मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 दिसंबर को करेंगे सरसी आइलैंड रिसोर्ट का उद्घाटन
देश की आजादी मिले कई दशक बीत गए थे तो भी कभी विंध्य प्रदेश की राजधानी रही रीवा को छुक-छुक रेलगाड़ी का आनंद नहीं मिला था ; रीवा में रेलवे स्टेशन हुआ और रेल आई..... अब समंदर तो नहीं है इस पहाड़ी क्षेत्र में इसके बावजूद इस क्षेत्र में सी-साइट, समुद्री किनारा का आनंद अगर किसी व्यक्ति के कारण मिलने जा रहा है तो उनका नाम राजेंद्र शुक्ला है जो मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं क्योंकि उन्होंने ही यह सपना देखा था....शहडोल 1 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 14 दिसंबर को पर्यटन विभाग द्वारा नवनिर्मित सरसी आइलैंड रिसॉर्ट का उद्घाटन करेंगे। शहडोल जिले में बाणसागर डैम के बैकवाटर पर निर्मित यह रिसॉर्ट प्रमुख पर्यटन स्थल बांधवगढ़ नेशनल पार्क और मैहर के समीप स्थित है। यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए यह एक अनूठा अनुभव होगा। इको-सर्किट परियोजना के तहत विकसित यह स्थल क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
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प्रमुख सचिव, पर्यटन और संस्कृति विभाग एवं प्रबंध संचालक, म.प्र. टूरिज्म बोर्ड शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि, सरसी आइलैंड रिसॉर्ट में पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। यहां तीन बोट क्लब बनाए गए हैं, जो वाटर स्पोर्ट्स के रोमांचक अनुभव का अवसर देंगे। पर्यटकों के ठहरने के लिए 10 इको हट्स तैयार किए गए हैं, जहां से प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया जा सकता है। खाने-पीने के शौकीनों के लिए एक आकर्षक रेस्टोरेंट की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही, कॉर्पोरेट और अन्य आयोजनों के लिए प्रकृति के बीच एक आधुनिक कॉन्फ्रेंस रूम भी उपलब्ध होगा। पर्यटकों की सेहत और मनोरंजन का भी ध्यान रखते हुए रिसॉर्ट में जिम, लाइब्रेरी और बच्चों के लिए प्ले एरिया बनाए गए हैं। 14 दिसंबर को होने वाले इस भव्य उद्घाटन के साथ शहडोल और इसके आसपास का क्षेत्र देशभर के पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन जाएगा।
वैसे तो पूरा बिंध्य प्रक्षेत्र ही पर्यटन की दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए जो दृष्टि चाहिए वह वर्तमान में सरकार के पास शायद संभव हो सकी है इसीलिए जो क्षेत्र आज वीरान पड़े थे उसमें पर्यटन की संभावना विकसित की जा रही है । निश्चित रूप से यह राज्य सरकार के लिए राजस्व आय का जरिया तो बनेगी किंतु इसका एक वैश्विक नजरिया भी विकसित होगा। इसमें कोई शक नहीं है लेकिन सवाल यह है कि इस दौर में विकसित वैश्विक नजरिया और आदिवासी विशेष क्षेत्र संविधान की पांचवी अनुसूची में चिन्हित क्षेत्र में में रह रहे पिछड़े और पिछड़े भी निवासी जनों के बीच में इसका तालमेल किस प्रकार से होगा। उसे किस प्रकार से सरकार समन्वय कर आम आदिवासी को यह आभास कर सकेगी की आभासी दुनिया में ही सही आदिवासी समुदाय द्वारा अब तक संरक्षित आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल अथवा सीधी क्षेत्र की विरासत आज कितनी महत्वपूर्ण उपलब्धि है । इसका लाभ इस क्षेत्र को भी किस प्रकार से मिलेगा, अगर इस सरकार विकसित कर सकेगी तो शायद पर्यटन की अन्य संभावनाओं को विकास का बड़ा केंद्र आदिवासी क्षेत्र को बनाया जा सकता है। व्योहारी क्षेत्र में इस आईलैंड को डेवलप करने की सोच उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के कारण ही संभव हो सकी है।
और ऐसी ही संभावना पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय दलवीर सिंह कि दृष्टिकोण में अमरकंटक में भी चिन्हित की गई थी लेकिन उन्होंने तब बॉक्साइट निकलने वाले उद्योगपति के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस क्षेत्र से की विदाई के वक्त हमसे कहा था कि अगर उद्योगपति अपना इंफ्रास्ट्रक्चर रोप-वे इस क्षेत्र की हित के लिए छोड़ देते हैं तो यह संभव होता है तो पेंड्रा रोड स्टेशन से लेकर अमरकंटक का सबसे बड़ा रोपवे सेंटर होता। जिसमें पर्यटकों को प्राकृतिक वन क्षेत्र अमरकंटक क्षेत्र में आने जाने का एक बड़ा मार्ग सुलभ होता जो प्रदूषण रहित होता जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए वरदान होता। और विकास की संभावनाएं अगर इसे सुनिश्चित होती हैं तो यह रोमांच छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के केंद्र में रोपवे के जरिए स्थापित सबसे बड़ा पर्यटन का केंद्र अब तक घोषित हो गया होता।
किंतु दुर्भाग्य से आदिवासी नेता दलवीर सिंह को उनके आदिवासी समझ के साथ पिछड़ा मान लिया गया... और वक्त गुजर गया। अब वहां तरह-तरह से सड़क 2 लाइन, 4 लाइन अलग-अलग रास्तों में विकसित करके पर्यावरण और परिश्चित की को नष्ट करने के लिए जंगल काटे जा रहे हैं । जो सिर्फ अमीर आदमियों की विलासिता का परिचायक है इसका स्थानीय विकास से कोई संबंध नहीं है और आखिर वन क्षेत्र में ऐसा गैर जरूरी विकास होना क्यों चाहिए..?
और यदि अमीर आदमियों के हित के लिए भी यह हो रहा है तो हम यही चाहते हैं की अमीर आदमियों की विलासिता रोप-वे के जरिए यदि अमरकंटक पहुंचती तो इससे स्थानीय अमरकंटक की प्राकृतिक विरासत को विनाश करने से बचाया जा सकता था। ।
अभी भी संभावना जिंदा इसलिए है क्योंकि बहुत दिनों बाद एक ऐसे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को अपने भरोसेमंद नेतृत्व मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का विकास पूर्ण कार्यों के लिए आधार मिला हुआ है। राजेंद्र शुक्ला सबसे पहले पर्यावरण मंत्री हुआ करते थे उन्हें पर्यावरण का जो समझ है शायद उसी से आईलैंड का निर्माण भी हुआ है। बहरहाल अब इस प्रदेश की सबसे बड़े रूप में सेंटर पेंड्रा रोड से अमरकंटक तक का सपना जिसे कभी दलवीर सिंह ने देखा था पूरा किया जा सकता है.. पूर्व केंद्रीय मंत्री दलबीर सिंह जी एवं पूर्व सांसद श्रीमती राजेश नंदिनी की पुत्री श्रीमती हिमाद्री सिंह दोबारा सांसद बनी हुई है तो इसे अंजाम देने में केंद्र से भी कोई समस्या नहीं आने वाली है.... इस समय जो मां नर्मदा, सोन व जोहिला जैसे नदियों के लिए भी प्रकृति के साथ जीने के आदमियों के समाज का बड़ा उदाहरण बनेगा... व्योहारी क्षेत्र में आईलैंड बनने के बाद जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसका उद्घाटन कर रहे होंगे निश्चित तौर पर हमारे सपनों का संसार पर्यटन की दुनिया में कई रास्ते खुल जाएंगे... इसमें कोई शक नहीं है। देखना होगा कि हम कितनी दूर तक देख पाते हैं।
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