मामला बंधवाबड़ा सरपंच की झूठी रिपोर्ट का
आरोप :प्रतिद्वंदी पक्ष ने कराया झूठा मुकदमापंचायत सचिव ने कहा, ऑल इज वेल।
सरपंच के आरोप मनगढ़ंत व निराधार
---------------- (खबर विशेष)----------------
शहडोल ।पंचायती पंचायत मे भितरघात और धोखाधड़ी की कूटनीति इस कदर बढ़ गई है की अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लोगों के हित में बनाए गए कानून का दुरुपयोग करने में भी विरोधी पक्ष जरा भी हिचक नहीं करता दिख रहा है ताकि उसके अपने स्वार्थ मे कोई रोक ना लगा सके। अपने हाथ की कठपुतली बनाकर भ्रष्टाचार करने का अंदाज कुछ इस प्रकार बढ़ा है । एक मामले में सोहागपुर जनपद के ग्राम पंचायत बंधवा बड़ा में देखने को आया है जिस पर अपने परस्पर विरोधी पक्ष को ध्वस्त करने के लिए ग्राम पंचायत परिसर का तथा अनुसूचित जनजाति समाज के होने की हैसियत का उपयोग करके थाने में अपने विरोधियों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई है।
जिससे परेशान होकर तथा गांव की समरसता को बचाने के लिए स्वयं ग्राम के सचिव रामवतार कोल व अन्य पंचो को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है ताकि झूठी रिपोर्ट में फंसाए गए लोगों को न्याय मिल सके। बताया जाता है कि दिनांक 6 नवंबर को ग्राम पंचायत मे आपसी रंजिश को लेकर सरपंच द्वारा पवन कुमार द्विवेदी, अरुण पांडे (शिक्षक)व अरविंद पांडे के खिलाफ मां बहन और जातिसूचक गाली गलौज तथा रजिस्टर छीने जाने की शिकायत दर्ज कराई गई है।
अब वास्तविक घटना को प्रदर्शित करते हुए प्रभारी सचिव ग्राम पंचायत बंधवा बड़ा रामअवतार कोल ने शपथ पत्र देते हुए अपना पक्ष रखा है। श्री कोल के अनुसार मैं सचिव पद पर पदस्थ हूं। तथा ग्राम सरपंच द्वारा झूठी शिकायत
दर्ज कराया गया है जिसमें कहा गया है कि दिनांक 06/11/2022 को पवन कुमार द्विवेदी उपसरपंच, अरविन्द पाण्डेय एवं अरुण कुमार द्विवेदी (शिक्षक) ग्राम पंचायत भवन परिसर में आकर सचिव से कार्यवाही रजिस्टर छीने है । उन्होंने कहा है कि सरपंच द्वारा यह कहा जाना कि" मुझे माँ बहन एवं जाति सूचक गाली गलौज किये है। जो सरासर गलत है।"
पंचायत सचिव के अनुसार दिनांक 06/11/2022 को ग्राम पंचायत केलमनिया में कलेक्टर के उपस्थित में मेगा कैम्प आयोजन होना था । जब आसपास के सभी सचिवों का उपस्थित रहना सुनिश्चित किया गया था। उसी तारतम्य में में भी लगभग 11.30 बजे के आस पास ग्राम पंचायत बंधवा बड़ा से ग्राम पंचायत केलमनियाँ के लिये रवाना हो गया था।
दिनाँक 06/11/2022 को ग्राम पंचायत भवन में कोई मीटिंग आयोजित नहीं की गई थी । और न हो उपरोक्त व्यक्ति ग्राम पंचायत भवन परिसर में मौजूद थे । इसलिये कार्यवाही राजेस्टर छीनने व गाली गलौज करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
पंचायत सचिव ने कहा 4 नवंबर को कार्यवाही रजिस्टर प्रभारी सचिव अर्जुन जयसवाल को जनपद कार्यालय के कार्य हेतु दिया था जो उनके पास मौजूद रहा। ग्राम सरपंच द्वारा लगाया गया अरोप निराधार है जिसका सत्य से कोई सरोकार नहीं है।
तो इस प्रकार पंचायती पंचायत में आम सामान्य वर्ग के व्यक्ति के खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंदित के लिए अनुसूचित जाति जनजाति के बनाए कानूनों का दुरुपयोग खुलेआम होने लगा है जिस पर बिना जांच के यदि किसी भी प्रकार की कार्यवाही ना होते हैं आम नागरिक और सरकारी कर्मचारियों का काम करना मुश्किल होता जा रहा है। जनापेक्षा है कि पुलिस प्रशासन अपने दायित्वों का निर्वहन पंचायत की पंचायत की राजनीति से प्रभावित हुए बिना तटस्थ होकर करना चाहिए अन्यथा अन्य ग्राम पंचायतों में भी ऐसे जाति विशेष के हित के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग होना आम हो जाएगा। क्योंकि भ्रष्टाचार और राजनीति का मेल मिलाप पंचायती समरसता में कड़वाहट को बढ़ा देता है। बेहतर होता की वास्तविक तथ्यों को ध्यान में रखकर ही निष्पक्षता से कार्यवाही की जाए। इस मामले में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के संभागीय अध्यक्ष जे के तिवारी के नेतृत्व में एक दल ने पुलिस उच्च अधकारियों से मिलकरमामले मैं पारदर्शी कार्यवाही किए जाने की बात की है।
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