मोगेंबो..., खुश हुआ...!
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नियम के हिसाब से 50000 से ऊपर की राशि नगद नहीं दी जा सकती और शिवराज सिंह के नेता नरेंद्र मोदी जी की मांने तो ₹20000 से ऊपर नगद ट्रांजैक्शन नहीं हो सकता.... किंतु लालपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोगेंबो के अवतार में आए थे और मोगैंबो के शासन में कानून व्यवस्था का कोई रोल नहीं रहता ऐसा शिवराज ने प्रदर्शन करने का काम किया। शायद उन्हें लगा होगा कि वे ही मोगैंबो हैं किंतु हम आदिवासी क्षेत्र शहडोल के निवासी हैं , हमें मालूम है कई लोगों ने लालपुर बैगा सम्मेलन के लिए खलनायक की थी.... दुर्गा टेंट हाउस का एक बिल देखा गया जिसमें करीब 28-30 लाख रुपए इस बैगा सम्मेलन के खाना और पानी के लिए शिवराज जी को अर्पित कर दिए गए। हालांकि कलेक्टर नरेश पाल ने कहते हैं रोक लगा दी थी किंतु जैसे ही कलेक्टर बदले आदिवासी विभाग के कर्मचारियों ने कलेक्टर के नोट को छुपाकर तत्कालीन कलेक्टर अनुभव श्रीवास्तव लाखों रुपए का बिल पास करवा लिया । आदिवासियों का पैसा कुछ इसी प्रकार से बहता रहता है ।अलग अलग आदिवासी विभाग के कर्मचारी बैगा सम्मेलन के नाम पर जमकर मनमानी बिल निकाला ।करोड़ों रुपए का बैगा सम्मेलन मोगेंबो शिवराज के लिए निछावर हो गया... यह भारतीय लोकतंत्र में दलित उत्थान का खलनायकी अंदाज है..... तो लाखों रुपए जो अपने साथ डांस करने के लिए कलेक्टर से मांगे थे, नगदी में वह फरहत जहां ने जिस अवैध खनिज कारोबारी से वैध रूप से लिया था वह अपनी कीमत तो वसूलेगा ही .... ?
कलेक्टर कहते हैं.., पुलिस सहयोग नहीं ...?
छुटू-भैया , मोगेंबो शासन में करोड़पति ...?
चरित्र अभिनेताओं की दुनिया में भलाई ओरिजिनल खलनायक संजय दत्त खलनायक फिल्म के हीरो रहे और रियल लाइफ में भी खलनायक ही रहे। बावजूद इसके अमरीश पुरी खलनायक की दुनिया का बेताज बादशाह है ,हमेशा बने रहेंगे ।......और जरा पीछे जाएं तो खलनायक की दुनिया में प्राण फूंकने वाले प्राण तथा अजीत कुमार की खनकती आवाज में चरित्र खलनायक की भूमिका बेहद दमदार रही ।इन सबके बावजूद जब भी चरित्र खलनायक मोगैंबो खुश होता है तो यह है यादगार क्षण बन जाता है।
22 जून को अमरीश पुरी का जन्मदिन है गूगल ने जमकर मनाया और लोगों की स्मृतियां ताजी कर दी ,अनिल कपूर के हवाले से उनके ट्वीट को प्रदर्शित किया कि यदि अमरीश पुरी नहीं होते तो शायद फिल्म नहीं बनती ।खलनायक की दुनिया में अमरीश पुरी को भारतीय फिल्मों का आदर्श खलनायक कहा जा सकता है ।उनका निधन 2005 में हुआ था, आज 14 साल भी बाद भी उनकी खलनायकि उनके जीवित होने का एहसास कराती है।
अब हम जंप करें शहडोल में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आए लालपुर में और वोट के धंधे में बैगा सम्मेलन में बैगा समाज के साथ नाचे भी और मोगैंबो की तरह खुश भी हो गए..... उन्होंने शहडोल कलेक्टर को करीब लाख रुपए नाचने वालों के लिए उपलब्ध कराने को कहा ताकि पुरस्कार दिया जा सके , तत्काल नगद कैसे आता......? मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को कहा कलेक्टर ने खनिज अधिकारी फरहत जहां को कहा.... कहते हैं लाखों रुपए की राशि तत्काल किसी अवैध खनिज व्यापारी से नगद में ली गई...... और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक पहुंचाई गई। शिवराज सिंह ,"मोगेंबो खुश हुआ" के अंदाज में नाचने वालों को लाखो रुपए नगद दिए।
वह अवैध खनिज व्यापारी भी एक चरित्र नायक है, खलनायक के अंदाज में.... ऐसे खलनायक , अवैध कारोबार की शिवराज की सरकार में जमकर फले-फूले...... जहां कहीं कोई कलेक्टर, एसपी, एसडीएम इनके रास्ते में रोड़ा अटकाया..... मोगैंबो नाराज हो गया । जिसका परिणाम एसपी की हत्या तक हो चुकी है...। मोगैंबो राज में ही कटनी खनिज अधिकारी को उसके ऑफिस में घुस के मारा गया, शहडोल में एसडीएम ने मोगेंबो के काम में रोड़ा अटकाया , तो उनका स्थानांतरण हो गया, अब तो प्रशासन के नियंत्रण से व्यवस्था शायद चली गई है.... एसडीएम , तहसीलदार व संबंधित कर्मचारी अवैध खनिज व्यापारियों के हाथों पीट रहे हैं...... यह सही है कि कलेक्टर ललित दायमा ने खनिज निरीक्षक कुलस्ते को निलंबित किया.... यह खनिज विभाग है जो मोगेंबो के लिए काम करता था ..., मोगैंबो का शासन उसकी सल्तनत व्यापक हो चुकी है.... यह समझ पाना बड़ा मुश्किल है कि वह कब पुलिस को रूप.... में तो कब प्रशासन के रूप में... और कब अवैध खनिज व्यापारियों के साथ चल रहा है ।
एक समाचार पत्र की बात माने ,अगर वह झूठ नहीं लिख रहा है तो... कि कलेक्टर दाहिमा कहते हैं की पुलिस सहयोग नहीं कर रही है...., तो क्या इस समय या तब जब सौरव कुमार एसपी थे तबसे मोगैंबो जिस प्रकार खनिज के अवैध कारोबार में नंगा नाच कर रहा था ,उसे नियंत्रित करना वर्तमान पुलिस की बूते के बाहर की बात है ...., क्या आर्मी बुलाया जाना चाहिए या पैरामिलिट्री फोर्स के जरिए आदिवासी क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा होनी चाहिए .....यह वर्तमान कलेक्टर के लिए एक चुनौती भी है और एक अवसर भी।
कि क्या वह मोगेंबो के शासन प्रणाली को ठीक कर सकता है। यदि ऐसा होता है यह लोकतंत्र के लिए बढ़ाया गया बड़ा कदम होगा और उसकी शुरुआत शिवराज की लालपुर बैगा सम्मेलन में मोगेंबो के खुश होने पर नगद में आए लाखों रुपए के पुरस्कार की जांच से होनी चाहिए कि वह पैसा कैसे आया, कैसे आदिवासी विभाग में किसी अंसारी का प्रस्तुत बिल, कलेक्टर की आपत्ति के बावजूद भी उसे छुपा कर नए कलेक्टर से पास करा लिया गया, कैसे दुर्गा टेंट का फर्जी बिल शिवराज के बैगा सम्मेलन के नाम पर पास हो गया, अचानक जमीनी आदमी कैसे शहर का बड़ा बिल्डर बन जाता है। या फिर अवैध खनिज का कारोबार करने वाला हर छुटू-भैया , मोगेंबो शासन में करोड़पति हो जाता है.... आज शिवराज का चरित्र बदल गया है.. अब खुश नहीं होता, ना ही उन्हें माई के लाल को चुनौती देने की साहस है.... आज वे एक माई के लाल के लिए भोपाल में लोकतंत्र से न्याय की भीख मांग रहे हैं
....शहडोल में उनका कार्यकर्ता मीडिया के जरिए प्राण की भीख मांगने को बेचैन है..... कि खनिज माफिया उसकी हत्या कर देगा ।
यह लोकतंत्र है भैया और मोगेंबो के शासन प्रणाली में जितने बच्चे पैदा किए , इन 15 सालों में भलाई शिवराज का चरित्र बदल जाए, वे मोगैंबो से गांधी बनने का प्रयास करें, किंतु जो मोगैंबो ने बोया उसे तो काटना ही पड़ेगा । क्योंकि यही मोगैंबो की सल्तनत है।
हमेशा याद रखना चाहिए जब भी सत्ता का अवसर मिले मोगैंबो बनकर वह गांववाले के बीच में नाचते हुए लाखों रुपए नगद निछावर नहीं करना चाहिए ..,आज यही निछावर शहडोल प्रशासन के नाक में दम किए हैं.... बेहतर हो कि पर्यावरण संरक्षण के लिए, नदी नालों की जान बचाने के लिए और अमरकंटक में जो भी मोगेंबो की सल्तनत का निर्बाध साम्राज्य कायम है उसे खत्म करने के लिए, प्रशासन को स्वयं के होने को साबित करना चाहिए ।
जिसकी शुरुआत आदिवासी विभाग में शहडोल से स्वच्छता अभियान चलाकर और यदि कमिश्नर शहडोल चाहे तो पवित्र नगरी को पवित्रतम बनाने की मुहिम के लिए नर्मदा नदी की हत्या का प्रयास करने वाले सभी मोगैंबो-पुत्रों को चिन्हित करने और उनके सभी प्रयासों को नाकाम करने से शुरुआत हो सकती है। जो एक क्रांतिकारी कदम होगा ।भारत की संविधान में दी गई गारंटी, संविधान की पांचवी अनुसूची में लोकतंत्र द्वारा दी गई आदिवासी क्षेत्र की सुरक्षा के हित में, सभी अमरकंटक के प्रवासियों को सूचीबद्ध करते हुए द्वारा कराए गए वैध और अवैध बोरिंग और समर्सिबल पंप की गणना तथा उसे निकास की प्रतिदिन जल निकासी की क्षमता को चिन्हित करते हुए कोई नीतिगत बड़ा कदम उठाना चाहिए।
नहीं तो अमरीश पुरी का महान खलनायक "मोगेंबो" चरित्र उन्हें तो अमर कर गया...., अमरकंटक की नर्मदा, सोन जोहिला, शहडोल और मध्य प्रदेश को बर्बाद करके रख देगा।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ,शासकीय हमीदिया अस्पताल में
किंतु 15 साल की शासन प्रणाली के बावजूद भी शिवराज जो नहीं कर सके वह मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कर दिखाया और अपनी स्वास्थ्य सुविधा के लिए उंगली के ऑपरेशन के लिए एक संपन्न उद्योगपति मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल के शासकीय हमीदिया अस्पताल में ऑपरेशन करा कर लोकतंत्र के जीवित होने का और उसके हित में काम करने का जो समर्पण का संदेश दिया वह वास्तव में एक मानवीय कदम है और शिवराज सिंह भी इससे बहुत खुश हुये तथा कमलनाथ को बधाई दी है।
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