रविवार, 31 मई 2020

मामला जैसिंहनगर के हनुमान सागर तालाब का


* ₹65 लाख में होना है सौंदर्यीकरण... * परिषद से संबंधित है 25 अतिक्रमण कारी
* चिन्हित अतिक्रमणकारियों के लिए कोई नहीं है योजना 
*पहले भी हो चुका है गहरीकरण ...

(दिनेश प्यासी की खास रिपोर्ट )

जैसिहनगर के मध्य में स्थित बस स्टैंड के ठीक पीछे हनुमान सागर तालाब को पूर्व में भी अतिक्रमण मुक्त कराकर जनहितकारी पार्क व पर्यटन प्लेस बनाने के प्रयास किए गए थे किंतु अतिक्रमण और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण अब तक हनुमान सागर तालाब का समुचित विकास नहीं हुआ है। अब सूत्र बताते हैं कि करीब ₹6500000 के बजट पर हनुमान सागर तालाब को नगर के मध्य का आकर्षण कार्य मॉडल तालाब बनाने की तैयारी हो रही है। 
जिसके आड़े में वे अतिक्रमण कारी आ रहे हैं ,जिन्होंने अपने आवास के लिए तालाब के मेड़ पर अवैध कब्जा कर रखा है ।  
    खबरों के अनुसार इसी प्रकार का कब्जा शहडोल के सर्किट हाउस के सामने पेनांग तालाब पर किया गया था । जिस पर तत्कालीन पालिका प्रशासन ने जिला प्रशासन की मदद से लोगों को चिन्हित करते हुए आवास योजना के तहत उन्हें अन्य जगह आवास उपलब्ध कराया गया ताकि कोई भी नागरिक आवास हीन ना हो सके और तालाब का सौंदर्यीकरण में भी कोई बाधा ना आए।
 इस हेतु जैसीहनगर क्षेत्र के नागरिकों का एक दल आज अनु0 दंडाधिकारी से मिलकर समुचित निराकरण के पक्ष में कार्य करने की मांग कर सकता है। यहां बताना उचित होगा कि जैसीहनगर में इसी तालाब के बगल में नगर परिषद का सुलभ शौचालय है जिसे समुचित तरीके से उपयोग किए जाने पर तालाब को खुले शौच और सौंदर्यीकरण के बागवानी सिंचाई हेतु पृथक से मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी किंतु जैसा कि अक्सर होता है तालाब में तालाब की जरूरतों के हिसाब से उसके प्राकृतिक स्वरूप को हस्तक्षेप कर दीएजाने से तालाब में जल संकट हमेशा के लिए खड़ा हो जाता है। इसलिए समुचित विशेषज्ञ से तालाब के प्राकृतिक वर्षा जल आवक के सभी रास्तों को इसके साथ ही वॉटर डिलीवरी का सिस्टम भी विकसित करना उचित होगा। ताकि जल की शुद्धिकरण नियमित बनी रहे।
 कोरोनावायरस के आतंक से मुक्त होने के प्रयास में यह पहला निर्माण कार्य होगा जो सार्वजनिक हित का लोकउपयोगी होगा ।इसके लिए निर्माण एजेंसी नगर 
 परिषद को नियुक्त किया गया है ।
 देखना होगा कि सार्वजनिक हित के इस महत्वपूर्ण हनुमान सागर तालाब के लिए आम जन की भावनाओं के अनुरूप उनके विचारों का समावेश करके प्राकृतिक परिवेश में तालाब सौंदर्यीकरण को नगर पंचायत परिषद कितना अच्छा स्वरूप देने में सफल होती है....।
 एक अन्य सूत्र के अनुसार तालाब का मूल रकवा राजस्व अभिलेखों में विवादित होने के कारण तालाब के स्वरूप को भी परिवर्तित करने के प्रयास हो रहे हैं, कहीं ऐसा ना हो की सौंदर्यीकरण के चक्कर में बजट को जल्द खत्म करने के प्रयास में तालाब का मूल स्वरूप ही क्षत-विक्षत ना हो जाए..

अखबारी कतरन 1.06.2020

अखबारी कतरन 
    1.06.2020
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और अंत में.... 20 साल पहले




TOP10 AT 8PM 31.5.20

TOP10 AT 8PM        31.5.20
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राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि भारतीय पत्रकारिता के इतिहास की विरासत और वैचारिक प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेकर आज की आवश्यकताओं के अनुरूप पत्रकारिता का दिशा दर्शन समय की आवश्यकता है। ।
राजभवन से हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सात दिन-सात व्याख्यान के शिक्षा, पत्रकारिता और जीवन मूल्य विषय पर आयोजित ऑन लाइन शुभारम्भ सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि भारत में मिशन के रूप में पत्रकारिता का शुभारम्भ हुआ था। इसका आधार भावनाओं को जनमानस तक पहुँचाने का प्रयास था। देश की गुलामी के विरोध में जो भावनाएँ बनी थी। उनको प्रसारित करना था। पत्रकारों ने इसके लिए बड़ी-बड़ी कुर्बानियाँ दीं।


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मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा कंपनी कार्यक्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में अब बिजली उपभोक्ताओं से चेक़ के माध्यम से बिजली बिल का भुगतान एवं ऑफलाइन माध्यम से नये कनेक्शन  के आवेदन स्वीकार नहीं किये जाएंगे। यदि किसी व्यक्ति को बिजली का नया कनेक्शन लेना है तो उसे  बिजली कंपनी के portal.mpcz.in/UPAY App पर जाकर नए कनेक्शन का आवेदन ऑनलाइन करना होगा। यह व्यवस्था एक जून से लागू हो गई है। 

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शिवराज पुनश्च उवॉच  , कहा है कि
"प्रधानमंत्री मोदी मैन ऑफ आइडियाज" है। अद्भुत नेता है। उनकी प्रेरणा हमें काम करने के लिए नया उत्साह देती है। लोक कल्याण की भावना उनकी वाणी से प्रकट होती है। 


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 वक्त के अंदाज में गुजर चुकी स्कूटर को अपने जादूगर हाथों से बनाने वाले बुढार रोड शहडोल के मामू नामक मिस्त्री के द्वारा पड़ोसी पर हमला करने का प्रयास आरोप लगा है, ठारवानी टीवी पैलेस के संचालक देवेन्द्र ने इसकी शिकायत शनिवार को घटना के तुरन्त बाद कोतवाली में की, पुलिस ने इस मामले में मामू को तलब भी किया, लेकिन मामला संगीन न होने के कारण पुलिस ने उसे छोड़ भी दिया।


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 कमिश्नर शहडोल नरेश पाल ने सेवा निवृत्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
अधिकारी डाॅ0 ओपी चौधरी एवं सहायक अधीक्षक नन्नेलाल मशराम को  साल एवं श्रीफल  से सम्मानित किया गया एवं उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। समारोह को सम्बोधित करते हुए  सेवा निवृत्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 ओ0पी0 चैधरी ने कहा कि वर्ष 1982 से  चिकित्सक के रूप में कार्य  किया। श्री नन्नेलाल मशराम ने कहा कि
लगभग 42 वर्षो तक शासकीय सेवा का निवर्हन किया । 



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विजयमत दफ्तर पहुंचे एडीजी
जी.जनार्दन रावने अनुभव किए साझा। आईपीएस की तैयारी कर रहे युवाओं को दिया कॅरियर मंत्र। टीम  व्यक्तिगत एवं प्रशासनिक जीवन के बारे में विस्तार से की चर्चा। बोले- किताबो से मित्रता कर लें, सफलता अवश्य मिलेगी।


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हाई कोर्ट ऑर्डर्स का होता है भ्रामक इस्तेमाल सोहागपुर बीईओ चंदेल के बाद डाइट शहडोल में मंगलानी की मनमानी स्वयं को बताया स्थाई प्राचार्य मंगलानी विवाद के कारण पूरे कर्मचारियों की रुकी की तनख्वाह धरना आंदोलन का बना था वातावरण

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सवा पांच हजार प्राणों का बलिदान लेकर करोना संक्रमितओं की संख्या भारत में 186000 के ऊपर पहुंची
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बस एक कदम दूर है पाकिस्तान को खतरनाक संक्रमित राष्ट्रों की श्रेणी में पहुंचाने के लिए चाइना बना बॉर्डर लाइन
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भारत में कलसेखत्म हो जाएगा लॉकडाउन... 
और चालू हो जाएगा और अनलॉक 1...
मध्यप्रदेश में 15 जून से
खत्म हो सकता है लॉकडाउन


 आज मोहनराम तालाब में पुलिस ने गस्त  किया , कारण अफवाह फैली 2 माह की बच्ची का शव मिला किंतु वह गर्भस्थ शिशु की बात निकली पुलिस ने लगे हाथ कोविड-19 की कड़ाई पर दिया ध्यान...



स्वयंभू बी ई ओ के बाद अब स्वयंभू डाइट प्राचार्य बने मंगलानी

डाइट बना,
 अंधेर नगरी...
स्वयंभू बी ई ओ के बाद अब स्वयंभू डाइट प्राचार्य बने मंगलानी हाई
कोर्ट का स्टे आर्डर बना झुनझुना.
(राजकुमार की खास रिपोर्ट)
जब यह महसूस होने लगे कि सिस्टम भ्रष्ट है, भ्रष्टाचार ही सिस्टम की ताकत है और उस पर बात यदि उस विभाग की हो जहां नैतिकता और कर्तव्य बोध का पाठ पढ़ाया जाता हो तब कम से कम यह तो अपेक्षा होती ही है जब तक सक्षम प्राधिकारी कर्तव्य पालन के लिए निर्देश न दें कब तक किसी को भी अपनी तानाशाही और मनमानी के साथ सिस्टम को चलाने की नहीं सोचनी चाहिए।
    यही गलती सोहागपुर के खंड शिक्षा अधिकारी रहे एसपीएस चंदेल ने हाईकोर्ट के स्टे आर्डर का एक झुनझुना लाकर विभाग के लोगों को दिखाया और कुशल मदारी की तरह उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी सोहागपुर का काम करने लगा । क्योंकि अधीनस्थ अधिकारी श्रीमती सावित्री शुक्ला अपने अफसर की बातों को सच मान बैठी। तो कानूनी दृष्टिकोण से उन्होंने भी एक बड़ी चूक कर डाली, यह अलग बात है की इन तकनीकी दोषों की वजह से आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त आरके श्रोती को मूकदर्शक बनकर सब होते देखने रहने  का भी दोष दंड भुगतना पड़ेगा...., यह भी अलग बात है की जब पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट हो तो कौन किसको दंड देता है।
    शायद इसी व्यवस्था को आंख मूंदकर विश्वास कर लेने के कारण ही अब इन्हीं शिक्षकों को ट्रेनिंग देने वाला जिले का महकमा डाइट प्रशिक्षण संस्थान में  कभी प्राचार्य रहे आरके मंगलानी भी अपनी मनमानी कर बैठे और उच्च न्यायालय के आड़ में कलेक्टर को भी ठेंगा बता दिए तथा बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के निर्देश के अथवा आदेश का इंतजार किए वे स्वयं स्वयंभू-प्राचार्य
   बताते चलें कि मंगलानी शायद जिनके मुंह में डाइट का खून लग गया है वे उसे छोड़ना ही नहीं चाहते और जब तत्कालीन कलेक्टर ने उन्हें वहां से अपदस्थ कर दिया तो वे उच्च न्यायालय से स्टे का झुनझुना लाकर मदारियों की तरह शहडोल डाइट को जाने लगे। जिसका नतीजा यह हुआ की पिछले कई महीने से वहां कर्मचारियों को अपने वेतन के लाले पड़ गए थे और कर्मचारी एकजुट होकर कलेक्टर के समक्ष धरना आंदोलन की चेतावनी दे दिए थे।
    बहरहाल अब जबकि कोरोनावायरस में प्रशासन का दिमाग प्राथमिकता की ओर लगा है, आरके मंगलानी ने स्वयंभू प्रचार बनकर डाइट का कामकाज गुंडागर्दी के साथ संभाल लिया है और पूर्णकालिक प्राचार्य के रूप में आदेश भी जारी करने लगे हैं । इसी को कहते हैं "अंधेर नगरी-चौपट राजा" यदि डाइट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान , अनैतिकता और कानून का पालन भ्रष्टाचार के कारण गर्त में जा रहा है तो उच्च न्यायालय के आदेश की क्या औकात उसे जो चाहे जैसे भी झुनझुना की तरह इस्तेमाल कर अपने हिसाब से सिस्टम में भ्रष्टाचार के अवसर खोजता है....
 देखना होगा मामला सामने आने के बाद प्रशासन की क्या कोई सोच बनती भी है..?

लो, अच्छे दिन.... आ गए..? अनूपपुर में 17 कोरोना संक्रमित हुए चिन्हित। (सुशील शर्मा)

लो, अच्छे दिन.... आ गए..?

अनूपपुर में 17 कोरोनावायरस के 
संक्रमित हुए चिन्हित
(सुशील शर्मा)
 कलेक्टर अनूपपुर के सूचना के अनुसार मुंबई से आए 2 व्यक्ति जिनमे कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उनके साथ आए प्राथमिक सम्पर्क के 12 व्यक्तियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। उल्लेखनीय है कि ICMR-NIRTH जबलपुर से शनिवार देर रात आई 38 रिपोर्ट में से 12 व्यक्तियों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट प्राप्त होते ही सभी 12 व्यक्तियों को रात में ही ज़िला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में शिफ़्ट कर दिया गया है। ये सभी व्यक्ति क्वॉरंटीन सेंटर में रहे हैं। अनूपपुर ज़िले में स्थानीय निवासियों से उनका कोई सम्पर्क नही रहा है।
 इस प्रकार अनूपपुर ज़िले में अब तक कुल 17 पॉज़िटिव प्रकरण प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से 3 व्यक्ति स्वस्थ होने पर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। वर्तमान में कोरोना पॉज़िटिव ऐक्टिव प्रकरण की संख्या 14 है। सभी 12 व्यक्तियों (सभी पुरूष) का स्वास्थ्य स्थिर है एवं उनमें कोई भी लक्षण परिलक्षित नही है। इनमे से 11 व्यक्ति 18-30 वर्ष आयु वर्ग के हैं, एक व्यक्ति की आयु 60 वर्ष है। सभी का स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार उपचार किया जा रहा है।
 उक्त 12 व्यक्तियों के प्रारम्भिक सम्पर्क में आए लोगों को भी आइसोलेट कर लिया गया है एवं सैम्पल जाँच हेतु भेजे गए हैं। क्वॉरंटीन सेंटर दमहेड़ी तथा ग्राम देवरी एवं दमहेड़ी एवं उसके 500 मीटर के इलाक़े को कंटेनमेंट ज़ोन बनाया गया है एवं आवश्यक कार्यवाही की जा रही हैं।

 अपील है कि घबरायें नहीं, कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक दिशा
निर्देशों का अनुपालन करें एवं सतर्क रहें, सुरक्षित रहें।
 कलेक्टर अनूपपुर ने कहा है इसके साथ ही ऐसे व्यक्ति जिनके घर में बुजुर्ग व्यक्ति अथवा छोटे बच्चे हैं, उन्हें विशेष रूप से अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। छोटी सी चूक का स्वयं उन्हें एवं उनके परिवार को बड़ा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।

🔴 होम क्वॉरंटीन के नियमों का प्रथम उल्लंघन पर सम्बन्धित व्यक्ति पर रु. 2,000/- का अर्थदंड लगाया जाएगा एवं पुन: उल्लंघन पाए जाने पर सम्बंधित व्यक्ति को तत्काल संस्थागत क्वॉरंटीन सेंटर भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

सभी नागरिकों से अपेक्षित है कि कोरोना संक्रमण से लड़ाई एवं बचाव हेतु दिए गए निर्देशों का अनुपालन कर शासन एवं प्रशासन का सहयोग करें।

शनिवार, 30 मई 2020

अखबारी कतरन 31.05.2020

अखबारी कतरन 
    31.05.2020
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विजयमत

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अग्निवर्षा

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अग्निवर्षा

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अग्निवर्षा

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पीपुल्स समाचार

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सड़क समिति में ट्रांसपोर्ट नगर का मुद्दा हुआ गायब (त्रिलोकीनाथ)

इति आदिवासी क्षेत्रे....
सड़क समिति में ट्रांसपोर्ट नगर का
मुद्दा हुआ गायब
(त्रिलोकीनाथ)
तो सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सम्पन्न कोरोनावायरस लॉकडाउन के अंतिम चरण में आज शहडोल 30 मई 20 को कलेक्टर  सतेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में आज कलेक्टर कार्यालय के सभागार में सड़क सुरक्षा समिति की  बैठक सम्पन्न हुई।   बैठक में पुलिस अधीक्षक  सतेन्द्र शुक्ल, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व धर्मेन्द्र मिश्रा,  जिला परिवहन अधिकारी  आसुतोष भदौरिया, एम0पी0आर0डी0सी0 श्री गुप्ता,  उप पुलिस अधीक्षक व्ही. डी. पाण्डेय , यातायात प्रभारी सहित नगर निरीक्षक  रावेन्द्र द्विवेदी उपस्थित थें।
      अब चुकी इसमें किसी नगर जनप्रतिनिधि का नाम नहीं है तो यह मानकर चलना चाहिए की भी बैठक में नहीं रहें होंगे पर शायद यही कारण था शहडोल शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना उसके लिए भूमि आवंटन और उसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम को सर्वोच्च प्राथमिकता के नजरिए से भी रखकर सड़क सुरक्षा समिति ने नहीं देखना चाहा अब तो यह बहाना भी नहीं है के कोई ऐसा फंड नहीं है जिससे ट्रांसपोर्ट नगर को विकसित करके तत्काल शहर के हित के लिए प्रदूषण मुक्ति के लिए चालू न कर दिया जाए बहरहाल आज की बैठक की बाद  जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया  की  कलेक्टर ने कहा कि
1-सड़कों के खतरनाक मोड़ों एवं खतरे वाले जगहों एवं  ब्लैक स्पार्ट में  दूर से दिखाई देने एवं पढ़े जाने वाले संकेतक के बोर्ड लगवाएं । 2- पतखई घाट में छोटे-छोटे संकेतक बोर्ड के जगह बड़े संकेतक बोर्ड लगाए जाए।
3-सिंहपुर रोड़ से आने वाले भारी वाहनों को नो इंट्री के समय रोकने हेतु पोण्डा नाला के पास एवं बगिया तिराहा से इंन्द्रिरा चैक की ओर बस स्टेण्ड से इन्द्रिरा चैक की ओर भी  बैरियर एवं सूचना पटल लगाए जाए जिससे भारी वाहन शहर में प्रवेश न कर सकें।
4-एफसीआई गोदाम से जमुही  तक के मार्ग को दूरूस्थ करवाने
5-विशेष अवसरों पर शहर के अंदर वाहनों के आवागमन से जाम की स्थिति  से निपटने मोहनराम तालाब स्थल व रघुराज स्कूल मैदान में सायं 6 से 9 बजे तक अस्थायी पार्किंग की व्यवस्था करने
6-गणेश मंदिर, सिंहपुर रोड़ नर्सरा से बगिया तिराहा तक सड़कों गडडे भरे जाने,
7-न्यू गांधी चौक, जैन मंदिर के पास तथा परमट तक  दुकानों के अतिक्रमण  हटाने के भी निर्देश नगरपालिका एवं यातायात पुलिस को दिए गए।
8-घरौला मोहल्ला सहित अन्य रिहायसी इलाकों में ईट, गिटटी एवं ट्रासपोर्ट का सामन लेकर गुजरने वाले वाहनों के प्रवेश  एकांकी मार्ग से करने ।
9-आटोमोबाईल, शो रूम  के वाहनों की अनलोडिंग करने का समय निर्धारित करने शहर के अंदर अनेक स्थानों पर व्यापारियों द्वारा बाहर समान रखने, टेंट लगाने एवं यातायात बधित करने पर रोक लगाने के भी निर्देश दिए गए।
10- इसी प्रकार जय स्तभ चौक से न्यू गांधी चैक एवं रेलवे स्टेशन मार्ग तक सड़कों में पार्किंग लाईन का कार्य कराया जाए।
11- जिला मुख्यालय में छः स्थानों एवं  ब्यौहारी तथा बुढ़ार में 12 स्थानों पर ब्लींकर्स लगाने
12- नटराज तिराहा से जैन मंदिर , रेलवे स्टेशन एवं पुराना गांधी चैक से पंचायती मंदिर तिराहा से नटराज तिराहा तक शाम 5 बजे से सुबह 9 बजे तक एकांकी मार्ग का भी अनुमोदन किया गया।
हो सकता है इसके अलावा भी कुछ अन्य छोटे-बड़े निर्णय किए गए हो किंतु यदि ट्रांसपोर्ट नगर का निर्णय लिया जाता
और उसके फंड के लिए जिला खनिज न्यास के राशि तत्काल आवंटित कर कार्य प्रारंभ कर दिया जाता तो शहर की यातायात संबंधी 30%  समस्या और 50%  प्रदूषण की समस्या तत्काल समाप्त हो जाती । किंतु यह इच्छा शक्ति क्यों नहीं जागी, यह बड़ा यक्ष प्रश्न है।
     इसका मतलब यह नहीं कि अगर जनप्रतिनिधि होते तो  अपनी किसी ऐसी योग्यता का प्रदर्शन करते कि ट्रांसपोर्ट नगर पर तत्काल परिणाम देता । पिछले 15-20 साल से लगातार शहडोल में भारतीय जनता पार्टी की पालिका परिषद काम कर रही है और अगर भाजपा की सर्वोच्च प्राथमिकता में ट्रांसपोर्ट नगर होता तो उसके जनप्रतिनिधि इस काम को बिना रोक-टोक के और बहुत लंबी चौड़ी राज्य सरकार अथवा केंद्र सरकार से बजट लाकर अत्याधुनिक ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण भी करा सकते थे.... इस आदिवासी संभाग मुख्यालय में। किंतु उनकी सोच में "विकास" नाम का पुरुष शायद अब "आत्मनिर्भर" गरीब प्राणी के रूप में परिवर्तित हो गया है।
    क्योंकि भारत में  अब "आत्मनिर्भर" की ब्रांडिंग ज्यादा हो रही  है। तो उनसे बहुत अपेक्षा क्योंकि जाए... लेकिन यदि जिम्मेदार प्रशासनिक तबका जिला स्तर पर और एक अनुभवी तबका संभाग स्तर पर अधिकारी के रूप में बैठा है फिर भी ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण ना होना क्या हमारी विकास की अवधारणा के प्रति दकियानूसी सोच का प्रतीक तो नहीं है......?
     क्योंकि सोचना प्रशासन को ही है चाहे वह पालिका का प्रशासन हो या फिर शासन का प्रशासन और वर्तमान में यदि सशक्त प्रशासन है तो उससे निराशा यह हताशा की अपेक्षा क्यों होनी चाहिए....?
हां, नगर पालिका परिषद भी यह प्रस्ताव पारित करके प्रशासन को अपनी प्राथमिकता जता सकती है...., उसमें तालाबों के संरक्षण की प्राथमिकता भी शामिल करने की गलती हो सकती है... किंतु यह गलतियां क्या प्रशासन और प्रतिनिधि मिलकर भी करना चाहेंगे.....? आज की प्रेस विज्ञप्ति में यह प्राथमिकता नहीं प्रदर्शित होती नजर आई।

मोदी नाम नहीं एक मंत्र है, जो ऊर्जा भरता है। शिवराज तीन मरीज कोरोना पॉजिटिव संख्या 10 हो गई


शिव वाच......
 मोदी नाम नहीं एक मंत्र है, जो ऊर्जा भरता है। 
प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के द्वितीय कार्यकाल का प्रथम वर्ष पूर्ण होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी सहित पूरे राष्ट्रवासियों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि 
1-लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि  करोड़ों-करोड़ जनता के हृदय के हार हैं।
 2-वे दिलों पर राज करते हैं।
3- भारत वर्ष की मुकुट मणि हैं। 
4=लोगों का उनके प्रति अनन्य प्रेम झलकता है।
5- महान नेता प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गत छह वर्ष में एक भी अवकाश नहीं लिया।
6- वे हमेशा भारत माता तथा अपनी जनता के लिए घनघोर और अथक परिश्रम करते रहते हैं।
7- राष्ट्र को चाईयों तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मोदी M O D I नाम में ही संदेश छिपा है। 
एम से मोटीवेशनल और मेहनती,
से ओजस्वी और भारत में छिपी अपार्च्युनिटी को पहचानकर उसे निखारने का प्रयास करने वाले नेता। कोरोना की चुनौती को उन्होंने अवसर में बदला।  
डी का अर्थ है दूरदर्शिता रखने वाले, डायनमिक लीडरशिप और डेवलपमेंट की ओर ले जाने वाले नेता।
आई से आशय है, इंस्पायर करने वाले, दृढ़ इच्छा-शक्ति से इंडिया को अलग पहचान देने वाले नेता। वे सभी को ऊर्जा और विश्वास से भरने का कार्य करते हैं।
 चौहान ने कहा कि दुनिया प्रधानमंत्री श्री मोदी को विकास पुरुष के नाम से जानती है।
 कहा कि पूरा देश श्री मोदी के आव्हान पर जुटा है।
 मोदी नाम नहीं एक मंत्र है, जो ऊर्जा भरता है। 
कहा कि हम भाग्यशाली हैं जो हमें प्रधानमंत्री श्री मोदी के रूप में नेतृत्व करने वाला एक ऐसा नेता मिला है
 जिसने कश्मीर से धारा-370 की समाप्ति, नागरिकता कानून, अयोध्या मंदिर निर्माण, तीन तलाक के कानून के साथ ही
 आत्मनिर्भर भारत के लिए बीस लाख करोड़ के विशेष पैकेज से सभी के कल्याण के कदम उठाये हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री श्री मोदी इसी तरह
 राष्ट्रवासियों को प्रेरित करते रहेंगे, 
मनोबल बढ़ाते रहेंगे 
और दिलों पर राज करते रहेंगे।







तीन मरीज कोरोना पॉजिटिव 

शुक्रवार की देर रात जबलपुर से आई रिपोर्ट में तीन मरीज कोरोना पॉजिटिव आय है। जिला मुख्यालय के सोहागपुर तहसील अंतर्गत ग्राम ककरहाई के रहने वाले तीन लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। कोरोना नोडल अधिकारी अंशुमान सुनारे ने बताया कि यह तीनों मरीज मुम्बई से शहडोल आये हैं। जिसके बाद जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ज्यादा सख्त और सतर्क हो गया है। मरीजों के आते ही उन्हें क़्वारंटीन कर दिया गया था। और इनके सैम्पल जांच के लिए जबलपुर भेजे गये थे जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पूरे एरिया को कंटेनमेंट एरिया में तब्दील कर दिया गया है। जिले मे अब एक्टिव केस की संख्या 6 हो गई है। और 3 लोग स्वस्थ हो कर घर जा चुके हैं। साथ ही 1 मरीज शहडोल का अलीराजपुर में आईसूलेट हैं जिसका इलाज वही किया जा रहा हैं। जिले में अब तक संक्रमितों की संख्या 10 हो गई हैं।

अंतिम पंक्ति के अंतिम पत्रकार


हिंदी पत्रकारिता दिवस की विडंबना...
पिंजरे के पंछी रे..,
तेरा दर्द न जाने कोय..
अंतिम पंक्ति के अंतिम पत्रकार

(त्रिलोकीनाथ)
वैसे तो  पूरे भारत में ही ऐसा हुआ होगा  किंतु  जहां हम देख रहे हैं मध्य प्रदेश में पत्रकार अधिमान्यता जिला स्तर  अधिमान्यता  के प्रसाद वितरण का काम जिस अंदाज पर हुआ है।  उससे  यह सिद्ध होता है  कि पत्रकारिता के इस महत्वपूर्ण स्तंभ में  विधायिका और कार्यपालिका मिलकर  अधिमान्यता को  "गरीबी रेखा की सूची" की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।  जिसमें  कोई भी कहीं से भी घुस सकता है  और पत्रकार के रूप में  पत्रकार के हिस्से का यदि शासन ने  कोई सोच बना रखी है  तो, उसे वह  लूटना चाहता है।
 विधायिका और कार्यपालिका भी यह सोचती है की सूची में उसके अपने गुलाम जितने ज्यादा रहेंगे उतना ही पत्रकारिता को नियंत्रित करने का काम उसके लिए आसान रहेगा। और इसका परिणाम  नरेंद्र मोदी जी की भाषा में देखें तो  महाभारत के  युद्ध से भी ज्यादा संघर्ष साली को रोना  कार्यकाल में  जमीनी पत्रकारों की बर्बाद हालात  की बातों को रखने वाला एक भी पत्रकार शासन के दरवाजे की कॉल बेल को नहीं खटखटाया..., जिसकी बात सुनी गई हो ।  की  पत्रकार भी  मनोवैज्ञानिक दबाव में रहकर काम करने वाला प्राणी है  उसके भी परिवार है पेट है और एक दिमाग भी ... जिसका अपना खुराक है .. क्योंकि प्रशासन ने उपयोग तो खूब किया  किंतु  कोविड-19 से बचने के लिए सुरक्षा कवच भी नहीं दिया  राहत तो बहुत दूर की बात है ..।
इस तरह उसने भी अधिमान्यता को गरीबी रेखा की सूची से ज्यादा शायद ज्यादा महत्व नहीं दिया। और यही कारण है कम से कम मध्यप्रदेश में पत्रकारअधिमान्य से संबंधित जब आप जिला स्तर के साइट खोलेंगे तो दुर्भाग्य से या सौभाग्य से अंग्रेजी क्रम में "ए" होने के कारण अनूपपुर जिला सबसे पहले दिखता है और इसके साथ दिखता है तीन प्रथम अधिमान्य पत्रकार किंतु भारत के किसी भी कोने के किसी भी विषय खुद  अनूपपुर के किसी गांव के विषय पर पर यदि इन तीनों अधिमान्य पत्रकारों को कोई एक विशेष दे दिया जाए जिसमें वे एक आलेख लिख दे और कोई एक जांच विशेषज्ञ इनकी जांच कर ले अगर इन बैगा जनजाति मान करके भी वह पास करता है तो कम से कम मुझे व्यक्तिगत रूप में उतनी ही खुशी होगी जितनी की भारत की आजादी के वक्त देश के शीर्ष नेताओं को ही रही होगी। क्योंकि आजादी एक उपलब्धि है, जीवन पद्धति है संघर्ष का आंशिक परिणाम भी है ; पूर्ण परिणाम तो नहीं है।
 किंतु क्या हम 15 अगस्त 1947 के बाद पत्रकारिता जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहते हैं उसमें एक कदम भी जी हां, खरगोश का नहीं कछुए का एक कदम चल पाए हैं... शायद नहीं..। यही मेरे लिए भारतीय पत्रकारिता की "अंतिम पंक्ति के अंतिम पत्रकार की पहचान है.. बचा कुचा भारत की 21वीं सदी में 2020 के तथाकथित कोरोना के महाभारत युद्ध के परिणाम के दौरान या युद्ध के दौरान पत्रकारों को अपने पैर की जूती के तले कुचलती हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने हमें जड़ से हिला दिया है... बावजूद इसके जब प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने मार्च में जनता कर्फ्यू लगाने की बात की शुरुआत की थी तब भी पत्रकारिता के अदृश्य महत्व को दृष्टांत करके अपनी बात रखी थी। इस हालात में विश्व मे हिंदी पत्रकारिता दिवस भारत के लिए, मध्यप्रदेश के लिए और शहडोल के लिए सिर्फ एक "वैलेंटाइन डे" की तरह है. जिसमें कुछ लोग उड़ान का ख्वाब देखते हैं तो कुछ प्रताड़ना और अत्याचार का बाजार.... हम इन दोनों में से कुछ नहीं देखना चाहते...
 सिर्फ पत्रकारिता और उसके सतत संघर्ष की आजादी की आशा करते हैं जो अब धीरे-धीरे स्लो-प्वाइजन देकर मारी जा रही है.. यदि भारत की आजादी में न्यायपालिका जैसा स्तंभ का निर्माण नहीं होता तो शायद 21वीं सदी की भी जरूरत नहीं पड़ती मरने के लिए या मारने के लिए...। मंगलम , शुभम...।

शुक्रवार, 29 मई 2020

अखबारी कतरन 30.05.2020

 अखबारी कतरन 
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और अंत में..... 20 साल पहले



"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...