मंगलवार, 11 अक्तूबर 2022

अध्यक्ष तो भाजपा का ही होगा... (त्रिलोकीनाथ)

मामला  नपा अध्यक्षउपाध्यक्ष का 

शहडोल 

नगर पालिका में 


कौन बनेगा करोड़पति....?

वर्तमान लोकतंत्र के दौर में राजनीति एक इंडस्ट्री है और चुनाव से निकलने वाला प्रतिफल उसका प्रोडक्ट है। इस तरह 39 वार्ड के 39 पार्षदों में से भाजपा की 18 पार्षदों  वाली शहडोल नगरपालिका अगर ज्यादा संख्या में हैं और कॉन्ग्रेस 12 पार्षद कम संख्या में होने के बाद भी अपनी काला धन की ताकत से (अगर उसके पास है) तो वह अपना अध्यक्ष बना लेती है तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए। क्योंकि धनपुरी में यह आश्चर्य संभव हो चुका है।

 अब रही बात कौन अपना काला धन नगरपालिका के इंडस्ट्री में निवेश करना चाहता है, धंधा जोरों पर है बाजार में पार्षदों की कीमत भी बढी हुई है। किंतु वर्षों से सत्ता से दूर कांग्रेस के पास इतना काला धन नहीं है कि वह पार्षदों को खरीद सके। तो धारणा बन चुकी है कि आएगी तो भाजपा ही। क्योंकि भाजपा में जीतने के सभी गुण मौजूद हैं बावजूद इसके कि वह शहडोल की आधी आबादी को नजरअंदाज कर 39 में से 22 वार्डों में दूसरे वार्ड के प्रतिनिधि लाकर चुनाव लड़ाए थे क्योंकि उसे मालूम था कि उसका प्रोडक्ट राजश्री गुटखा की तरह बिक रहा है। भलाई उमा भारती से लेकर शिवराज सिंह तक नशाबंदी के नाम पर कितना भी प्रोपेगेंडा क्यों न करें.. बिकेगा तो राजश्री ही बिकेगा, और तम्बाखू फ्री में। फिर भी नशा मुक्ति का जितना नाटक हो सकता है किया जाएगा।

 यही हाल शहडोल नगर पालिका के मामले में भाजपा के आंतरिक संघर्ष में चल रहा है। 4 दावेदारों में दो हाल में लांच किए गए 2 पार्षद सुभद्रा सिंह को प्रकाश सोनी हैं और दो अनुभवी पार्षद हैं यानी याने शक्ति लक्ष्यकार और राकेश सोनी सीनियर हैं। इन 2 पार्षदों में भी ज्यादा वफादार का चुनाव किया जाना है उसके आधार पर तय होगा कि अगला कौन बनेगा करोड़पति। क्योंकि अनुभव यही बताता है कि जो भी पालिका परिषद की हॉटसीट में बैठता है वह कम से कम करोड़पति हो ही जाता है। तो जो नये है वह सिर्फ इस शर्त में आए थे कि उन्हें अध्यक्ष बनना है और पुराने दावेदार अध्यक्ष थे इसमें भी सबसे ज्यादा विनम्रता की श्रेणी में राकेश सोनी प्रथम दावेदारहै।

 तो द्वितीय दावेदार शक्ति लक्षकार।एक पद-एक व्यक्ति के नाते प्रथम दावेदारी प्रस्तुत कर सकते हैं क्योंकि राकेश सोनी सत्ता की मलाई में रेड क्रॉस सोसाइटी नामक समाज सेवा में एक बड़ी पहचान बना चुके हैं और पदाधिकारी भी हैं। फिर भी उनकी इस सेवा नुमा पद को नजरअंदाज कर अध्यक्ष का प्रथम दावेदार माना जा रहा है। क्योंकि वे ऊपर वालों की पहली पसंद है।

 और इस विवाद में अगर भाजपा और उसे चलाने वाली आर एस एस की चली तो बड़ी बात नहीं है आसमान से भी कोई टपका दिया जाए। क्योंकि राजनीतिक नेतृत्व की क्षमता होना वर्तमान भाजपाई लोकतंत्र में कोई महत्व नहीं रखता। भाजपा अपने एजेंडे पर अपना लोकतंत्र चलाती है उसने अब तक कई शहडोल नगर के तालाबों को नष्ट करने में बड़ी भूमिका निभाई है। या तो अतिक्रमण करा कर के अथवा तालाबों के ऊपर मकान निर्माण की अनुमति देकर के या कालोनिया बना करके उसमें अपने वोट बैंक की फसल को लहराने का काम किया है। तो यह बात महत्व नहीं रखती कि आपने कितने तालाबों की हत्या की है कितनी खराब सड़कों का निर्माण किया है अथवा किस स्तर पर विकास नुमा भ्रष्टाचार किया है या भ्रष्टाचार पूर्ण विकास किया है ...? 

क्योंकि भाजपा को ही मालूम है कि शहडोल की कांग्रेस सबसे कमजोर विपक्ष अब तक साबित हुआ है उसने एक भी तालाब की रक्षा करने में अथवा प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में या नगर के समग्र विकास में कोई प्रेरणा दाई भूमिका प्रमाणित नहीं की है। वह भी भाजपा की तरह ही लोकतंत्र की बाजार की एक व्यवसाई के रूप में स्वयं को स्थापित करने का काम किया है। लोकसेवा से उसका कोई नाता ही नहीं है क्योंकि यदि ऐसा होता तो वर्तमान भाजपा की तमाम हताशा और निराशा के बीच में वह भारी बहुमत से सत्ता में आ जाती। तो ऐसा नहीं हुआ है और यही भाजपा के लिए वरदान है कि वह अध्यक्ष के रूप में किसी को ऊपर से टपकाती है या फिर किसी युवा चेहरे को काम करने का अवसर प्रदान करती है। कुल मिलाकर आएगी भाजपा ही इतना तो तय है।

 हां जो भी अध्यक्ष होगा उन्हें महिला बाहुल्य परिषद में एक सभा कक्ष इसके लिए भी सुनिश्चित करना होगा कि ताकि उनके पार्षद-पति हर बैठक में बाहर अलग से निर्णय का सौदा कर सकें अब यह अलग बात है कि जो भी निर्णय होंगे उनका शहडोल की जनता हित से किस स्तर तक नाता रहेगा....?

 फिलहाल शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा जी  ने लगे हाथ शहडोल नगर की भी सड़कों को गड्ढा भरने की मुहिम चला रखी है वह कितना सफल होते हैं यह तो गर्मी आते आते देखा जाएगा। अभी पदाधिकारियों की चुनाव की गर्मी का बाजार गुलजार है। जो भी हो उन्हें बधाई, वह कुछ करें जरूर... चाहे जैसे भी अध्यक्ष बन जाएं ।कम से कम शहडोल नगर के बचेकुचे है तालाबों को नष्ट ना करें क्योंकि आधे से ज्यादा तालाब भाजपा की पिछली परिषदों ने नष्ट कर ही दिया है ।यही आशा करनी चाहिए और यदि कांग्रेस ने तालाबों को बचाने की एकमात्र जिम्मेदारी भी उठा ली तो लोकतंत्र जिंदा रह सकता है किंतु कांग्रेसी इतने शहडोल भक्त है क्या देखना होगा...?



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