गुरुवार, 10 नवंबर 2022

मामला वन विभाग के मुनारे उखाड़ने का

मुनारे ही भू-माफिया ने उखाड़ फेंके...

शिक्षा का नकाब पहनकर कौन लूट रहा है

आदिवासियों की जमीन...?

 ......................( त्रिलोकी नाथ ).....................

अगर आप शहडोल मैं बाहर से आकर बसे हैं या फिर बाहर से आकर शहडोल में आप भू माफिया गिरी करना चाहते हैं तो आपके लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं होगी क्योंकि  अनैतिकता, झूठ और बेईमानी और उस पर भ्रष्टाचार की योग्यता आपके विकास मे चार चांद लगा देगी। आप कम समय में शहडोल में नवधनाढ्य की श्रेणी में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि शहडोल क्षेत्र का होने का मतलब इन चीजों से परहेज करना पड़ेगा और इन चीजों के बिना विकास संभव ही नहीं है, ऐसा अनुभव में देखने को मिलता है। और आप के विकास में अगर टारगेट में आदिवासियों की जमीन है या वन विभाग की जमीन है तो आप के लिए यह सोने में सुहागा जैसा विकास का बड़ा पैमाना हो सकता है। क्योंकि शहडोल में नव धनाढ्य जितने भी बड़े आदमी बने दिख रहे हैं अथवा करोड़ों रुपए चुनाव में खर्च करने की ताकत रखते हैं वे सभी इसी प्रजाति के लोग हैं। अब तक तो यही देखने में आया है। शहडोल का रस्तोगी हो या सिन्हा, सिंह, जैन या तांगड़ी, मिश्रा,पांडे आदि आदि जैसे  लोग सभी भू माफिया गिरी करके शहडोल अरबों रुपयों कि भ्रष्टाचार के खेल में बड़े खिलाड़ी बनते जा रहे हैं नाम लिखने की इसलिए जरूरत कम है क्योंकि यह सभी चिर परिचित शहडोल के स्थापित भूमाफिया है। जैसा कि विगत दिनों पूर्व शासकीय अधिवक्ता ने पत्रकार वार्ता करके आदिवासियों की जमीन तालाब की जमीन पर पारदर्शी तरीके से भू माफिया गिरी का सफलता से चल रही व्यवस्था का उदाहरण दिया था। 

कौन नहीं जानता की वनवासी, आदिवासियों के नाम पर जैसीहनगर में एक शिक्षा समिति ने भू माफिया गिरी का बड़ा जाल फैला रखा है अब उस पर गंभीर आरोप यह है कि उसने ब्यौहारी के पास मुख्य मार्ग में वन विभाग के सीमा पहचान में लगे 2 मुनारे सिर्फ इसलिए उखाड़ फेंके क्योंकि उसे आदिवासियों की जमीन के सहारे जंगल की जमीन पर कब्जा करना था।

 खबर तो यहां तक है कि शिक्षा समिति से जुड़े लोगों के रिश्तेदार वन विभाग के बड़े अधिकारी होने के नाते इस हेराफेरी में शिक्षा माफिया को बड़ी मदद की ।अब शिक्षा माफिया आदिवासियों की जमीन बेनामी तरीके से खरीद कर ना सिर्फ वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण किया बल्कि राजस्व के अभिलेखों में दर्ज भूमि का भौगोलिक तरीके से गोलमाल करने और प्रशासन को अपने तरीके से चलाने का काम कर रहा है।

 यह वही शिक्षा माफिया है जो गत दिनों करीब 8 करोड़ पर आदिवासियों की शिक्षा के नाम पर आदिवासी विभाग के भ्रष्टाचार के हमाम मे अंसारी साथ-साथ नंगे होकर जमकर नहाने का खेल खेला था और इसकी जांच रिपोर्ट अब ठंडे बस्ते में या तो डाल दी गई है अथवा उसे क्लीन चिट देने में मूलत: आदिवासियों की जमीन पर निवास पर आकर रहने वाले मुन्ना भैय्या जैसे लोग सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। बावजूद इसके संभाग में पदस्थ अधिकारी भ्रष्टाचार के कीचड़ में खिले कमल के पत्ते पर ओस की बूंद की तरह पवित्र लोग, जब सिस्टम को चला रहे होते हैं भ्रष्टाचार अपना काम सफलता से क्यों कर जाता है..?

 अन्यथा छोटे-छोटे मामलों में जहां सरकार की ईडी और सीबीआई हरकत में आती दिखती है वहां केंद्र सरकार के करोड़ों रुपए पर हेराफेरी के मामले में चुप ही होना आश्चर्यजनक है या फिर यह मौन सहमति है कि सिस्टम इसी का नाम है।

 लेकिन आश्चर्य वन विभाग के बड़े अधिकारियों की कर्तव्य हीनता पर है कि जो नेशनल हाईवे मुख्य मार्ग की इस जमीन को बचाने में जरा भी हरकत में नहीं रहे...? तो अंदाजा लगाया जा सकता है अंदर जंगल में मोर नाचा किसने देखा... 

 या फिर सिस्टम उस रेत माफिया की तरह बन गया है जैसे कोई रेंजर वकायदे अपने क्षेत्र से रेत निकालने के लिए रेत माफिया से पींगे लड़ाती वीडियो में वायरल होती देखी गई । और पूरा सिस्टम उसे बचाने का काम किया और फिलहाल मामला ठंडा हो गया। किंतु ब्योहारी क्षेत्र में वन विभाग की जमीन, शिक्षा माफिया कितना कब्जा कर चुका है यह तो जांच के बाद पता चलेगा ।

सीधे वन जमीन को बचाने की जिम्मेदार अगर वन संरक्षक पद पर आदिवासी समाज के पदस्थ अधिकारी संवेदनशील नहीं होंगे तो कोई मायने नहीं रखता कि दूर दिल्ली में पदस्थ राष्ट्रपति पद पर भी आदिवासी प्रतिनिधित्व बैठ जाएं आदिवासी समाज का उत्थान दूर-दूर तक नहीं होने वाला


अन्यथा कम से कम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित मामलों में संज्ञान लेने की जो बात चेतावनी के रूप में ब्यूरोक्रेट्स को कही गई है वह भी एक जुमला के अलावा कुछ नहीं कहलायेगा ।

देखना होगा 15 नवंबर को जब आदिवासियों के बड़े कार्यक्रम होगा उस वक्त शासन क्या शहडोल के आदिवासियों की जमीनों के लिए विशेषकर सार्वजनिक रूप से चर्चित जमीनों को भू माफियाओं से बचाने के लिए कोई संदेश दे पाएगी...? या फिर भ्रष्टाचार मुक्त सासन, तोता-रटंत के मूल मंत्र पर सिर्फ परंपरा का निर्वाह करेगा।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...