गुरुवार, 24 दिसंबर 2020

सम्मान का अपमान, अब जारी हुए स्पष्टीकरण

 

सम्मान का अपमान या अपमान का सम्मान.. 

वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष शुक्ला ने जताया कड़ा एतराज.   " मामला राजनीति का है"

 एडिशनल एसपी की साफगोई




वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजसेवी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता संतोष कुमार शुक्ला ब्यौहारी- विगत दिनों हरिभूमि समाचार पत्र के शहडोल एडिसन में प्रकाशित गुण्डा लिस्ट जिसे पुलिस अधीक्षक कार्यालय शहडोल द्वारा जारी लिस्ट में पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी की गई गुंडा लिस्ट की सूची के बारे मे ब्योहारी के  कांग्रेसी नेता ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी व्यक्त की है। श्री शुक्ला ने साफ और कड़े शब्दों में कहा जितने दिन से पुलिस अधीक्षक अपनी सेवाएं अपने पद पर दे रहे हैं उस समय से विगत 40 वर्षों से मेरे नाम पर कोई मामला थाना ब्योहारी या अन्य पुलिस थानों में दर्ज नहीं है ।जिससे यह कहा जा सके की मेरे द्वारा कहीं पर हिंसा भड़काई गई है, शांति भंग की गई है। कोई दंगा फसाद किया गया है या कराया गया। बावजूद इसके पुलिस अधीक्षक द्वारा गुंडा लिस्ट की सूची में गुंडा शब्द को परिभाषित किए बिना जोड़कर प्रकाशित कराया गया। इसके पीछे प्रदेश की शिवराज सरकार का हाथ हो सकता है क्योंकि विगत कुछ दिनों से ब्योहारी नगर पंचायत के चेयरमैन पद के लिए मेरा नाम चर्चाओं में है। समस्त समाज के लोग यह मान रहे हैं ब्योहारी में पिछले जो अध्यक्ष चुने गए वह केवल खाने और उड़ाने के अलावा कुछ भी उपलब्धि ब्यौहारी के लिए नहीं दे पाए इस बार नगर के विभिन्न समाज के लोग मुझसे कह रहे हैं कि मैं नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ूं क्योंकि लोगों की हमेशा से मुझसे बहुत सारी अपेक्षाएं रही हैं। शायद इसीलिए भाजपा सरकार और उसके नुमाइंदे यह षड्यंत्र रच रखे हैं। 

 श्री शुक्ल ने


चुटकी लेते हुए कहा प्रदेश के मुख्यमंत्री अपने विरोधियों पर बड़ी कड़ी और सूक्ष्म नजर रखते हैं जिन नेताओं व कार्यकर्ताओं से सरकार व भाजपा को परेशानी या खतरा समझ में आता है उन्हीं लोगों के ऊपर कुछ ना कुछ षडयंत्र रच कर बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है आगे अभी और भी कई षड्यंत्र रचे जाएंगे ।जिसके लिए हमको आपको और समस्त कार्यकर्ताओं को सजग और सतर्क रहना होगा। श्री शुक्ल ने आगे कहा मेरे सहित शहडोल जिले के जाने-माने चर्चित अधिवक्ता एवं संघ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश दीक्षित  का भी नाम इस सूची में जोड़ा गया है।
 यह पूछे जाने पर की इस सूची को लेकर आप का अगला कदम क्या होगा...? श्री शुक्ल ने कहा मैं इस सूची से काफी आहत हुआ हूं मेरे कार्यकर्ताओं में रोष   और आक्रोश का माहौल व्याप्त है मैं अपने वरिष्ठ जनों से विचार विमर्श के बाद ही बताऊंगा कि मैं आगे क्या करने वाला हूं ।फिलहाल प्रकाशित सूची एक राजनैतिक षड्यंत्र है जिसका जवाब पुलिस अधीक्षक शहडोल को देना चाहिए। साथ ही प्रदेश के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को आगाह करते हुए शुक्ल ने कहा जिम्मेदार लोगों को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जिससे समाज में उनके प्रति घृणा नफरत वा हीन भावना पैदा हो। हालांकि उन्होंने सरकार को भ्रष्टाचार का पोषक बताते हुए कहा यह घिनौनी हरकत सिर्फ भाजपा और उसके नेता ही कर सकते हैं। पुलिस प्रशासन स्थानीय नेताओं और सरकार के दबाव में आकर ऐसा कोई कार्य ना करें जिससे उन्हें बाद में पछताना पड़े।

श्री शुक्ल के सहयोगी शेख रब्बानी का भी नाम इस गुंडा लिस्ट में सम्मिलित होने पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में शेख रब्बानी ने कहा विगत डेढ़ दो दशकों से मेरे नाम से कोई मामले दर्ज नहीं है और वर्तमान में मेरे ऊपर कोई प्रकरण भी प्रचलन में नहीं है, बावजूद इसके मेरा नाम इस सूची में क्यों आया, मेरे समझ से परे है। श्री रब्बानी ने मुस्कुराते हुए एक प्रश्न के उत्तर में कहा की स्वाभाविक है श्री संतोष शुक्ला मेरे राजनीतिक गुरु हैं और जब इस सूची में उनका नाम आया है तो मेरा नाम आना स्वाभाविक ही है। लेकिन इस नाम के पीछे भाजपा सरकार और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की साजिश है जो कभी कामयाब और सफल नहीं होंगे।
 जैसा कि सबको विदित हो चुका है की नगर पंचायत की सीट सामान्य है और मैं अपने पूरे टीम के साथ पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ श्री संतोष शुक्ल के नाम का समर्थन कर रहा हूं और मेरी पूरी टीम करेगी शायद इसी से भयभीत होकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने यह साजिश रची। रब्बानी ने कहा हम तो कांग्रेसी हैं हमारा नाम तो स्वाभाविक ऐसी सूचियों में आएगा ही लेकिन भाजपा कितनी एहसान फरामोश हो चुकी है की वह अपने ही पार्टी के युवा नेता श्री कृष्ण गुप्ता राजन एवं अन्य लोगों का नाम भी जोड़कर उन्हें भी राजनीतिक लड़ाई से किनारे करने की साजिश रच रही है। कुल मिलाकर यह कहा जाए कि शिवराज सरकार पहले भी अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को समय समय पर ठिकाने लगाती रही है और दमन कारी नीतियो से विख्यात और चर्चित है ।जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे वह अपनी करतूत करते रहेंगे। फिलहाल उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा यदि माननीय पुलिस अधीक्षक ने मेरा नाम भी घसीटा ही था तो उन्हें मेरी फोटो भी लगानी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्य से कहीं मैं और ज्यादा चर्चित ना हो जाऊं उन्होंने मेरा केवल नाम ही प्रकाशित कराया है फोटो नहीं लगाई है जिससे मैं कुछ ज्यादा ही दुखी हूँ।

 जबकि कांग्रेश से ही दावेदारी जता रहे केशव द्विवेदी मामू ने फोन पर कहा की वर्तमान में शहडोल में पदस्थ पुलिस हम लोगों को राजनीतिक रुप से क्षति पहुंचाने के लिए चार दशक पूर्व की सूची को उछाल कर बदनाम करने की साजिश की है ।
बहरहाल आज शहडोल एडिशनल एसपी

मुकेश वैश्य ने अपनी साफगोई में कहा है कि पुलिस ने ऐसी कोई सूची जारी नहीं की है
इन हालातों में यह और भी विरोधाभासी हो जाता है कि आखिर ऐसी सूचियां बनती कहां हैं और कैसे जारी हो जाती है।
 शहडोल का पत्रकार जगत इतना मेहनत करने वाला तो नहीं है की कोई सूची बना सके।
 देखते हैं आगे आगे होता है क्या....



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