बुधवार, 4 दिसंबर 2024

आसमान से गिरे, यह जमीन से उगे...; लेकिन आज होगी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की शपथ- (त्रिलोकी नाथ)

 


आज 5 दिसंबर है डॉन का फरमान है बॉम्बे में मीटिंग रखो वहीं पर मुख्यमंत्री कि शपथ होगी... यह बात और है कीकुर्सी में बादशाह होगा या बेगम अथवा गुलाम या फिर जोकर.... यह ताश के पत्तों से सुनिश्चित होगा.. जब पत्ता खुलेगा, मुख्यमंत्री प्रगट  हो जाएगा, कोई चिंता की बात नहीं। कभी यह सब चलचित्र में चरित्र होते थे और सिनेमा घर से आम जनता का मनोरंजन हुआ करता था। अब यह सब भारत की आर्थिक राजधानी की कड़वी सच्चाई है।प्रसिद्ध आंदोलनकारी अन्ना हजारे का कहना है "राजनीति का मतलब, पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा... यही होकर रह गई है। मुंबई में आज इसका प्रमाणित अवतार होगा। 

-----------(त्रिलोकी नाथ)--------------


क्योंकि उसे मालूम है की चुनाव किस नीति से जीता गया है तो जीत का सहारा उसकी कृपा से तय होना चाहिए था। लेकिन बाल ठाकरे की विचारों से निर्मित भाजपा में समर्थन दे रही पूर्व मुख्यमंत्री शिंदे की शिवसेना अभी भी ठाकरे की भाषा में विश्वास रखते हैं... अब तो खुलकर बात आ गई कि अगर गृह मंत्री का पद उन्हें मिलता है तो वह उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं जबकि मुख्यमंत्री के दावेदार देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्रालय यानी डान की ताकत को जानते हैं.. इसलिए वह गृह मंत्रालय शिवसेना को नहीं देना चाहते; नाराज मुख्यमंत्री शिंदे बीमार हो जाते हैं और अपने गांव चले जाते हैं। एक बात और आई थी कि वित्त मंत्रालय भी शिवसेना को चाहिए लेकिन वहां तो हजारों करोड़ों रुपए के आरोपी होकर मुक्त होने वाले शरद पवार के भतीजे भाजपा को समर्थन दे रहे ।अजित पवार ने कब्जा कर रखा है कुछ तो उन्हें भी देना पड़ेगा अन्यथा महायुति का क्या मतलब.... बात भ्रष्टाचार की नैतिकता की भी है आखिर इसका भी अपना एक धर्म है. इसलिए मुख्यमंत्री पद से त्याग एकनाथ शिंदे को निर्णय नहीं करने दे पा रहा है...

बहरहाल इस तरह सब की हालत "कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय; या पाये बौराये नर, व पाये बौराये "की हालत में पहुंच गई है। पूरी महाराष्ट्र की सत्ताधारी राजनीति कुछ इसी चरित्र में अभिनय कर रही है और इसीलिए अकल्पनीय बहुमत सिद्ध होने के बाद भी भाजपा में मुख्यमंत्री नहीं बन पा रहा था।

 अंततः डॉन को निर्णय लेना पड़ा की पांच दिसंबर को शपथ होगा याने मुख्यमंत्री तय नहीं हुआ था और शपथ सुनिश्चित हो गया । तो चुपचाप मान जाएं नहीं तो जोकर का मुख्यमंत्री बनना तय है। अब थोड़ा सा बात इस बात की है की महाराष्ट्र भारत की आर्थिक राजधानी है तो थोड़ा वजनदार मुख्यमंत्री होना ही चाहिए... जो अपने विवेक से भी निर्णय कर सके अन्यथा मुख्यमंत्री किसी को भी बनाया जा सकता है। जैसा की अन्य राज्यों में बीजेपी करती चली आई है। उसका राजनीतिक धरातल वोट राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। जीतना, चुनाव का सुनिश्चित परिणाम है और जीत की गारंटी का ज्ञान "महामंत्र" भाजपा की रणनीत कारों को मालूम हो चुका है। क्योंकि लोकतंत्र सत्ता में बने रहने की जीत पर सुनिश्चित है और इस महामंत्र के बाद किसी को क्यों भ्रम होना चाहिए कि उसे क्या मांगना है। जो दिया जा रहा है उसे पर आनंद और परमानंद खोजना चाहिए। यह बात ढाई साल में भी अगर सत्ता के सहयोगी रहे शिवसेना और एनसीपी के लोग नहीं समझ पाए हैं तो उनकी गलती है।
 आज उसका भ्रम टूट जाएगा और यह सुनिश्चित हो जाएगा ताश के पत्तों की बाजीगरी का बाजीगर महाराष्ट्र से नहीं आता है, वह "संयुक्त-महाराष्ट्र" से तय होता है क्योंकि संयुक्त महाराष्ट्र में गुजरात शामिल था अगर महाराष्ट्र टूटकर अलग हो गया तो यह उसका अपराध था, इसलिए डॉन 5 दिसंबर का तारीख मुकर्रर कर दिया है... बस ताली बजाने की जरूरत है और मुख्यमंत्री प्रकट हो जाएगा यही भारतीय राजनीति का बदलाव है और कुछ नहीं....









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