कई सदी के बाद उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलने के पश्चात अपने जन्म स्थान पर एक भव्यतम अर्ध निर्मित राम मंदिर में पूर्व में स्थापित श्री रामलला विराजमान के पास ही नवीनतम राघव जी की प्रतिमा स्थापित की गई| 84 सेकंड में "लोकतंत्र के राम" की स्थापना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मोहन भागवत,आनंदीबेन पटेल, योगी आदित्यनाथ और मिश्रा के परिवार के सम्मिलित पूजा अर्चना के साथ संपन्न हुई |
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा त्रेता में राम आगमन पर तुलसीदास जी ने लिखा है- प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित वियोग बिपति सब नासी। अर्थात्, प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया। उस कालखंड में तो वो वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान में, उसकी पहली प्रति में, भगवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय बद्ध तरीके से ही बना।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा। हमारी चेतना का विस्तार... देव से देश तक, राम से राष्ट्र तक होना चाहिए। हनुमान जी की भक्ति, हनुमान जी की सेवा, हनुमान जी का समर्पण, ये ऐसे गुण हैं जिन्हें हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता। प्रत्येक भारतीय में भक्ति, सेवा और समर्पण के ये भाव, समर्थ-सक्षम,भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेंगे। और यही तो है देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार ! दूर-सुदूर जंगल में कुटिया में जीवन गुजारने वाली मेरी आदिवासी मां शबरी का ध्यान आते ही, अप्रतिम विश्वास जागृत होता है। मां शबरी तो कबसे कहती थीं- राम आएंगे। प्रत्येक भारतीय में जन्मा यही विश्वास, समर्थ-सक्षम, भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेगा। और यही तो है देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार! हम सब जानते हैं कि निषादराज की मित्रता, सभी बंधनों से परे है। निषादराज का राम के प्रति सम्मोहन, प्रभु राम का निषादराज के लिए अपनापन कितना मौलिक है। सब अपने हैं, सभी समान हैं। प्रत्येक भारतीय में अपनत्व की, बंधुत्व की ये भावना, समर्थ-सक्षम, भव्य-दिव्य भारत का आधार बनेगी। और यही तो है देव से देश और राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आने वाला समय अब सफलता का है। आने वाला समय अब सिद्धि का है। ये भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा- भारत के उत्कर्ष का, भारत के उदय का, ये भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा- भव्य भारत के अभ्युदय का, विकसित भारत का! ये मंदिर सिखाता है कि अगर लक्ष्य, सत्य प्रमाणित हो, अगर लक्ष्य, सामूहिकता और संगठित शक्ति से जन्मा हो, तब उस लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव नहीं है। ये भारत का समय है और भारत अब आगे बढ़ने वाला है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। हम सब ने इस युग का, इस कालखंड का इंतजार किया है। अब हम रुकेंगे नहीं।आज भारत युवा शक्ति की पूंजी से भरा हुआ है, ऊर्जा से भरा हुआ है। ऐसी सकारात्मक परिस्थितियां, फिर ना जाने कितने समय बाद बनेंगी। हमें अब चूकना नहीं है, हमें अब बैठना नहीं है। मैं अपने देश के युवाओं से कहूंगा। आपके सामने हजारों वर्षों की परंपरा की प्रेरणा है।
उपराष्ट्रपतिजगदीप धनखड़ ने कहा आज श्री राम जन्मभूमि अयोध्या की ऐतिहासिक नगरी में आयोजित, युगांतरकारी भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के शुभ अवसर की हार्दिक शुभकामनाएं !हर्ष और उल्लास से साराबोर यह अवसर देश के गौरव के प्रति राष्ट्र की असीम जागृत चेतना का द्योतक है।22 जनवरी का यह दिन, हमारी सभ्यता के इतिहास में "दिव्यता के साथ साक्षात्कार" के क्षण के रूप में परिभाषित रहेगा।आज के दिन प्रभु श्री राम के क्षमा, सत्यनिष्ठा, पराक्रम, शालीनता, दया और करुणा जैसे सद्गुणों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें जिससे हमारे चतुर्दिक शांति, सौहार्द, शुचिता, शुभता और विद्वत्ता का प्रकाश फैले।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि आज सनतान संस्कृति के नए युग का हुआ आगाज
अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का संकल्प पूरा होने पर 5 सदी की प्रतीक्षा और प्रतिज्ञा आज पूर्ण हुई है।X प्लेटफॉर्म पर अपनी पोस्ट में अमित शाह ने कहा कि “जय श्री राम…5 सदी की प्रतीक्षा और प्रतिज्ञा आज पूर्ण हुई। आज का दिन करोड़ों रामभक्तों के लिये कभी ना भूलने वाला दिन है। आज जब हमारे रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए हैं, तब असंख्य रामभक्तों की तरह मैं भी भावविभोर हूँ। इस भावना को शब्दों में समेट पाना संभव नहीं है। इस पल की प्रतीक्षा में न जाने हमारी कितनी पीढ़ियाँ खप गईं, लेकिन कोई भी डर और आतंक रामजन्मभूमि पर फिर से मंदिर बनाने के संकल्प और विश्वास को डिगा नहीं पाया।अयोध्या के इस भव्यतम कार्यक्रम में देश के लगभग सभी चर्चित चेहरे जिन्हें बुलाया गया था वे उपस्थित रहे इसमें अंबानी परिवार भी एक रहा
ज्ञातव्य हैकी सुप्रीम कोर्ट के न्यायालय के बादएक पृथक से त्रस्त गठित हुआ था और वही ट्रस्ट इस मंदिर
का निर्माणसत्ता के साथ मिलकर कर रहा थाजिसके महामंत्री चंपपेट रायइस मंदिर की लंबी लड़ाई लड़ने में आदि शंकराचार्यके चारों पीठ के शंकराचार्य की भी भूमिका अहम रहीजोइस भव्य कार्यक्रममें उपस्थित नहीं दिखीदो शंकराचार्य ने इस पूरे कार्यक्रम को शास्त्रीय विधि विरुद्ध कार्यक्रम से दूरी बढ़ा ली थी इस तरह यह कार्यक्रम में लोकतंत्र के राम स्थापित हुएजोसनातन परंपरा के आदि शंकराचार्य की पीढ़ी से मुक्त कार्यक्रम कहा जाएगा .
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