भारत के अंदर कितने चीन....?
भारत के अंदर 10 चीन....
(त्रिलोकीनाथ)
दुनिया में कोरोनावायरस कोविड-19 को जन्म देने वाला चीन दुनिया में सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्रों में 83602 व्यक्तियों के संक्रमित आंकड़ों के साथ 23 में स्थान पर बना है ।भारत करीब 9लाख संक्रमित व्यक्तियों के हिसाब से तीसरे स्थान पर है ।चीन जल्द ही इजिप्ट के 24 में स्थान पर पहुंच जाएगा।
बावजूद चीन का विस्तार वादी सोच भारतीय राजनेता और उनकी मोदी सरकार के समकक्ष दिखाई देती है, जो अपने साम्राज्यवाद के विस्तार में कोरोनावायरस के बढ़ते आंकड़ों की फिक्र नहीं कर रहे हैं।
शायद उन्हें कोरोनावायरस एक अवसर के रूप में मिला ।दुनिया में चीन का साम्राज्यवाद ,भारत में भाजपा का साम्राज्यवाद और शहडोल संभाग आदिवासी क्षेत्र में खनिज माफिया का साम्राज्यवाद सबके लिए कोरोनावायरस एक वरदान है...इसलिए रेत की कीमत 10 से 15000 रुपएप्रति वाहन पूरी गुंडागर्दी के साथ शहडोल क्षेत्र में यानी लोकसभा क्षेत्र में लागू है। जनप्रतिनिधि की चुप्पी पार्षद से लेकर सांसद तक यह बताती है कि हराम का मकान, हराम का खाना तो क्या हराम की रेत भी मिलेगा... ? बिल्कुल नहीं मिलेगा साहब।
शायद उन्हें कोरोनावायरस एक अवसर के रूप में मिला ।दुनिया में चीन का साम्राज्यवाद ,भारत में भाजपा का साम्राज्यवाद और शहडोल संभाग आदिवासी क्षेत्र में खनिज माफिया का साम्राज्यवाद सबके लिए कोरोनावायरस एक वरदान है...इसलिए रेत की कीमत 10 से 15000 रुपएप्रति वाहन पूरी गुंडागर्दी के साथ शहडोल क्षेत्र में यानी लोकसभा क्षेत्र में लागू है। जनप्रतिनिधि की चुप्पी पार्षद से लेकर सांसद तक यह बताती है कि हराम का मकान, हराम का खाना तो क्या हराम की रेत भी मिलेगा... ? बिल्कुल नहीं मिलेगा साहब।
अगर कोरोनावायरस कोविड-19 का पैरामीटर चीन को माने तो चीन में 83602 कोरोनावायरस संक्रमित लोगों की संख्या के साथ दुनिया में सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्रों में चीन अभी 23 में स्थान पर है, और भारत तीसरे स्थान पर । कल तक चीन 24 में स्थान पर हो जाएगा इजिप्ट को उसके संक्रमित आंकड़ों 82070 को ऊपर की ओर धकेल कर ।
तो भारत के अंदर महाराष्ट्र में तीन चीन है क्योंकि यहां 254427 वायरस संक्रमित नागरिक दर्ज किए गए हैं। अकेले मुंबई में एक चीन है जहां करीब 93000 संक्रमित व्यक्ति दर्ज किए गए हैं। थाने और पुणे को मिला दे तो एक चीन यहां भी दर्ज हो जाता है। इसी तरह तमिलनाडु में 142798 दर्ज आंकड़ों के साथ एक चीन तमिलनाडु में भी बसा हुआ है। भारत दिल्ली की राजधानी है 1,12,494 संक्रमित व्यक्तियों के साथ दिल्ली तीसरे पायदान पर हैं। इस प्रकार मोटा मोटी 3 राज्यों में पांच चीन संक्रमित राष्ट्रों के आंकड़ों से ज्यादा संक्रमित व्यक्ति भारत में अपनी बढ़त बनाए हुए हैं। कुल मिलाकर 9 लाख भारत में वायरस संक्रमित लोग ज्ञात रूप से दर्ज इस तरह भारत के अंदर का 10 चीन के बराबर मरीजों की संख्या हैहैं।
अज्ञात रूप से दर्ज कितने लोग हैं इसकी जानकारी भारत सरकार की आंकड़े की विभाग की औकात से बाहर है क्योंकि भारत सरकार कहे, भारतीय जनता पार्टी की सरकार जिससे मोदी की सरकार भी कहा जाता है उसकी पूरी बौद्धिक विभाग का ध्यान अपनी भाजपा विरोधी विधायकों की सांख्यिकी आंकड़ों को जोड़ने और घटाने में लगा हुआ है। तो उसे क्यों मालूम होगा कि भारत में 10चीन( संक्रमित व्यक्तियों के आंकड़े )बड़ी तेजी से बढ़ रहे हैं।
यह कुछ इस प्रकार से है जैसे चीन ने अपने वायरस फैला दिए और अब अपने विरोध में ध्यान हटाने के लिए अलग-अलग देशों में हमला करवाता है। साम्राज्यवाद की सोच को दिखाने के लिए गीदड़ भभकी का इंतजाम करता है। हो सकता है इस गीदड़ भभकी को पैदा करने में भी चीन ने कोई बड़ी कीमत ले रखी हो। अलग-अलग देशों से अलग-अलग प्रकार से । कुछ जगह इसको लाभ मिल भी जाता है , जैसे टेस्ट ट्यूब के रूप में नेपाल में कुछ गांव में कब्जा कर लिया है। रूस को भी आंखें दिखाया भारत के साथ भी एक नूरा-कुश्ती कुछ जवानों की शहीदी की कीमत पर उसने सफलतापूर्वक तरीके से कोरोनावायरस का ध्यान हटाया..?
चीन कोई छोटा राष्ट्र नहीं है जनसंख्या की दृष्टि से वह भारत का बड़ा भाई है। ऐसा भी नहीं है कि चीन के प्यारे कोविड-19 कोरोनावायरस के जन्म लेने का ज्ञान भारतीय नागरिकों को नहीं हुआ
विपक्षी कांग्रेस के भाजपा द्वारा प्रचारित पप्पू बड़े नेता राहुल गांधी ने भारत की सर्वाधिक गुप्तचर एजेंसियों से भी ज्यादा तेज तर्रार जानकारी भारत सरकार याने मोदी सरकार को दी। किंतु तब भाजपा की मोदी सरकार कोरोना को हवाई जहाज से उठा-उठा कर भारत में लाने का काम कर रही थी। इसलिए उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। भारत तब कोरोना नामक चुनौती में अवसर ढूंढ रहा था ।
विपक्षी कांग्रेस के भाजपा द्वारा प्रचारित पप्पू बड़े नेता राहुल गांधी ने भारत की सर्वाधिक गुप्तचर एजेंसियों से भी ज्यादा तेज तर्रार जानकारी भारत सरकार याने मोदी सरकार को दी। किंतु तब भाजपा की मोदी सरकार कोरोना को हवाई जहाज से उठा-उठा कर भारत में लाने का काम कर रही थी। इसलिए उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। भारत तब कोरोना नामक चुनौती में अवसर ढूंढ रहा था ।
उसने एक अवसर मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को तख्तापलट करने में कन्या कुमारी से कश्मीर तक भारत एक कर दिया था। और उसे सफलता भी मिली। उसने एक लोकतांत्रिक तख्तापलट के लिए कोरोना का इंतजार नहीं किया। लोकतांत्रिक मंत्रिमंडल के पांच पांडवों को बनाने के लिए भी मध्यप्रदेश में महिने भर से ज्यादा समय लगा ।
क्योंकि मिली-जुली सरकार थी, हमारे शहडोल क्षेत्र के बिसाहूलाल के नेतृत्व में विधायक एक श्रीमंत माधवराव सिंधिया के पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कुछ विधायक और भारतीय जनता पार्टी के अंदर कुछ-कुछ गुटके कुछ-कुछ विधायक और आज माने तो उमा भारती गुटके भी एक विधायक... ऐसे एक मिली जुली सरकार जिसे भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी ठीक वैसे ही कहा जा रहा है जैसे कि दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मोदी सरकार कहा जाता है।
और आज बड़े हाई-फाई, हाई-प्रोफाइल प्रबंधन में इस मिली-जुली सरकार नए मंत्रिमंडल का बटवारा भी हुआ। यह सही है कि मध्यप्रदेश के अंदर चीन नहीं बन पाया। बावजूद इसके कि भारत के अंदर 10चीन बनने का पूरा श्रेय मध्य प्रदेश सरकार के "तख्तापलट कार्यक्रम" जैसे चीन के अंदर वायरस तो उसने दिया देश को किंतु खुद चीन बच गया और एक पैरामीटर बन गया। कम से कम हमारी नजर में यह नापने के लिए कि किस राष्ट्र की दुनिया में कितनी प्रगति है |तो भारत की प्रगति 9लाख संक्रमित व्यक्तियों के साथ दर्ज हुई है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है यह बढ़ेगी।
किंतु चीन में बढ़ेगी या नहीं, वह चुप रहता है ।लेकिन भारत चीन का छोटा भाई है इसलिए वह भी उसी अंदाज में भारत के राजनेता एक चीनी शासक की तरह अपना साम्राज्यवादी विस्तार जारी रखे हुए हैं। इससे तख्तापलटता है या नहीं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
पलट जाएगा तो सोने में सुहागा, नहीं पलटा तो कोरोनावायरस तो परेशान नहीं करेगा । जब दुनिया का सर्वाधिक बड़ा राष्ट्र भारत बनेगा तब हमारी चिंता प्रारंभ होगी।
फिलहाल हमने आज ही गूगल के साथ उनके मुखिया सुंदर पिचाई से भारत के अंदर 75 हजार करोड़ पर रुपए के कारोबार स्टार्ट करने का जश्न मना रहे हैं, अब यह चुनौती का अवसर कोरोनावायरस ने भारत को दिया है या पिचाई को ..?,यह तो वक्त बताएगा..., फिलहाल 75 हजार करोड़ के निवेश के सपने के साथ 9लाख संक्रमित भारतीय नागरिकों का आंकड़ा हमारे यहां भारतीय लोकतंत्र के पतित होती मर्यादाओं से ध्यान डाइवर्ट करने का , याने ध्यान भटकाने का शानदार अवसर है। और हमें इसके लिए गर्व से कहना चाहिए कि हम भारतीय हैं। हम गुलाम बनने की रफ्तार में हजारों साल पहले जन्म लिए थे, स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों का सपना है।
तो नागरिकों ने इस सपना 70 साल देख लिया है कम से कम जैसे उदाहरण के लिए शहडोल में आदिवासी क्षेत्र पर जहां आदिवासी प्रतिनिधि निर्वाचित होकर मूक-बधिर रहते हैं... वहां स्थानीय संस्थाधन में स्थानीय व्यक्तियों का अधिकार खत्म हो जाता है.... शहडोल नगर में पानी के पूरे तालाब नष्ट करने की तीव्र रफ्तार में काम हो रहा है. इसके साथ ही एक सिरफिरे एसडीएम ने प्रशासक बनकर सभी प्रतिनिधियों को किक करते हुए 40 रुपएमाह का पानी 100 रुपएमांह कर दिया। अब बारी आई रेत की तो 10 से 15 हजार रुपए प्रति मध्यम वाहन रेट की कीमत तय होकर खुलेआम बाजार में बिकने लगी।
ओ-के कोरोनावायरस से मोदी सरकार ने और उनकी भाजपा सरकार ने करोड़ों अरबों रुपए गरीबों की बस्ती में निवेश कर दिया , 80 करोड़ तो मुफ्त में खाना खा रहे हैं नरेंद्र मोदी जी का ऐसा दावा है। मुफ्त खोरी ज्यादा दिन तक तो चले इसलिए रेत की कीमत 10 से 15000 रुपएप्रति वाहन पूरी गुंडागर्दी के साथ शहडोल क्षेत्र में यानी लोकसभा क्षेत्र में लागू है। जनप्रतिनिधि की चुप्पी पार्षद से लेकर सांसद तक यह बताती है कि हराम का मकान, हराम का खाना तो क्या हराम की रेत भी मिलेगा... ? बिल्कुल नहीं मिलेगा साहब।
इसलिए हमारे सांसद विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि अपनी मौन सहमति रेत की बढ़ी कीमतों में सुनिश्चित करते हैं।
तो साहब कोरोनावायरस सिर्फ चीन के लिए नहीं भारत के लिए भी बेहद मददगार है अपने जन्मदाताओं के प्रति बेहद वफादार है अपने को नहीं मालूम प्रधानमंत्री आवास में कितना ट्रक रेता लगता है किंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब यह रेट तय किया था तब रेत की कीमत 3000 रुपए के आसपास थी। अब 4 गुना ज्यादा है तो क्या मुफ्त की जमीन पर मुफ्त का प्रधानमंत्री आवास की लागत भी बढ़ाई जाएगी ...?,यह तो कोरोनावायरस वायरस का इंडियन अवतार ही बता सकता है ।
फिलहाल मध्यप्रदेश के अंदर "चीन" निर्माण नहीं हुआ है।
इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगा हमें इंतजार करना होगा और जब तक भारत विश्व का सर्वाधिक संक्रमित राष्ट्र नहीं बन जाता। तब तक भारत के अंदर चीनी साम्राज्यवाद और चीनी संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा के "चीन" पैदा होते रहेंगे ।इसी को बोलते हैं हमारी आदिवासी सोच के हिसाब से एक आत्मनिर्भर भारत कैसे होगा हम क्यों किसी चीन से आशा लगाएं अपने अंदर ही कई चीन को बसा ले सिर्फ चीनी संक्रमित कोविड-19 मरीज की आंकड़ों की नजर से |तो इंतजार करिए की आसमान छूती खनिज संपदा जलसंपदा और वायु संपदा आदि के कीमतों और मूक बधिर हमारे जनप्रतिनिधियों व उनकी मौन सहमति के साथ चीन बनने का।
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