बुधवार, 22 जुलाई 2020

अहम् ब्रह्मास्मि..1 (त्रिलोकीनाथ)

 

अहम् ब्रह्मास्मि-1

पुलिस एनकाउंटर /हत्या में 

भरतपुर के राजा को मिला न्याय ...



(त्रिलोकीनाथ)

राजस्थान के लंबे समय तक विधायक रहे राजा मानसिंह इस बात से बहुत नाराज थे कि तत्कालीन गवर्नमेंट ने उनके किले में लगे उनके अपने झंडे को हटा दिया और उसका गुस्सा तत्कालीन सत्ता के मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर को अपने जोगा से टकराकर उन्होंने खत्म किया| भरतपुर की पुलिस ने इसका बदला उनकी हत्या कर के लिए| जिसका  फैसला हो गया, पुलिस वाले हत्या के दोषी पाए गए|

 किंतु सामूहिक रूप से 20 साल से लेकर 50 साल तक के युवाओं ब्राम्हण लोगों की हत्या का दंश झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार के भगवाधारी मुख्यमंत्री को क्या रामजन्मभूमि मंदिर प्रायश्चित कर देगी, यह देखना होगा |

यह भी अजीबोगरीब संयोग है कि जब वीरों की धरती राजस्थान के भरतपुरराज्य के राजा मानसिंह पुलिस वालों द्वारा घेराबंदी करके उनकी हत्या किए जाने पर भारतीय न्यायालय करीब 35 साल बाद न्याय कर दोषी पुलिस वालों को दंडित कर रहा है, उसी दौर में उत्तरप्रदेश की भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो हिंदुत्व के बैनर से मुख्यमंत्री तक पहुंचे हैं उन्होंने हिंदुत्व का चतुरवर्ण व्यवस्था मैं प्रमुख रहा कई ब्राम्हण लोगों की अपने ही पुलिस द्वारा घेराबंदी करके इनकाउंटर करा हत्या का अभिशाप झेल रही है|

राजा मानसिंह की हत्या और उत्तर प्रदेश के कानपुरवाले विकास-दुबे की हत्या एक बात समान है इस मायने में दोनों ही एनकाउंटर रूपी हत्या में पुलिस ने हत्यारा बनकर अपनी भूमिका निभाई|

भरतपुर राज्यपरिवार की मर्यादा थी और आर्थिक संपन्नता कि भारतीय न्यायालय में वह न्याय पा सके| हो सकता है विकास दुबे के विरासतदार परिवार अपराधिक-पृष्ठभूमि से होने के कारण इतना जमीर पैदा करके न रख सके कि वह विकास दुबे कानपुर-वाले नामक इस सामूहिक ब्राह्मण-हत्याकांड का न्याय कर सके...?क्योंकि न्याय पाने के लिए उतनी ही नैतिकता चाहिए जो अन्याय में की ताकत में होती है|

बहरहाल अपराधिक-राजनीति से संरक्षित और विकसित अपराधियों के समूह का चेहरा बने विकास-दुबे का विकास इतना हो गया था कि उसे खत्म करना भी जरूरी था| वह भी ब्राह्मण था और कभी रावण भी ब्राह्मण  थे, रावण के इष्ट भी भगवान शंकर थे और विकासदुबे कानपुरवाले के महाकाल भगवान शंकर उज्जैन थे|  इसमें कोई शक नहीं कि अत्याचार और अन्याय कभी सफल नहीं होता और शिव उसे माफ भी नहीं करते|

 किंतु तब त्रेता के राम की नैतिकता और न्याय का मापदंड स्थापित था, आज जब ब्राह्मणों की सामूहिक हत्या का जश्न उत्तर प्रदेश सरकार मना रही है.., जैसे खून का बदला खून के रूप में और एक सन्नाटे की तरह यह घटना विश्व के तमाम ब्राह्मणों में बस गई है, ब्राह्मणों के जरिए हिंदुओं में जा घुसी है... तब हिंदुत्व-ब्रांड को यह महसूस होता है उनका पाप का प्रायश्चित अयोध्या की रामजन्म भूमि का मंदिर और उनके रामलला का प्रोपेगेंडा उन्हें बचा सकता है..., देखना होगा त्रेतायुग के राम ज्यादा बड़े थे.. या कलयुग के राम न्याय-प्रिय साबित होते हैं..|

 बरहाल कल से राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद के आधार स्तंभ अयोध्या की ढांचा को गिराए जाने के आरोप में भारतीय

जनता पार्टी के शिखर पुरुष रहे लालकृष्ण आडवाणी और उनके समूह सदस्य जिसमें सन्यासी उमा भारती भी हैं न्यायालय की चौखट में अपना दस्तक देंगे जहां उस विवादित ढांचे को न्याय दिए जाने का खाका तैयार हो रहा है....|

 


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