रविवार, 26 सितंबर 2021

लापरवाही से मौत देवांता अस्पताल सील

 लापरवाही से मौत

 देवांता अस्पताल सील

शहडोल 26 सितंबर 2021-  अपर कलेक्टर एवं अपर जिला मजिस्ट्रेट  अर्पित वर्मा  की अगुवाई में एक जांच दल  जिसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम.एस. सागर, जिला चिकित्सालय के प्रभारी अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुन्द चतुर्वेदी


तथा आई.एम.ए. के जिला अध्यक्ष डॉ. एस.सी. त्रिपाठी को शामिल किया गया था । उन्होंने बताया कि स्थानीय देवांता अस्पताल पहुंचकर समस्त रिकार्डों का परीक्षण जांच समिति के समक्ष उपस्थित चिकित्सक एवं चिकित्सकीय स्टॉफ के बयान के आधार पर तथात्मक जांच के आधार पर पाया गया कि प्रथम दृष्टया जांच में  अनियमितताएं पाई है। 

जांच में पाया गया कि मृतिका श्रीमती पुष्पा् पति संतोष राठौर उम्र 32 वर्ष निवासी ग्राम चोरभठी, थाना जैतहरी जिला अनूपपुर म.प्र. को जिला चिकित्सालय अनूपपुर में इलाज कराने के पश्चात देवांता अस्पताल शहडोल में भर्ती किया गया, जिसमें चिकित्सक द्वारा संभावित डाग्यरनोसिस (सीकेडी विथ सेफ्सिस) लिखा था। मृतिका की हिस्ट्री एवं जांच रिपोर्ट से यह प्रमाणित नहीं होता कि मरीज सीकेडी क्रॉनिक किडनी डिसीस) की मरीज थी। मृतिका को भले ही स्‍पेशलिस्ट  डॉ. दीपक पॉल ने समय उपरांत देखा था, परंतु उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर इस डाग्यरनोसिस के अतिरिक्त कोई भी अपना मत न दिया जाना यह प्रतीत होता है कि मेडिकल स्पेशलिस्ट के द्वारा कोई भी अतिरिक्त इलाज, जांच आदि नहीं किया गया है।  डॉ. दीपक पॉल के नाम से अधिकतर मरीज का जांच किया जाना इस अस्पताल में दर्ज है, जबकि डॉ. दीपक पॉल इस स्थान के अतिरिक्त श्याम केयर अस्पताल में भी अपनी नियमित ओ.पी.डी. एवं अन्य. सेवाएं देते है। ऐसे में मरीजों को समय पर विजिट कर कन्स‍ल्टेसन दे पाना संदिग्ध प्रतीत होता है। 

डॉ. दीपक पॉल द्वारा स्वयं बताया गया है कि उनके द्वारा मरीजों को केवल् चिकित्सकीय सलाह दी जाती है उसके बाद उक्त् मरीज का इलाज किया गया अथवा नहीं किया गया इसकी मानिटरिंग उनके द्वारा नहीं की जाती। मृतिका की हिस्ट्री में 09 सितम्बर 2021 को जहरीली दवा लेने से तबीयत खराब होना बताया गया तथा जांच में पाया गया कि केस सीट में किसी भी चिकित्सक का नाम अंकित नहीं था। केस सीट में ओव्हर राईंटिंग एवं मैनुपुलनेशन पाया गया । जांच कमेंटी के समक्ष डॉ. दीपक पॉल द्वारा 13 सितम्बंर 2021 को लेख किया गया था कि मरीज की हालत अत्‍यंत खराब है। उनके परिजनों को सूचित किया जाय। जांच में पाया गया कि वाईटल चार्ट में ओव्हर राईंटिग तथा कई स्थानों पर हस्ताक्षर नहीं पाये गये। जांच में पाया गया कि रजिस्टर में कांट-छांट ओव्ह्रराईंटिग की गई अस्पताल प्रबंधन द्वारा मनामाना बिल 70,100/- रूपये का दिया गया। उसके अतिरिक्त डायलिसि‍स के लिए अलग से फीस ली गई।

 मरीज की हालत गंभीर होने के बावजूद इलाज में मरीज के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई गई। अत्यंत गंभीर स्थिति में मरीज के गंभीर होने के बाद भी बेहतर उपचार के लिए उच्च चिकित्सकीय संस्थांन हेतु संदर्भित (रेफर) नहीं किया गया। मुख्य  चिकित्सा  एवं स्वास्थ्य  अधिकारी द्वारा 15 सितम्बर 2021 को नर्सिग होम एवं क्लीनिक के रूटिन निरीक्षण के दौरान देवांता अस्पताल को कारण बताओं नोटिस भी दिया गया था। लेकिन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कोई सुधार नहीं किया गया। 

जांच में पाया गया कि मृतिका के जांच संबंधी रिकार्ड पूर्ण मौके पर नहीं मिले उपस्थित स्टॉफ द्वारा इलाज के अधिकतर बिन्दुओं पर अनभिज्ञता जाहिर की गई। अस्पताल हेतु आवश्यक स्टाफ की सूची एवं भौतिक सत्यापन नहीं किया जा सका। मृतिका से संबंधित सभी रिकार्ड अस्त व्यस्त पाये गये। मृतिका के डायग्नोंयस जांच इलाज में लापरवाही पाई गई तथा 22 सितम्बर 2021 को शायं 05:00 बजे मृतिका के परिजनों द्वारा 30,000/- रूपये जमा करना प्रमाणित पाया गया एवं दवा का 40,000/- का बिल अलग से पाया गया। जांच समिति द्वारा यह भी पाया गया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्वयं के निर्धारित शुल्क  से ज्या्दा शुल्क लिया गया है एवं फिजियोथेरेपी चार्ज भी लगाया गया है, जिसका इस केस से कोई संबंध नहीं है। अतएव अनावश्यक चार्ज लेना प्रमाणित हो रहा है। जांच समिति के समक्ष देवांता अस्पोताल के संचालक डॉ. बृजेश पाण्डेाय एवं डॉ. बी.के. त्रिपाठी उपस्थित नहीं हुए और बार-बार कॉल करने के बाद भी उनके फोन बंद पाये गये। जांच समिति के द्वारा यह पाया गया कि जहर खाने के कारण गंभीर मरीज को बेहतर उपचार हेतु उच्चं चिकित्सकीय संस्थान हेतु रेफर एवं त्वंरित कार्यवाही हेतु पुलिस सूचना न देना घोर लापरवाही का घोतक है। अस्पताल प्रबंधन एवं चिकित्स‍क मेडिकल लीगल केस होने के बावजूद साक्ष्यों  को छिपाने की दृष्टि से पुलिस प्रबंधन को सूचना नहीं दी गई। 

 यह भी पाया गया कि देवांता अस्पताल होम्योंपैथिक चिकित्सकों द्वारा संचालित किया जा रहा है जबकि जांच आदि के लिए एलोपैथिक चिकित्सक का होना आवश्यक है।

 प्रकरण की गंभीरता एवं देवांता अस्पताल प्रबंधन की चिकित्सकीय लापरवाही एवं उदासीनता प्रथम दृष्टया प्रतीत होने से जांच समिति द्वारा देवांता अस्पंताल का पंजीयन अग्रिम आदेश तक निरस्त किये जाने की अनुसंशा की गई है तथा यह भी निर्देशित किया गया कि अनाधिकृत चिकित्सकों जिनके पास वैध डिग्री/प्रमाण पत्र नही है, उनके द्वारा इलाज न किया जाय अन्यथा जिला प्रशासन द्वारा आगे भी इसी प्रकार कार्यवाही की जारी रहेगी। 

म.प्र. उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं (रजिस्ट्री करण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 (क्रमांक/47 सन् 1973 राज्यपाल के प्राधिकार द्वारा प्रदत्त‍ अधिकारों के तहत देवांता अस्पताल का रजिस्ट्रेशन किया गया था तथा उक्त अधिनियम का पालन न करने के कारण देवांता अस्पताल रजिस्ट्रेशन निरस्त किये जाने की अनुशंसा की गई है एवं देवांता अस्पताल को मौके पर ही जांच दल द्वारा सील किया गया


 

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