बुधवार, 29 सितंबर 2021

सनद रहे, वक्त में काम आवे

न्यायालय में नहीं मिली राहत

लाश के सौदागरों को...?


मामला देवांता 

प्राइवेट हॉस्पिटल का

(आन द टेबल)

संवेदनाओं का धंधा का कारोबार जिस बेशर्मी से सदी की महामारी में भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार में तेजी से फैला और विकसित हुआ जिस पर ना कोई नियंत्रण रहा और ना ही कोई निवारण ।ऐसी घटनाओं के उदाहरण भारत के बड़े शहरों की अस्पतालों में आम बात है जहां मानवीय संवेदनाओ की हत्या आमआदमी की खून चूसने की कुछेक अस्पताल मशीन बना दिए गए हैं। और ऐसे चिकित्सा संस्थान इस बात की प्रतियोगिता करते है कि कौन कितना आम आदमी को संवेदना का भय दिखाकर उसे लूटता है।

 इस कारोबार में ब्लैक मनी होल्डर्स पूजीपतियों ने  फाइनेंसर्स में और बैंकर्स भी बड़ा बड़ा करोड़ों रुपए का लोन बांटते हुए बड़ी-बड़ी किस्तों के जरिए चिकित्सा क्षेत्र में लगे हुए लोगों को आम आदमी को लूटने की विधि को प्रोत्साहित करते हैं। और यह प्रोत्साहन जब अपनी सीमा पार कर जाता है तो कैसे गणेश जी को दूध पिलाने वाले भ्रम की तरह इस रेमडीसीबिर इंजेक्शन लाखों रुपए में ब्लैक में मिलता है, कैसे पुलिस व प्रशासन इस लाखों करोड़ों रुपए के कारोबार में किसी दिहाड़ी मजदूर को टारगेट करके उसे मुलजिम ठहरा कर जेल में ठूंस लेती है। और चिकित्सा क्षेत्र के बड़े-बड़े डकैतों को बचाने का काम करती है..? यह भी भारत में कोरोनावायरस के कार्यकाल हमने नंगा नाचते देखा है । 


शहडोल जैसे आदिवासी क्षेत्र में जहां चिकित्सा का कारोबार अपनी नंगापन साथ के प्रसव  में प्राइवेट सेक्टर में प्रारंभ हो रहा है, यह पहली बार देखा है....। जब पुलिस और प्रशासन ने ईमानदारी का परिचय देते हुए आम आदमी के पक्ष में खड़े होकर चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित डकैतों को कटघरे में खड़ा किया है। फिर भी चिकित्सा के आरोपित दरिंदे कैसे न्यायालय मे अपना पक्ष रखते हैं और बाहर निकलने का काम करते हैं ताकि फिर से वहीं अमानवीय काम को अंजाम दे सकें। जिसे वे "पवित्र-पेसा" के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

 इसलिए देवांता हॉस्पिटल में लाश को गिरवी रख ब्लैक-मेल  कारोबार में यदि कोई कार्रवाई हुई है तो उसकी अगामी चरणों पर नजर रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं के लिए पुनरावृति न हो सके; बार-बार याद करना जरूरी है ताकि आदिवासी अंचल में कम से कम लाशों को ब्लैकमेल का जरिया ना बनाया जा सके।

 अगर शहडोल में रेमदेसीविर से जुड़े सभी अपराधियों को, सिर्फ दिहाड़ी मजदूरों को नहीं जेल में ठूंसा जाता तो शायद लास गिरवी रखकर कोई हॉस्पिटल संवेदनाओं को  निचले स्तर पर हत्या का प्रयास नहीं करते।

 आमधारणा मे अभी भी यह जस्टिफाइड करना बाकी है की कैसे दिहाड़ी मजदूर मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान में रेमेडी शिविर इंजेक्शन ब्लैकमेल कर रहे थे...? और कौन से हॉस्पिटल कौन से डॉक्टर इस पूरे गंदे कारोबार में शामिल थे...? कहते हैं लाश को गिरवी रखने वाला हॉस्पिटल भी उसमें शामिल था, यह जन चर्चा का विषय है। बाकी सरकारी रिकॉर्डो में, जिला चिकित्सालय की फाइलों में इसके तमाम सबूत अभी भी चीखना चाहते हैं।

 बहरहाल एक ही सही जो पकड़ा गया न्यायालय उसको किस नजर से देखती है आइए हम देखें... जिसमें दोषी को अग्रिम जमानत नहीं मिली। किसने, क्या कहा... न्यायालय के आदेश में स्पष्ट हैं ।अभी तक बस इतना ही....












































सोमवार, 27 सितंबर 2021

अक्टूबर मध्य तक अच्छी सड़कें शहडोल संभाग की

FEEL GOOD...

अक्टूबर मध्य तक अच्छी सड़कें

 शहडोल संभाग नगरीय क्षेत्रों  सड़क  मरम्मत 7 तक पूर्ण, व 


15 अक्टूबर तक संपूर्ण कार्य हो

क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत

सर्वोच्च प्राथमिकता से कराएं-कमिश्नर

नगरीय क्षेत्रों की सड़कों की मरम्मत का कार्य 07 अक्टूबर तक पूर्ण कराएं-कमिश्नर

शहडोल 27 सितंबर 21- कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा की पहल पर शहडोल संभाग में क्षतिग्रस्त सड़कों को सुधारने का अभियान प्रारंभ हो चुका है। इस अभियान के तहत शहडोल संभाग



की क्षतिग्रस्त प्रमुख सड़को की मरम्मत का कार्य अभियान चलाकर अगामी 15 अक्टूबर तक पूर्ण कराया जाएगा। वही शहडोल संभाग की नगरीय क्षेत्रों की सड़को की मरम्मत का कार्य 07 अक्टूबर तक पूर्ण कराया जाएगा। कमिश्नर शहडोल संभाग श्री राजीव शर्मा द्वारा इस संबंध में आज लोक निर्माण विभाग, मध्यप्रदेश रोड़ डेब्लपमेंट कार्पोरेशन ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन विभाग एवं एसीसीएल के अधिकारियों की विशेष बैठक लेकर क्षतिग्रस्त सड़कों के मरम्मत के संबंध में निर्देश दिए गए।

 कमिश्नर ने निर्देशित करते हुए कहा कि शहडोल संभाग की प्रमुख सड़के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के सड़के जो क्षतिग्रस्त हो गई है, उनकी मरम्मत का कार्य पूरी संवेदनशीलता के साथ 15 अक्टूबर 2021 तक पूर्ण कराएं। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि किररघाटी में क्षतिग्रस्त सड़क को शीघ्र सुधारा जाएं तथा अमरकंटक रोड़ को शीघ्र प्रारंभ करने के प्रयास सर्वोच्च प्रामिकता के साथ कराएं। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि उमरिया से ताला रोड़ के पेचवर्क का कार्य भी प्राथमिकता से पूर्ण कराएं। बैठक में मध्यप्रदेश रोड़ डेप्लबमेंट कर्पोरेशन के अधिकारियों ने कमिश्नर को अवगत कराया कि रीवा से शहडोल एनएच के मरम्मत का कार्य 15 अक्टूबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा।

 

   बैठक में कमिश्नर ने कहा कि क्षतिग्रस्त सड़को की मरम्मत से पूर्व विभागीय अधिकारी क्षतिग्रस्त सड़को के फोटोग्राप्स लें, उसके पश्चात कार्य प्रारंभ करें। कमिश्नर ने निर्देश दिए कि सड़को का मरम्मत कार्य तेजी से प्रारंभ करें, गुणवत्ता का ध्यान रखें तथा सभी नियमों का पालन करें।


कमिष्नर ने कहा कि शहडोल संभाग में क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत कार्य की प्रगति की जानकारी मुझे हर सप्ताह उपलब्ध कराएं। कमिश्नर ने अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया कि सड़कों की निरंतर मॉनिटरिंग करें तथा मरम्मत कार्य गुणवत्तापूर्ण हो, यह सुनिश्चित करें
। बैठक  में अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग  आर.एस. भील, महाप्रबंधक एसीसीएल सोहागपुर  शंकर नगास्वामी, उपायुक्त राजस्व शहडोल संभाग , संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन , संयुक्त आयुक्त विकास , कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग शहडोल , कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग अनूपपुर, कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण उमरिया , संभाग सभी नगर पालिका अधिकारी भी उपस्थित रहे।


थोड़ा स्पष्टीकरण, थोड़ा मनोरंजन

 

थोड़ा स्पष्टीकरण थोड़ा मनोरंजन

 प्रकाशित समाचार  में वस्तुस्थिति

भ्रष्टाचार नहीं, सिर्फ पानी चू रहा ...

शहडोल 27 सितंबर 2021- एक शासकीय प्रेस विज्ञप्ति में जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक शहडोल डॉ० जी.एस. परिहार ने कतिपय समाचार में प्रकाशित समाचार “जीर्णोद्धार के नाम पर जिम्मेदारों ने बर्बाद किए लाखों रुपए” के संबंध में वस्तुस्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि आईसीयू, एनआरसी के जीर्णोद्धार के संबंध में प्रकाशित खबर भ्रामक है। क्योंकि यह पुराना भवन है और पूरे भवन की छत टपकती है एवं एनआरसी के छत का थोड़ा प्लास्टर निकला है लेकिन छत नहीं टूटी है। एनआरसी के नीचे ही आईसीयू का स्टाफ ड्यूटी रूम है, जहां पर एनआरसी के किचन में लगा एक अंडरग्राउंड वेस्ट पाइप का पानी लीक कर रहा है। उसका पानी रिस कर आईसीयू के ड्यूटी रूम में आ रहा था। जिसके कारण एनआरसी फाल्स सीलिंग को तोड़कर देखा गया कि पानी कहां से आ रहा है। तब एनएचएम के इंजीनियर ने बताया कि अंडर ग्राउंड वेस्ट पाइप से पानी लीक कर रहा है, जिस कारण से आईसीयू के ड्यूटी रूम में पानी आ रहा है। एनएचएम इंजीनियर द्वारा रिपेयरिंग का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जहां तक जीर्णोद्धार के नाम पर जिम्मेदारों ने बर्बाद किए लाखों का आरोप लगाया जा रहा है, यह आरोप पूर्णत: निराधार है।

उन्होंने बताया कि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा बच्चा वार्ड के उन्नयन हेतु एनएचएम इंजीनियर के द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी जीर्णोद्धार का कार्य सिर्फ बच्चा वार्ड में किया गया है। सर्जिकल एवं मेडिकल वार्ड के उन्नयन की राशि स्वीकृत है, जिसका एनएचएम इंजीनियर द्वारा टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है और अन्य वार्डो का जीर्णोद्धार का स्टीमेट बनाकर एनएचएम इंजीनियर द्वारा शासन को भेज दिया गया है। स्वीकृति उपरांत संपूर्ण चिकित्सालय के पुराने भवनों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। जहां तक रेडक्रॉस से जीर्णोद्धार के नाम पर जिम्मेदारों ने बर्बाद की लाखों रुपए का आरोप है, वह पूर्णत: निराधार है एवं रेडक्रॉस से एक रुपए भी किसी वार्ड के जीर्णोद्धार पर खर्च नहीं किया गया है। 

शासकीय प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह झूठी एवं भ्रामक खबर है। उक्त खबर को प्रकाशित कर जिला चिकित्सालय प्रबंधन की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है।

इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है आइए मनोरंजन करते हैं जो वीडियो पत्रकार बनाए गए चरित्र अभिनेता अक्षय कुमार व मोदी जी के मध्य का व्यंग चित्र मात्र है इसका सच्चाई से बहुत ज्यादा नाता नहीं है सिर्फ मनोरंजन है




रविवार, 26 सितंबर 2021

लापरवाही से मौत देवांता अस्पताल सील

 लापरवाही से मौत

 देवांता अस्पताल सील

शहडोल 26 सितंबर 2021-  अपर कलेक्टर एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट  अर्पित वर्मा  की अगुवाई में एक जांच दल  जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सागर, जिला चिकित्सालय के प्रभारी अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुन्द चतुर्वेदी


तथा आई.एम.ए. के जिला अध्यक्ष डॉ. एस.सी. त्रिपाठी को शामिल किया गया था । उन्होंने बताया कि स्थानीय देवांता अस्पताल पहुंचकर समस्त रिकार्डों का परीक्षण जांच समिति के समक्ष उपस्थित चिकित्सक एवं चिकित्सकीय स्टॉफ के बयान के आधार पर तथात्मक जांच के आधार पर पाया गया कि प्रथम दृष्टया जांच में  अनियमितताएं पाई है। 

जांच में पाया गया कि मृतिका श्रीमती पुष्पा् पति संतोष राठौर उम्र 32 वर्ष निवासी ग्राम चोरभठी, थाना जैतहरी जिला अनूपपुर म.प्र. को जिला चिकित्सालय अनूपपुर में इलाज कराने के पश्चात देवांता अस्पताल शहडोल में भर्ती किया गया, जिसमें चिकित्सक द्वारा संभावित डाग्यरनोसिस (सीकेडी विथ सेफ्सिस) लिखा था। मृतिका की हिस्ट्री एवं जांच रिपोर्ट से यह प्रमाणित नहीं होता कि मरीज सीकेडी क्रॉनिक किडनी डिसीस) की मरीज थी। मृतिका को भले ही स्‍पेशलिस्ट  डॉ. दीपक पॉल ने समय उपरांत देखा था, परंतु उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर इस डाग्यरनोसिस के अतिरिक्त कोई भी अपना मत न दिया जाना यह प्रतीत होता है कि मेडिकल स्पेशलिस्ट के द्वारा कोई भी अतिरिक्त इलाज, जांच आदि नहीं किया गया है।  डॉ. दीपक पॉल के नाम से अधिकतर मरीज का जांच किया जाना इस अस्पताल में दर्ज है, जबकि डॉ. दीपक पॉल इस स्थान के अतिरिक्त श्याम केयर अस्पताल में भी अपनी नियमित ओ.पी.डी. एवं अन्य. सेवाएं देते है। ऐसे में मरीजों को समय पर विजिट कर कन्स‍ल्टेसन दे पाना संदिग्ध प्रतीत होता है। 

डॉ. दीपक पॉल द्वारा स्वयं बताया गया है कि उनके द्वारा मरीजों को केवल् चिकित्सकीय सलाह दी जाती है उसके बाद उक्त् मरीज का इलाज किया गया अथवा नहीं किया गया इसकी मानिटरिंग उनके द्वारा नहीं की जाती। मृतिका की हिस्ट्री में 09 सितम्बर 2021 को जहरीली दवा लेने से तबीयत खराब होना बताया गया तथा जांच में पाया गया कि केस सीट में किसी भी चिकित्सक का नाम अंकित नहीं था। केस सीट में ओव्हर राईंटिंग एवं मैनुपुलनेशन पाया गया । जांच कमेंटी के समक्ष डॉ. दीपक पॉल द्वारा 13 सितम्बंर 2021 को लेख किया गया था कि मरीज की हालत अत्‍यंत खराब है। उनके परिजनों को सूचित किया जाय। जांच में पाया गया कि वाईटल चार्ट में ओव्हर राईंटिग तथा कई स्थानों पर हस्ताक्षर नहीं पाये गये। जांच में पाया गया कि रजिस्टर में कांट-छांट ओव्ह्रराईंटिग की गई अस्पताल प्रबंधन द्वारा मनामाना बिल 70,100/- रूपये का दिया गया। उसके अतिरिक्त डायलिसि‍स के लिए अलग से फीस ली गई।

 मरीज की हालत गंभीर होने के बावजूद इलाज में मरीज के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई गई। अत्यंत गंभीर स्थिति में मरीज के गंभीर होने के बाद भी बेहतर उपचार के लिए उच्च चिकित्सकीय संस्थांन हेतु संदर्भित (रेफर) नहीं किया गया। मुख्य  चिकित्सा  एवं स्वास्थ्य  अधिकारी द्वारा 15 सितम्बर 2021 को नर्सिग होम एवं क्लीनिक के रूटिन निरीक्षण के दौरान देवांता अस्पताल को कारण बताओं नोटिस भी दिया गया था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई सुधार नहीं किया गया। 

जांच में पाया गया कि मृतिका के जांच संबंधी रिकार्ड पूर्ण मौके पर नहीं मिले उपस्थित स्टॉफ द्वारा इलाज के अधिकतर बिन्दुओं पर अनभिज्ञता जाहिर की गई। अस्पताल हेतु आवश्यक स्टाफ की सूची एवं भौतिक सत्यापन नहीं किया जा सका। मृतिका से संबंधित सभी रिकार्ड अस्त व्यस्त पाये गये। मृतिका के डायग्नोंयस जांच इलाज में लापरवाही पाई गई तथा 22 सितम्बर 2021 को शायं 05:00 बजे मृतिका के परिजनों द्वारा 30,000/- रूपये जमा करना प्रमाणित पाया गया एवं दवा का 40,000/- का बिल अलग से पाया गया। जांच समिति द्वारा यह भी पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्वयं के निर्धारित शुल्क  से ज्या्दा शुल्क लिया गया है एवं फिजियोथेरेपी चार्ज भी लगाया गया है, जिसका इस केस से कोई संबंध नहीं है। अतएव अनावश्यक चार्ज लेना प्रमाणित हो रहा है। जांच समिति के समक्ष देवांता अस्पोताल के संचालक डॉ. बृजेश पाण्डेाय एवं डॉ. बी.के. त्रिपाठी उपस्थित नहीं हुए और बार-बार कॉल करने के बाद भी उनके फोन बंद पाये गये। जांच समिति के द्वारा यह पाया गया कि जहर खाने के कारण गंभीर मरीज को बेहतर उपचार हेतु उच्चं चिकित्सकीय संस्थान हेतु रेफर एवं त्वंरित कार्यवाही हेतु पुलिस सूचना न देना घोर लापरवाही का घोतक है। अस्पताल प्रबंधन एवं चिकित्स‍क मेडिकल लीगल केस होने के बावजूद साक्ष्यों  को छिपाने की दृष्टि से पुलिस प्रबंधन को सूचना नहीं दी गई। 

 यह भी पाया गया कि देवांता अस्पताल होम्योंपैथिक चिकित्सकों द्वारा संचालित किया जा रहा है जबकि जांच आदि के लिए एलोपैथिक चिकित्सक का होना आवश्यक है।

 प्रकरण की गंभीरता एवं देवांता अस्पताल प्रबंधन की चिकित्सकीय लापरवाही एवं उदासीनता प्रथम दृष्टया प्रतीत होने से जांच समिति द्वारा देवांता अस्पंताल का पंजीयन अग्रिम आदेश तक निरस्त किये जाने की अनुसंशा की गई है तथा यह भी निर्देशित किया गया कि अनाधिकृत चिकित्सकों जिनके पास वैध डिग्री/प्रमाण पत्र नही है, उनके द्वारा इलाज न किया जाय अन्यथा जिला प्रशासन द्वारा आगे भी इसी प्रकार कार्यवाही की जारी रहेगी। 

म.प्र. उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्री करण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 (क्रमांक/47 सन् 1973 राज्यपाल के प्राधिकार द्वारा प्रदत्त‍ अधिकारों के तहत देवांता अस्पताल का रजिस्ट्रेशन किया गया था तथा उक्त अधिनियम का पालन न करने के कारण देवांता अस्पताल रजिस्ट्रेशन निरस्त किये जाने की अनुशंसा की गई है एवं देवांता अस्पताल को मौके पर ही जांच दल द्वारा सील किया गया


 

शनिवार, 25 सितंबर 2021

संयुक्त राष्ट्र में स्नेहा दुबे की यादगार प्रस्तुति

 संयुक्त राष्ट्र में स्नेहा दुबे

 की यादगार प्रस्तुति


आतंकवादियों को रखने का घटिया रिकॉर्ड पाकिस्तान के पास

(दैनिक जनसत्ता से साभार)




















शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

महामारी में आत्महत्या मौत को मिली पहचान (त्रिलोकीनाथ)

 

पोस्ट-कोविड आत्महत्या में देंगे आर्थिक मुआवजा


महामारी में आत्महत्या मौत को मिली पहचान

(त्रिलोकीनाथ)

सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद कम से कम यह बात करोड़ों भारतीयों में राहत देने वाली साबित हुई है की महामारी में हुई मौतों को महामारी की मौत के रूप में स्वीकार तो रहे हैं। अन्यथा जिस प्रकार से सरकारी तानाशाही महामारी को लेकर मटरगश्ती करती दिख रही थी उससे लगता था वह इसे जल्द भूलने वाली कहानी के रूप में याद रखना चाहती। उससे जो प्रभावित हुए हैं जिनका परिवार शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और एक भारतीय नागरिक होने के नाते जितना प्रताड़ित


इतना महसूस कर रहा था उसमें कुछ मरहम लगाने का काम सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान की व्यवस्था के तहत अपने दायित्वों का प्रदर्शन किया है। और यह लगता है कि भारत में कानून जिंदा है ,इस महामारी के संबंध में । 

बहरहाल उन लोगों को आर्थिक राहत कितनी मिलेगी यह महत्वपूर्ण तो है ही किंतु इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है की आत्महत्या के मामले में जो उनकी मृत्यु को पहचान नहीं मिल पा रही थी और मृतक व्यक्ति का अपमान भी हो रहा था, इस महामारी की मौत में उसी के साथ और उनके परिवार के साथ उच्चतम न्यायालय ने संविधान सम्मत कानूनन मान्यता दी है। जो इन्हें गर्व से सर उठा कर मृत्यु के कारणों पर बोलने की आजादी देंगे।

 अब राज्य सरकारों को अपने स्तर पर यह तय करना होगा कि क्या उन्होंने कोविड-19 अथवा पोस्ट कोविड-19 प्रभावित परिवारों के लिए जो राहत निर्देश प्रदान किए हैं क्या सुप्रीम कोर्ट की इस गाइड लाइन पर चलते हुए सभी हितग्राहियों को संवेदनशील तरीके से चिन्हित करते हुए लाभ दिया जाएगा...। यह देखने वाली बात होगी फिलहाल हमें अपने देश के आजाद संविधान पर गर्व है कि उसने महामारी की मौत को पहचान दी अन्यथा आज के ही अखबार में इस महामारी से जन्मे अरबों खरबों रुपए की पीएम केयर के मामले में यह कहना कि यह सरकारी कोष नहीं है तमाम प्रकार की सरकारी पद में बैठे लोगों की पतित मंशा को प्रमाणित तो करता ही है।



रणजीत सिंह धुर्वे बने सहायक आयुक्त

प्रभारी मंत्री की माया

ओबीसी से मोहभंग,


धुर्वे बने शहडोल सहायक आयुक्त

अंततः तृतीय वर्ग कर्मचारी अंसारी को कलेक्टर सत्येंद्र सिंह के विदा होने के बाद विदाई लेने ही पड़ी ओबीसी मंत्री रामखेलावन पटेल की इच्छा से वरिष्ठ प्राचार्य रणजीत सिंह धुर्वे सहायक आयुक्त का प्रभार आज ले लिया उन्होंने मंडल संयोजक से प्रभारी सहायक आयुक्त से प्रभार लिया है। श्री अंसारी नवीन बजट सत्र के पूर्व सभी मापदंडों को दरकिनार कर न सिर्फ प्रभारी सहायक आयुक्त बनाए गए थे बल्कि करोड़ों रुपयों का अवैध रूप से आहरण भी जिला कोषालय से कर रहे थे। जिसकी चर्चा मंत्री जी के सामने आई थी और बाद मेंं कथित तौर जयसिंहनगर की पृष्ठभूमि से रणजीत सिंंह धुर्वे लाटरी खुल गई ताकि चर्चित मामलों पर लगाम लगाई जा सके क्योंकि रणजीत सिंह धुर्वे शैक्षणिक क्षेत्र के हैं इसलिए आदिवासी जिलेे में किसी प्रशासनिक अधिकारी को कानूनन प्रभार मिलना चाहिए था। बहरहाल "ना मामा से चंदामामा अच्छा..." अंदाज मेंं धुर्वे की ताजपोशी अच्छी कही जा सकती है। देखना होगा धुर्वे, तृतीय वर्ग कर्मचारी के अवैध-भ्रष्टाचार पर कितना खुलासा कर पाते हैं...?




बुधवार, 22 सितंबर 2021

अब प्रधानमंत्री आवास बना तालाब विनाश योजना... (त्रिलोकीनाथ)

तालाब विनाश कि शर्त पर प्रधानमंत्री आवास...? 


तालाब के अंदर प्रधानमंत्री आवास यह कैसा विकास...? 

हम किस मूर्खता की ओर बढ़ रहे हैं...

(त्रिलोकीनाथ)

अनुभव बताता है की संविधान की पांचवी अनुसूची में संरक्षित आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल संभाग कि जो भी विकास हुए हैं उसे विनाश ज्यादा हुआ है। विकास की तुलना में बेकारी, बेरोजगारी और स्वस्थ प्राकृतिक जीवन के खिलाफ नुकसान हुआ है। 21वीं सदी की शुरुआत में शहडोल का बहुतायत हिस्सा "रीवा-अमरकंटक सड़क मार्ग" के नाम पर कॉर्पोरेट जगत के लिए लूट का संसाधन बन गया। योजना तो यह थी कि उच्च गुणवत्ता वाली सड़क निर्माण के बाद कॉर्पोरेट 15 साल तक टैक्स वसूले का और बाद में 10 साल तक इसका रखरखाव कारपोरेट के अनुबंध के आधार पर होगा, किंतु शुरुआत से ही इसमें पर्यावरण विनाश करते हुए खुली डकैती का जो रास्ता सरकार के लोगों ने अपनाया उससे पर्यावरण पारिस्थितिकी को जबरदस्त नुकसान हुआ। जहां-जहां यह सड़क निकली वहां के आसपास के हरे भरेे पेड़-पौधों तालाबों का भराव प्रभावित हो गया। लगभग तालाब अपनी उम्र के पहले ही मर गए। शहडोल शहर के निकट बरुका गांव के पास तालाब जिसका जल बहाव सड़क की दूसरे सीमा को पार करके आता था वह इसलिए खत्म हो गया। क्योंकि सड़क की तकनीकी निर्माण में जो भी  विशेषज्ञ रहे या  वे अज्ञानी थे या फिर जानबूझकर कॉर्पोरेट की लूट में शामिल होते हुए जल बहाव को तालाब की सुरक्षा के लिए पुलिया नहीं बनाई गई और तालाब लगभग मर गया । यही हालत पूरे रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग की परिस्थिति वाले तालाबों का हुआ।


 ऐसा  पर्यावरण और परिस्थितिकी का विनाश का रास्ता उस वक्त विकसित होते हुए प्रमाणित हुआ जब  बी ओ टी माध्यम से बनाई गई प्रदेश की शायद पहली या



दूसरी सड़क, "रीवा-अमरकंटक सड़क मार्ग" अपने लक्ष्य 25 वर्ष कार्य अवधि को पूरा करने के पहले ही अमरकंटक की घाटियों में टूट के गिर गई ।अब वह सड़क मार्ग प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद कर दिया है। लेकिन जब लगातार एक्सीडेंट हो रहे थे और दुर्घटनाएं हो रही थी तब तक सड़क मार्ग को बाणसागर के आसपास या छुहिया घाटी के पास ठीक नहीं किया गया बल्कि ऑफ द रिकॉर्ड सड़क को ही डायवर्ट कर दिया गया ताकि


50-55 लोग मर सके। नवजात बच्चो से ले युवाओं की जोड़ी और परीक्षा देने वाले अपना भविष्य संंभालने वाले बड़े बुजुर्गों तक  की इस हत्याकांड के लिए कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।।

 क्योंकि मुख्यमंत्री मानते हैं कि वह तो हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज के रास्ते आते जाते हैं तो उन्हें कैसे अनुभव होगा कि सड़क दुर्घटनाएं मैं उनके अपने भी मर सकते हैं । उनके लिए सड़कें पकौड़ा चलने जैसा रोजगार मात्र है। इसीलिए 25 साल रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग के निर्माण पर पूरे भी नहीं हुए और उसे डामरीकरण से सीसी सीमेंट के रूप में विकसित करने का काम बड़े भ्रष्टाचार के लिए प्रारंभ हो गया। और शायद यही कारण था कि 55 लोग का बलिदान भी हो गया। क्योंकि जब सड़क का निर्माण होना है तो मरम्मत क्यों होगा...? हां मरम्मत के नाम पर जो धन खर्च होना था उसे नेता अफसर मिलकर बांट लेंगे और ऐसा ही होता रहा। अब इस इस सामूहिक हत्या के लिए किसी को दंड नहीं दिया गया है चाहे कांग्रेस के निर्माण में ठेकेदार पैदा हुआ हो या फिर भाजपा के दौर में लूटता रहा हो तो नेता भी खुश अफसर भी खुश और ठेकेदार तो लोकतांत्रिक प्रतिनिधियों को टुकड़ा फेंक कर चलता बना।

 इस घटना से जुड़ी छाया चित्रों को प्रमाणित अनुभव को लोकतंत्र की शीर्ष संस्थाओं में या राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल के भवन में यदि आर्ट गैलरी के रूप में दरवाजों में लगाकर अगर रखा जाए तो शायद नई पीढ़ी अपनी विरासत की मूर्खता से कुछ सीख पाए...? किंतु ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

 अब शहडोल नगर के लिए नए नेता का नया धंधा है प्रधानमंत्री-आवास यानी तलाब-विनाश का नारा शहडोल नगर में गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है। हमने अपने निरीक्षण में पाया है कि जब तक नगरपालिका जैसी स्वायत्तशासी संस्था जीवित नहीं थी तब तक शहडोल नगर के सैकड़ों तालाब खुशहाल और जिंदा थे प्राकृतिक रूप से विरासत में प्राप्त इन तालाबों पर कई भाजपा नेताओं ने अपने अपने वोट की खेती लहराने के लिए तालाब को पाटना चालू कर दिया।


कुछ नई सड़क बनवा दी तो कई लोगों ने तालाब ही नष्ट करवा दिए, तो नगर पालिका को लगा क्या फालतू के गड्ढे हैं जिसमें पानी भर जाता है उन्होंने कचरा डालना चालू कर दिया ताकि पट जाए। और विकास नामक परजीवी भ्रष्ट नेता और अफसरों के बच्चों का पेट पाल सकें। अन्यथा वह भूख मर जाएंगे...; कुछ इस अंदाज में शहडोल नगर के तालाब एक-एक करके हत्या कर दिए और किए जा रहे  हैं । 

कांग्रेस के अर्जुन सिंह थे तब तालाबों की मेड पर पट्टे बांटे थे अब भाजपाई प्रधानमंत्री मोदी की आवास योजना से हो रही है हत्या 

पहले जब कांग्रेस के अर्जुन सिंह थे तब तालाबों की मेड पर पट्टे बांट दिए गए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकास पूर्ण कल्पना को धरातल में लाने के लिए तालाबों के अंदर और सुरक्षित किए गए तालाबों पर भी प्रधानमंत्री आवास के लिए अपने लोगों को कब्जा कराने की दृष्टिकोण से लाखों रुपए देखकर माफिया गिरी की जा रही है। तालाब के आसपास निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं जैसे


जेल भवन के पास के तालाब को मैंने बीसवीं सदी में नेताओं और अफसरों से लड़कर चिन्हित कराया और बचाने का काम किया। प्रधानमंत्री आवास का नकाब पहनकर उसमें कब्जा करा दिया गया। यह ने सरकारी धन से तालाब के हत्या की योजना रच दी गई ।

अब माइनिंग पॉलिटेक्निक स्कूल के पीछे पांडव नगर का बड़ा तालाब प्रधानमंत्री आवास की विनाश पूर्ण योजना का गवाह बन रहा है


तालाब के अंदर पिलर डालकर प्रधानमंत्री आवास बनाया जा रहा है। यह माफियाओं की सल्तनत को भी बनाएगा और संबंधित नेता के वोट बैंक को तालिबानी (कट्टर ज्ञानार्थी) की तरह मजबूत कर देगा। ताकि वह तालाब को जल्दी नष्ट कर सके। हालांकि ऐसा नहीं है कभी-कभी क्यों सिरफिरे ब्यूरोक्रेट्स कमिश्नर हीरालाल त्रिवेदी जैसे लोग अपने ऐतिहासिक फैसले रखते हैं किंतु "संविधान की सूपा में 32 छेद"मे नव धनाढ्य माफिया जगह निकाल लेता है।

जब कमिश्नरी बनी थी तब पहली बार कमिश्नर अरुण तिवारी के साथ एक बैठक में नगर तालाब संरक्षण के लिए विस्तार से चर्चा हुई और उस पर कार्यवाही भी हुई तालाबों के संरक्षण को एक दिशा भी मिली और शायद फिर हीरालाल त्रिवेदी ने अपने फैसले से प्रशासनिक निर्णय से तालाब की संवेदना के प्रति गलत उदाहरण पेश कर दिया या फिर वह नागरिक संवेदना के खिलाफ संदेश दे गया जबकि विकास और विनाश एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस मिथक को तोड़कर अधिकारी अपना रास्ता तय कर सकते थे। किंतु ऐसा करने की बजाय न्यायालयों ने भी कोई मध्य मार्ग नहीं दिखाया। जिससे तालाब नष्ट होते चले गए जा रहे हैं

 तो देखना यह होगा कि संवेदनशील महिला कलेक्टर ,साहित्यकार और लेखक संवेदनशील कमिश्नर और उसके अधीनस्थ काम करने वाले कुछ संवेदनशील अधिकारी कर्मचारी अपने ज्ञान और विवेक का उपयोग तालाबों के संरक्षण के लिए क्या कोई रास्ते निकाल पाते हैं, ताकि वह मॉडल बन कर प्रदेश और देश के लिए मार्गदर्शी साबित हो... अथवा शहडोल के अंदर प्रधानमंत्री आवास तलाब विनाश का नारा बुलंद करेंगे होता रहेगा..? 

ताकि तमाम गुजरात की कंपनियां मल्टीनेशनल कंपनी के सहयोग से घर घर फिल्टर करके पानी जबरदस्ती नागरिक को पिला सकें और जितना इस कारोबार में लूट सकती हैं लूट सके ,प्राकृतिक विरासत में प्राप्त संसाधनों की हत्या करके.... क्योंकि जब तालाब ही नहीं होंगे तो जल स्रोत कहां से होगे....?

यह भी देखना होगा...।

( सामग्री संपूर्ण सहयोग सुरेंद्र नामदेव खबर 29)

सोमवार, 20 सितंबर 2021

चाकूबाजी में एसआई वेद प्रकाश घायल

बैड न्यूज़ 

आखिर आरोपी आदिवासी गोलू 


की पुलिस-हमला का हिम्मत कैसे बढ़ा


एक बुरी खबर है कि नरोजाबाद में कार्यरत पुलिस एसआई ठाकुर पर आरोपी गोलू कोल ने धारदार चाकू से उन्हें हमला कर घायल कर दिया है। सोशल मीडिया के अनुसार शाम पुलिस को यह सूचना मिली कि आरोपी गोलू कोल उर्फ प्रमोद थाना क्षेत्र के बाजारपुरा अंतर्गत बाजार मोहल्ला में देखा गया है जिसे पकडऩे के लिए तीन मोटर सायकलों पर 6 पुलिसकर्मी अलग-अलग दिशाओं से उसे घेरने की नीयत से मौके पर पहुंच ही रहे थे लेकिन सबसे पहले जैसे ही वेद प्रकाश ठाकुर वहां पहुंचे, आरोपी ने धारदार चाकू उनके पेट में घोंप दिया…..थोड़ी ही देर में अन्य वर्दीधारी भी वहां पहुंच गये, उन्होंने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन एसआई गंभीर रूप से घायल हो गया। जिससे इलाज के लिए शहडोल जिला अस्पताल लाया गया है।

 बता दे कि कथित तौर पर बलात्कार मामले का आरोपी गोलू कोल उर्फ प्रमोद ने एसआई वेद प्रकाश ठाकुर को धारदार चाकू से हमला कर दिया है जिसके कारण पेट में लगभग 3 इंच तक घुसे चाकू को निकालने और स्वास्थ्य लाभ के लिए उन्हें मेडिकल कॉलेज शहडोल के लिए रेफर कर दिया है।  आरोपी ने पुलिस पर धारदार चाकू से हमला किया बेखौफ अपराधी के हौसले इतने बुलंद है कि वर्दीधारियो को भी निशाना बनाने से नही चूक रहे है……

सवाल यह भी है की थाना नरोजाबाद आदिवासी स्तर के अपराधियों का इस प्रकार का मनोबल क्यों बढ़ा हुआ है। तो जवाब यह भी है कि जब अपराधियों को यह आभास होने लगे कि पुलिस व्यवस्था में और अपराधियों में कोई अंतर नहीं है पुलिस की व्यवस्था सिर्फ भय पैदा कर अपराधियों के साथ सौदा-गिरी करती है तब आपराधिक मानसिकता वाला आरोपी निर्भय होकर पुलिस के साथ आम आदमी की तरह आपराधिक घटना कर जाता है। दूसरा पक्ष यह भी है आदिवासी बहुल क्षेत्र में नरोजाबाद थाना की निष्पक्षता अपराधियों की मध्यस्थता का केंद्र बनकर रह गया है और यदि इस प्रकार से मध्यस्थता नहीं हो पाती है तब पुलिस कानून का रुक कर मामले को निपटाती है। यह मानसिकता भी अपराधियों के मनोबल को बढ़ाता है। और कानून व अनुशासन का स्वाभाविक भय अथवा दबाव आम नागरिक में खत्म होता जाता है। जिसका परिणाम कभी-कभी इतना ही खतरनाक हो सकता है जितना कि इस बार एसआई ठाकुर के साथ हुआ ।

अपराधिक मध्यस्थता

नौरोजाबाद थाने की बड़ी कमजोरी

किंतु महत्वपूर्ण प्रश्न है की आदिवासी स्तर के व्यक्ति इस तरह निर्भय होकर अपराध कैसे कर बैठते हैं...? और अगर चाकू की जगह है उसके हाथ में बम या बंदूक होती तो वह उसका भी उपयोग कर सकता था।

 यह बहुत चिंताजनक बात है हम पूर्व में भी लिखते चले जा रहे हैं कि नरोजाबाद थाना का सूदखोर उमेश सिंह के साथ गहरा तालमेल है क्योंकि उमेश सिंह एक दबंग बाहरी व्यक्ति है जो स्थानीय कर्मचारियों वह सीधे साधे आदिवासी लोगों को दबाकर सूदखोरी का कारोबार करता रहा है इसी में एक केवल सिंह नामक व्यक्ति से करीब 17 लॉख रुपए उसके द्वारा ठगा गया और जब पुलिस के पास शिकायत पहुंची तो पुलिस थाना ने बजाए गंभीर कार्यवाही कर आदिवासी केवल सिंह को न्याय दिलाने के उमेश सिंह के पक्ष में मध्यस्थता करते हुए कथित समझोता नामा तैयार करा कर केवल सिंह की जीवन भर की कमाई को लुट जाने दिया। कई वर्षों से केवल सिंह अलग-अलग जगह भटक रहा है किंतु पुलिस थाना अब उसे यह कहने में जरा भी संकोच नही करती है कि करीब 17 लाख का समझौता ढाई लाख रुपए मैं चुकता करने का काम केवल  ने क्यों किया था...?

 यही का सूदखोर आरोपी उमेश सिंह किसी पुलिस वाले के साथ किया होता तो अभी तक वह शहडोल के ऑपरेशन शंखनाद के तर्ज पर किसी जेल में बंद होता किंतु स्थानीय आदिवासी केवल सिंह को उसकी बीमारी/ बदहाली व बर्बादी के लिए पुलिस थाना नरोजाबाद ने कुछ इस कदर ला खड़ा कर दिया है किसी शिवाय नरोजाबाद थाने को कोसने के और कुछ नहीं कर पा रहा है। इसी प्रकार घटनाओं से अपराधियों व पुलिस  में अंतर नहीं रह जाता है। और जब धारणा पुलिस के बारे में इस प्रकार से विकसित हो जाती है तो कानून का भय अपराधियों में खत्म हो जाता है। तब कोई गोलू कोल किसी भी पुलिस वाले के साथ इस प्रकार का दुस्साहस कर बैठता है।

 अन्यथा पुलिस का अनुशासन और देशभक्ति का उसका रुतबा अपराधियों को थर थर कांपने के लिए विवश कर देते हैं इस घटना से हमें यह सीखना चाहिए कि पुलिस को अपनी कार्यप्रणाली के प्रति आम नागरिक के प्रति हर आरोपी में वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा कि पुलिस का किसी आरोपी के साथ होता है। निश्चित तौर पर चाकूबाजी की इस घटना की पृष्ठभूमि की उच्च अधिकारी जांच करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि आखिर कैसे कोई आदिवासी गोलू कोल भरे बाजार में एसआई ठाकुर पर हमले का दुस्साहस कर बैठा ताकि अन्य पुलिस कर्मचारियों पर इसका दुष्प्रभाव ना पड़े अन्यथा करने को तो कानपुर में विकास दुबे ने पहले पुलिस वालों को मारा फिर बाद में पुलिस वालों ने उसे मध्यप्रदेश मैं पकड़ा  और उसकी पारदर्शी तरीके से कार पलटा कर उसे भगा कर हत्या कर दी किंतु यह कोई कानून व्यवस्था नहीं है। यह तो गुंडाराज है कभी पुलिस की गुंडई चल गई तो कभी अपराधियों की.... इससे कैसे बचा जा सकता है निश्चित तौर पर इस पर पारदर्शी कार्यवाही होनी चाहिए। शहडोल जैसे आदिवासी पुलिस जोन में यह गलत कदम है जिस पर तत्काल सकारात्मक अंकुश लगना चाहिए। एसआई वेदप्रकाश ठाकुर की शीघ्र स्वस्थ होने की हमारी कामनाएं  है।


रविवार, 19 सितंबर 2021

राही मनवा दुख की चिंता क्यों सताती है...... (त्रिलोकीनाथ)

प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम् -6

रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड

याने इवेंट पर इवेंट 


राही मनवा दुख की

(त्रिलोकीनाथ)

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड का धंधा करने वाले मल्टीनेशनल कॉर्पोरेट को अपना धंधा भारत में बंद कर देना चाहिए क्योंकि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ते चले जा रहे हैं। पिछले दिनों एक रिकॉर्ड और बनने का अवसर कोरोना-भाईसाहब ने दे दिया। 1 दिन में ढाई करोड़ से ज्यादा वैक्सीनेशन हो गए इसके पहले भारत का रिकॉर्ड था जो मोदी जी के जन्मदिन मनाने के चक्कर में पूरे भारत के कर्मचारी इस महान वैक्सीनेशन कारोबार में लगकर रिकॉर्ड बनाने का काम किए हैं।

 पिछले 7 वर्षों की मोदी जी के शासन को देखें तो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास भी लूटते हुए लगातार रिकॉर्ड टूट रहे ।चाहे दो करोड़ रोजगार देने का झूठ का मामला हो या 15लाख रुपए हर खाते में आने का मामला हो य राम मंदिर निर्माण का मामला हो अथवा जम्मू कश्मीर मि 370 हटाने का मामला हो  तीन तलाक का मामला भी उसमें एक है ।अब सी ए ए सीएबी सीएसई पीपीपी मॉडल से बनाने के अपने अपने रिकॉर्ड रोज  टूट रहे हैं। एक रिकॉर्ड दिल्ली की सड़कों पर भी बना की दो व्हीलर्स अथवा देसी पथ गामिनी यान बैलगाड़ी ट्रैक्टर आदि उस पर नहीं चलेंगे। सड़क बनाई इसलिए गई थी कि उसमें सबका साथ, सबका विकास होगा लेकिन यहां भी विश्वास लूट लिया गया।

बी ओ टी से निर्मित सड़क अमरकंटक की घाटी में टूट के गिर गई।


 यही अंदाज अब मध्यप्रदेश में भी सरकार अपने शासन में मॉडल के रूप में ला रही है ऐसा बताया जाता है बस शहडोल के पर्यावरण और परिस्थितिकी का विनाश का रास्ता उस वक्त विकसित होते हुए प्रमाणित हुआ जब  बी ओ टी माध्यम से बनाई गई प्रदेश की शायद पहली या



दूसरी सड़क, "रीवा-अमरकंटक सड़क मार्ग" अपने लक्ष्य 25 वर्ष कार्य अवधि को पूरा करने के पहले ही अमरकंटक की घाटियों में टूट के गिर गई ।अब वह सड़क मार्ग प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद कर दिया है। लेकिन जब लगातार एक्सीडेंट हो रहे थे और दुर्घटनाएं हो रही थी तब तक सड़क मार्ग को बाणसागर के आसपास या छुहिया घाटी के पास ठीक नहीं किया गया बल्कि ऑफ द रिकॉर्ड सड़क को ही डायवर्ट कर दिया गया ताकि


50-55 लोग मर सके। यह भी एक विकास है इस हत्याकांड के लिए कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं ठहराया गया।।

 क्योंकि मुख्यमंत्री मानते हैं कि वह तो हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज के रास्ते आते जाते हैं तो उन्हें कैसे अनुभव होगा कि सड़क में दुर्घटनाएं भी होती हैं । यह तो सड़कें पकौड़ा चलने जैसा रोजगार मात्र है। इसीलिए 25 साल रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग के निर्माण पर पूरे भी नहीं हुए और उसे डामरीकरण से सीसी सीमेंट के रूप में विकसित करने का काम प्रारंभ हो गया। और शायद यही कारण था कि 55 लोग का बलिदान भी हो गया। क्योंकि जब सड़क का निर्माण होना है तो मरम्मत क्यों होगा...? हां मरम्मत के नाम पर जो धन खर्च होना है उसे नेता अफसर मिलकर बांट लेंगे और ऐसा ही होता रहा। अब इस हत्या को इवेंट के रूप में कैसे मनाया जाए यह एक चुनौती है ।

क्योंकि कोरोनावायरस में अगर 40 से 50 लाख लोग कथित तौर पर मरे हैं तो उसमें सकारात्मक नजरिया रखते हुए नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर वैक्सीनेशन का ढाई करोड़ का रिकॉर्ड एक उत्सव के रूप में मनाने का काम हुआ। शायद इसीलिए प्रदेश भाजपा सरकार केंद्र सरकार के इवेंट के मॉडल को अपना मॉडल बनाने में तुली हुई है। जैसे 80 करोड़ भारतीय गरीबों को किसी मंदिर या मस्जिद के सामने भीख ना मांग ना पड़े इसलिए 5 किलो का जब अनुदान राहत, जिसे वे "मुफ्त" में कहते हैं, देने का सोच पैदा हुआ। अकेले मोदी जी की दाढ़ी वाली फोटो के साथ जब भीख देने वाले झूले के साथ आई तो शिवराज सिंह जी ने उसे अपने मॉडल के रूप में तत्काल अधिग्रहित कर लिया और एक झोला में अपनी भी फोटो लगा दी मोदी जी की दाढ़ी वाली फोटो के साथ।

 किन्तु उन्होंने अभी तक दाड़ी नहीं बढ़ाई है अगर शिवराज सिंह की दाढ़ी बड़ी होती है तो यह भी एक इवेंट होता। जो होना शेष है ।

 चालू होगा जनसुनवाई कार्यक्रम

 सट्टे की बाजीगरी

तो परेशानी और समस्याएं के सट्टे के आंकड़े की तरह हमारे प्रदेश में फैले हुए हैं लोकप्रिय समाजसेवी सटोरिया बल्लू-पंडित सही वक्त में सही तीर नहीं लगाने से गांजा के आरोप में अपना "पकोड़ा तलने का धंधा" सब कुछ खोकर जिला जेल शहडोल का 10 करोड़ की बिल्डिंग में मेहमान बना हुआ है।

 हमारी भी संवेदना है अगर यह सटोरिया बाहर होता तो किसी सरकारी कार्यालय में जनसुनवाई


विभाग के जन्म से पैदा हुई सीएम हेल्पलाइन के आंकड़ों की बाजीगरी में उलझा रहता और उसमें भी कुछ ना कुछ रोजगार परक सट्टा जैसे महान स्कूल प्रोग्राम का इवेंट करता। क्योंकि एक सरकारी उच्चाधिकारी सीएम हेल्पलाइन जनित सट्टे की आंकड़ों की तरह विस्तृत भ्रामक समस्या से कैसे निपटा जाए उसे कैसे शासन और प्रशासन की कुशल योगिता का प्रमाण पत्र मिले इसमें व्यस्त दिखा। अपन भी उसको सलाह दे डाले, साहब जन अभियान परिषद के कार्य करने वाले कुशल स्वयं सेवकों की सहायता से जमीन पर इन समस्याओं का निवारण हो सकता है। क्योंकि बात समझाने की है समस्याएं जहां की तहां है।

 अपना अनुभव रहा है की मोहन राम मंदिर ट्रस्ट के मामले में सीएम हेल्पलाइन में जो कंप्लेन


महीनों य सालों पड़ी रही उसका निवारण हमें समझाने से हुआ की तहसीलदार के यहां न्यायालय में आवेदन लगा दीजिए आप का निराकरण तत्काल हो जाएगा। सीएम हेल्पलाइन बंद कर दीजिए, हमने कंप्लेन बंद कर दी।

 अब 1 साल से तहसीलदार सोहागपुर के यहां फाइल उसी तरह गुम हो गई जैसे कोरोना आम नागरिक गुम जाता है। 

लेकिन सीएम हेल्पलाइन की सट्टे की बाजीगरी में उच्चाधिकारियों को एक सफलता इसलिए मिल गई क्योंकि हमने कंप्लेन का निवारण पा लिया ।तो यह जनसुनवाई भी एक प्रकार का सट्टा बाजार है इसका निवारण अधिकारियों की बजाए सटोरियों से करवाना चाहिए ।क्योंकि वे आंकड़ों को हेरफेर करने में बेहद सफल रहते हैं। उन्हें मालूम है कि किस नंबर में कितने का दाम लगने वाला है। उस आधार पर जनसुनवाई के सीएम हेल्पलाइन के आंकड़े ताश की पत्तों की तरह है भरभरा कर गिर जाएंगे। किंतु दुखद है कि प्रधानमंत्री द्वारा पकोड़ा तलने को रोजगार बताने का कारोबार के बावजूद जनसुनवाई के आंकड़ों में सट्टा का सौंदर्य प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं दिख रहा है।

बेहतर होता कि जब जनसुनवाई अब चालू होने वाली है तो पिछले आंकड़ों को बट्टे खाते में डाल दिया। जैसे शहडोल के राम मंदिर प्रमाणित भ्रष्टाचार का समस्या बट्टे खाते में तहसीलदार के कार्यालय में गुम हो गया। अब कौन समझाए कि बल्लू पंडित को जब तक अधिकारी  नहीं बनाया जाएगा, जब तक उसे गांजे के झूठे प्रकरण से बाहर नहीं निकाला जाएगा, सीएम हेल्पलाइन की आंकड़ों का सट्टा बाजार लाभप्रद कारोबार का मुद्रीकरण नहीं बनने वाला है। और ऐसे में इवेंट को जिंदा रखना मुश्किल हो जाएगा ।

आखिर लोगों को कितनी बार मूर्ख बनाया जा सकता है या फिर आउट सोर्स जैसे तालिबानियों का प्रबंधन भी विकास के रास्ते तय कर सकता है क्योंकि सबका साथ सबका विकास सबके विश्वास से यूं ही नहीं चलने वाला है कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है यही प्रकृति का नियम है

 तो प्रत्यक्षण किम् प्रमाणम, बंधुओं 40 लाख की मृत्यु पर जन्मदिन इवेंट के रूप में कैसे कन्वर्ट होता है यह सीखना चाहिए क्योंकि हम तो दलित शोषित वंचित और पिछड़े आदिवासी क्षेत्र के निवासी हैं जहां इसी परिवार में यदि कोई एक व्यक्ति भी मर जाता है तो साल भर शोक मनाया जाता रहा है यही हमारा पिछड़ापन था



शनिवार, 18 सितंबर 2021

झटके में क्या गटकर गए, गडकरी जी.(त्रिलोकीनाथ)

भारतीय पूंजीवाद-तालिबान

 का नया चेहरा...?


झटके में क्या गटकर गए, गडकरी जी..

(त्रिलोकीनाथ)

इसमें कोई शक नहीं की पूंजीवादी विस्तार में नागपुर में जिस प्रकार के हाईवे/ मेट्रो आदि में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के निर्माण और विकास की जो चर्चा होती है उससे उस जमात में गडकरी बुद्धिमान व्यक्ति प्रतीत होते थे किंतु जो "फेक-वीडियो" सामने आया है उससे लगता है की क्रूर पूंजी पतियों में भी बुद्धिमान गुलाम पालने की अच्छी कला आती है।

तालिबान आंदोलन जिसे तालिबान या तालेबान के नाम से भी जाना जाता है, एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है जिसकी शुरूआत 1994 में दक्षिणी अफ़ग़ानिस्तान में हुई थी। तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी । ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैंतो पूंजीपति का कट्टरपंथ क्या गडकरी का वास्तविक चेहरा है जैसा कि भाजपा के कभी थिंक टैंक गोविंदाचार्य ने अटल बिहारी वाजपेेेई के लिए कहा कि वे तो मुखौटा है। उनके अनुसार क्या गडकरी भी एक  वास्तविक मुख है ...?

 जिन्हें भारत की स्वतंत्रता से नफरत लगती है उस जमात के लोगों की नजर में भारत में जो फोकट बाज है उसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार,दिव्यांग, भारत की आधी आबादी महिलाये आदि-आदि भारत में फोकट का खाते हैं, व रहते हैं ।ऐसा पूंजीपति मल्टीनेशनल की प्रवक्ता की भाषा से लगता है। धोखे से ही सही अगर यह बात उस जमात के सबसे गंभीर आदमी की मुंह से निकली है जिसे हम फैक-वीडियो समझते हैं किंतु जिस प्रकार से वीडियो वायरल हुआ है और जिस प्रकार इसका खंडन नहीं हो रहा है उससे लगता है यह सही है ।

 अगर यह सही है तो स्वतंत्र भारत का संविधान हाईजैक हो चुका है और इसे मंत्री का नकाब पहने उस जमात के लोगों ने हैक कर लिया है। ऐसा समझना चाहिए ।तो पहले भाषा को समझें क्या कहा अब तक बुद्धिमान दिखने वाले नितिन गडकरी ने...

अब बात इसकी कि क्या यही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पसंद वाले गडकरी का सच है, अगर सच है तो भविष्य के गुलामी की यही हकीकत है। जो पूंजीवादी हमारेेे संसाधन में मल्टीनेशनल केे लिए विकास का रास्ता खोलती है। जिसमें आम आदमी ,स्वाभिमनी समाज, दलित पिछड़ेे वंचित लोगों तथा भारत की आधी आबाद भारतीय महिलाओं के लिए के लिए कोई जगह नहीं होगी।
 तो क्या यही है नया इंडिया। तो एक फिल्म का जिसकेेेे नायक मनोहर सिंह थे उसे भी देखें कि क्या आज के नेता का यही चेहरा है और उसके लिए तैयार भी रहे।

क्योंकि ऐसे नेता माफी मांगना नहीं जानते उन्हें मालूम है यह भाषा और सोच उनकी संस्कार का हिस्सा है उन्हें भारत के लोकतंत्र में षड्यंत्र करके सिर्फ भारतीय संसाधन को बड़ा बाजार बनाकर लूटने का रास्ता ढूंढना होता है। क्योंकि वे संस्कार रुप से गुलाम है और अपने सपनों के भारत के लिए काम कर रहे हैं।

 इसीलिए शहडोल जैसे संविधान में संरक्षित पांचवी अनुसूची में शामिल आदिवासी विशेष क्षेत्र मैं भी खुलेआम कानून व्यवस्था की मंशा के खिलाफ लूट का आलम होता है। कहीं-कहीं जब कार्यपालिका का जमीर उनका संविधान जगाता है तो एक्सीडेंटल रेत माफिया जैसी कोई छोटी मोटी कार्यवाही भी हो जाती है जिससे आम आदमी अपने स्वतंत्र भारत पर गर्व करता है। कि धोखे से ही सही देश अभी स्वतंत्र है किंतु तालिबान के अंदाज में भारतीय तालिबानी सत्ता में इसी प्रकार से अपनी भाषा में होने का एहसास कराते रहते हैं ।गडकरी की भाषा भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का और भारतीय पत्रकारिता के लिए अपमान भरा इतिहास है। जो बहुत ही निंदा जनक है।उनका जमीर जरा भी जिंदा हो तो तत्काल माफी मांगना चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे कयोंकि तालिबानी कभी ऐसा नहीं करते। उनके नजर में ना तो स्वतंत्रता की इज्जत है, ना महिलाओं की, ना पत्रकारों की... यही नया इंडिया का नया रामराज्य भी है...?


पर्यावरण की चिंता ......विसर्जन रथ बनाए गए

 पर्यावरण की चिंता ......विसर्जन रथ बनाए गए


कलेक्टर ने  श्री गणेश मूर्तियों का  विसर्जन-रथ पर ही विसर्जित करने की अपील


शहडोल 18 सितंबर 2021- कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य एवं नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती उर्मिला कटारे ने जय स्तंभ चौक शहडोल में नगर पालिका शहडोल द्वारा गणेश विसर्जन हेतु बनाए गए गणेश विसर्जन रथ का अवलोकन किया तथा कलेक्टर ने रथ के संबंध में नगर पालिका अधिकारी से जानकारी प्राप्त की निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने शहडोल नगर के लोगों से अपील करते हुए कहा कि भगवान गणेश जी की मूर्ति श्री गणेश विसर्जन रथ पर ही विसर्जित करें। उन्होंने कहा कि नगर पालिका द्वारा 5 विसर्जन रथ चलाए जा रहे हैं, जिनमें घरों की स्थापित प्रतिमा विसर्जन रथों में ही रखें और मूर्ति को विसर्जन रथ में रखने से पूर्व पानी में अघुलनशील प्लास्टिक आदि की सजावट हटा दें, जिससे विसर्जन करने के बाद वे अघुलनशील वस्तुएं मछली आदि की मौत का कारण ना बने।

कलेक्टर ने निर्देशित किया कि मूर्ति विसर्जन रथों को साफ सुथरा एवं स्वच्छ रखना सुनिश्चित करें। विसर्जन के समय आवश्यक सावधानी एवं सतर्कता आवश्यक रूप से बरती जाए तथा किसी भी व्यक्ति को गहरे पानी में उतरने की अनुमति ना दी जाए जिससे दुर्घटनाओं को रोका जाए।



अभयानंद शर्मा बने तहसीलदार ब्योहारी

 


अभयानंद शर्मा को मिला  तहसीलदार ब्योहारी का प्रभार

विवादित   रॉबिन शहडोल  होंगे नायब तहसीलदार

तत्कालीन व्यवस्था के मद्देनजर कलेक्टर श्रीमती बंदना वैद्य ने शहडोल के नायब तहसीलदार अभयानंद शर्मा को ब्यौहारी का तहसीलदार नियुक्त किया है इसके साथ ही विवादित हो चुके रॉबिन जैन को शहडोल में नायब तहसीलदार के रूप में नियुक्त किया है



भारतीय संसद महामारी कोविड और कैंसर का खतरे मे.....: उपराष्ट्रपति

  मुंबई उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  राम राज्य में और अमृतकाल के दौर में गुजर रही भारतीय लोकतंत्र का सं...