न्यू इंडिया में अब छात्र बनेंगे
पूंजीवादी व्यवस्था के कर्जा की इकाई
IIT: अब 900 फीसदी बढ़ेगी एमटेक की फीस..?
( त्रिलोकीनाथ )
अब आईआईटीज में पढ़ने वाले एमटेक के छात्रों पर फीस का बोझ बढ़ने वाला है।
सांकेतिक तस्वीर
- *बीटेक कोर्सों की फीस के बराबर होगी एमटेक की फीस
- *करीब 900 फीसदी की बढ़ोतरी को दी गई है मंजूरी
- *छात्रों को हर महीने 12,400 रुपये स्टाइपेंड मिलना भी होगा बंद
- *नई फैकल्टी के परफॉर्मेंस की हर 5 साल पर
यह न्यू इंडिया का दौर है नई शब्दावली या है नया नजरिया है कॉरपोरेट बाबाओं के आश्रम से निकली "हनीप्रीत" से लेकर "हनी ट्रैप" तक न्यूइंडिया के डिक्शनरी के ग्लैमर है। पूंजीवाद के सितारे बुलंद है अब उसमें कोई चिन्मयानंद आड़े नहीं आएगा..., उसे भी जेल या अस्पताल भेजो आगे का रास्ता देखो...
कुछ इस अंदाज पर चल रहा है न्यू इंडिया का कारोबार, इसीलिए नैतिकता, गुणवत्ता बीते कल की बात होने वाली है.. अगर हो गई है तो उसे नजरअंदाज करिए। नए नैतिकता, नए गुणवत्ता नए मापदंड के कारक होंगे। हर जगह से सिर्फ पैसा और पैसा कैसे निकाला जाए... बीपीएल क्लास या लोअर क्लास को प्रलोभन देकर उत्थान का प्रोपेगंडा व वोट बैंक में बदलना और मिडिल क्लास... यह लोअरअपर क्लास से उसकी रही-सही पूंजी में डालकर, गुल्लक तोड़कर बैंक में डालना और बड़े पूंजी पतियों का लाखों लाख रुपए राहत देना, विकास के नए मापदंड के कारक बनने जा रहे हैं।
छोटे-छोटे इवेंट में बदल घटनाओं प्रचार तंत्र के लिए करोड़ों करोड़ रुपए बहाने वाले व्यवस्था में अब इंजीनियरिंग की एमटेक शिक्षा व्यवस्था में से पैसा निकालने का या फिर विद्यार्थियों को कर्जा के कारोबार में बंधुआ-इकाई बनाने का नया खेल खेला गया है ।जिसके तहत मनमानी फीस बढ़ा दी गई है ताकि बैंकर्स का कारोबार बढ़ाया जा सके।
इस समय भारत के सड़क और मोहल्ले में मोबाइल की या मोबाइल रिचार्ज की दुकाने पान दुकानों की तरह खुल गई है और उससे भी ज्यादा मोबाइल के जरिए लोन देने वाली सैकड़ों बैंक संस्थाओं की लोन स्कीम मोबाइल के थ्रू मिडिल क्लास या लोअर क्लास के लिए एक जाल की तरह फैला दिया गया है। किसी भी तरह भारत का आम नागरिक इस कर्जे के जाल में फस कर गुलाम बन जाए। न्यू इंडिया गुलामों का भारत कैसे होगा..... इसके भी सपने देखे जा रहे हैं.. बजाय स्वावलंबन के एक स्वाभिमानी भारत के...?, एक गुलाम भारत की तरफ बढ़ने के हर रास्ते तय किए जा रहे हैं।
उसी में एक है उच्च शिक्षा में सभी शासकीय सुविधाओं को खत्म कर विद्यार्थियों को कर्जे की इकाई बनाने का कारोबार आईआईटी में कर्जे का कारोबार का शासकीय तरीका कुछ इस प्रकार से होगा।
कुछ इस अंदाज पर चल रहा है न्यू इंडिया का कारोबार, इसीलिए नैतिकता, गुणवत्ता बीते कल की बात होने वाली है.. अगर हो गई है तो उसे नजरअंदाज करिए। नए नैतिकता, नए गुणवत्ता नए मापदंड के कारक होंगे। हर जगह से सिर्फ पैसा और पैसा कैसे निकाला जाए... बीपीएल क्लास या लोअर क्लास को प्रलोभन देकर उत्थान का प्रोपेगंडा व वोट बैंक में बदलना और मिडिल क्लास... यह लोअरअपर क्लास से उसकी रही-सही पूंजी में डालकर, गुल्लक तोड़कर बैंक में डालना और बड़े पूंजी पतियों का लाखों लाख रुपए राहत देना, विकास के नए मापदंड के कारक बनने जा रहे हैं।
छोटे-छोटे इवेंट में बदल घटनाओं प्रचार तंत्र के लिए करोड़ों करोड़ रुपए बहाने वाले व्यवस्था में अब इंजीनियरिंग की एमटेक शिक्षा व्यवस्था में से पैसा निकालने का या फिर विद्यार्थियों को कर्जा के कारोबार में बंधुआ-इकाई बनाने का नया खेल खेला गया है ।जिसके तहत मनमानी फीस बढ़ा दी गई है ताकि बैंकर्स का कारोबार बढ़ाया जा सके।
इस समय भारत के सड़क और मोहल्ले में मोबाइल की या मोबाइल रिचार्ज की दुकाने पान दुकानों की तरह खुल गई है और उससे भी ज्यादा मोबाइल के जरिए लोन देने वाली सैकड़ों बैंक संस्थाओं की लोन स्कीम मोबाइल के थ्रू मिडिल क्लास या लोअर क्लास के लिए एक जाल की तरह फैला दिया गया है। किसी भी तरह भारत का आम नागरिक इस कर्जे के जाल में फस कर गुलाम बन जाए। न्यू इंडिया गुलामों का भारत कैसे होगा..... इसके भी सपने देखे जा रहे हैं.. बजाय स्वावलंबन के एक स्वाभिमानी भारत के...?, एक गुलाम भारत की तरफ बढ़ने के हर रास्ते तय किए जा रहे हैं।
उसी में एक है उच्च शिक्षा में सभी शासकीय सुविधाओं को खत्म कर विद्यार्थियों को कर्जे की इकाई बनाने का कारोबार आईआईटी में कर्जे का कारोबार का शासकीय तरीका कुछ इस प्रकार से होगा।
खबर है कि आईआईटीज में एमटेक प्रोग्राम की फीस में करीब 9 गुना बढ़ोतरी होने वाली है। आईआईटीज की काउंसिल ने शुक्रवार को एमटेक प्रोग्राम की फीस को बीटेक कोर्सों की फीस के बराबर करने को मंजूरी दी है। बीटेक कोर्सों की फीस करीब 2 लाख रुपये सालाना है। इस तरह से आईआईटीज के एमटेक प्रोग्राम की फीस में करीब 900 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। आईआईटीज में एमटेक कोर्स की मौजूदा ऐडमिशन और ट्युइशन फीस प्रति सेमेस्टर 5,000 से 10,000 रुपये है। परिषद की मीटिंग की बैठक एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल की अध्यक्षता में हुई। मीटिंग में नए प्रफेसरों की पांच साल पर समीक्षा के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली है। पांच साल के बाद ही नए प्रफेसरों का भाग्य तय होगा कि उनकी नौकरी आगे जारी रहेगी या जाएगी। इसके अलावा छात्रों को दिए जाने वाले 12,400 रुपये के स्टाइपेंड को खत्म करने का भी सुझाव दिया गया है।
बंद होगा स्टाइपेंडगेट स्कोर के आधार पर जिन छात्रों का दाखिला होता था, उनको हर महीने 12,400 रुपये का स्टाइपेंड मिलता था। अब इस स्टाइपेंड को बंद करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसकी जगह इस स्टाइपेंड के कुछ हिस्से का इस्तेमाल यूजी लैब्स और कोर्सों में टीचिंग असिस्टेंटशिप के तौर पर देने के लिए किया जाएगा। इस फंड का अन्य पेशेवराना गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है। फीस बढ़ोतरी के साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि जरूरतमंद छात्रों की मदद डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर या एजुकेशनल लोन के माध्यम से की जाए।
5 साल पर नए प्रफेसरों की समीक्षा
काउंसिल की मीटिंग में 'टेन्योर ट्रैक सिस्टम' को मंजूरी दी गई है। इसके आधार पर नए प्रफेसरों के परफॉर्मेंस की हर 5 साल पर समीक्षा होगी। एक एक्सटर्नल कमिटी रिसर्च और संस्थान को उनकी सेवा के आधार पर प्रफेसरों का मूल्यांकन करेगी। इस मूल्यांकन के आधार पर नए प्रफेसरों का असोसिएट प्रफेसर के तौर पर प्रमोशन होगा या फिर उनकी छुट्टी कर दी जाएगी।
अभी कहां कितनी है एमटेक की ट्युइशन फीस
मौजूदा समय में एक सेमेस्टर के लिए आईआईटी मुंबई की एमटेक ट्युइशन फीस 5,000 रुपये है जबकि आईआईटी दिल्ली की 10,000 रुपये। आईआईटी मद्रास में 3,750 रुपये की एकमुश्त भुगतान के साथ ट्युइशन फीस 5,000 रुपये है। आईआईटी खड़गपुर के पहले सेमेस्टर की फीस 25,950 रुपये है। इसमें से 6,000 रुपये रिफंड हो जाता है। बाद के सेमेस्टरों के लिए 10,550 रुपये फीस है। कुल 23 आईआईटीज में से सात पुरानी आईआईटीज में करीब 14,000 एमटेक छात्र हैं।
ड्रॉपआउट कम करने के लिए लिया गया फैसला?
तर्क दिया गया आईआईटीज में एमटेक प्रोग्रामों में सुधार की काफी समय से मांग उठ रही थी। मांगों को देखते हुए सुधार के लिए एक तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया। फिर कमिटी ने जो सुझाव दिए, उनके आधार पर ये प्रस्ताव तैयार किया गया है। ऐसा महसूस किया गया कि फीस बढ़ने और स्टाइपेंड बंद होने से बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी। एमबीए जैसे ज्यादा फीस वाले प्रोग्राम और आईआईटी सिस्टम में भी ज्यादा फीस वाले प्रोग्राम में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की संख्या काफी कम होती है।
(टाइम्स न्यूजनेटवर्क28Sep2019)