शनिवार, 3 जुलाई 2021

सदी का कट-पेस्ट ( त्रिलोकीनाथ)

 सदी का कट-पेस्ट



     









                                        कोर्ट में  


गौरव और रीपक

  ने याचिका लगाई थी. 

उस दौर में जहां कीड़े मकोड़ों की तरह आदमी की औकात हो जाए, पूंजीवादी व्यवस्था सत्ता में बने रहने की हवस में इतना तल्लीन हो जाए कि उसे अपने सोशल कमिटमेंट का भान भी ना हो..., इस अमानवीय वातावरण में अपनी ज्ञान और योग्यता का दोनों याचिकाकर्ता नागरिक के जीवित होने का एक बड़ा प्रमाण है। न्यायालय काम करती हैं जब अक्सर याचिकाएं आती हैं और जब सरकार ही यह मन बना ले कि हम एक रुपए नहीं देंगे मरने वालों को मुआवजे के रूप में, तब याचिकाकर्ता बंसल और कंसल का यह कार्य इतिहास में लिखा ही जाएगा। ऐसे मानवीय इतिहास बनाने वाले वकीलों का हम अभिनंदन करते हैं                                   (त्रिलोकीनाथ)

 कोरोना से मौत होने वाले मरीजों के परिजनों को चार लाख का मुआवजा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि कोरोना मृतकों के परिजनों को सरकार मुआवजा दे. हालांकि, कोर्ट ने मुआवजे की रकम तय नहीं की है. कोर्ट ने कोरोना से जान गंवाने वाले मृतकों के परिवारों को मुआवजे देने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के भी निर्देश दिए हैं.



कोरोना से मरने वालों के परिवार को चार लाख रुपए मुआवजा देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुआवजा तय करना NDMA का वैधानिक कर्तव्य है. 6 हफ्ते के भीतर उसे राज्यों को निर्देश देना है. मुआवजे की रकम क्या होगी ये सरकार खुद ही तय करे, क्योंकि उसे कई और जरूरी खर्च भी करने हैं. साथ ही डेथ सर्टिफिकेट पाने की प्रक्रिया भी सरल की जाए.

केंद्र सरकार ने मुआवजा देने से अपनी परेशानियां गिनाई की कहा था कोरोना के खिलाफ लड़ाई प्रभावित होगी

केंद्र सरकार ने कहा कि सरकारी संसाधनों की एक सीमा होती है.


अगर इस तरह से 4-4 लाख मुआवजा दिया गया तो वर्ष 2021-22 के लिए राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के लिए आवंटित राशि 22184 करोड़ रुपए इस मद में ही खर्च हो जाएंगे. इससे महामारी के खिलाफ लड़ाई में उपयोग होने वाली राशि प्रभावित होगी. 4 लाख रुपए की मुआवजा राशि राज्य सरकारों की वित्तीय सामर्थ्य से परे है. पहले से ही राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के वित्त पर भारी दबाव है.

कोरोना के खिलाफ लड़ाई होगी प्रभावित

केंद्र ने कहा कि अगर राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) को कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देने में खर्च किया जाता है तो इससे राज्यों की कोरोना के खिलाफ लड़ाई प्रभावित होगी और अन्य चिकित्सा आपूर्ति और आपदाओं की देखभाल के लिए पर्याप्त धन नहीं बचेगा. इसलिए कोरोना से करने वालों के परिवार को अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना राज्य सरकारों की वित्तीय सामर्थ्य से परे है.


स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना वायरस की वजह से महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक सरकारी घोषणा में  चार लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि गैर सरकारी दावों में यह संख्या 40 लाख से ऊपर बताई जाती है जहां अच्छे कार्यों के लिए उनकी प्रशंसा की गरीबी दिखाई देती हो वहां पर एनडीटीवी चैनल विशेषकर रवीश कुमार ने दोनों अधिवक्ताओं को धन्यवाद देकर मैग्सेसे अवार्ड था सम्मान ही बढ़ाया है बल्कि अच्छे कार्यों के लिए काम करने वालों को प्रति धन्यवाद  ज्ञापित किया है विजय आश्रम ऐसे विजेताओं के लिए आभार प्रकट करता है।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"गर्व से कहो हम भ्रष्टाचारी हैं- 3 " केन्या में अदाणी के 6000 करोड़ रुपए के अनुबंध रद्द, भारत में अंबानी, 15 साल से कहते हैं कौन सा अनुबंध...? ( त्रिलोकीनाथ )

    मैंने अदाणी को पहली बार गंभीरता से देखा था जब हमारे प्रधानमंत्री नारेंद्र मोदी बड़े याराना अंदाज में एक व्यक्ति के साथ कथित तौर पर उसके ...