिखी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम की जरिए कि इस लोकपाल बनने से होगा क्या..?, कुछ और कमरों में शिकायतें भर जाएंगे या कुछ नए कमरे शिकायतों से भरे मिलेंगे ......?
झूठ और पाखंड खूब बोलो, जोर से बोलो और चिल्लाकर बोलो.... यही ताकत है , अवधारणा से; अब जिस प्रकार की राजनीति चल रही है जिस प्रकार का प्रोपेगंडा-प्रतियोगिता को नेताओं ने स्वीकार कर लिया है और सिर्फ ऊपर के निर्देशों की जी हुजूरी करते दिख रहे हैं, धरातल और जमीनी हकीकत से मुंह मोड़ते हैं.... या उस पर चर्चा नहीं करना चाहते .....उससे तो यही लगता है कि अब्दुल कलाम साहब की सोच बिल्कुल परफेक्ट रही।
बहरहाल भाजपा इस प्रोपेगंडा में प्रदर्शन में सफल रही दिखती है ।उन्होंने बकायदा अपनी बातें लिखकर प्रस्तुत की और उतनी ही ताकत से उसे बोलकर बताएं। शहडोल आदिवासी संभाग में ढेर सारी स्थानीय समस्याएं हैं...,खनिज माफिया अपने पूर्णानंद पर है उस पर नियंत्रण प्राय: फेल है.. बी ओ टी बेस पर निर्मित रीवा-अमरकंटक सड़क मार्ग बद से बदतर हालात में होता जा रहा है और खुलेआम जंगलों में घुसकर खनिज माफिया खनिज और वन संपदा की मनमानी लूट मचाए है इन सब से पर्यावरण संरक्षण बर्बाद हो रहा है जिसका परिणाम बड़ा स्पष्ट और सामने है की मध्य प्रदेश की हृदय रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी का उद्गम स्थल पर नदी स्रोत की धाराएं टूट रही हैं याने नर्मदा नदी इस गर्मी में तो विलुप्त ही हो गई .., अमरकंटक में। प्रदेश में कैसे विलुप्त होगी यह एक अलग बात है......? भ्रष्टाचार और नैतिकता इन पर कोई चर्चा जरूरी नहीं है... क्योंकि जिले की सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं प्राइवेट अस्पतालों में दम तोड़ती नजर आती हैं। बचा खुचा शासकीय नीतियों में जरिए बीमा-कारोबार प्राइवेट अस्पतालों के जलजले कायम हैं, डॉक्टरों की फीस और उनकी सेवा का नियंत्रण नहीं है...?, अन्यथा घर द्वार सब गिरवी कर ले ..।संवेदना मर रही है, क्योंकि अगर राजनीति दुकान है तो उससे प्रेरित सभी सेवाएं पूरी तरह से दुकानदारी है ....भलाई करोड़ों अरबों रुपए की सरकारी स्कूले बन गई हैं किंतु किसी को भरोसा नहीं.., वे प्राइवेट स्कूल में कई गुना फीस देकर और स्कूल संचालकों से अपमानित होते हुए भी गुलामों जैसी जिंदगी जीने के लिए बच्चे और अभिभावक दोनों तैयार हो रहे हैं ..? यह एक प्रकार का माइंडसेट है ।







हम सबको सच स्वीकार करना चाहिए और कैसे पर्यावरण संरक्षण के लिए हर छोटे छोटे कदम उठाए जाने चाहिए इस पर इमानदारी से काम करना चाहिए और यह फिलहाल होता नहीं दिखता.....?

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें