शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

लोग मरते हैं तो मरने दे, मंत्री जी तो कहेंगे उपभोक्ता जागरूक हों

 

लोग मरते हैं तो मरने दे, मंत्री जी तो कहेंगे उपभोक्ता जागरूक हों


तो कैबिनेट मंत्री और शहडोल क्षेत्र के पूर्व आदिवासी जनजाति मंत्री वर्तमान में खाद्य मंत्री बिसाहूलाल सिंह भी कह रहे हैं कि उपभोक्ता जागरूक हो।


अब सवाल यह है की रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग में यात्रा करने वाला यात्री उपभोक्ता है कि नहीं या वह यात्री मात्र है...? यह कानूनी पचड़ा है इसलिए भी के मंत्री जी को अगर अनूपपुर आना होता है भोपाल से तो ट्रेन से आते हैं और उनकी सड़कें ठीक हैं अगर उन्हें रीवा जाना पड़े तो उन्हें अंदाज हो जाएगा की एक यात्री के नाते वह रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग के उपभोक्ता है कि नहीं....? क्योंकि बड़े बड़े आईएएस और इंजीनियर उन्हें समझा सकते हैं कि यात्री एक उपभोक्ता है अथवा नहीं ..?
शायद यह सड़क निर्माण  तब के लोक निर्माण मंत्री रहे बिसाहूलाल सिंह की अनुपम देन थी।
 और अगर उनकी समझ में आता तो वह शायद एक मुकदमा उस ठेकेदार के खिलाफ जरूर लगाते जिसकी वजह से रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग कई हत्याओं के लिए जिम्मेदार हो चुका है। सड़क मार्ग में हुई हत्याएं जिससे दुर्घटना कहा जाता है मे मरने वालों को ठेकेदार और सरकार के अनुबंध के बीच में कितना मुआवजा देना  है या नहीं, अपने को इसलिए पता नहीं है क्योंकि रीवा अमरकंटक  बी ओ टी संभवत सड़क मार्ग में बनने वाली राज्य सरकार की पहली योजना थी ।
और इस योजना के अनुबंध की कॉपी रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग मैं पढ़ने वाले सभी जिला के जिला कलेक्टर के पास भी नहीं मिलेगी। क्योंकि यह बहुत को गोपनीय दस्तावेज है।
 गोपनीय दस्तावेज इस लिए भी है क्योंकि कथित तौर पर शासन के साथ जो अनुबंध हुआ था ठेकेदार का उसमें महत्वपूर्ण पैरा यह था कि सड़क निर्माण के बाद ठेकेदार 15 साल टोल टैक्स वसूले गा और 10 साल सड़क का रखरखाव करेगा कुल 25 साल सड़क के प्रबंधन का ठेका हुआ था। किंतु शासन के नेता और अफसर की मिलीभगत से ठेकेदार इस घटिया निर्माण की सड़क में 15 साल आदिवासी विशेष क्षेत्र शहडोल और अनूपपुर की सड़कों से हजारों करोड़ों रुपए लुटे और बंदरबांट किए। शेष बचे 10 साल तो छोड़कर सड़क का प्रबंधन भाग गया, ....अब लोग मर रहे हैं यह दुर्घटनाएं हो रही हैं तो होती रहे..।
 सरकार नयी योजना बनाने में लग गई है अब नए ठेकेदार को नए तरीके से आदिवासी क्षेत्र को लूटने की लूट की छूट देने की योजनाओं पर काम हो रहा है...? शायद इसीलिए सड़क के रखरखाव का अनुबंध का हिस्सा गायब हो गया है।
 और मंत्री जी कह रहे हैं उपभोक्ताओं को जागरूक होना चाहिए। घटनाएं क्योंकि अनगिनत है और प्रतिपल घट भी रही है इस सड़क मार्ग पर इसलिए एक-एक करके गिनाना मुश्किल है किंतु दो फोटो दुर्घटनाओं की हाल वाली दिखा रहे हैं । पूरे सड़क मार्ग के थानों में ऐसी गाड़ियां शोभा बढ़ाती रहती है बस पुलिस के पास यही चौकीदारी बची है



कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि छुहिया घाटी रीवा के पास कब बड़ी आपदा का हिस्सा बन जाए कहा नहीं जा सकता किंतु कर्तव्यनिष्ठा मंत्री बिसाहू लाल जी की तारीफ ए काबिल है वे उपभोक्ता  को जागरूक करने में लगे हुए हैं ।बेहतर होता बिसाहूलाल आदिवासी क्षेत्र के सीधी और रीवा शहडोल अनूपपुर के भी विधायकों के साथ सांसदों को लेकर एक मीटिंग करते और तत्काल रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग के अनुबंध करता ठेकेदार को बुलाकर सड़क ठीक करने को कहते हैं ।नहीं कर सकते, तो कम से कम संबंधित कलेक्टर्स को पत्र तो लिख सकते थे..... जागरूकता के लिए ।ताकि हो रही हत्याओं के लिए कोई जिम्मेदार ठहराया जा सके। क्योंकि कितने घंटा सड़कों को जाम करके सड़क यात्री उपभोक्ता रो सकेगा.. अब तो ठेकेदार भी भाग गया है तो सड़क में मेडिकल फैसेलिटीज भी खत्म है.। इसलिए बेहतर है सड़क प्रबंधन के लिए किसी भी प्रकार की समीक्षा बैठक में रीवा अमरकंटक सड़क मार्ग के अनुबंध पर चर्चा हो। 
अन्यथा लूट सके तो लूट...., वर्तमान शासन प्रशासन की पहचान बनती जा रही है। अगर शर्म है तो शर्मसार होना चाहिए अन्यथा पारदर्शी भ्रष्टाचार के धुंध में में उपभोक्ताओं को जागरूक करते रहिए..,

कोई नई बात नहीं है उधर प्रधानमंत्री जी किसानों को जागरूक नहीं  कर पा रहे हैं  और यहां मंत्री जी  याने ऊपर से लेकर नीचे तक जागरूकता जारी है...

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