रविवार, 31 मई 2020

स्वयंभू बी ई ओ के बाद अब स्वयंभू डाइट प्राचार्य बने मंगलानी

डाइट बना,
 अंधेर नगरी...
स्वयंभू बी ई ओ के बाद अब स्वयंभू डाइट प्राचार्य बने मंगलानी हाई
कोर्ट का स्टे आर्डर बना झुनझुना.
(राजकुमार की खास रिपोर्ट)
जब यह महसूस होने लगे कि सिस्टम भ्रष्ट है, भ्रष्टाचार ही सिस्टम की ताकत है और उस पर बात यदि उस विभाग की हो जहां नैतिकता और कर्तव्य बोध का पाठ पढ़ाया जाता हो तब कम से कम यह तो अपेक्षा होती ही है जब तक सक्षम प्राधिकारी कर्तव्य पालन के लिए निर्देश न दें कब तक किसी को भी अपनी तानाशाही और मनमानी के साथ सिस्टम को चलाने की नहीं सोचनी चाहिए।
    यही गलती सोहागपुर के खंड शिक्षा अधिकारी रहे एसपीएस चंदेल ने हाईकोर्ट के स्टे आर्डर का एक झुनझुना लाकर विभाग के लोगों को दिखाया और कुशल मदारी की तरह उन्हें खंड शिक्षा अधिकारी सोहागपुर का काम करने लगा । क्योंकि अधीनस्थ अधिकारी श्रीमती सावित्री शुक्ला अपने अफसर की बातों को सच मान बैठी। तो कानूनी दृष्टिकोण से उन्होंने भी एक बड़ी चूक कर डाली, यह अलग बात है की इन तकनीकी दोषों की वजह से आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त आरके श्रोती को मूकदर्शक बनकर सब होते देखने रहने  का भी दोष दंड भुगतना पड़ेगा...., यह भी अलग बात है की जब पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट हो तो कौन किसको दंड देता है।
    शायद इसी व्यवस्था को आंख मूंदकर विश्वास कर लेने के कारण ही अब इन्हीं शिक्षकों को ट्रेनिंग देने वाला जिले का महकमा डाइट प्रशिक्षण संस्थान में  कभी प्राचार्य रहे आरके मंगलानी भी अपनी मनमानी कर बैठे और उच्च न्यायालय के आड़ में कलेक्टर को भी ठेंगा बता दिए तथा बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के निर्देश के अथवा आदेश का इंतजार किए वे स्वयं स्वयंभू-प्राचार्य
   बताते चलें कि मंगलानी शायद जिनके मुंह में डाइट का खून लग गया है वे उसे छोड़ना ही नहीं चाहते और जब तत्कालीन कलेक्टर ने उन्हें वहां से अपदस्थ कर दिया तो वे उच्च न्यायालय से स्टे का झुनझुना लाकर मदारियों की तरह शहडोल डाइट को जाने लगे। जिसका नतीजा यह हुआ की पिछले कई महीने से वहां कर्मचारियों को अपने वेतन के लाले पड़ गए थे और कर्मचारी एकजुट होकर कलेक्टर के समक्ष धरना आंदोलन की चेतावनी दे दिए थे।
    बहरहाल अब जबकि कोरोनावायरस में प्रशासन का दिमाग प्राथमिकता की ओर लगा है, आरके मंगलानी ने स्वयंभू प्रचार बनकर डाइट का कामकाज गुंडागर्दी के साथ संभाल लिया है और पूर्णकालिक प्राचार्य के रूप में आदेश भी जारी करने लगे हैं । इसी को कहते हैं "अंधेर नगरी-चौपट राजा" यदि डाइट जैसे महत्वपूर्ण संस्थान , अनैतिकता और कानून का पालन भ्रष्टाचार के कारण गर्त में जा रहा है तो उच्च न्यायालय के आदेश की क्या औकात उसे जो चाहे जैसे भी झुनझुना की तरह इस्तेमाल कर अपने हिसाब से सिस्टम में भ्रष्टाचार के अवसर खोजता है....
 देखना होगा मामला सामने आने के बाद प्रशासन की क्या कोई सोच बनती भी है..?

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