गुरुवार, 9 जुलाई 2020

अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है पार्ट 2 मध्यप्रदेश शासन का दावा उसने पकड़ा कुख्यात दुबे जी को


वाह रे, चौबेपुर के दुबे जी ,
अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है - 2

 (त्रिलोकीनाथ)
यूपी के 8 पुलिस के हत्या का प्रमुख आरोपी विकास दुबे महाकाल मंदिर उज्जैन के एक दरवानी लखन यादव
  की मदद से उज्जैन पुलिस ने 9  जुलाई को पकड़ा लकी मध्य प्रदेश के सी एम शिवराज हो या गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा दोनों ने ही दावा किया है कि उसे पुलिस ने पकड़ा है यह विवादित है और महाकाल ही सत्य जानते होंगे क्योंकि झूठ के पंख बहुत तेज होते हैं बहराल यह सीरियल तब लिखा गया था जब दुबे जी ने आत्मसमर्पण में सफलता हासिल नहीं की थी तो इसे अब आज तक उसी अंदाज में समझा जाना उचित होगा...
.

...यह अलग बात है कि जब रिश्तेदारों से, परिचितों से दबाव बनाते बनाते हमारी विधायिका तय कर ले कि दुबे जी आइए आप को सुरक्षित रखा जाएगा , आप परेशान ना हो तब तक दुबे जी दोबारा चौबेपुर थाने में प्रकट नहीं होंगे। सबको याद है उत्तर प्रदेश का ही यह थाना था जहां अपने वर्तमान देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तब  उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री थे  उनके राज्यमंत्री तब उत्तर प्रदेश में कोई शुक्ला जी को थाने के अंदर ही अपने दुबे जी धांए-धांए कर दिए, अब हत्या कहेंगे तो हम भी मुलजिम बन सकते हैं क्योंकि विधायिका का विकास निर्दोष होकर विकास दुबे के रूप में राजनीति में विकसित होने के लिए छोड़ दिया गया था। क्योंकि न्यायपालिका को सबूत नहीं मिले। ऐसा माना जाता है।
    बहरहाल अंतरराष्ट्रीय धार्मिक कट्टरपंथी चेहरा ओसामा बिन लादेन जी से लेकर चौबेपुर के दुबे जी तक अपराध एक है, ऐसे ही जैसे कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है। यही एक कारण है कि बिहार के
पुलिस प्रमुख गुप्तेश्वर पांडे जी बहुत परेशान है, गुस्सा में भी हैं... की यह अपराधी विकास दुबे "ब्राह्मणों का शेर" कैसे हो गया ..। जैसे वह बिहार में रहते हुए भी बिहार के न होने का परिचय दे रहे। याने अपराध मुक्त प्रशासन का परिचय दे रहे हैं।
      हमारे शहडोल में भी पिछले 15 साल भाजपा शासन की सत्ता के बाद से वर्तमान सत्ता के चरित्र का "विकास" अलग-अलग क्षेत्र में विकसित हो रहा है, रेत की खदानों में पूरा संभाग अपराधियों का जमघट है। वर्तमान पुलिस प्रशासन कानूनन यह बताने में स्वयं को अक्षम पा रही हैं कि ठेकेदारों के अंडर में कितने सामाजिक,कितने असामाजिक, कितने नेता नुमा और कितने गुंडा नुमा चेहरा, शहडोल में संरक्षित हैं। क्योंकि पुलिस व प्रशासन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस नियमित नहीं होती यानी जब इच्छा होती है तब होती है। तब तक जब तक की वह कोई बड़ी वारदात ना कर दे विकास की तरह विकसित ना दिखने लगे यह मसला विधायिका के गर्भ में पल रहा है। इस नाजायज गर्भाधान का ही परिणाम है चाहे उद्योगपति हूं चाहे विभिन्न विभागों में बैठा हुआ माफिया का  काकस अथवा राजनीतिक दलों को जेब में रख कर घूमता हुआ अपराधिक विचारधारा का कोई सोच...। 
   तो हमें अभी याद है की बकहो पंचायत में सीबीएम गैस के लिए को दी गई पाइप लाइन या कार्यवाही के लिए वहां पर खड़ी आदिवासी महिलाएं उसमें गिर गई थी और मृत्यु की कगार पर होने के हालात में सीबीएम गैस इंडस्ट्री के प्रबंधन ने उसे छोड़ दिया था। देर सवेर स्थानीय सहयोग से वह उठी और किसी तरह इलाज करा कर थाने तक इस बात को पहुंचाई कि किस प्रकार सीबीएम उद्योग प्रबंधन ने उन्हें अपनी आपराधिक मानसिकता का शिकार होने दिया। यह अलग बात है की f.i.r. ऑनलाइन थाने में दर्ज भी हो गई थी। जिस प्रकार "राजा के पिलई को आटा में पेशाब करने की छूट होती है, उसी प्रकार उद्योगपति के प्रबंधन का नाम दर्ज होने के बाद भी हटा दिया गया। बल्कि उस थानेदार को भी दंडित होना पड़ा या  लाइन-अटैच हो गए। जिन्होंने यह दुस्साहस किया था आदिवासी महिला की हत्या का प्रयास प्रबंधन पर लगा तो जरूर किंतु न्यायालय के पहले ही भी आरोप धराशाई हो गए।
      अब बिहार के पुलिस महानिदेशक को कौन समझाए कि साहब, "ब्राह्मणों का शेर" विकास सिर्फ चौबेपुर में नहीं रहता, वह बिहार भर में आरक्षित नहीं है। बल्कि खनिज माफिया के रूप में अफसर का अवतार भी है और उद्योग के रूप में भी शहडोल में अवतरित संरक्षित और पल्लवित है "विकास" सिर्फ चौबेपुर की धरोहर नहीं है, शहडोल में उत्तर प्रदेश और बिहार भी पूरे विकास के साथ संरक्षित है। यहां भी पुलिस के रिकॉर्ड में अपराधियों को विकसित होने का लाभ मिला है। सतर्क पुलिस अधीक्षक अथवा पुलिस कर्मचारी यहां भी लाइन अटैच हो जाते हैं। यह कोई बड़ी बात नहीं है। वह किसी "हिंदुत्व" किसी "राष्ट्रभक्ति" अथवा किसी "ब्राह्मणों का शेर" जैसे व्यवसायिक ब्रांड मैं अभी नहीं गढ़ा गया है ।खासतौर से नवोदित  खदानों में भी इसका विकास होता दिख रहा है ।और विकसित तो यह इस कदर हो गया है कि तब सर्किट हाउस में कांग्रेस के प्रभारी मंत्री ओमकार सिंह मरकाम की उपस्थिति में स्थानीय नेता प्रदीप सिंह को जो लेडी डॉन अपराधियों के संरक्षण का हवाला देकर डांट रही थी वह भी "विकास"   शहडोल में ही था।
 प्रदीप तो चुप हो गए या चुप करा दिए गए...? कोई पूछने वाला नहीं है की "लेडीडॉन" की कुल संपत्ति मद्रास में मुंबई में, हैदराबाद में या पूरी दुनिया में कितनी होगी... कितने पेटी कांट्रेक्टर विकास होकर के लिए माइनिंग खदान से पैसा पलटी करने के लिए अघोषित तौर पर शहडोल में रखे गए थे...?
    तो "जाति न पूछो माफिया के, पूछ लीजिए ज्ञान.." अल्बर्ट पिंटो साहब गुस्सा मत होइए, आप ही अकेले पुलिस महानिदेशक इस भारत में नहीं है
और भी पुलिस महानिदेशक हैं सब शांति और व्यवस्था के साथ इस भारत को संभाल रहे हैं... सिर्फ आपका विकास इतना विकसित क्यों हो गया है... यह अलग बात है कि आप  ब्राह्मण हैं तो इसमें आपका कोई दोस् नहीं है... जैसे चौबेपुर के दुबे जी का कोई दोष नहीं है...? अब तो उसकी जन्मदाता मां भी कहती है विकास का एनकाउंटर कर दो, अब  योगी जी को उनकी  योग-माया के साथ देखते हैं कि चौबेपुर के  विकसित  अपराधिक विचारधारा  याने "आधा जी" यानी  दुबे जी एनकाउंटर होता है या फिर भी सुरक्षित संरक्षित आत्मसमर्पण करवाएं जाते हैं। ताकि किसी प्रताड़ित बहुचर्चित डकैत फूलन देवी की तरह न्याय पाकर भारतीय संसद की गरिमा बढ़ाएं।
 आखिर संसद में निरापद लोगों का जमावड़ा जो हुआ है कोई तो सीना तान कर ब्राह्मण शेर दिखाया जा सके, परेशान ना होइए डीजीपी साहब यही है "नया इंडिया" है।
 ब्राम्हण परिवार में जन्मे हैं तो इतना गुस्सा भी ठीक नहीं यह आपका अपराध नहीं था। व कुछ नहीं है... वे सिर्फ चौबेपुर के "चौबेजी"  भी नहीं है..., "आधाजी" ही है याने "दुबे जी" हैं और यही "सबका साथ-सबका विकास" है । कम से कम  उत्तर प्रदेश में तो यही विकास दुबे हैं।
और हां विकास दुबे भी महाकाल के परिसर में उज्जैन में इस सच को चिल्ला चिल्ला कर बोला था
मैं ही विकास दुबे कानपुर वाला और सही बात यह है कि वही विकास दुबे था पूरी तरह विकसित होकर आत्मसमर्पण कर दिया था जिसे मध्य प्रदेश की पुलिस के हवाले से शासन ने डंके की चोट में कहा था कि उन्होंने गिरफ्तार किया है। विकास दुबे को अगर वह दया करके कृपा करके महाकाल की प्रेरणा से आज सौंपा नहीं करता तो आज भी आप उन्हें ढूंढते ही रह जाते हैं।
    क्योंकि ऐसे विकास कोरोनावायरस से ज्यादा खतरनाक हैं हर ऑफिस में हैं हर कार्यालय में है यही कारण है 2016 में शहडोल थाने में आकर गायब हो गई एक महिला को आज तक शहडोल पुलिस ढूंढ कर नहीं ला पाई है ।हाईकोर्ट में जब पूछा गया तब विद्वान पुलिस ने उसके गुमशुदा होने पर ₹5000 इनाम की राशि सूचना देने वाले को रख दी अगर यह महिला, विकास दुबे की तरह विकसित होती है तो शायद इसका इनाम भी 500000 होता है और फिर यह ठीक उसी तरह गिरफ्तार होती या जप्त होती जैसे फिल्म शोले की शुरुआत में मशहूर हास्य कलाकार जगदीप का
चरित्र नायक भोपाल का सूरमा भोपाली दम ठोकर अपने अंध भक्तों को किस्सा सुना रहा था। लकड़ी की ताल में बैठा उसने कैसे खूंखार अपराधी जय और वीरू को गिरफ्तार करवाया ,जय और वीरू अब तो कई रूप में घूम रहे हैं और जब इच्छा होती है तब सुरमा भोपाली के जरिए गिरफ्तार भी हो जाते हैं। अथवा हम अमलाई थाने के तब के टीआई को लाइन अटैच करा कर शहडोल में एक संभ्रांत नागरिक का नकाब पहनकर उद्योगपति के उद्योग के लिए सफलतापूर्वक प्रबंधन करते हैं ।बहरहाल यह एक कहानी है इसे आप झूठा भी समझ ले... इसी में हम सब की भलाई है यही हमें मशहूर अदाकार सूरमा भोपाली फिल्म शोले में शुरुआत में समझाए थे...
आज का यह लेख उन्हें सुरमा भोपाली को श्रद्धा सुमन कर समाप्त करता हूं।

 क्योंकि विकास दुबे अब उत्तर प्रदेश की बहादुर पुलिस के संरक्षण में पहुंच गया है वह संसद के गलियारे में कब घूमता मिलेगा किस पार्टी से इंतजार करना होगा अथवा नई दिल्ली के किसी बंगले के सामने सांसद के रूप में होने के बावजूद थी डकैत फूलन सिंह की तरह मारा जाएगा इसका भी इंतजार करना होगा..... वैसे तो गुस्सा योगी जी को भी बहुत आई होगी क्योंकि विकास दुबे ने उनके विकास का रास्ता उनकी छवि को एक ही झटके में खत्म कर दिया और इसीलिए अल्बर्ट पिंटो को बहुत गुस्सा आता है अभी समझ में ना आए तो आगे देखते रहिए अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है.. क्या उत्तर प्रदेश का घोषित ₹500000 का इनाम हमारे सूरमा भोपाली जी नहीं सूरमा महाकाल दरवानी लखन यादव को मिल सकता है....?, इंतजार कीजिए...
मित्रों इस स्टोरी को पब्लिश्ड करने के बाद हमने पाया कि चौबे जी ने दुबे जी को निपटा दिया है याने उनका भी विकास दुबे का भी एनकाउंटर हो गया है इसलिए आपको इस ब्रेकिंग खबर को देना जरूरी था क्योंकि अभी 10:15 रहे हैं और यह घटना करीब 8:30 बजे की बताई जाती है एनडीटीवी की रिपोर्टिंग की क्लिप्स का आंशिक हिस्सा आपको दिखा रहे हैं


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नवंबर 2024 चुनावों में बड़ी खबर क्या है...? कौन सा प्यादा होगा आर्थिक राजधानी का मुख्यमंत्री...? (त्रिलोकी नाथ)

23 नवंबर 2024 को लोकसभा उपचुनाव और विधानसभा चुनावों में बड़ी खबर क्या है...? यह चुनाव परिणामों का निष्कर्ष होगा, केरल में वायनाड से प्रियंका...