शनिवार, 11 जुलाई 2020

ऑटोनॉमस पुलिसिंग के पक्ष में एक विचार


भारतीय पुलिस का अपना एक पक्ष है और उन्हीं से सद्भावना रखने वाला यह एक नजरिया है जो उसकी विवशता भी है किंतु जब दिल्ली में केंद्र सरकार राज्य सरकार के अधीन पुलिस नहीं सो पा रही है तो ऑटोनॉमस पुलिस  की कल्पना  कितना उचित है  संभव है  ऑटो में पुलिसिंग से  पुलिस सेवा का गौरव बढ़ाएं व्हाट्सएप मेंं चल रहे एक मैसेज का हिस्सा है 



मैं पुलिस हूँ.......

मैं जानता था कि फूलन देवी ने नरसंहार किया है लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो SP की नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ....... 

मैं जानता था कि शाहबुद्दीन ने चंद्रशेखर प्रसाद के तीन बेटों को मारा है लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो RJD का नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ..... 

मैं जानता था कि कुलदीप सेंगर का चरित्र ठीक नही है और उसने दुराचार किया है लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो भाजपा का नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ........

मैं जानता था कि मलखान सिंह बिशनोई ने भँवरी देवी को मारा है लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो कांग्रिस का नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ.....

मैं जानता हूँ की दिल्ली के दंगो में अमानतुल्लाह खान ने लोगों को भड़काया लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो AAP का नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ......

मैं जानता हूँ कि Syed Ali Shah Gilani, Yaseen Malik, Mirwaiz Umar Farooq आंतंकवादियो का साथ देते हैं लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो कश्मीरी नेता है उसके बॉडीगार्ड बनो में बना क्यूँकि मैं पुलिस हूँ......

आपको भी पता था की इशरत जहाँ, तुलसी प्रजापति आतंकवादी थे लेकिन फिर भी आपने हमारे बंजारा साहेब को कई सालों तक जेल में रखा। मैं चुप रहा क्योंकि में पुलिस हूँ ........

कुछ सालों पहले हमने विकास दुबे जिसने एक नेता का ख़ून किया था को आपके सामने प्रस्तुत किया था लेकिन गबाह के अभाव में आपने उसे छोड़ दिया था, मैं चुप रहा क्योंकि में पुलिस हूँ .........

लेकिन My Lord विकास दुबे ने इस बार ठाकुरों को नही, चंद्रशेखर के बच्चों को नही, भँवरी देवी को नही किसी नेता को नही मेरे अपने आठ पुलिस वालों की बेरहमी से हत्या की थी, उसको आपके पास लाते तो देर से ही सही लेकिन आप मुझे उसका बॉडीगार्ड बनने पर ज़रूर मज़बूर करते इसी उधेड़बुन और डर से मेंने रात भर उज्जैन से लेकर कानपुर तक गाड़ी चलायी और कब नींद आ गयी पता ही नही चला और ऐक्सिडेंट हो गया और उसके बाद की घटना सभी को मालूम है

My Lord कभी सोचिएगा की अमेरिका जैसे सम्पन्न और आधुनिक देश में पाँच सालों में पुलिस ने 5511 अपराधियों का एंकाउंटर किया वहीं हमारे विशाल जनसंख्या वाले देश में पिछले पाँच साल में 824 एंकाउंटर हुए और सभी पुलिस वालों की जाँच चल रही है।  

My Lord में यह नही कह रहा हूँ की एंकाउंटर सही है लेकिन बड़े बड़े वकीलों द्वारा अपराधियों को बचाना फिर उनका राजनीति में आना और फिर आपके द्वारा हमें उनकी सुरक्षा में लगाना अब बंद होना चाहिये, सच कह रहा हूँ अब थकने लगे हैं हम, संविधान जो कई दशकों पहले लिखा गया था उसमें अब कुछ बदलाव की आवश्यकता है यदि बदलाब नही हुए तो ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी और हम और आप कुछ दिन हाय तौबा करने के बाद चुप हो जाएँगे।

मूल में जाइए और रोग को जड़ से ख़त्म कीजिए, रोग हमारी क़ानून प्रणाली में है जिसे सही करने की आवश्यकता है अन्यथा देर सबेर ऐसी घटनायों को सुनने के लिए तैयार रहिये 

पुलिस को Autonomous Body बनाइए हमें इन नेताओं के चंगुल से बचाइये ताकि देश और समाज अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके।

नेताओ की कठपुतली 
हिंदुस्तान की पुलिस

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