
:दिखाने के दांत
अमरकंटक की नर्मदा जल स्रोत सूख गया... उद्गम से कपिल धारा के बीच में नर्मदा विलुप्त हो गई.... मान लेते हैं, वहां के कलेक्टर स्वयं के दवाब में..., स्वयं की इच्छा से अथवा किसी प्रशासनिक इच्छा से साधु-संतों की गुलामी कर रहे थे। इसलिए जो मनमानी बोरिंग में हुई और अट्टालिका धर्म के नकाब पहनकर खड़ी हुई हैं उनकी पानी की पूर्ति के लिए इसके लिए नर्मदा के जल स्रोत खत्म करना या नर्मदा की हत्या का प्रयास करना उनकी मजबूरी रही होगी...? इसकी बात होती ही रहेगी नर्मदा तो निर्भया ही हैं ।


अब हम संभाग शहडोल मुख्यालय शहडोल शहर की सीमा पर यानी मुडना नदी के उस पार उमरिया और शहडोल के बॉर्डर में बसे इस सीमावर्ती अधिष्ठात्री देवी बूढ़ी माता मंदिर के बगल में स्थित स्टॉप डेम की बात करेंगे... यह स्टॉप डेम इसलिए चर्चा का हिस्सा बनता है, क्योंकि इसे मॉडल स्टॉप डेम के रूप में प्रशासन को अपना चेहरा इसमें देखना चाहिए। यदि संभाग मुख्यालय से जुड़े स्टॉप डेम में पानी स्टॉक करने के लिए मात्र सटर नहीं लगने से पानी नहीं रोका जा सका है तो फिर पूरे संभाग में करोड़ों रुपए के स्टॉप डेम क्या दिखाने के दांत मात्र थे...? या फिर खाने के दांत और हैं . या योग्य पानी देने वाले स्टॉप डेम कहीं और शटर लगाकर पानी रोके गए हैं...? बात जो भी हो यह एक कड़वा सच है संभाग मुख्यालय के प्रशासन के लिए कमिश्नर शहडोल के लिए भी कि अगर उनके बगल में स्थित स्टॉप डेम में किन्ही कारणों से सटर नहीं लगा है और पानी नहीं रोका जा सका है।

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