गुरुवार, 15 सितंबर 2022

आज की राग दरबारी भाग 2

 आज के राग दरबारी : भाग- 2

आखिर नगर पालिका के घोटालों पर

 चुप्पी क्यों साधी है नेताओं  ने..?

क्या नूरा-कुश्ती में हो रहे हैं चुनाव..?


जन सेवा का नकाब ओढ़कर अरमान जगाने वाली राजनीति में सिर्फ शहडोल नगर को ही लें क्योंकि जो आज शहडोल में दिख रहा है वह कल आपके नगर में भी होने वाला है। इसलिए मुद्दों की तलाश पर कालाबाजारी फोकस नहीं करते हैं वे अपने चोर बाजार पर केंद्रित रहते हैं। बाकी जीत-हार तो भाग्य की बात होती है। इसलिए जो मुद्दे आपके क्षेत्र की तालाब अथवा आप के सर्वांगीण विकास के तमाम पैमाने जो नष्ट भ्रष्ट हो रहे हैं फिर भी आप वोट दे रहे हैं यह बात विचार करना चाहिए। हालांकि हमारे चुनाव आयोग के बहुत सोच समझ कर *नोटा* के बटन का भी मतदान पर्ची में उल्लेख किया है कि अगर कोई चुनाव के बाजार में उपलब्ध कराए गए प्रतिनिधि आपको पसंद नहीं है तो आप वोट मत दीजिए यानी इनमें से कोई नहीं नोटा का बटन दबाकर आप अपना वोट दे सकते हैं । अन्यथा यदि कोई निर्दलीय प्रत्याशी विकल्प के रूप में खड़ा है तो भी आप अपने मतदान को तय कर सकते हैं। ताकि वह मूक बधिर व्यवस्था में कुछ तो बोल सके या फिर लगभग  नगर पालिका में नियमित हो चुकी काला बाजार पर नजर रख सकें।


किंतु अगर आपका वोट का मूल्य तय हो गया है चोर बाजार में तो क्या आप गलत मंसा वाले पार्षद को चुने से अपने को रोक पाते हैं ...? यह बहुत बड़ी चिंता का सबब  है। आखिर लोकतंत्र आपके दिमाग और विचार शक्ति से बहुमत के रूप में वोट के जरिए जन्म लेता है । तो जो भी आपके आसपास हो रहा है आप लुट रहे हैं, आप बर्बाद हो रहे हैं या धोखे से आपका कुछ अच्छा हो रहा है तो उसके लिए जिम्मेदार बिका हुआ पार्षद अथवा नीलामी में आया अध्यक्ष या उपाध्यक्ष मात्र जिम्मेवार नहीं है। वे तो राजनीति की काला बाजार अथवा चोर बाजार के कालाबाजारी व्यवसाई हैं उनका दोस कम है ऐसा समझना चाहिए ।

तो मित्रों देश की स्वतंत्रता में लाखों लोगों ने बलिदान दिया है और दे भी रहे हैं अगर स्वतंत्रता बचा कर रखना है देश स्वतंत्र हो जाने का मतलब स्वतंत्रता की पूंजी मिल जाना नहीं है बल्कि सतत संघर्ष से स्वतंत्रता को स्थापित बनाए रखना है। इसलिए वोट देते वक्त जरूर सोचें कि आप चोर बाजार में वोट डाल रहे हैं या फिर किसी अच्छे पार्षद को चुन रहे...? जो आपका हित किया हो।

 कम से कम अगर वह पार्षद नेता के रूप में जो अच्छा बुरा किया हो या उसमें अच्छा बुरा करने की कोई औकात रही हो उसका ही मूल्यांकन कर लें तो अपने मत  को आप चोर बाजार से बचा सकेंगे, ऐसा उद्धव ठाकरे ने अपनी सत्ता गंवाने के बाद अनुभव से पाया है। आपने क्या पाया है यह आपको तय करना है ..?

क्योंकि बहुत कुछ शहडोल नगर पालिका में अनुभव के रूप में प्रमाणित है जैसे गांधी चौराहे में पानी का बरसात में जमा हो जाना ,

जैसी पूर्व पंचवर्षीय भाजपा कार्यकाल मैं बनी करोड़ों रुपए की अधूरी नालियां बुढार चौराहे से गांधी चौक तक नहीं पहुंच पाई

 जैसे आपके आसपास के तमाम नष्ट हो रहे तालाब में पार्षदों की मौन सहमति, जैसे तमाम प्रदूषित होते तालाबों के हालात,

 जैसे लोक हितकारी इस प्रशासन और शासन की नीतियों का गैर जिम्मेदारी तरीके से क्रियान्वित किया जाना कि तालाब के अंदर ही प्रधानमंत्री आवास बना देना,

 जैसे हमारे आसपास के नदी नालों जा रहे प्रदूषित पानी मैं अब तक लगभग असफल हो चुकी पालिका परिषदों की कार्यप्रणाली,

 जैसे हमारी स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली वृक्षारोपण पर पार्षदों की असफलता कंक्रीट जंगल के रूप में बन रहे नगर का निर्माण और नगर पालिका में विकास के नाम पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार का बंदरबांट ... आदि आदि यह सब मुद्दे हैं जिस पर काला बाजार के कालाबाजारी चोर बाजार के जरिए अपना अधिपत्य रखना चाहते हैं। फिर वह चाहे कांग्रेस में हो अथवा भारतीय जनता पार्टी में यह महत्वपूर्ण नहीं रह जाता है जैसा कि धनपुरी नगरपालिका परिषद में सिद्ध हुआ है।

 मुझे यह कहने में आज भी गुरेज नहीं है कि शायद तब भी भाजपा का शासन रहा होगा और नगर पालिका परिषद में बड़ा पाइप घोटाला हुआ उस वक्त का पाइप घोटाला में तब कांग्रेसी लोग शामिल थे। आखिर भाजपा ने कांग्रेस जन की इस भ्रष्टाचार को क्यों छुपा दिया जबकि वह सत्ता में रही अब जो सीवर लाइन बिछ रही है और उसकी पारदर्शी कार्यप्रणाली कैसी हो स्थानीय नागरिकों को नहीं मालूम और ना ही लोग सुनवाई के जरिए कोई सही निर्णय लिए गए हैं या भविष्य में इसे पारदर्शी तरीके से बनाए रखने के लिए कहीं नगर पालिका में कोई प्रदर्शन अथवा पट्टी का आज भी प्रदर्शित नहीं की गई है। आखिर क्यों नगर पालिका परिषद के  समकक्ष याने पैरलर कोई प्राइवेट कंपनी शहडोल में इस काम को कर रही है हालांकि यह एक अच्छा प्रयास है फिर इस प्रयास में नगरपालिका का भूमिका या पार्षदों क्या भागीदारी क्यों सुनिश्चित नहीं है इस पर भी क्यों नहीं चिंतन होना चाहिए कि आपका वोट अमूल्य है कहीं कोई चोर बाजार के जरिए इस पर डाका तो नहीं डाल रहा है ..? क्योंकि अनुभव में आया है "ईस्ट इंडिया कंपनी तो नहीं किंतु गुजरात इंडिया कंपनी" के लोग शहडोल की राजनीति काला बाजार में स्थापित सफल व्यवसाई के रूप में कब्जा कर रहे हैं। फिर चाहे वह शहडोल में स्थानीय खनिज सीबीएम गैस की गैस पाइप लाइन पर उनका कब्जा  हो अथवा शिवेज पाइप लाइन  आदि  पर उनका आधिपत्य हो या फिर स्वच्छता के नाम पर कक्षा आदि आदि जितने भी बड़ी लोक सेवा की चीजें हैं उन पर गुजरात इंडिया कंपनी अथवा उसके प्रायोजित लोग हुई कब्जा करके एकाधिकार तरीके से काला बाजार में स्थापित हो रहे हैं। यह बात भी आपकी चिंतन और मनन का हिस्सा होना चाहिए। जब आप वोट देते हैं अन्यथा आपका अमूल्य मत इनके लिए मूल्यवान होकर करोड़ों अरबों रुपए की कमाई का जरिया बन जाता है । जैसे अनचाहे प्रत्याशियों को अन्य वार्डों में चुनाव प्रत्याशी बनाकर परिषद में कालाबाजारीयों को कब्जा कराया जा रहा है जिसमें करोड़ों का खेल हो गया है जो आपके वोट का कीमत वसूलने को तैयार हैं। यह भी चिंतन की बात है कि अगर चुनाव के दौरान नगदी के लेन देन पकड़े जाते हैं तो संभल अलॉटमेंट के पहले या चयन प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों में कैस(नकद) के लेनदन पर चुनाव आयोग की नजर क्यों नहीं रहती...? सिर्फ इसलिए की उसे नहीं देखना है ऐसा कानून कहता है जैसे कि गुजरात में शराब बंद है तो अवैध शराब को नहीं देखना है तो अगर उनकी नजर बंद है तो मतदाता को अपनी नजर खोलकर रखनी चाहिए स्वतंत्रता से आपका मत पढ़ सके आप हाईजैक ना हो जाएं इसके लिए भी यह प्रश्न पूछे जाने चाहिए।

 हलां कि कालाबाजारी मानते हैं ऐसे आलेख "भैंस के आगे बीन बाजें, भैंस खड़ी पगुराय" जैसा ही है। फिर भी जब से कर्तव्य पथ बना है हम भी अपने कर्तव्य में लगे रहते हैं और कोई बात नहीं है। क्योंकि हर वोटर याने मतदाता का अपना एक वोट अधिकार होता है क्योंकि हर व्यक्ति का अपना एक कर्तव्य पथ भी होता है यही हमें स्कूली कक्षा में जाने के पहले प्रार्थना में सिखाया गया था हम इस प्रार्थना को आपके लिए वोट डालने के पहले यहां जरूर लिख रहे हैं ।

 यदि आप वोट डालने के पहले इस अधिकार के साथ वोट डालने की कर्तव्य निष्ठा को समझे तो, शायद चुनाव के जरिए कालाबाजारियों के काला बाजार को खत्म कर सकते हैं। अन्यथा वे सब आप को खत्म कर देंगे। जैसे पालिका परिषद की कालाबजारीयों के चलते हैं शहडोल के आधे से ज्यादा तालाब खत्म कर दिए गए और तालाब खत्म हो रहे हैं और फिर नल का पानी पिलाया जा रहा है आपकी आंखो के पानी को नष्ट करके , यह बताते हुए विकास इसी का नाम है। 

                                                                            (त्रिलोकीनाथ)          

(जारी भाग -3)

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