शनिवार, 14 नवंबर 2020

पंचतंत्र में डी2 और एम2 (त्रिलोकीनाथ)-1


(त्रिलोकीनाथ)
 आधुनिक कार्टून चित्र की दुनिया के रचयिता वाल्ट डिजनी ने कार्टून के माध्यम से यह दुनिया ही खड़ी कर दी है जो मानवीय भावनाओं के इर्द गिर्द भरपूर मनोरंजन से हमें आनंदित करता रहा। और उबाऊ हो रही जिंदगी में मुस्कुराहट के क्षण देने का काम किया। क्या बच्चे क्या बूढ़े हर क्षेत्र में बाल डिज्नी का जादू सिर चढ़कर बोलता रहा है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सौ-सौ राष्ट्रों को घूमने के बाद आत्मनिर्भर भारत का अंग्रेजी संस्करण "वोकल फॉर लोकल" का कार्टून पर ज्यादा वजन दे रहे हैं। बाजारवाद की दुनिया में व्यापारी के नए नए आइटम का होना बाजारियों  के बाजार में टिके रहने के लिए जरूरी होता है। इसी कार्टून में "डोनाल्ड डक" और "मिकी माउस" का कार्टून उनकी कालजई रचना है। कार्टूनिस्ट के कार्टून हमारे आईकान होते हैं मनोरंजन के आइकॉन, दृष्टिकोण के भी आईकॉन हो जाते हैं ।और हमें आकर्षित करते रहते हैं।
 

राजनीति की दुनिया में डोनाल्ड डक अमेरिका के  डोनाल्ड से और भारत के  मोदी को "मिक्की माउस" के संदर्भ में हमने लिखने का प्रयास किया है।

बाकी कहानियां आप समझते रहिए और आनंद लेते रहे। 

ऐसा नहीं है कि वाल्ट डिजनी इकलौते रचनाकार रहे हो भारत में हजारो साल पहले पंडित विष्णु शर्मा द्वारा लिखे गये पंचतंत्र के पात्र पूरी तरह से पशु जगत के हैं तथापि इसमें बहुत कुछ ऐसा है जो मानव व्यवहार मे अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

इसका सबसे पहला अनुवाद पहलवी और अरबी भाषा में किया गया था। पश्चिम की ओर इसके प्रवासन का श्रेय फारस के बादशाह नौशेरवाँ के निजी चिकित्सक बोरज़ुई को जाता है।कहते हैं बोरज़ुई छँठी शताब्दी ईसा  में मृत्त शरीर को ज़िंदा करने वाली मृत संजीवनी बूटी के लिये भारत आये थे। उन्हे बूटी तो मिली नहीं लेकिन पंचतंत्र मिल गया।और इसको पढ़ते हुये उन्हे बोध हुआ कि ज्ञान ही जादुई बूटी था और अज्ञान मृत शरीर। आश्चर्य नहीँ कि ज्ञान पंचतंत्र की निरंतर चलने वाली विषय-वस्तु है। दृष्टि की सच्ची इंद्रिय ज्ञान है आंख नहीं और यह नीति का एक व्यावहारिक मार्ग-दर्शक अथवा बुद्धिमत्तापूर्वक जीवन जीने की कला। पांच पुस्तकों में संग्रहीत ये नीति कथायें मनीषी विष्णु शर्मा ने एक राजा के मंदबुद्धि बेटों को सुनाईं थीं। 
इन संग्रह को इन खण्डों मेँ बाँटा गया है- मित्रों की हानि अथवा मित्र-भेद, मित्रलाभ अथवा मित्र-संप्राप्ति, कौआ और उल्लू अथवा काकोलुकीयम, लाभ की हानि अथवा लब्ध-प्रणाश और अविवेकी कर्म अथवा अपरीक्षित कारक।विष्णु शर्मा ने अपने माध्यम की तरह नीति कथा को चुना क्योंकि उनकी समझ से अग़र मनुष्य की कमज़ोरियों को मनोरंजक ढंग से उन पशुओं की कहानी की तरह कल्पित और प्रस्तुत किया गया हो तो मनुष्य उनको स्वीकार कर सकता है क्योँकि पशुओं को वे अनेक प्रकार से अपने आप से कमतर समझते हैं।

लोभ,छल, मूर्खता, धोखे, व्यभिचार और वफ़ादारी की कहानियां मात्रोश्‍का – गुड़िया के भीतर गुड़िया वाले रूसी खिलौने–की तरह खुलती हैं।
हालांकि पंचतंत्र हो या वाल्ट डिजनी की दुनिया के संदेश बुराई पर अच्छाई की विजयवाली उपदेशपूर्ण कहानियाँ नहीं हैं। 

तो आइए अपनी कहानी की पहली कड़ी में हम दिल्ली डीडी और एमएम माउस की राजनीति में एग्रीमेंट को जोड़कर देखें डीडी डक की समस्या यह है उसे राजनीति टिका रहना इसलिए जरूरी है क्योंकि वह एक एग्रीमेंट के तहत निजी जीवन में परिवार को बचा कर रखा है और जैसे ही वह चुनाव हारता है याने राष्ट्रपति पद से वंचित होता है वैसे ही उसकी पत्नी यानी मिसेज डीडी उनसे तलाक ले लेंगे यह बात भी चर्चा पर रही है क्यों उनकी निजी जिंदगी ही एक एग्रीमेंट रही है और एग्रीमेंट के जरिए ही वह निश्चित समय तक डीडी की अर्धांगिनी बनना स्वीकार की हैं अमेरिका में जीवन शैली का यह अपना नैतिक तरीका है हो सकता है मिसेज डीडी को तलाक के साथ कुछ धन भी मिल जाए किंतु मिसेस डीडी जितना समय भी राजनीति के दौर में एग्रीमेंट के तहत रही हैं अब डोनाल्ड  को वह पचा नहीं पा रही हैं इसलिए मुक्त होना चाहते हैं। यह खबर उनके सत्ता की राजनीति में होने के कारण एग्रीमेंट का पालन नहीं हो पा रहा है।

यह दुनिया के शक्तिशाली प्रथम व्यक्ति डीडी और मिसेस डीडी की दुविधा है, ऐसा नहीं है की डीडी के समकक्ष ही ताकतवर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के एमएम (मिकी माउस )की चाहत उनसे कुछ कमजोर है वह भी सत्ता की राजनीति में आते ही नंबर 1 के प्लेन पर अपना आधिपत्य जमा लिया है यह अलग बात है कि मिकी माउस को अपने सारे प्लेन महाराजा सहित बेचने पड़े हैं। तब जाकर वह नंबर एक पर उड़ रहा है। यह भी अलग बात है कि अमेरिका में नैतिकता की नीति के तहत डीडी जिस एग्रीमेंट को लेकर परेशान है वह भारत में कोई एग्रीमेंट ही नहीं होता है। यह भारतीय संस्कार की विशेषता है की मिकी माउस जहां चाहता है उस बिल में घुस जाता है यही उसकी सुरक्षा का कारण भी है और जब चाहता है अपनी अर्धांगिनी को रास्ते पर छोड़ देता है ।मिसेस एमएम ने हलां की कोई "अमेरिकी एग्रीमेंट" सत्ता की राजनीति करने वाले एमएम के साथ नहीं किया था और भारतीय संस्कार होने के कारण मिसेज एमएम परित्यक्ता का जीवन भी जीने को बाध्य है यह बात अलग है कि वह परित्यक्ता नहीं है।

 किंतु अमेरिका की तरह भारत मैं भी धीरे धीरे कानूनी बाध्यता एग्रीमेंट के तरह कहीं-कहीं बातें करती है सत्ता की चाहत त्याग की मूर्ति एमएम को दवाब बनाता है कि अगर चुनाव लड़ना है और प्रधानमंत्री बनना है तो शपथ दो की, कोई पत्नी भी है और बाल बच्चे, उसकी प्रॉपर्टी आदि आदि क्या है। एमएम इसमें अपनेआप फसतें हैं, चालाक एमएम किसी भी बड़े शिकारी को चकमा देकर अब तक किसी भी बिल में अंततः घुस जाने की कला के कलाकार रहे हैं किंतु लोकतंत्र में पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ तमाम सच्चाई यों को स्वीकार करना पड़ता है और किसी भी झूठ को बार-बार स्टेब्लेस्ड और आइकॉन बनाकर उसे स्थापित किया जा सकता है इस तरह अशिक्षा की अयोग्यता की तरह ही मिसेस एमएम को परित्यक्त जीवन की बाध्यता एक योग्यता के रूप में स्थापित की गई है। और यह अपने आप में आत्मनिर्भर भारत का बड़ा प्रतीक ही है। तथा एमएम की सफलता का राज भी। क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र का हकदार अमेरिका का डीडी की तरह वहीं फंस जाता और उसकी मजबूरी हो जाती कि वह सत्ता की राजनीति में इसलिए बना रहे ताकि मिसेस डीडी उसे छोड़कर चलता ना कर दे। धन भी गया, धर्म भी गया बीवी भी गई, बाबा भी गया।
 किंतु भारत में जनसंख्या के बल पर सबसे बड़ा लोकतंत्र है इसलिए यहां नैतिकता को धर्म की जाल में सजा कर सत्ता की राजनीति बना रहना आसान है एमएम के लिए यही एक सबसे बड़ी सुविधा है और संस्कारी मिशेज एम एम ने भी कोई एग्रीमेंट भी नहीं किया कि वह सत्ता के हटने के बाद कुछ दबाव बना पाती। इसलिए दुनिया का सबसे ताकतवर लोकतंत्र  का डीडी से जनसंख्या बल के सबसे बड़े  लोकतंत्र का एमएम जीत जाता है। बिना किसी बिल में जाए इस तरह वाल्ट डिज्नी का मिकी माउस, डोनाल्ड डक को हरा देता है

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