रविवार, 31 मई 2020

मामला जैसिंहनगर के हनुमान सागर तालाब का


* ₹65 लाख में होना है सौंदर्यीकरण... * परिषद से संबंधित है 25 अतिक्रमण कारी
* चिन्हित अतिक्रमणकारियों के लिए कोई नहीं है योजना 
*पहले भी हो चुका है गहरीकरण ...

(दिनेश प्यासी की खास रिपोर्ट )

जैसिहनगर के मध्य में स्थित बस स्टैंड के ठीक पीछे हनुमान सागर तालाब को पूर्व में भी अतिक्रमण मुक्त कराकर जनहितकारी पार्क व पर्यटन प्लेस बनाने के प्रयास किए गए थे किंतु अतिक्रमण और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण अब तक हनुमान सागर तालाब का समुचित विकास नहीं हुआ है। अब सूत्र बताते हैं कि करीब ₹6500000 के बजट पर हनुमान सागर तालाब को नगर के मध्य का आकर्षण कार्य मॉडल तालाब बनाने की तैयारी हो रही है। 
जिसके आड़े में वे अतिक्रमण कारी आ रहे हैं ,जिन्होंने अपने आवास के लिए तालाब के मेड़ पर अवैध कब्जा कर रखा है ।  
    खबरों के अनुसार इसी प्रकार का कब्जा शहडोल के सर्किट हाउस के सामने पेनांग तालाब पर किया गया था । जिस पर तत्कालीन पालिका प्रशासन ने जिला प्रशासन की मदद से लोगों को चिन्हित करते हुए आवास योजना के तहत उन्हें अन्य जगह आवास उपलब्ध कराया गया ताकि कोई भी नागरिक आवास हीन ना हो सके और तालाब का सौंदर्यीकरण में भी कोई बाधा ना आए।
 इस हेतु जैसीहनगर क्षेत्र के नागरिकों का एक दल आज अनु0 दंडाधिकारी से मिलकर समुचित निराकरण के पक्ष में कार्य करने की मांग कर सकता है। यहां बताना उचित होगा कि जैसीहनगर में इसी तालाब के बगल में नगर परिषद का सुलभ शौचालय है जिसे समुचित तरीके से उपयोग किए जाने पर तालाब को खुले शौच और सौंदर्यीकरण के बागवानी सिंचाई हेतु पृथक से मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी किंतु जैसा कि अक्सर होता है तालाब में तालाब की जरूरतों के हिसाब से उसके प्राकृतिक स्वरूप को हस्तक्षेप कर दीएजाने से तालाब में जल संकट हमेशा के लिए खड़ा हो जाता है। इसलिए समुचित विशेषज्ञ से तालाब के प्राकृतिक वर्षा जल आवक के सभी रास्तों को इसके साथ ही वॉटर डिलीवरी का सिस्टम भी विकसित करना उचित होगा। ताकि जल की शुद्धिकरण नियमित बनी रहे।
 कोरोनावायरस के आतंक से मुक्त होने के प्रयास में यह पहला निर्माण कार्य होगा जो सार्वजनिक हित का लोकउपयोगी होगा ।इसके लिए निर्माण एजेंसी नगर 
 परिषद को नियुक्त किया गया है ।
 देखना होगा कि सार्वजनिक हित के इस महत्वपूर्ण हनुमान सागर तालाब के लिए आम जन की भावनाओं के अनुरूप उनके विचारों का समावेश करके प्राकृतिक परिवेश में तालाब सौंदर्यीकरण को नगर पंचायत परिषद कितना अच्छा स्वरूप देने में सफल होती है....।
 एक अन्य सूत्र के अनुसार तालाब का मूल रकवा राजस्व अभिलेखों में विवादित होने के कारण तालाब के स्वरूप को भी परिवर्तित करने के प्रयास हो रहे हैं, कहीं ऐसा ना हो की सौंदर्यीकरण के चक्कर में बजट को जल्द खत्म करने के प्रयास में तालाब का मूल स्वरूप ही क्षत-विक्षत ना हो जाए..

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