बुधवार, 15 जून 2022

रोजगार के क्षेत्र में संविदा एक असुरक्षित प्रयोग (त्रिलोकीनाथ)

सेना में संविदा-रोजगार के अवसर

हंसे या रोए....?

                                      ( त्रिलोकीनाथ )

फिल्म अग्निपथ के नाम पर समाज को दो अलग अलग फिल्म बना कर संदेश दिया गया। एक में नायक सुपरस्टार अमिताभ बच्चन थे तो दूसरे में दो नायक थे संजय दत्त और रितिक रोशन; दोनों ही फिल्में मानवी संघर्षों मे रोमांच और मनोरंजन से ओतप्रोत थी। कम से कम जिस प्रकार से कश्मीरी पंडितों के पलायन से संबंधित फिल्म "कश्मीर-फाइल" बनी, उसका प्रमोशन हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया। और फिल्म ने सैकड़ों करोड़ रुपए कमाई भी, उससे यह तो लगता है कि सरकार में फिल्मी दुनिया का असर ज्यादा है।

 यह अलग बात है कश्मीर में फिलहाल पलायन को लेकर "कश्मीर फाइल-पार्ट 2" व्यावहारिक और भौतिक रूप से बहुत बुरे हालात में नेचुरल फिल्में बन रही है। जिसका फिल्मी दुनिया से कोई लेना देना नहीं है। फिर भी भारत सरकार की अब तक 16 करोड़ लोगों को रोजगार देने का चुनावी जुमला जो पटकथा 2014 के पहले बनाई गई वह तो फेल हो रही है।

 लेकिन अब जब रोजगार को लेकर नींद टूटी है विशेषकर चर्चित अग्निपथ प्रवेश योजना संविदा भर्ती अथवा कहें आउट-सोर्स जैसा प्रयोग भारतीय सेना में रोजगार की भर्ती से संबंधित जो चर्चा हो रही है। वह दुनिया के सबसे ज्यादा युवा देश के युवा बेरोजगारों के लिए और देश के लिए भी कितना सुरक्षित अथवा असुरक्षित है यह तो वक्त बताएगा । इसका विस्तार से अध्ययन और समीक्षा दैनिक जनसत्ता के संपादकीय में कुछ इस प्रकार से किया गया है क्योंकि किसी हिंदी अखबार में यह अच्छा लगा इसलिए आदिवासी अंचल में इस अखबार का कतरन लोगों की जानकारी के लिए उपलब्ध कराना हमें भी उचित लगा। मामला देश और युवाओं की सुरक्षा का भी है तो पहले इसे समझ ले


अब सवाल उठता है कि इसके सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रतिफल देश में किस प्रकार से पड़ेंगे निश्चित तौर पर आने वाले समय में हर 4 साल बाद सेना से युद्ध कौशल से प्रशिक्षित होकर तरीके से निकाले गए लाखों युवा जब बेकारी और बेरोजगारी की नई परिभाषा करेंगे तो उनका क्रोध कहां टूटेगा वह नई पूंजीपति समाज के प्रशिक्षित गुलाम होंगे और सेना से बाहर निकल कर उनके लिए युद्ध कौशल के प्रशिक्षण का उपयोग करेंगे। आज भी कई युवा सेना से रिटायर होकर अलग-अलग क्षेत्रों में संतुष्टि के साथ जीवन यापन कर रहे हैं क्योंकि एक सुनिश्चित आए उनके भविष्य को सुरक्षा देने की गारंटी दे रही है। किंतु भविष्य में ऐसा नहीं होने वाला यह एक प्रयोग है ।सेना से दो प्रकार के लोग निकलते हैं एक रिटायर होकर और दूसरा आरोपित होकर किंतु दोनों ही प्रशिक्षित होते हैं हमें याद है शहडोल क्षेत्र के मानपुर क्षेत्र में सेना से निकाले गए  पयासी नाम का एक युवा थाने के अंदर घुस कर थानेदार को मारा था। क्योंकि थानेदार का अत्याचार पयासी की नजर में उसकी तानाशाही के साथ संघर्ष कर रही थी ।                   (शेष भाग 2 पर)






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