रविवार, 22 नवंबर 2020

आदिवासी क्षेत्र, भगवान भरोसे,आत्मनिर्भर कैसे बने....? (त्रिलोकीनाथ)

  शहडोल, प्रदेशकापांचवा

कोरोना-संक्रमित क्षेत्र बरकरार


आत्मनिर्भर कैसे बने....?

(त्रिलोकीनाथ)

आंकड़ों की जादूगरी और तमाम प्रकार के आंकड़ों को छुपाने के खेल के बावजूद मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस कि संक्रमित क्षेत्रों की सूची में शहडोल क्षेत्र पांचवां बड़ा संक्रमित क्षेत्र है बावजूद इसके कोरोना कोविड-19 को रोकने के लिए प्रदेश शासन ने आदिवासी क्षेत्र को उसके हाल में संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया है। 18 अक्टूबर के आंकड़ों को देखें और 1 माह बाद 22 नवंबर के आंकड़े बताते हैं कि शहडोल क्षेत्र लगातार बड़ा संक्रमित क्षेत्र है। क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर क्षेत्र में माफिया गिरी  को खुली छूट मिली हुई है  इस कारण  कोरोना संक्रमण  आदिवासी क्षेत्र की किस्मत बन रहे है ।

 आंकडो की जादूगरी में  देखिए,  देखते रहिए और समझते रहिए।  यहां का प्राकृतिक संसाधन  यहां की दुर्भाग्य  बनता जा रहा है ।


तो सबसे  पहले के आंकड़े देखें जहां की शहडोल अनूपपुर और उमरिया में 4810 संक्रमित व्यक्ति बताए गए थे और 50 व्यक्ति मृत थे 22 नवंबर को यानी 34 दिन बाद इन आंखों में 5623 संक्रमित तथा  57 मृत व्यक्तियों की स्थितियां प्रगट हो रहे हैं यानी 34 दिन में आंकड़ों के हिसाब से सिर्फ 7 व्यक्ति मरे हैं जिसमें शहडोल के दो व्यक्ति अनूपपुर के दो व्यक्ति और उमरिया के तीन व्यक्ति प्रदर्शित किए गए हैं।

 34 दिन में 7 व्यक्तियों की मृत्यु इसलिए भी आश्चर्यजनक है क्योंकि कहां रोज एक व्यक्ति मृत हो रहा था। कहां यह आंकड़ा जादूगरी से गायब हो गया तो सरकारी आंकड़े हैं सरकार जैसा चाहती है बड़ाती घटाती रहती है किंतु मृत्यु के मामले में यह अजीब जादू लगता है बहरहाल तुलना करना चाहिए ताकि आप समझ सके कि आप किस स्तर पर धोखा खा रहे हैं....

















चुनाव के मद्देनजर हमारे लोकतंत्र ने एक नया फंडा निकाला किस सिर्फ मेडिकल कॉलेज के आंकड़े ही कोविड-19 के आंकड़ों को सही माना जाए ।यानी फीवर क्लीनिक के या अन्य  आंकडे कोविड-19 के संक्रमित व्यक्तियों किस श्रेणी से बाहर हो गए यह भगवान ही बता पाएगा। 
सरकारी आंकड़ों और सत्ता में बैठे लोगों पर आप विश्वास करें या ना करें उससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि अभी तक भारतीय राजनीति में सत्तासीन किसी भी बड़े मंत्री के परिवार में या स्वयं मंत्री मृत्यु नहीं हुआ है ।रह गई चुनाव की बात तो हम सिर्फ वोटर हैं, वोट कब, कहां, कैसे, कितना, पड़ना है यह सब राजनीतिज्ञों के बाएं हाथ का खेल होता जा रहा है ।तो इसे भी एक दैवीय आपदा के रूप में हमें स्वीकार कर लेना चाहिए। जैसा कि भारत के मोदी सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा कर ही दिया है स्वयं का ख्याल रखें परिवार को सुरक्षित करें









तो परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा की सरकार की जिम्मेदारीी से आपकी अपनी जिम्मेवारीी है और यह तब पूरी होगी जब आप स्वयं कोरोनावायरस कॉविड 19 से सुरक्षिित रहने ठेका लेंगे क्योंकि यात्री और यात्री के समान की जिम्मेदारी संसार के यात्रियों की ही होतीी है कम से कम भारत में यही होता दिख रहा है आदिवासीी क्षेत्र शहडोल में सत प्रतिशत अपनी सुरक्षा आपकी निहित जिम्मेदारी है क्योंकि मध्य प्रदेश सरकार ने जिन बड़े पांच जिलों में आंशिक लॉकडाउन कियाा है उसमें आदिवासीी क्षेत्र शहडोल नहीं है जबकि प्रदेश का पांचवा संक्रमित आदिवासी क्षेत्र स्वयं प्रदर्शिित है।
 तो क्या  शहडोल में लगता है तो प्राकृतिक संसाधनों की लूट का सिलसिला रुक जाएगा...? शायद यही एक सोच कोरोना को शहडोल क्षेत्र में बढ़ावा दे रही है। क्योंकि ज्यादातरतर सफेदपोश राजनीतिक और अफसर प्राकृतिक संसाधनों की लूट में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शामिल हो चुके हैं।
 इसलिए मास्क पहने रहिए और जीवन को बचातेेेेेेेेेेे बने  तो   बचाना सीख लीजिए क्योंकि आदिवासी क्षेत्र शहडोल में माफिया, मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत का आइकॉन बना है।  आप जीवन को बचानेेे के लिए आत्मनिर्भर बन जाएं यही आपके लिए उचित होगा।
शहडोल की इस कदर उपेक्षा का सुनिश्चित होना उपलब्ध आंकड़ों  का परिणाम है ।ईश्वर करे मेरी यह सोच गलत हो।


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