सोमवार, 20 जुलाई 2020

अतिक्रमण की चुनौती को अवसर में बदलते लोग... (त्रिलोकीनाथ)

मामला धनपुरी रीजनल के सामने का....
अतिक्रमण की चुनौती को
अवसर में बदलते लोग...


भू-माफिया ने दबंगई के साथ करा रहा है अतिक्रमण....
(त्रिलोकीनाथ)

"यदि बाड़ी ही खेत खाने लगे, उसकी रक्षा कौन करेगा...? यह अहम प्रश्न यूं तो पूरे जिले में जिला के प्रशासनिक अमले के लिए एक चुनौती है ...।
और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी का नारा है हर चुनौती एक अवसर है, किंतु शहडोल के धनपुरी मुख्य मार्ग पर यानी रीजनल  के सामने नेशनल हाईवे में धनपुरी की आराजी खसरा नंबर 351 के करीब ढाई एकड़ लंबी पट्टी पर अतिक्रमण करने की जो छूट राजस्व अमला अतिक्रमणकारी को दे रखा है उससे फिलहाल तो यही सिद्ध होता है की भू माफिया के लिए यही एक अवसर है।याने कोरोना कोविड-19 की बीमारी में अतिक्रमण करने का एक अवसर  है। और अगर सरकारी जमीन लूटने में सरकारी कर्मचारी अतिक्रमणकारी को मदद करते हैं उस के पक्ष में रिपोर्ट बनाते हैं तो यह सोने में सुहागा है।

 
 तो सरकारी जमीन को लूट सके तो लूट के अंदाज में सभी भ्रष्टाचारी खुलकर लुटवा रहे हैं...?
बताया जाता है कि 2005 तक खसरा नंबर 344 सरकारी जमीन के रूप में दर्ज इस राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पर किसी सिद्धकी नामक व्यक्ति ने पट्टा बनवा लिया। वह भी कोई 600 वर्ग फीट का नहीं बल्कि पूरे 38 डिसमिल का। चलिए अधिकार रहा होगा और जुगाड़ भी, तो पट्टा बन गया ।
किंतु अब इस पट्टे से लगी खसरा नंबर 351 कि शासकीय सड़क मार्ग से लगी जमीन पर अवैध निर्माण होने लगा शिकायत हुई ।राजस्व अमला पहुंचा और उसने सिद्दीकी को सरकारी जमीन को पट्टे की आराजी बताकर प्रतिवेदन भी दे दिया ।संबंधित पटवारी कथित तौर पर कोई पृथ्वी सिंह ने कितना पैसा पाया यह तो स्पष्ट नहीं है किंतु यह स्पष्ट जरूर है कि खसरा नंबर 351 की समस्त राष्ट्रीय राजमार्ग की करीब ढाई एकड़ की आराजी को बचाने के लिए कोई बड़ा प्रतिवेदन नहीं दिया ।और तथाकथित तौर पर जिस शिकायत में इस अतिक्रमण में स्थगन आदेश तहसीलदार बुढार ने जारी किया था उस शिकायतकर्ता ने भी अपनी शिकायत वापस ले ली या अनजान बन गया ...?
   जिससे अतिक्रमणकारी का मनोबल बढ़ गया ।यह अलग बात है कि शिकायतकर्ता को अतिक्रमणकारी से कितना पैसा मिला या फिर शिकायत करने पर धमकी मिली...?
 
  सूत्र बताते हैं की खसरा नंबर 351 में जो कि एक लंबी पट्टी की तरह है कुल 7 व्यक्तियों ने कुछ इसी अंदाज पर पट्टा बनवाया है जैसे सिद्दीकी ने कभी इसी 351 के बगल से  344 नंबर पर बनवाया था..., सूत्रों के अनुसार खसरा नंबर 351 में जसवंत कौर पत्नी महेंद्र सिंह खनूजा , अमरीश कुमार और आरती को  4:30 डिसमिल, दशरथ पिता जयदेव को .045 हेक्टर, अकबर को .0214 हेक्टेयर तथा प्रभुदयाल व हनुमान प्रसाद खंडेलवाल को .065 वा .053 हेक्टर जमीन का पट्टा बनाया गया है। और इस प्रकार आज भी करीब ढाई एकड़ जमीन खसरा नंबर 351 में शेष है जिसमें आंशिक भाग पर राष्ट्रीय राजमार्ग निकला है शेष जमीन अतिक्रमणकारियों को राजस्व का अमला "अंधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह-चीन्ह कर देय" के अंदाज पर भ्रष्टाचार के लिए उपयोग कर रहा है।
     और कहते हैं इस बार रेवड़ी खाने के लिए अतिक्रमणकारी सिद्धकी बंधुओं को मिल रही है।
      धनपुरी नगरपालिका परिषद के नगर पालिका अधिकारी रवि त्रिपाठी कहते हैं "ऑनलाइन रेरा में इस निर्माण का पंजीयन है" जो कथित तौर पर अतिक्रमण करके बनाया जा रहा है "इसलिए यदि कोई विवाद है तो उसे राजस्व के अमले को सीमांकन करके बताना चाहिए"
     तहसीलदार बुढार का कार्यालय कहता है कि जो प्रतिवेदन आया है उसके आधार पर जमीन सिद्धकी की है इसलिए ऑर्डर कर दिया गया। यह अलग बात है कि ऑर्डर में शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने पर दबाव बनवाया गया या फिर पटवारी ने सरकारी जमीन होने से मौका स्थल पर गलत प्रतिवेदन दे दिया....?
   बरहाल मामला उच्च अधिकारियों के पास पहुंच गया है जिसकी जांच किस स्तर पर कौन अधिकारी करता है यह अधिकारी की कर्तव्यनिष्ठा और इमानदारी को प्रमाणित करेगा... फिलहाल उच्चअधिकारी कोरोनावायरस से लड़ने में व्यस्त हैं और उन्हें कितना वक्त मिलता है इस अतिक्रमण कारी के अतिक्रमण को प्रमाणित करने में यह कहा नहीं जा सकता। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि खसरा नंबर 351 की सड़क-जमीन को छोड़कर बाकी जमीन को भ्रष्टाचारी अमला जमकर बंदरबांट कर रहा है। क्योंकि मौका स्थल पर यही दिखता है।
 यह भी एक तर्क प्रमाणित करता है कि जहां पर निर्माण हो रहा है उसके ठीक बगल में जब पूर्व के पटवारी ने उसे शासकीय आराजी घोषित किया है तो कैसे ठीक बगल किया आराजी निजी हो जाएगी....? याने फिलहाल तो यही सिद्ध हो रहा है कि पटवारी और आरआई जब चाहे जहां की जमीन सरकारी घोषित कर दें, और जब चाहे वे उसे निजी जमीन घोषित कर दें...
    तो फिर कानून का राज क्या इनकी जूते के तले में दबा पड़ा है अथवा अपने जूते की नोक में संवैधानिक व्यवस्था को चलाने का सपना भ्रष्ट हमला देख सकता है .....यह धनपुरी में इस अतिक्रमण से प्रमाणित होता है। और यही नकाबपोश प्रशासनिक अमले की एक पहचान है। देखना होगा उच्च अधिकारी कितने कर्तव्यनिष्ठ होकर शासकीय आराजी को बचा पाते हैं....?
फिलहाल रेरा का  झुनझुना लेकर सिद्धकी प्रशासनिक अमले को उसी तरह डरा रहे हैं  जैसे  जैसे कोविड-19 के वायरस को डराया गया था  जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने ताली और थाली बजाकर, डीजे बजवा कर डरवाने का काम किया था। 
यह अलग बात है कि वह भी भ्रम था... और यह भी भ्रम है... तो प्रशासनिक अमला कब तक डरता है यह भी देखना होगा..।

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