शुक्रवार, 20 सितंबर 2019


एसडीओ सोहागपुर का एक आदेश से बच गया  दो तालाब 
जय स्तंभ के तालाब बनेंगे आकर्षण के केंद्र....?

( त्रिलोकीनाथ )

 यूं तो शहडोल में तालाबों के विनाश के लिए भू माफिया कब्जाधारी फर्जी अभिलेख दर्ज करा कर भूसत्त्व दिखाने वालों का दबदबा है। इस दबदबे को सबसे पहले संभागायुक्त हीरालाल त्रिवेदी ने एक झटके में बड़ा निर्णय लेकर तोड़ दिया और तमाम तालाबों को जलस्रोतों को लगे हाथ झुग्गीझोपड़ी के जंगलों को भी उन्होंने शासकीय अभिलेख/ तालाब अभिलेख में दर्ज करा दिया।
 हो सकता है, प्रक्रिया गलत रही हो या कहीं कोई चूक हो गई हो जिसकी वजह से कई लोगों को इसमें लाभ मिला और वे तालाब मेढ़ पर या तालाब में उच्च न्यायालयों से स्थगन पाने और अपना स्वत दर्जा करवाने में सफल रहे हो।
 जहां तकनीकी त्रुटियां विद्यमान हैं तकनीकी त्रुटियां वहां तालाबों का संरक्षण कर पाने में शहडोल का प्रशासन फेल रहा है। क्योंकि कोई बड़ी योजना तालाबों को लेकर अभी तक सामने नहीं आई है ।

कहां गाय हो गई राष्ट्रीय नदी संरक्षण में सोन नदी का संरक्षण योजना....?

2004 के आसपास राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में सोन नदी संरक्षण योजना मैं एक संभावना दिखी किंतु जल्द ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी   संभावना को बिना सांस लिए पी गई .....? राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के मध्य प्रदेश में कुल 11 नदियों पर होने वाले करोड़ों की परियोजना में शहडोल की सोन नदी भी शामिल थी, जो अचानक जड़ से कैसे गायब हो गई ....?आज 15 साल बाद भी वह लापता है ! 
बहराल अगर यह नदी संरक्षण योजना बनती तो शहडोल की मुड़ना नदी और नगर के जल संरक्षण पर बड़े काम होने वाले थे.... जो भाजपा के रामराज में खत्म हो गए।

एसडीओ के फैसले ने बचाया तालाब को

 किंतु प्रशासन अगर थोड़ा सा भी सजग है तो वह देर से ही सही कुछ बेहतर कर जाता है। ऐसा ही एक बड़ा फैसला न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर के पारित आदेश दिनांक 27जुलाई 19 में राजस्व प्रकरण क्रमांक 400/ अपील /2016-17 मुन्सा कुंंम्हार बनाम मध्यप्रदेश शासन मे एसडीओ सोहागपुर द्वारा शहडोल कलेक्ट्रेट के ठीक सामने, पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय के ठीक पीछे.. 2 तालाबों सोहागपुर अराजी  खसरा नंबर 1817 रकवा 1.11 एकड़ तथा खसरा नंबर 1816 रकवा 98 डिसमिल कुल रकबा करीब 2.9 एकड़ शहर के हृदय स्थल पर तालाबों में किस तरह फर्जी भू अभिलेख तैयार हो गए और कैसे उस तालाब को जो कि आज भी पुरातत्व महत्व के पत्थरों को विरासत में लिए बैठा है। बावजूद मुंसा कुंंम्हार पिता ललुआ द्वारा अवैध रूप से इस पर अधिपत्य पाने की सपने देखने लगा ।और मनमानी तरीके से तालाब को नष्ट भ्रष्ट करने का काम भी किया । विवाद तब सामने आया जब इस तालाब के मेड़ पर बसे कई अतिक्रमणकारियों ने मुंसा कुंंम्हार का स्वत्व मानने से इंकार कर दिया।
 अंततः मामला तहसीलदार के समक्ष आया जहां उसे सफलता नहीं मिली ।वह तालाब मैं अधिपत्य पाने के लिए अपीलीय कोर्ट एसडीओ सुहागपुर के समक्ष प्रकरण लाया जिसमें भी उसे सफलता हासिल नहीं हुई। 27.6.2019 को पारित आदेश में स्पष्ट कहा गया अधीनस्थ न्यायालय द्वारा आराजी खसरा नंबर 1816 की 98 डिसमिल मध्यप्रदेश शासन खुली नजूल तालाब भीठा-मेड़  दर्ज होने के कारण तथा 1817 रकवा 1.11 एकड़ खसरा पंचसाला 1983-84 में मध्यप्रदेश शासन नजूल दर्ज अभिलेख हैं। मुंशा कुम्हार द्वारा उक्त भूमियों का किस प्रकार से पट्टा प्राप्त किया है उसके द्वारा किस प्रकार का दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया है। अधिकारी द्वारा मध्यप्रदेश शासन नजूल भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। मुंसा कुम्हार के पट्टे की भूमि पर अतिक्रमण नहीं किया गया है। अतः अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश विधि संगत होने के कारण इससे रखा जाता है। वह मुंशा कुम्हार आवेदक की अपील खारिज की जाती है।

 इस प्रकार 2 तालाबों को शासकीय स्वरूप देकर बचा लिया गया ।इसमें कोई शक नहीं है कि जयस्तंभ चौक के पेट्रोल पंप के पीछे 2 तालाब नहीं बल्कि तीसरा एक तालाब और भी है जिसे बचाया जाना था। जिसका अस्तित्व अभी भी है किंतु वोट बैंक की राजनीति के चलते उस तालाब के अंदर ही सड़क बन गई और बस्ती व  शेष बचा-कुचा तालाब उसी प्रकार से दम तोड़ रहा है जिस प्रकार सेंट्रल अकैडमी विद्यालय, एसपी बांग्ला के पीछे का तालाब भी अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। क्योंकि उस पर भी लगभग कब्जा कर लिया गया है।

 वैसे तो ढेर सारे तालाबों की यही कहानी है।। किस-किस की लिखें किस-किस की कहें... हर कहानी के पीछे यही एक पुरानी, घिसी-पिटी कहानी अब बोर करती हुई प्रतीत होती है। यह सही है की शहडोल के तालाबों का कोई रोड-मैप नहीं होने से उसे नगर पालिका भी बचा पाने में स्वयं को लाचार दिखाती रही है ।यह अलग बात है कि उसके पीछे भ्रष्टाचार और सिर्फ भ्रष्टाचार काम करता रहा है और तब यह ज्यादा खतरनाक हो गया कि भारतीय जनता पार्टी की सत्ता में बाहरी लोगों ने नगरपालिका पर कब्जा कर लिया । वोट बैंक की राजनीति के चलते मनमाने तरीके से तालाबों को नष्ट करने का जो नंगा नाच हुआ उसके परिणाम विनाश होते टूटते तालाबों के रूप में देखे जा सकते हैं । 
बहरहाल शहडोल में तालाबों की गिरोह बनाकर हत्या करने के बीच यह बड़ी सुखद और संतोषजनक खबर तालाबों को बचाए रखने की संभावना के लिए बड़ा वरदान दिखता नजर आ रहा है। आज ही राज्य शासन का यह निर्णय मील का पत्थर साबित होगा जल स्रोतों को नष्ट करने पर अपराध दर्ज किए जाएंगे ।शहडोल के राजस्व अधिकारियों को तालाब बचाए जाने के लिए अपनी योग्यता और विद्वता के लिए  बहुत बधाई के पात्र हैं। बेहतर होगा कि जल्द से जल्द अब तो दो तालाबों में संरक्षण पूर्ण योजना बनाकर अपनी आंखों के सामने उच्च राजस्व अधिकारियों द्वारा तालाब संरक्षण का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया जाए।



"संभाग बनने के बाद तालाबों के प्रति हमारा नजरिया खासतौर से नगर में सभ्य नागरिक की तरह दिखना चाहिए ।क्योंकि तालाब ही हमारी धरोहर है। अब तो शासन ने भी  जल स्रोतों  को नष्ट करने पर  अपराधिक  प्रकरण दर्ज करने की बात कही है। कलेक्टर महोदय के परामर्श से जय स्तंभ के पास के तालाब को आकर्षित और लोकहित में बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा जो मॉडल बन सके कि तालाब कैसे संरक्षित हो। इसमें पालिकापरिषद के लोगों को लेकर आकर्षक काम किया जाएगा ।"

धर्मेंद्र मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर

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