मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

टिकैत को गंभीर अपराधों में फंसे (त्रिलोकीनाथ)


अपनी अपनी खेती....


शहडोल क्षेत्र में राष्ट्रीय किसान नेता

तब टिकैत गंभीर अपराधों में फंसे ।

(त्रिलोकीनाथ)

बात तब की है जब मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में बुधवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय


अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत समेत 850 से अधिक किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उत्तर भारत के किसान नेता टिकैत इनमें से चार सौ किसानों को जेल भेज दिया गया । ये सभी अनूपपुर के जैतहरी में स्थापित हो रहे मोजर बेयर पावर प्लांट के प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा न देने और उनकी जमीनों को जबरन हड़पने के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए जुटे थे जिसे नाकाम कर दिया गया। तब गंभीर आरोपों में शहडोल जेल में गिरफ्तार रहे टिकट स्थानीय किसानों को ताकत देने का काम कर रहे थे और शहडोल में आकर वे कई दिनोंं तक जेल मे संभवत हत्या के प्रयास का मुकदमा भी उस समय उनके खिलाफ दर्ज किया गया था किसी तरह प्रबंधन कर व्वे रिहा किए गए आज जब भी सरकार से भी अलग बात करते हैं तो संदेह के घेरे में आ जाते हैं 

प्रशासन ने एक दिन पहले ही अनूपपुर, उमरिया व शहडोल के रेलवे स्टेशन व बस स्टैंडों पर पुलिस तैनात कर दी थी, जिससे एक भी आंदोलनकारी किसान प्रदर्शन के लिए प्लांट तक नहीं पहुंच पाया। स्टेशनों पर ही आंदोलनकारी किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लगभग साढ़े आठ सौ आंदोलनकारी किसानों को पुलिस ने पकड़ा है, जिसमें से चार सौ को अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया और शेष को रिहा कर उनके घर भेज दिया गया।  शहडोल क्षेत्र के अनूपपुर जिले में इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ  कि पुलिस ने किसी बड़े आंदोलन को असफल कर दिया हो।

राकेश टिकैत उस महान किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के लड़केे भी जिन्होंने दिल्ली में जब एक बड़ा धरना कार्यक्रम दिया तो पूरी दिल्ली बैलगाड़ी ट्रैक्टर और किसानों से गांव बन गई थी ।



तत्कालीन पुलिस उपमहानिरीक्षक राजाबाबू सिंह ने बताया कि मोजर बेयर प्लांट पर पिछले दिनों आंदोलन के दौरान अराजकता सी स्थिति हो गई थी, इसलिए इस बार व्यवस्था मजबूत रखी गई और आंदोलनकारियों को प्लांट तक पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया।

भाकियू के चौधरी राकेश सिंह टिकैत ने कहा कि प्रदेश सरकार डंडे के दम पर किसानों की भूमि लूट रही है। हम किसानों का हक दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं और करते रहेंगे। मोजर बेयर प्लांट प्रबंधन किसानों को मुआवजा नहीं दे रहा है और जो जमीन सरकार ने खरीदी है उसकी कीमत बहुत कम है शहडोल के इतिहास में किसान आंदोलन के नाम पर जब राष्ट्रीय स्तर पर कोई किसान नेता आया तो उसे भी मध्य प्रदेश की राजनीति ने कचरा कर दिया था वह चारों तरफ से इस प्रकार से घेर लिया गया था कि जीवन भर आज भी टिकट को उस पर ब्लैकमेल किया जा सकता है।

और शायद यही कारण है कि आदिवासी क्षेत्र में या जनप्रतिनिधित्व में किसान आंदोलन की बात सोच के बलबूते भी नहीं है बल्कि जो भी किसान नेतृत्व पैदा होता है वह दमन का शिकार हो जाता है और यही कारण है कि कृषि क्षेत्र में अथवा वन क्षेत्र में कृषि उपज या छोटे बनू पक्ष बर्बाद कर दिए गए हैं सिर्फ उद्योगपतियों का गुलाम बनाकर शहडोल क्षेत्र की कृषि पद्धति यूकेलिप्टस प्लांटेशन अथवा जमीन अधिग्रहण के नाम पर गुलामी की चंगुल में फंस चुकी है आज कहीं भी कोई भी उद्योगपति चाहे वह पेपर मिल हो आधी सदी से भी ज्यादा सोन नदी के पानी को जहर बना कर रखा हुआ है तो वन क्षेत्र का रकबा धीरे धीरे अघोषित तौर पर खत्म हो रहा है या फिर क्षेत्र जंगली बनता जा रहा है आधुनिक शहरी आदमियों का या माफियाओं का जंगल मात्र।

बहरहाल लोक ज्ञान का भंडार लिए हमारी भारतीय किसान जो भारत की आत्मा की आवाज है दिल्ली की सल्तनत को चारों तरफ से घेर ली है बल्कि अपनी शर्तों पर प्रशासन को प्रशासन को अपनी बात समझाने का काम कर रही है और इस किसान के महा आंदोलन में भारत का तमाम किसान वर्ग उस से जुड़ता जा रहा है तो सत्ता में भी बगावत के स्वर फूटने लगे हैं देखना होगा की की क्या किसान भारत का भविष्य लोकतंत्र का भविष्य बचा पाते हैं?

और यह भी कि जब कभी किसान आंदोलन का इतिहास लिखा जाएगा तो शहडोल क्षेत्र की उस में भूमिका क्या शून्य होगी .... ?

यह भी देखना होगा..?



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