रविवार, 4 जुलाई 2021

बक्सवाहा में पेड़ों की कटाई पर रोक

बक्सवाहा वन विनाश परराष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी )ने किया  आदेश


 एनजीटी का आदेश एक अस्थायी राहत- यूथ फॉर स्वराज


हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि जंगल को नष्ट करने वाली परियोजना पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाती

यूथ फॉर स्वराज के जारी प्रेस नोट के अनुसार 4.7.21मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बक्सवाहा जंगल में 34 लाख कैरेट हीरा होने का अनुमान है. आदित्य बिड़ला के समूह एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने क्षेत्र में हीरे की खदान के लिए बोली जीती है। इस परियोजना के कारण, 2 लाख से अधिक पेड़ों वाला एक पूरा जंगल नष्ट होने का खतरा है। इसके खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण(नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, NGT) में याचिका दायर की गई थी।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), केंद्रिय ज़ोन बेंच ,भोपाल ,ने 1 जुलाई 2021 को अगले आदेश तक बक्सवाहा में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है।


 राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने अपने आदेश में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पी•सी•सी•एफ•) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोई पेड़ न काटा जाए। साथ ही वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक विशेषज्ञ पैनल का गठन


करने और वन विभाग से मंजूरी के बिना किसी भी पेड़ की कटाई ना हो इसका भी निर्देश दिया है । राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने केंद्र, राज्य सरकार, वन विभाग और निजी खनन कंपनी को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 27 अगस्त को तय की गई है।


लोगों की ताकत और उनके विरोध (जमीनी- स्तर  और ऑनलाइन दोनों) के कारण इस मामले में अस्थायी राहत मिली है। कई स्थानीय समूह और गठबंधन जंगल के विनाश का विरोध करने के लिए जमीन पर सक्रिय रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हैशटैग #SaveBuxwaha और #IndiaStandsWithBuxwaha नियमित रूप से ट्रेंड कर रहे हैं, इसके साथ पूरे भारत से समर्थन मिला है। बक्सवाहा जंगल के विनाश के खिलाफ याचिका को लगभग 70 हजार हस्ताक्षर प्राप्त हुए हैं और यह बढ़ते ही जा रहा है। 


युथ फ़ॉर स्वराज के मध्यप्रदेश के संयोजक मनजीत सिंह ठकराल ने बताया कि बकस्वाहा के जंगलों को बचाने की मुहिम के बीच शैल चित्र मिलने की बातें सामने आ रही हैं। यह शैल चित्र अग्नि काल के पहले के बताए जा रहे हैं। ऐसा माना जाता रहा है कि अभी तक भीमबेटका में जो शैल चित्र हैं वो 12000 वर्ष पुराने है। बकस्वाहा के जंगलों में मिलने वाले शैल चित्रों के बारे में अनुमान है कि यह 20000 से 25000 वर्ष पुराने हो सकते हैं। बकस्वाहा क्षेत्र में आग की खोज के पहले के शैल चित्र अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है। यह अपनी उपेक्षा की कहानी खुद बयां कर रहे हैं। इनमे से कई शैल चित्रों को शरारती तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है तो कई शैल चित्रों पर गहरी काई जम गई है। हम सरकार से व पुरातत्व विभाग से मांग करते है कि इन शैल चित्रों का संरक्षण और संवर्धन किया जाए और इन शैल चित्रों को विश्व धरोहर घोषित करवाया जाए जिसके लिए आने वाले समय मे सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान चलाया जाएगा। ये अभियान केवल जंगल बचाने का नहीं बल्कि जीवन और सभ्यता को बचाने का भी है।


जबकि यूथ फॉर स्वराज राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश का स्वागत करता है, हम यह भी स्वीकार करते हैं कि यह सिर्फ एक अस्थायी राहत है। यूथ फॉर स्वराज पर्यावरण संरक्षण के मूल्यों और सामाजिक न्याय के मूल्यों के लिए खड़े होने के लिए प्रतिबद्ध है जो पर्यावरण न्याय के केंद्र में हैं। वनों के विनाश का अर्थ केवल वृक्षों की कटाई ही नहीं बल्कि पशु प्रजातियों के आवास की हानि और वहां रहने वाले स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका का नुकसान भी होगा और इसलिए हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि जंगल को नष्ट करने वाली परियोजना पूरी तरह से खारिज नहीं हो जाती।



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